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शिवाक्षर पाचन चूर्ण (SHIVAKSAR PACHAN CHURNA) :::
घट़क (content):::
० सौंठ (Zingiber officinale).
० हींग ( ferula foetida).
० कालीमिर्च (piper nigrum).
० अजमोद (Apium graveolans).
० कालाजीरा (carum carvi).
० जीरा (cuminum cyminum).
० सेंधा नमक (Sodii choloridum).
० पीपली (piper longum).
० शोधित हरड़ (Terminalia chebula).
० सज्जीखार
उपयोग ( indication) :::
० यह चूर्ण पाचक,अग्निवर्धक और यकृत (liver) को शक्ति प्रदान करता हैं.
० कब्ज, उल्टी में.
० आंतों में सूक्ष्म कृमि होनें पर इससे तत्काल लाभ मिलता हैं.
० पेट में गैस होनें पर,एसीडीटी में इसका विशेष उपयोग हैं.
मात्रा :::
वैघकीय परामर्श से.
हिंग्वाष्टक चूर्ण (hinwasthak churna) :::
हिंग्वाष्टक चूर्ण के बारें में भैषज्य रत्नावली में वर्णन हैं,कि,
त्रिकटुकमजमोदां सैन्धवं जीरकं द्धे,समधरणघृतानामष्टमों हिंगु भाग :|प्रथमकवलभुक्तं सर्पिषा चूर्णमेत |ज्जनयति जठराग्निं वातरोगाश्च हन्ति ||
हिंग के गुण के बारें में लिखा गया हैं,कि
हिंग्गूष्णमं पाचनं रूच्यं तीक्ष्णं वातवलासनुत |शूलगुल्मोदरानहकृमिघ्नं पित्तवर्द्धनम् ||
घट़क (content) :::
० सौंठ (Zingiber officinale).
० कालीमिर्च (piper nigrum).
० पीपली (piper longum).
० जीरा (cuminum cyminum).
० कालाजीरा (carum carvi).
० अजमोदा (Apium graveolans).
० सैंधा नमक (sodii choloridum).
० हींग (ferula foetida).
उपयोग (indication) :::
० पाचन.
० एसीडीटी.
० ह्रदय रोग
० यदि भोजन के तुरन्त बाद दस्त के लियें जाना पड़ता हैं,तो यह औषधि बहुत लाभकारी हैं.
इसके अलावा पेट में भारीपन हो मुहँ का स्वाद कड़वा हो तो इसे छाछ या दही के साथ सेवन करवानें से विशेष लाभ मिलता हैं.
इसके अलावा पेट में भारीपन हो मुहँ का स्वाद कड़वा हो तो इसे छाछ या दही के साथ सेवन करवानें से विशेष लाभ मिलता हैं.
० वात रोगों में त्रिफला चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करवाते हैं.यह नुस्ख़ा उच्च रक्तचाप में आराम दिलाता हैं.
० हिंग्वाष्टक के नियमित सेवन से लिवर स्वस्थ रहता है ।
० जिन लोगों को भूख नहीं लगती उन लोगों के लिए हिंग्वाष्टक बहुत लाभदायक होता हैं ।
मात्रा :::
वैघकीय परामर्श से.
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