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सावधान : कोरोनाकाल में कार में बेठते ही कभी न करें ये काम

सावधान : कोरोनाकाल कार में बेठते ही कभी न करें ये काम


भारत में कार रखना एक समय उच्च वर्ग का स्टेटस सिंबल बन गया था, किन्तु आज के कोरोनाकाल के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो कार दैनिक जरूरत का एक अंग बन गई है क्योंकि कोरोनावायरस के संक्रमण के मद्देनजर हर कोई सार्वजनिक परिवहन के बजाय निजी वाहन को ही वरीयता देने लगा है। 

गर्मी और कोरोनाकाल है और कार घर के बाहर या पार्किंग में 45 से 48 डिग्री सेल्सियस तापमान में  खड़ी खड़ी भट्टी बन जाती हैं, और यदि हमें कहीं जानों हो तो कार में बैठते ही Air-conditioner चालू कर देते हैं , स्वास्थ के दृष्टिकोण से यह बिल्कुल भी उचित नहीं है आईए जानते हैं आखिर ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए
सावधान : कार में बेठते ही कभी न करें ये काम



• कार के अंदर की अधिकांश संरचना प्लास्टिक से निर्मित होती हैं जब कार के शीशे चढ़े हो और कार 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में घर के बाहर खड़ी होती हैं तो कार के अंदर का तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता हैं जो किसी भी प्लास्टिक संरचना को वाष्पित करने के लिए पर्याप्त होता है,50 डिग्री सेल्सियस तापमान में कार के अंदर लगे प्लास्टिक से बैंजीन नामक  जहरीली और कैंसर कारक गैस तथा प्लास्टिक कण निकलते हैं। यदि कार के शीशे चढ़े हो और हम हम तुरंत ए.सी.चालू कर कार में बैठ जाते हैं तो कार में फैली बैंजीन और प्लास्टिक के कण सांस के माध्यम से फेफड़ों,पेट और त्वचा में चिपक जाएंगे जिससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती हैं।


• यदि गर्भवती स्त्री बार बार बैंजीन के सम्पर्क में आती हैं तो उसके गर्भ का विकास रुक जाता हैं। साधारण महिला को मासिक धर्म अनियमित हो सकता है और उसके अंडे का आकार सिकुड़ सकता है।

• बैंजीन गैस फेफड़ों में जातें ही फेफड़ों की आक्सीजन सोखने की क्षमता को घटा देती हैं फलस्वरूप शरीर में आक्सीजन की कमी हो जाती हैं।

• प्लास्टिक के कण सांस के माध्यम से पेट में चले जाने पर पेटदर्द, उल्टी - दस्त, एसिडिटी हो सकती हैं।

• यदि पूर्व में कार में कोई संक्रमित व्यक्ति बैठा था और कोरोनावायरस प्लास्टिक पर चिपका रह गया तो वह ए.सी.के चालू करते ही श्वसनतंत्र में प्रवेश कर सकता है।

• बार बार बैंजीन के सम्पर्क में आने से व्यक्ति का दिमागी संतुलन बिगड़ सकता है,और व्यक्ति को माइग्रेन तनाव, अवसाद में हो सकता हैं। 

• बैंजीन व्यक्ति की बोनमेरो को प्रभावित कर लाल रक्त कोशिकाओं R.B.C. का निर्माण बंद कर सकती हैं फलस्वरूप व्यक्ति के शरीर में रक्त की कमी या एनिमिया हो सकता है।


• 45 डिग्री सेल्सियस तापमान को एकाएक 23 डिग्री कर देने पर मस्तिष्क का हाइपोथेलेमस भाग यानि तापमान नियंत्रण सिस्टम प्रभावित होता हैं जिससे व्यक्ति का शरीर गर्म और हाथ पांव ठंडे होना,या अचानक शरीर ठंडा गर्म होना जैसी बीमारी हो सकती हैं।

• बैंजीन गैस के सम्पर्क में आने से नवजात शिशु के अंग काम करना बंद कर सकते हैं।

• बैंजीन गैस और प्लास्टिक के कण आंखों के सम्पर्क में आने से आंखें लाल होना,कम दिखाई देना, आंखों से पानी आना जैसी समस्या हो सकती है।

• कार के अंदर रखा अल्कोहल युक्त परफ्यूम या सेनिटाइजर वाष्पित होकर एलर्जी पैदा कर सकता है जिससे छींके आना,नाक बहना, सिरदर्द जैसी समस्या हो सकती हैं।

• कार में बैठकर सिगरेट पीने से धुंए में मौजूद बैंजीन के कण कार की दीवारों पर चिपक जाते हैं फलस्वरूप बैंजीन की सांद्रता कार में बढ़ जाती हैं जो व्यक्ति की अचानक मौत का कारण बन सकती हैं।


कार का ए.सी.चालू करने से पहले की सावधानियां


• गर्मी में कार से कहीं जाना हो तो सबसे पहले कार के शीशे और दरवाजे खोलकर ए.सी.चालू कर दें और पांच मिनट तक एक.सी.को आटो मोड़ पर चलने दें। ताकि प्लास्टिक से मुक्त हुए कण और बैंजीन गैस कार से बाहर निकल जाए

• नवजात शिशुओं को डेशबोर्ड के पास वाली सीट पर लेकर नहीं बैठें क्योंकि कुछ प्लास्टिक कण ए.सी.के आसपास भंवर बनाकर तैरते रहते हैं जो नवजात को नुकसान पंहुचा सकते हैं।


• सप्ताह में एक दिन कार के अंदर की सीट, डेशबोर्ड,ऊपर की छत,ए.सी.विंडो को वेक्यूम क्लीनर से अवश्य साफ करें।

• कार यदि अधिकांश समय खुली पार्किंग या घर के बाहर खड़ी रहती हैं तो उसमें लिक्विड परफ्यूम या हेंड सेनिटाइजर बिल्कुल भी नहीं रखें।

• कार का उपयोग करने से पहले उसके महत्वपूर्ण भागों जैसे दरवाजे, स्टियरिंग,गियर आदि को सेनेटाइजर अवश्य करें।

• कार में बैठकर सिगरेट बीड़ी कभी न पीएं।

• खुलें में पार्क  रखी कार में कभी सिंगल यूजेबल प्लास्टिक जैसे पानी की बोतल,कोक की बोतल कभी नहीं रखें। क्योंकि इस प्रकार के प्लास्टिक से बैंजीन और प्लास्टिक के खतरनाक कण भारी मात्रा में उत्सर्जित होते हैं।


नमस्कार दोस्तों Healthy lifestyle news ������������ पर लिखे गये लेख विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य सलाहकार  द्धारा लिखे गये हैं । जो कि आयुर्वेद, होम्योपैथी, एलोपैथी,योगा, समाजशास्त्र,और स्वास्थ्य प्रबंधन में निष्णांत हैं, परंतु कोई भी नुस्खा आजमाने से पूर्व वैधकीय परामर्श अवश्य प्राप्त कर लें ।

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