सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

क्रिकेट cricket अतीत से वर्तमान तक का सफ़रनामा

बाल और बेट
 Cricket
दुनिया में क्रिकेट खेलनें वाले जितनें राष्ट्र हैं,उनमें आधे एशियाई राष्ट्र हैं,और इन देशों में क्रिकेट़ की लोकप्रियता का आलम यह हैं,कि करोड़ों लोगों के लिये यह खेल धर्म हैं,और इसको खेलनें वाले खिलाड़ी भगवान .

भारत में यह खेल इस कदर लोकप्रिय हैं,कि जिस दिन भारत का कोई मैच किसी दूसरें देशों की टीम से होता हैं,उस दिन देश के स्कूल,कालेज,बाजार,और कार्यालयों में अघोषित अवकाश हो जाता हैं. 1990 के दशक में क्रिकेट अपने क्रिकेट केरियर की शुरूआत करनें वाले सचिन तेंडुलकर जैसें खिलाड़ी ने सपने में भी यह नही सोचा होगा कि एक दिन यह खेल उन्हें क्रिकेट का भगवान बना देगा.आईयें जानतें हैं इस भद्रपुरूषों के खेल के सफ़रनामें के बारें में

■ क्रिकेट की उत्पत्ति किस देश से हुई थी :::


क्रिकेट की उत्पत्ति इंग्लेड़ से मानी जाती हैं,जहाँ  13 वी शताब्दी से यह खेल गेंद और बल्ले के साथ खेला जा रहा हैं. सन्  1709 में यह खेल लंदन और केंट़ टीम के मध्य खेला गया.

इसके पश्चात 1730 के दशक तक यह खेल केम्ब्रिज और आक्सफोर्ड़ विश्वविधालय के छात्रों के बीच लोकप्रिय हो गया .

■ प्रथम क्रिकेट क्लब :::

दिनों दिन बढ़ती इस खेल की लोकप्रियता नें इग्लेंड़ में इसके संगठित प्रयासों को हवा दी और क्रिकेट खेलनें वालें कुछ लोगों ने 1760 में " हैम्बलड़न क्रिकेट क्लब "की स्थापना कर क्लब क्रिकेट खेलना शुरू किया .

1787 में क्लब कल्चर इंग्लेंड़ से बाहर निकलकर आस्ट्रेलिया जैसे सूदूर पूर्वी राष्ट्र जा पहुँचा,जहाँ मेलबार्न शहर में मेलबार्न क्रिकेट क्लब की स्थापना की गई.

खेल के साथ इसके नियमों के बननें की शुरूआत भी हुई लंदन क्लब द्धारा खेल से संबधित अनेक नियम बनायें गये.

■ अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट संघ की शुरूआत :::


सन् 1877 तक आतें - आतें क्रिकेट नें अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप ग्रहण कर लिया और इसको खेलनें वालें राष्ट्रों नें एक दूसरे से की टीमों के मध्य मैंच करानें के उद्देश्य से अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बनानें का विचार करना शुरू किया,और 1909 में इंग्लेंड़,दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया ने मिलकर एक अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट संगठन " इंम्पीरियल क्रिकेट कांफ्रेस" की स्थापना की जिसके सदस्य राष्ट्रों की संख्या समय के साथ लगातार बढ़ती गई जैसें 1926 में भारत ,वेस्टइण्डीज एँव न्यूजीलैण्ड़ तथा 1952 में पाकिस्तान इसका सदस्य बना.

सन् 1965 में इसका नाम बदलकर इन्टरनेशनल क्रिकेट कांफ्रेस कर दिया गया.जो आज का अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) कहलाता हैं.जिसका मुख्यालय दुबई में हैं.


■ अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मेंचों की शुरूआत कब हुई थी :::


क्रिकेट में अन्तर्राष्ट्रीय मेंचों की शुरूआत टेस्ट मेंचों के साथ मानी जाती हैं,जब आस्ट्रेलिया एँव इग्लेंड़ के मध्य प्रथम टेस्ट मेंच खेला गया यह मेंच चार दिन का था.
इसी प्रकार एकदिवसीय मेंचों की शुरूआत भी इन्ही दो देशों के मध्य हुई जो कि 5 जनवरी 1971 को क्रिकेट के मक्का लार्डस के मेंदान पर खेला गया.

■ भारत में क्रिकेट की शुरूआत कब हुई थी :::


भारत में क्रिकेट की शुरूआत करनें का श्रेय अंग्रेजों और तत्कालीन राजें - रजवाड़ों को जाता हैं.जिनमें प्रमुख नाम महाराजा रणजीत सिंह का हैं.1792 में कलकत्ता (कोलकता) में क्रिकेट क्लब की स्थापना हुई.
भारत की ओर से विदेशी दोरा करनें के लिये प्रथम क्रिकेट टीम सन् 1866 में इंग्लेंड़ गई.किन्तु इन मेंचों को अधिकृत मेंचों का दर्जा हासिल नही हैं,क्योंकि इन मेंचों को रिकार्ड़ बुक में दर्ज करनें के लिये कोई अन्तर्राष्ट्रीय संस्था उस समय मोजूद नही थी.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की स्थापना सन् 1928 में हुई जिसके प्रथम अध्यक्ष श्री E.R.GRANT थें.इसकी स्थापना के पश्चात ही भारत नें अपना प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय अधिकृत टेस्ट मेंच 25 जून 1932 को इंग्लेंड़ के विरूद्ध लार्डस के मैंदान पर खेला था.

आस्ट्रेलिया और इंग्लेंड़ के राष्ट्रीय खेल क्रिकेट का जितना विस्तार और व्यावसायीकरण भारत में हुआ उतना विश्व के किसी भी राष्ट्र में नही हुआ यही कारण हैं,कि सम्पूर्ण विश्व के क्रिकेट बोर्डों में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड़ (BCCI) का दबदबा माना जाता हैं.अपने इस प्रभाव का इस्तेमाल कर भारतीय बोर्ड ने क्रिकेट में अनेक सुधार करवायें जैसे नये देशों को अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शामिल करनें की सिफारिश करना, मैंचों के छोटे संस्करण जैसें 20 -20 (ट्वटी-ट्वटी) को समर्थन देना,क्रिकेट को लोकप्रिय बनानें हेतू उभरते राष्ट्रों को तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाना आदि.

भारतीय क्रिकेट टीम ने प्रथम एकदिवसीय मैच कब खेला था ?

भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना प्रथम एकदिवसीय मैच 13 जुलाई 1974 को इंग्लैंड के लीड्स में खेला था। इंग्लैंड के विरुद्ध खेले गए इस मैच में अजित वाडेकर ने भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया था ।

भारत ने अपने प्रथम एकदिवसीय मैच में 265 रन बनाए थे और यह मैच मेजबान इंग्लैंड ने जीता था।

■ क्रिकेट खेल से संबधित जानकारी :::


क्रिकेट खेलनें के लियें तीन तरह की प्रतियोगिता आयोजित होती हैं,जिसमें प्रत्येक टीम में 11 -11 खिलाड़ी सम्मिलित होतें हैं.

1.टेस्ट मेंच (Test match)

यह क्रिकेट का सबसे पुराना प्रारूप हैं,यह प्रारूप शुरूआत में चार दिवस तक खेल जाता था,किन्तु वर्तमान में यह पाँच दिनों तक खेला जाता हैं.
इसमें एकदिन में 90 ओवर (एक ओवर में छ: गेंदे फेंकी जाती हैं).प्रत्येक टीम को आऊट होनें तक दो पारिया खेलनें का मोंका मिलता हैं.

2.एक दिवसीय मेंच (one day match)::

जैसाकि नाम से विदित हैं,यह एकदिन के लिये खेला जाता हैं,प्रारंभ में यह 40 ओवर तक होता था जिसमें प्रत्येक टीम को 40 - 40 ओवर खेलनें को मिलते थे,किन्तु वर्तमान में यह खेल 50 - 50 ओवरों का हो गया हैं.

3.ट्वटी - ट्वटी :::


क्रिकेट का यह सबसे नया संस्करण हैं,जो बीस - बीस ओवर का होता हैं,इसकी रोमांचकता नें क्रिकेट को नई बुलंदियों तक पँहुचाया हैं.

कुछ सामान्य प्रश्न ::


१. क्रिकेट की गेंद किस चीज की बनी होती हैं और इसका वज़न कितना होता हैं ?

उत्तर ::: अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिये लेदर या कोकाबूरा की गेंद इस्तेमाल होती हैं.जिसका वज़न 155.9 ग्राम से 163 ग्राम के बीच होता है.

२.बल्ले का अनुपात क्या होता हैं ?

उत्तर::: बल्ला लम्बाई में 96.5 सेमी से अधिक लम्बा नही होना चाहियें.जबकि चोड़ाई में 10.8 सेमी से अधिक नही होना चाहियें.

३.पिच की लम्बाई चोड़ाई क्या होती हैं ?

 उत्तर ::: 20.12 मीटर या 22 गज लम्बाई तथा 2.52 मीटर चोड़ाई
आ सब पे

४. क्रिकेट में आऊट कितनी तरह से होते हैं ?

उत्तर ::: १.  रन आऊट़
            २. केच आऊट़
            ३. स्टम्प आऊट़ 
            ४.हिट विकेट आऊट़. 
            ५ . बोल्ड़
            ६. टाइम आऊट़

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संबंधित खेल के नये नियम


अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संबंधित खेल के नियम कौंन बनाता है

अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संबंधित खेल के नियम मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) संस्था द्वारा बनाए जातें हैं। 

मेरिलबोन क्रिकेट क्लब की स्थापना सन् 1787 में हुई थी। 

माकडिंग क्या होती हैं 

यदि कोई नान स्ट्राइक पर खड़ा बल्लेबाज गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले क्रीज से बाहर निकल जाता है और गेंदबाज गेंद नहीं फेंककर सीधे नान स्ट्राइक की गिल्लीयां बिखेर देता है तो नान स्ट्राइक बल्लेबाज को आउट माना जाता हैं।

क्रिकेट में माकडिंग की शुरुआत 1947- 48 में भारत और आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेले गए टेस्ट मैच से हुई थी जब भारतीय गेंदबाज वीनू मांकड ने गेंद फेंकने से पहले ही नान स्ट्राइक से बाहर निकल रहे आस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिली ब्राउन को आउट किया था।

वीनू मांकड के नाम पर ही इस तरह के आउट को माकडिंग कहा गया था।

क्रिकेट से संबंधित नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब माकडिंग को मार्च 2022 से पहले अनुचित आउट करार दिया करती थी और इसे क्रिकेट के नियम 41.16 के अनुसार खेल भावना के विपरीत माना जाता था।

किंतु अब इसे नियम 41.16 से हटाकर क्रिकेट के नियम 38 में डाल दिया हैं और अब माकडिंग के तहत यदि नान स्ट्राइक बल्लेबाज गेंदबाज द्वारा गेंद फेंकने से पहले क्रीज से बाहर निकल जाता हैं और यदि गेंदबाज नान स्ट्राइक स्टम्प की गिल्लीयां बिखेर देता है तो बल्लेबाज आउट माना जाएगा।

क्रिकेट का नया नियम ला - 18 क्या हैं 

क्रिकेट के नियम अनुसार यदि कोई बल्लेबाज गेंद खेलकर कैच उछालता है और यदि वह कैच आउट हो जाता हैं और इस दौरान उसने आधी क्रीज पार कर ली हैं तो आने वाला नया बल्लेबाज ही स्ट्राइक लेगा। ओवर खत्म होने की दशा में ऐसा नहीं होगा

इससे पहले के क्रिकेट नियम 18 के अनुसार यदि आउट होने वाले बल्लेबाज ने आधी क्रीज पार कर ली हैं तो नया आने वाला बल्लेबाज नान स्ट्राइक पर रहता था।

क्रिकेट का नया नियम ला-21.40 क्या हैं

यदि कोई गेंदबाज गेंद फेंकने से पहले स्ट्राइक बल्लेबाज की ओर रन आउट के इरादे से गेंद फेंकता है तो इसे डेड बाल माना जाएगा इससे पहले ऐसा करने पर नो- बाल मानी जाती थी।

क्रिकेट के नियम ला - 22.1 में क्या हैं

बल्लेबाज की पोजिशन के आधार पर वाइड बाल का निर्धारण अंपायर द्वारा किया जाएगा अर्थात जब गेंदबाज ने रन अप स्टार्ट कर दिया उसके बाद बल्लेबाज की पोजिशन कैसी थी इसी आधार पर अंपायर वाइड बाल देगा।

क्रिकेट का नया नियम ला-1.3 क्या हैं

यदि बीच खेल में किसी खिलाड़ी ने मैदान छोड़ा हैं तो उसकी जगह लेने वाला खिलाड़ी भी उसी खिलाड़ी की तरह होगा उदाहरण के लिए किसी गेंदबाज ने मैदान छोड़ा हैं तो उसका स्थान लेने वाला खिलाड़ी भी गेंदबाज होगा।

खिलाड़ी को मैच के दौरान मैदान छोड़ने की सजा देने पर भी यही नियम लागू होगा।

क्रिकेट का नया नियम ला-41.3 क्या हैं

क्रिकेट के नियम ला - 41.3 के अनुसार यदि खिलाड़ी गेंद को चमकदार बनाने के लिए लार का इस्तेमाल करेगा तो इसे अनुचित और खेल भावना के विपरीत माना जाएगा।और ऐसा करना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण और खिलाड़ीयों के बीच संक्रमण रोकने के लिए ऐसा किया गया है।

क्रिकेट का नया नियम ला - 20.4.2.12

क्रिकेट का नया नियम ला 20.4.2.12 क्रिकेट खेल के दौरान बाहरी व्यक्ति या जानवर को मैदान में घुसने को पूरी तरह से खेल में व्यवधान मानता है और ऐसा होने पर अंपायर उस समय फेंकी जानें वाली बाल को डेड बाल दे देगा।

क्रिकेट नियम ला-25.8

यदि गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद पीच से दूर गिरती हैं तो गेंदबाज उस पर शाट लगा सकता हैं लेकिन शाट लगाने के दौरान बल्लेबाज का शरीर या शरीर का कुछ हिस्सा क्रीज के अंदर होना चाहिए। बल्लेबाज यदि बाल को छोड़ देता है तो अंपायर उसे नो-बाल घोषित कर देगा।

लेकिन यदि गेंद को खेलने के दौरान बल्लेबाज का शरीर क्रीज से बाहर रहता है तो अंपायर उस बाल को नो-बाल घोषित कर देगा।

क्रिकेट नियम 27.4 और 28.6

क्रिकेट मेच के दौरान यदि फील्डर गलत तरीके से मूवमेंट करता है तो बल्लेबाजी करने वाली टीम को अंपायर पांच अतिरिक्त रन देगा।

इसके पहले ऐसा होने पर अंपायर गेंद को डेड बाल दे देते थे चाहे बल्लेबाज ने शाट खेलकर रन बनाया हो।

क्रिकेट से संबंधित नये नियम 01 अक्टूबर सन् 2022 से आस्ट्रेलिया में शुरू होने वाले ट्वेंटी ट्वेंटी मेच से लागू होंगे।

यह भी पढें 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x