1.पेट के छाले
पेप्टिक अल्सर |
पेप्टिक अल्सर होनें का मुख्य कारण हेलिकोबैक्टर पायलोरी या H.pylori बेक्टेरिया हैं.
यह बेक्टेरिया पेट की सतह पर चिपककर एसिड़ रोकनें वाली दीवार को संक्रमित कर दीवार को तोड़ देता हैं, फलस्वरूप पेट की अन्दरूनी दीवार पर छाले बन जातें हैं.स्थिति गंभीर होनें पर छोटी आँत में छेद भी हो सकते हैं.
2.पेट में छाले होने के कारण :::
० रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना.
० पेट के उपचार में प्रयोग होनें वाली दवाईयों से.
० जीवनशैली की अनियमितता से.
० कैंसर की वज़ह से.
० आनुवांशिक कारको की वज़ह से.
० लगातार दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल से.
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3.पेट में छाले होने के लक्षण :::
० पेट के ऊपरी हिस्से मे तीव्र दर्द .
० पेट का फूलना.
० सीने मे तेज जलन.
० खट्टी डकार.
० उल्टी में खून के कतरे आना.
० मल मे खून आना .
4.प्रबंधन :::
पेप्टिक अल्सर या पेट के छाले होनें पर कई बातें महत्वपूर्ण हो जाती हैं,जैसे
० ज्यादा एसिडिक फूड़ का सेवन नहीं करना चाहियें जैसे अचार,मिर्च मसालेदार भोजन आदि.
० शराब और तम्बाकू का सेवन इस बीमारी में जानलेवा साबित हो सकता हैं,अत : इनसे परहेज करें.
० तनाव न लें.
० भोजन निश्चित समय पर और आराम से खूब चबाकर करें.
० भोजन में रेशेदार खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
० नियमित पैदल घूमनें को दिनचर्या में शामिल करें.
० प्रतिदिन लगभग 12 - 15 गिलास पानी पीयें.
० खाली पेट नही रहे .
० योगिक क्रियाओं जैसें कपालभाँति नियमित रूप से करें.
० फलों के रस के बजाय साबुत फलों का सेवन करें.
० दही या प्रोबायोटिक दही का सेवन करें.
० बैक्टेरिया को नष्ट करनें वाली औषधियों का चयन चिकित्सतकीय परीक्षणों के बाद करें.
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