सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भारत में सड़क दुर्घटनाएँ कारण और समाधान [ROAD ACCIDENT]

सड़क दुर्घट़ना
 सड़क दुर्घट़ना का दृश्य
#भारत में सड़कों के माध्यम से होनें वाला माल एँव यात्री परिवहन का क्षेत्र सर्वाधिक  हैं,जहाँ सम्पूर्ण यात्री परिवहन का 87% तथा माल परिवहन का 65% सड़कों के माध्यम से पूरा होता हैं.किन्तु इस मामलें का दूसरा स्याह पक्ष सड़कों पर बढ़ती वाहन दुर्घट़नाओं से जुड़ा हैं.


राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड़़ ब्यूरों के आकंड़ो की मानें तो भारत में सड़क दुर्घट़नाओं में प्रतिवर्ष 1.50 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं.और लगभग इतनें ही अपंग हो जातें हैं.बढ़ती सड़क दुर्घट़नाओं केे कारण भारत सड़क दुर्घट़नाओं की वैश्विक राजधानी (world capital) बनता जा रहा हैं.


दुनियाभर में उपलब्ध वाहनों में भारत की हिस्सेदारी मात्र एक प्रतिशत हैं किन्तु दुनियाभर में होने वाले सड़क हादसों में 11 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की हैं । भारत में प्रत्येक घंटे 17 व्यक्ति सड़क दुर्घटना में काल के गाल में समा जाते हैं ।


इन बढ़ती दुर्घट़नाओं के कई कारण हैं जैसें


# सड़क दुघर्टना के मुख्य कारण ::


#1.नशा करके वाहन चलाना ::


भारत में होनें वाली सड़क दुर्घट़नाओं में 75% दुर्घट़नाएँ किसी न किसी प्रकार का नशा करके वाहन चलानें से होती हैं.एक सर्वे के अनुसार भारतीय रोड़ पर वाहन चलानें वाला हर 7 वाँ व्यक्ति कभी न कभी नशा करके वाहन चलाता हैं.


इस प्रकार से नशा करके वाहन चलानें वाला अपनें आप को मानव बम में परिवर्तित कर देता हैं.जो अपनें साथ सड़क पर चलनें वाले दूसरें व्यक्ति की जिन्दगी को गंभीर ख़तरा पैदा करता हैं.


नशा करके सड़क दुर्घट़नाओं में जान गँवानें वालें 85% लोग युवा ओर घर के अकेले कमाने वालें होतें हैं.सोचियें यह स्थिति एक राष्ट्र और परिवार की अर्थव्यवस्था को कितना पीछे ले जाती हैं. 


#2.गुणवत्ताहीन सड़क संरचनाँए :::


देश ही नहीं दुनिया के 70% राष्ट्रों में सड़क दुर्घट़नाओं का प्रमुख कारण घट़िया और गुणवत्ताहीन सड़क संरचनाएँ हैं।
भारत में तो स्थिति और भी भयावह हैं,यहाँ सड़क निर्माण के नाम पर इतनी मनमानीयाँ की जाती हैं,कि लगभग 99% सड़के सुगम यातायात की दृष्टि से ख़तरनाक हैं.तभी तो लगभग हर एक किलोमीट़र पर हमें अनेक ऐसे संकेतक मिल जायेंगें जो किसी न किसी प्रकार की बाधा होनें की जानकारी देतें हैं.
गुणवत्ताहीन सड़क संरचनाओं को हम निम्न प्रकार से समझ सकतें हैं.


#3. घट़िया सड़क निर्माण :::


भारतीय सड़कों के निर्माण में अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानको का पालन लगभग न के बराबर किया जाता हैं,फलस्वरूप सड़के मज़बूत और टीकाऊ नहीं बन पाती और एक बरसात के बाद ही इसमें से झाँकनें वाले बड़े-बड़ें गड्डे  दुर्घट़ना में इजाफा करते हैं.


#4.संकरे पुल - पुलिया ::


राष्ट्रीय राजमार्ग भारत के सड़क परिवहन का दो तिहाई परिवहन करतें हैं.किन्तु इन पर पड़नें वालें पुल - पुलिया से आमनें - सामनें से आनें वाले वाहन नहीं निकल पातें हैं.फलस्वरूप नये वाहन चालक सर्वाधिक दुर्घट़नाओं के शिकार होतें हैं.


#5.ख़तरनाक चौराहे :::


जिस जगह से हाईवे निकल रहे हैं,उनके आसपास की ग्रामीण आबादी को जोड़नें के लियें जो सड़के बनाई गई हैं,उनका मुँह सीधा हाईवे पर आकर खुलता हैं. फलस्वरूप अनेक वाहन चालक साइड़ से आनें वाले वाहन को नहीं देख पातें नतीजन दुर्घट़ना होकर काफी जानमाल का नुकसान होता हैं.एक अनुमान के अनुसार ये चौराहे मौत के हाटस्पाट  बन गयें हैं,जहाँ कुल सड़क दुर्घट़नाओं की 26% मौंतें होती हैं.

#6.यातायात नियमों के पालन में ढ़िलाई :::


भारत यातायात नियमों का पालन करनें वालें और करवानें वालें राष्ट्रों में अपनें कई पड़ोसीयों से बहुत पीछें हैं,श्री लंका और बांग्लादेश जैसें एशियाई देश हमसे काफी आगे निकल चुकें हैं.

यातायात नियमों का पालन नहीं करनें में शामिल हैं 


#१.बगैर लाइसेंस वाहन चलाना.


#२. सही तरीका अपनायें बिना सिर्फ कागजी औपचारिकता के आधार पर लाइसेंस जारी करना.


#३.वाहनों में क्षमता से अधिक सवारी और माल लादकर ले जाना.


#४.सीट बेल्ट का उपयोग नही करना.


#५.हेलमेट नहीं पहनकर वाहन चलाना.

#7.सड़क साक्षरता का पूर्ण अभाव :::


भारत में उच्च शिक्षित व्यक्ति भी सड़क साक्षरता में पूर्णत: निरक्षर हैं.जबकि विकसित देशों में सड़क साक्षरता प्रत्येक नागरिक के लियें अनिवार्य हैं,और इसके अभाव में नागरिक असभ्य माना जाता हैं.


# यातायात लेनों का अभाव :::


एक अन्तर्राष्ट्रीय एजेंसी के सर्वे के अनुसार भारत में यातायात के लियें अलग - अलग लेनों का नितान्त अभाव हैं,जिसके फलस्वरूप हल्के,भारी,साईकिल,हाथठेला,पैदल यात्री,मोटर साईकिल चालक,तेज गति के वाहन एक ही लेन में चलते हैं.इन लेनों में यदा - कदा बड़े वाहन,तेज वाहन छोट़े वाहन और पैदल यात्रीयों को टक्कर मारकर जान को नुकसान पहुँचात हैं.


# खटारा वाहन के कारण सड़क दुर्घटना


सड़क परिवहन और राजमार्ग शोध ईकाइ के अनुसार भारत में होनें वाली सड़क दुर्घट़ना में से दो प्रतिशत सड़क दुर्घटना खटारा वाहनों के कारण होती हैं जिसमें लाखों लोग जान गंवा देते हैं । सड़क पर दोड़ने वाले ये खटारा वाहन रिश्वतख़ोरी के कारण फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल कर लेते हैं और सड़कों पर दोडते रहते हैं ।


भारत में कारों की कई प्रतिष्ठित कम्पनियॉ NCAP  क्रैश टेस्ट में फैल हो जाती हैं । यह टेस्ट कार में बैठने वाले व्यक्तियों के सुरक्षा मानकों को देखने के लिये किया जाता हैं और इस आधार पर कारों की सुरक्षा रेटिंग तय कि जाती हैं । 


NCAP  टेस्ट   के मामले में भारतीय भी बहुत उदासीन रवैया अपनाते हैं और सुरक्षा के बजाय कम कीमत और कार की सजावट, डिजाइन आदि को अधिक प्राथमिकता देते हैं ।



# तेज रफ्तार के कारण सड़क दुघर्टना

भारत में होनें वाली कुल सड़क दुर्घट़नाओं में से 65 प्रतिशत सड़क दुर्घटना तेज़ रफ्तार के कारण होती हैं । और तेज रफ्तार गाडी चलाने के लिये सबसे ज्यादा युवा उत्तरदायी हैं । आंकड़ो के अनुसार 18 से 35 साल के कुल 44 प्रतिशत युवा सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं ।


# कम रोशनी में वाहन चलाना

मध्यप्रदेश पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार सबसे अधिक सड़क दुघर्टना शाम छः बजे से रात नौ बजे के बीच होती हैं।शाम को प्राकृतिक रोशनी कम हो जाती हैं और व्यक्ति को घर पंहुचने की जल्दी होती हैं फलस्वरूप व्यक्ति तेज़ वाहन चलाता है और हादसे होते हैं।

पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार शाम छः से नो के बीच होने वाले सड़क हादसों में मौतें भी सर्वाधिक होती हैं।





# सड़क दुघर्टना रोकने के उपाय :::


भारत में सड़क दुर्घट़नाओं को रोकनें हेतू अविलम्ब सुधार की आवश्यकता हैं,जिससे की बेशकीमती जानों को असमय काल के गाल में जानें से बचाया जा सकें.


#१. सड़क निर्माण के लिये मानक अन्तर्राष्ट्रीय हो तथा सड़क निर्माण करनें वालें कार्मिक पूर्णत: प्रशिक्षित होनें चाहियें.


#२.लाइसेंस जारी करनें और वाहनों की फिट़नेस जारी करनें से पहले पर्याप्त जाँच पड़ताल होनी चाहियें.


#३.वाहनों में ऐसी टेक्नोलाजी का विकास करना जिससे नशा करनें वाले व्यक्तियों को वाहन चलानें से रोका जा सके.


#४.एक निश्चित अंतराल पर लम्बी दूरी के वाहन चालको के लिये सस्ते,सर्वसुलभ आवासग्रहों का निर्माण जिसमें वाहन चालक आराम कर सकें.

#५.प्रत्येक टोल बूथों पर सर्वसुविधायुक्त एम्बुलेंसों की व्यवस्था करना जँहा से तत्काल दुर्घट़नाओं के समय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकें.


#६. वाहनों की गति सीमा का निर्धारण और इस गतिसीमा का कढ़ाई से पालन करवाना सुनिश्चित होना चाहियें.

#७.सड़क दुर्घटना रोकने के लिए आदर्श चालक संहिता का निर्माण होना चाहिए और इसे स्कूली पाठ्यक्रम में,कालेज स्तर पर अध्ययन का भाग बनाना चाहिए।  इस पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन करते समय कुछ छूट देना चाहिए। 



 यदि हम आनें वाले वर्षों में सड़क दुर्घट़नाओं को कम करनें में सफ़ल हो जातें हैं,तो निश्चित रूप से ये हमारें राष्ट्र के लिये राष्ट्रीय उपलब्धि होगी.







टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x

जीवनसाथी के साथ नंगा सोना चाहिए या नही।Nange sone ke fayde

  जीवनसाथी के साथ नंगा सोना चाहिए या नही nange sone ke fayde इंटरनेट पर जानी मानी विदेशी health website जीवन-साथी के साथ नंगा सोने के फायदे बता रही है लेकिन क्या भारतीय मौसम और आयुर्वेद मतानुसार मनुष्य की प्रकृति के हिसाब से जीवनसाथी के साथ नंगा सोना फायदा पहुंचाता है आइए जानें विस्तार से 1.सेक्स करने के बाद नंगा सोने से नींद अच्छी आती हैं यह बात सही है कि सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद जब हम पार्टनर के साथ नंगा सोते हैं तो हमारा रक्तचाप कम हो जाता हैं,ह्रदय की धड़कन थोड़ी सी थीमी हो जाती हैं और शरीर का तापमान कम हो जाता है जिससे बहुत जल्दी नींद आ जाती है।  भारतीय मौसम और व्यक्ति की प्रकृति के दृष्टिकोण से देखें तो ठंड और बसंत में यदि कफ प्रकृति का व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ नंगा होकर सोएगा तो उसे सोने के दो तीन घंटे बाद ठंड लग सकती हैं ।  शरीर का तापमान कम होने से हाथ पांव में दर्द और सर्दी खांसी और बुखार आ सकता हैं । अतः कफ प्रकृति के व्यक्ति को सेक्सुअल इंटरकोर्स के एक से दो घंटे बाद तक ही नंगा सोना चाहिए। वात प्रकृति के व्यक्ति को गर्मी और बसंत में पार्टनर के साथ नंगा होकर सोने में कोई