च्वयनप्राश (chyawanprash)
च्वयनप्राश या चमनप्राश (chamanprash) या चवनप्राश (chavanprash)आयुर्वैद चिकित्सा में प्रयोग होनें वाला एक महत्वपूर्ण रसायन हैं.च्वयनप्राश की खोज chavanprash ki khoj महान रिषी च्यवन ने जरावस्था से पुन: यौवन प्राप्त करनें हेतू की थी.महात्मा च्वयन के नाम से ही इस औषधि को च्वयनप्राश पड़ा था.इस औषधि का वर्णन चरक सहिंता नामक आयुर्वैद चिकित्सा ग्रन्थ में मिलता हैं.
चवनप्राश में पाए जानें वाले घट़क द्रव्य (ingredients)
1.आंवला (Emblica officinalis).
2.अग्निमंथ.
3.ब्रिहाती.
4.भारंगी.
5.चव्य.
6.दारूहरिद्रा (Berberis aristata).
7.गजपीपली.
8.गोजीहवा.
9.रिषभक.
10.जीवक.
11.काकोली.
12.क्षीरकाकोली.
13.करकटसरंगी.
14.ममीरा.
15.मासपर्णी.
16. मेदा.
17. मुदगापर्णी.
18.परपाट़ा.
19.दक्षिणी परपाट़ा.
20.प्रसारणी.
21.प्रतिविषा.
22.रेवाटेसिनी.
23. रिद्धि.
24. सलामपंजा.
25.सप्तारंगी.
26. रोजा सेंटीफोलिया.
27.उसवा.
28. विधारा.
29.घ्रत.
30.शहद.
31.बिल्व.
32.मनुक्का (virus vinifera).
33.इलायची (Elettaria cardamomum).
35.नागकेशर.
36. जीवन्ती.
37.गोक्षुर.
38.सौंठ (Zingiber officinale).
39.पुनर्नवा (Boerhavia diffusa).
40.बला.
40.बला.
41.श्योनक.
42.अन्य 13 प्रकार की औषधि इस प्रकार से कुल 54 औषधि के सम्मिलन से च्वयनप्राश बनता हैं.
उपयोग
च्वयनप्राश रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ, चिरयौवन,ओर बलवान बनाता हैं.
वर्तमान समय में च्वयनप्राश की शक्ति, इसमें मिलाए जाने वाली महत्वपूर्ण औषधियों के विलुप्त होनें से समाप्तप्राय सी हो गई हैं.क्योंकि कुल 54 में से 32 औषधि जैसे रिद्धि,वृद्धि,जीवक,मेदा,काकोली आदि विलुप्त हो गई हैं.
सेवन मात्रा
वैघकीय परामर्श से.
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