डी डायमर टेस्ट क्या होता है। what is D-dimer test in hindi
डी डायमर टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जिसके माध्यम से रक्त नलिकाओं में मौजूद खून के थक्कों (blood clot) का पता लगाया जाता है।
जब शरीर का कोई भाग नुकीली वस्तु से कट जाता है तो कुछ समय पश्चात खून निकलने के बाद खून निकलना बंद हो जाता है,ऐसा कटी हुई जगह पर रक्त का थक्का या फिब्रीन के जमा होने से होता है। जब कटी हुई जगह ठीक हो जाती है तो रक्त का थक्का या फिब्रीन भी रक्त में घुल जाता है,इसी फिब्रीन की सबसे छोटी इकाई होती हैं जिसे डी डायमर कहते हैं।
डी डायमर एक प्रोटीन होता है जो इस रक्त के थक्के में मौजूद होता है ,डी डायमर टेस्ट के द्वारा इसी प्रोटीन की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। रक्त में अधिक डी डायमर का अर्थ होता है कि रक्त में थक्कों की मौजूदगी है।
डी डायमर टेस्ट क्या होता है इसका पता आपको लग गया होगा।
डी डायमर टेस्ट की नार्मल वेल्यू क्या होती है
D-dimer test करने के लिए रक्त का नमूना लेकर टरबिडोमेट्रिक इम्यूनोऐसे विधि द्वारा जांच की जाती है । इस विधि द्वारा डी डायमर टेस्ट की नार्मल वेल्यू प्रति मिलीलीटर खून में 500ng/ML से कम होना चाहिए। इससे अधिक होने पर उसे पाजीटिव डी डायमर टेस्ट कहा जाता है।
डी डायमर टेस्ट किन बीमारियों की पहचान के लिए किया जाता है
डी डायमर टेस्ट क्या होता है यह समझने के बाद यह प्रश्न उठता हैं कि डी डायमर टेस्ट किन बीमारियों की पहचान के लिए किया जाता हैं तो उत्तर यह है कि डी डायमर टेस्ट उन बीमारियों की पहचान और निदान के लिए किया जाता है जिनमें रक्त नलिकाओं में खून के थक्के जमा हो जातें हैं और जो जीवन के बहुत घातक साबित हो सकते है जैसे
• डीप वेन थोम्ब्रोसिस (DVT)
• पल्मोनरी एम्बोलिज्म (PE)
• कोविड 19 में फेफड़ों की श्वसन प्रणाली में रक्त के थक्के का पता लगाने में।
• ब्रेन स्ट्रोक में
• डिसमेंटेट इन्ट्रावस्कुलर कागुलेशन (DIC) में
• सांप या अन्य जहरीले जानवरों के काटने पर
• लीवर से संबंधित बीमारी में।
डी डायमर टेस्ट कब करवाना चाहिए
आजकल हर वो व्यक्ति जिसे जो कोरोना के हल्के लक्षणों के साथ ठीक हो चुका है या वो व्यक्ति जो किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं है बिना सोचे समझे घबराहट में स्वयं के निर्णय पर डी डायमर टेस्ट करवा रहा है ऐसे में अस्पताल और पेथोलाजी लेब पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है और वास्तविक और गंभीर लक्षणों से पीड़ित व्यक्ति को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, समय पर जांच नहीं हो पाने के कारण ऐसे मरीजों की मौत भी हो रही है ऐसे में यह आवश्यक है कि डी डायमर टेस्ट करवाने से पहले हमें कुछ सामान्य जानकारी रखना चाहिए कि हमें कब डी डायमर टेस्ट करवाना चाहिए
• जब आपको किसी पूर्व श्वसन तंत्र की बीमारी के श्वास लेने में परेशानी हो रही हो या अस्थमा जैसे लक्षण उभर रहे हो ।
• थोड़ा सा चलने पर सांस भरा रही हो।
• टांगों में दर्द,लालपन और सूजन हो।
• खांसी के साथ फेफड़ों में दर्द ।
• टैकीकार्डिया हो।
• रक्त में खून के थक्के बनने का पूर्व इतिहास हो ।
• खांसी के साथ खून युक्त बलगम आ रहा हो।
• अधिक मोटापा हो।
• धूम्रपान करते हो ।
इसके अतिरिक्त चिकित्सक के परामर्श से डी डायमर टेस्ट करवाना चाहिए।
किन मेडिकल कडिंशन में डी डायमर टेस्ट की नार्मल वेल्यू अधिक ही आती हैं
कुछ मेडिकल कंडिशन में डी डायमर टेस्ट की नार्मल वेल्यू अधिक ही आती है अतः इन परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए बल्कि चिकित्सक से परामर्श कर उचित निदान करवाना चाहिए।आईए जानते किन परिस्थितियों में डी डायमर टेस्ट की वेल्यू अधिक ही आती है
• यदि कोई सर्जरी हुई है या अंग प्रत्यारोपण हुआ है तो डी डायमर टेस्ट की वेल्यू अधिक ही आती है।
• गर्भावस्था में।
• ह्रदयरोग होने पर ।
• यदि कोई बड़ी दुर्घटना हुई हो जिसमें अधिक रक्तस्राव हुआ हो।
• कैंसर में ।
• बहुत अधिक बैठे रहने या शारीरिक गतिविधि बहुत कम होने पर।
• एंटीफास्फोलिपिड़ सिंड्रोम नामक बीमारी होने पर।
डी डायमर टेस्ट को अन्य किन नामों से जाना जाता है
• प्रेगनेंट डी डायमर टेस्ट Fragment D-Dimer Test
• फिब्रीन डिग्रेडेशन फ्रेगमेंट टेस्ट Fibrin degradation fragment Test
डी डायमर टेस्ट कितने रुपए में हो जाता है
डी डायमर टेस्ट प्राइस अलग-अलग शहरों में अलग है उदाहरण के लिए इंदौर जैसे शहर में डी डायमर टेस्ट 600 से 800 रुपयों में हो जाता है । वहीं दिल्ली जैसे महानगर में यह 1000 रुपए तक होता हैं।
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