सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वयस्कों का भी टीकाकरण होता हैं जानकर कई बीमारीयों के खतरें से आप और आपका परिवार बचा रह सकता हैं

वयस्कों का भी टीकाकरण होता हैं जानकर कई बीमारीयों के खतरें से आप और आपका परिवार बचा रह सकता हैं

भारत में टीकाकरण नाम आतें ही आँगनवाड़ी या स्वास्थ्य केन्द्र की वह तस्वीर मन में तैरती हैं जहाँ बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हो रहा होता हैं ।

हमारें यहाँ टीकाकरण बच्चों तक ही सीमित हैं वयस्क टीकाकरण vayask tikakaran की याद हमें तब आती हैं जब अमेरिका या यूरोपीय देशों की यात्रा करनी हो क्योंकि इन देशों में वयस्क टीकाकरण भी राष्ट्रीय टीकाकरण  tikakaran का हिस्सा माना जाता हैं ।

आईये जानतें है वयस्क टीकाकरण के बारें में की यह टीकाकरण किन बीमारीयों से बचाव के लिये किया जाता हैं ।

हेपेटाइटिस से बचाव हेतू टीकाकरण

Hepatitis se bachav hetu tikakaran 






हेपेटाइटिस यकृत liver से संबधित गंभीर बीमारी हैं । हेपेटाइटिस कई प्रकार की होती हैं जैसें हेपेटाइटिस ए,बी,सी, 
इस बीमारी से बचाव हेतू निश्चित अंतराल पर दो से तीन टीके लगायें जातें हैं जिससे हेपेटाइटिस बीमारी से बचाव हो जाता हैं ।



ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से बचाव हेतू टीकाकरण




ह्यूमन पैपिलोमा वायरस या HPV वैक्सीन महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से और पुरूषो को गले के कैंसर से बचाव Gale ke cancer se bachav हेतू लगाया जाता हैं ।



टाइफाइड़ से बचाव हेतू टीकाकरण



टाइफाइड़ बुखार से बचाव हेतू टीका सुई के माध्यम से और मुहँ के माध्यम से दिया जाता हैं ।

सुई के माध्यम से लगनें वाला टीका तीन बार लगाया जाता हैं । इसके लगनें में एक माह का अंतराल रखा जाता हैं जबकि मुहँ के माध्यम से किया जानें वाला टीकाकरण चार बार एक दिन छोड़कर किया जाता हैं ।

टाइफाइड़ टीकाकरण के बाद टाइफाइड़ बुखार से यह टीका दस साल सुरक्षा प्रदान करता हैं ।



इन्फ्लुएंजा से बचाव हेतू टीकाकरण 


Influenza se bachav hetu tikakaran


कोरोना वायरस ,covid 19 ,स्वाइन फ्लू,सार्स जैसी गंभीर बीमारीयों और मौसमी सर्दी जुकाम बुखार से शरीर की प्रतिरक्षा करता हैं ।

यह टीका मनुष्य के श्वसन संस्थान को मज़बूत करता हैं । साल में एक बार टीकाकरण चिकित्सकीय परामर्श से करवाना चाहियें ।



टीटनस कालीखाँसी और डिप्थीरीया से बचाव हेतू टीकाकरण 


 टीटनस कालीखाँसी और डिप्थीरीया से बचाव हेतू यह टीकाकरण दस साल में एक बार होता हैं ।

इस टीके के बूस्टर डोज भी लगतें हैं जिससे अन्य बैक्टेरियाजनित रोगों से सुरक्षा प्राप्त होती हैं ।

बड़ो के लिये टीकाकरण
 वयस्क टीकाकरण

चिकनपाक्स से बचाव हेतू टीकाकरण


chickenpox se bachav hetu tikakaran



चिकपाक्स या बडी माता छोटी माता से बचाव हेतू यह टीकाकरण होता हैं ।

पूरी जिन्दगी में इसके दो टीके लगानें की जरूरत होती हैं जो चार से आठ सप्ताह के अंतराल से लगाये जातें हैं ।


० ट्यूबरक्लोसिस

रिकाँम्बिनेंट जोस्टर वैक्सीन 


हरपिस जोस्टर बीमारी जिसमें शरीर पर दानें निकलतें हैं और इन दानों में पानी भरा रहता हैं से बचाव हेतू यह टीकाकरण होता हैं ।

यदि चिकनपाँक्स से बचाव हेतू टीकाकरण हुआ हैं तो यह टीकाकरण चिकित्सकीय सलाह के बाद करवाना चाहियें ।




मीज़ल,मम्स,और रूबेला (M.M.R.) से बचाव हेतू टीकाकरण 



मीजल्स ,मम्स और रूबेला यानि खसरा ,गलगँड और जर्मन खसरा से बचाव हेतू यह टीकाकरण होता हैं ।

यदि शिशु अवस्था में यह टीकाकरण नही हुआ हैं तो चिकित्सकीय सलाह के बाद यह टीकाकरण करवाना चाहियें ।



न्यूमोनिया से बचाव हेतू टीकाकरण 




कोरोना वायरस ,सार्स और न्यूमोनिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव हेतू यह टीकाकरण होता हैं । यह टीका फेफड़ों को मज़बूत बनाकर इन रोगों से प्रतिरक्षा प्रदान करता हैं ।

बुजुर्ग व्यक्ति को टीकाकरण के एक डोज की ज़रूरत होती हैं जबकि युवा को एक से दो बार टीकाकरण की आवश्यकता होती हैं ।



एचआईवी से बचाव हेतू टीकाकरण

H.I.V.SE BACHAV HETU TIKAKARAN


हिमोफिलियन इन्फ्लुएँजा टाइप बी वैक्सीन का एक डोज लगाया जाता हैं। यह टीका एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से प्रतिरक्षा प्रदान करता हैं ।

एड्स से संक्रमित व्यक्ति को यह टीका नही लगवाना चाहियें   

गर्भवती स्त्री ,किसी संक्रामक या गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को टीकाकरण करवानें से पूर्व चिकित्सकीय परामर्श अवश्य करवा लेना चाहियें ।





० यम और नियम




० फिटनेस के लिये सतरंगी खानपान




०टीकाकरण चार्ट





० एलर्जी क्या होती हैं



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट...

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri...

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से म...