आपदा प्रबंधन और स्वस्थ जीवनशैलीDISASTER MANAGEMENT AND HEALTHY LIFESTYLE::
आजकल आपदा जिस गति से मानवीय स्वास्थ और जीवनशैली को प्रभावित कर रही हैं,ऐसा पिछली शताब्दी में पहलें कभी नहीं हुआ .
इन सबके पीछें अनेक मानवीय और पर्यावरणीय कारक जैसे जलवायु परिवर्तन,नाभिकीय कारक,युद्ध आतंकवादी घट़नायें,आदि तत्व प्रमुख रूप से जिम्मेंदार हैं. लेकिन आपदा से निपट़ने और उसके प्रबंधन में सरकारों की भूमिका को ज्यादा महत्व न देते हुए हमें स्वंय अपनें स्तर पर सजग रहकर इन चुनौतियों से निपट़ना चाहिये क्योंकि जीवन आपका अपना हैं,तो जिम्मेंदारी भी आपकी अपनी हैं.
इन सबके पीछें अनेक मानवीय और पर्यावरणीय कारक जैसे जलवायु परिवर्तन,नाभिकीय कारक,युद्ध आतंकवादी घट़नायें,आदि तत्व प्रमुख रूप से जिम्मेंदार हैं. लेकिन आपदा से निपट़ने और उसके प्रबंधन में सरकारों की भूमिका को ज्यादा महत्व न देते हुए हमें स्वंय अपनें स्तर पर सजग रहकर इन चुनौतियों से निपट़ना चाहिये क्योंकि जीवन आपका अपना हैं,तो जिम्मेंदारी भी आपकी अपनी हैं.
आईयें जानतें हैं आपदा के दोरान स्वस्थ जीवनशैली को कैसें बनायें रखें.
प्रबंधन::-
१. भूकम्प आनें के दोरान ज्यादा चीख पुकार करनें की बजाय तुरन्त सुरक्षित जगह पर पहुँच जावें,इन सुरक्षित जगहों में शामिल हैं,खुली जगह,यदि मकान कच्चा हो तो पलंग,सोफा,टेबल ,मेंज सुरक्षित जगह मानी जावेंगी.
२. बुजुर्गों को आपदा के दोरान शांतचित्त रखनें का प्रयास करें.
३. कुछ चीजें जो हमेशा अपनें पास रखना चाहियें और ऐसी जगह रखी हो जँहा से आसानी से मिल सकें इन वस्तुओं में शामिल हैं,खानें का सामान,टार्च,प्राथमिक उपचार कीट,सूचना प्राप्त करनें का साधन जैसें रेड़ियो,मोबाइल,हेम रेड़ियों आदि.
३. भूकम्प के बाद तुरन्त एक पल गँवायें प्रभावित लोगों की यथासंभव मदद करें .
४.सरकार या संबधित संस्था द्धारा दी जानें वाली सूचनाओं और निर्देशों का गंम्भीरतापूर्वक पालन करें और सूचना को अन्य प्रभावित लोगों के साथ बाँट़े.
५. आपदा के दोरान इंसानों से ज्यादा पशु पक्षी प्रभावित होते हैं अत: तुरन्त इन्हें खुलें में छोड़कर मारें गयें पशु पक्षी का उचित निस्तारण करें जिससे महामारी न फैल सकें.
७.बाढ़ आनें के दोरान तुरन्त ऊँचें स्थलों की और चलें जावें.
८. बम विस्फोट़ के दोरान घट़नास्थल को तुरन्त छोड़ दें तथा तुरन्त पुलिस को सूचित करें विस्फोट़ की चपेट़ में आयें व्यक्ति के रक्त रोकनें का प्रयास करें इसकें लियें प्रभावित स्थान के ऊपर रक्त शिराओं को बाँध दें.
९. बाढ़ के दोरान जलजनित बीमारीं से बचनें के लियें पानी साफ ,और उबालकर पीयें.
१०. बच्चों को आपदा के दोरान लगातार और उसके बाद भी खतरों से निपट़नें के लिये प्रशिक्षित करें .
११. यदि आपनें आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण लिया हो तो आपदा से निपट़ने की रणनिति समुदाय के साथ बाँट़तें रहें क्योंकि हो सकता कि आप आपदा में फंसें हो और बचानें वाला आपके द्धारा प्रशिक्षित हो.
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