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टीकाकरण चार्ट [vaccination chart] और संभावित प्रश्न

child vaccination
 टीकाकरण चार्ट

# 1.गर्भावस्था के समय टीकाकारण :::

गर्भावस्था की शुरूआत में Titnus का पहला टीका टी.टी - 1.

टी.टी -1 के चार सप्ताह बाद टी.टी.-2

यदि पिछली गर्भावस्था में टी.टी - 2 दिया गया हैं,तो केवल बूस्टर दीजिए.


# टीके की मात्रा ,कैसें और कहाँ दें


0.5 ml.मात्रा प्रशिक्षित व्यक्ति द्धारा ऊपरी बांह की मांसपेशी में.

# महत्वपूर्ण


गर्भावस्था के 36 सप्ताह हो गयें हो तो मात्र टी.टी.- बूस्टर देना चाहियें.
टीकाकरण करतें हुये
 टीकाकरण का दृश्य

# 2.शिशुओं के लियें टीकाकरण 

#जन्म के समय :::

1. B.C.G.  =     0.1 ml बाँह पर त्वचा के निचें.

2.हेपेटाइटिस बी.=  0.5 ml मध्य जांघ के बाहरी हिस्सें पर मांसपेशी में

3.o.p.v.या oral polio vaccine = दो बूँद मुहँ में .


#6 सप्ताह पर :::

1.हेपेटाइटिस बी. = 0.5 ml
2.D.P.T. = 0.5 ml मध्य जांघ का बाहरी हिस्सें में माँसपेशियों में.
3.o.p.v.या oral polio vaccine.

#10 सप्ताह पर :::

1.हेपेटाइटिस बी.
2.D.P.T.
3.o.p.v.

#14 सप्ताह पर :::

1.हेपेटाइटिस बी.
2.D.P.T.
3.o.p.v.
 

#9 से 12 माह तक :::

1.खसरा या measles.= 0.5 ml दाईं ऊपरी बांह पर त्वचा के निचें.

2.Japanese encephalitis.= 0.5 ml बाँयी ऊपरी बांह पर त्वचा के निचें.

#16 से 24 माह के बीच :::

1.D.P.T.

2.o.p.v.

3.measles.

4. Japanese encephalitis.

#5 से 6 वर्ष :::

1.D.P.T.

#10 और 16 वर्ष पर :::

1.Titnus = 0.5 ml ऊपरी बांह पर माँसपेशी में.



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स्तनों का आकार कैसें बढायें

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#3.विटामिन A खुराक 

  • 9 माह होनें पर measles के टीके के साथ 1 ml [1 लाख यूनिट].

  • 16 माह पर,इसके पश्चात प्रत्येक 6 माह के अन्तराल पर बच्चें के 5 वर्ष का होनें तक प्रत्येक बार 2 ml [2 लाख यूनिट]

# 4.पालन करनें योग्य मुख्य बिंदु 

  • दो खुराक के बीच 6 माह का अंतराल होना चाहियें.

  • बोतल के साथ दियें गये चम्मच से ही बच्चें को खुराक दें।
  • .
  • विटामिन ए की बोतल को खोलनें के पश्चात दो माह तक ही उपयोग करें तथा बोतल छाँव में रखें.

#5.प्राय: पूछें जानें वालें सवाल 


प्रश्न १.टीकाकरण प्रतिरक्षण क्या हैं ? यह कैसें कार्य करता हैं ?



उत्तर = टीकाकरण बाहरी रूप से शरीर की प्रतिरक्षातंत्र को विकसित करनें की तकनीक हैं.
टीकाकरण अभियान के द्धारा शिशुओं या मनुष्यों में होनें वाली कई जानलेवा बीमारीयों का बचाव किया जाता हैं.


प्रश्न २.शिशुओं में टीकाकरण इतनी जल्दी क्यों शुरू किया जाता हैं ?


उत्तर = नवजात शिशु बीमारीयों के प्रति अति संवेदनशील होते हैं.जिसके कारण उन्हें कई ख़तरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं.



प्रश्न ३.क्या टीकाकरण पूरी तरह से सुरक्षित होता हैं ?


उत्तर = हाँ,टीकाकरण पूर्णत: सुरक्षित हैं,कभी - कभी टीकाकरण के पश्चात मामूली प्रतिकूल प्रभाव हो सकतें हैं,जो टीकाकरण नहीं करवानें पर होनें वाली बीमारीयों के मुकाबले कुछ भी नही हैं.
सभी नवजात शिशुओं का टीकाकरण अनिवार्य रूप से किया जाना चाहियें केवल 3 परिस्थितियों को छोड़कर जैसे किसी टीके के पश्चात ऐनाफिलैक्सिस या अत्यधिक एलर्जी, ऐंठन या एनसेफिलाइटिस हुआ हो या अभी तेज बुख़ार हैं.
दस्त या खाँसी में शिशु का टीकाकरण किया जा सकता हैं.



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प्रश्न ४.टीकाकरण के पश्चात प्रतिकूल प्रभाव क्या हो सकते हैं ?


उत्तर = किसी - किसी बच्चें में टीकाकरण के बाद सुई लगने वाली जगह लाल  और सूजी हुई हो जाती हैं तथा हल्का बुखार आ जाता हैं.


प्रश्न ५. यदि बच्चा टीकाकरण के लिये देर से लाया गया,तो क्या बच्चें को पुन : टीकाकरण के लिये प्रथम डोज दिया जायेगा ?


उत्तर = नही, प्रथम डोज नही वरन जहाँ से टीकाकरण छूटा था वही से टीकाकरण पुन : शुरू करें.


प्रश्न ६. यदि 9 माह के शिशु का टीकाकरण पहले कभी नही हुआ हैं,तो क्या उसे सभी टीके लगाये जा सकतें हैं ?


उत्तर =हाँ,टीके एक ही सत्र में दिये जा सकतें हैं,यदि अभिभावक सहमति नही प्रदान करतें हैं,तो एक दिन में एक टीका देकर फिर अगले दिन अगला टीका लगाया जा सकता हैं,परन्तु शुरूआत measles के टीके के साथ की जाती हैं,साथ में o.p.v.और विटामीन A की खुराक दी जाती हैं.


प्रश्न ७.1 से 5 वर्ष के बच्चें जिनका पहले कभी टीकाकरण नही हुआ हैं,क्या टीकाकरण किया जा सकता हैं,और शुरूआत किन टीको से की जाती हैं ?

उत्तर = हाँ,किया जा सकता हैं.सबसे पहले D.P.T.1,o.p.v.1,खसरा और 2 ml विटामिन A दिया जाता हैं.फिर एक माह पश्चात D.P.T.2,o.p.v.2 दिये जातें हैं.खसरे का दूसरा टीका एक माह पश्चात लगाया जाता हैं.D.P.T.3,o.p.v.3,के कम से कम 6 माह बाद D.P.T.और o.p.v.बूस्टर डोज दिया जाता हैं.विटामिन ए की खुराक हर छ: माह के अंतराल पर बच्चें के 5 वर्ष का होनें तक दें.
5 से 7 वर्ष के बच्चें में जिसका टीकाकरण पहलें कभी नही हुआ उसे D.P.T.1,2,3 टीका एक माह के अंतराल पर दिया जाता हैं.7 साल की आयु तक D.P.T.3 के कम से कम 6 माह बाद D.P.T.बूस्टर दिया जाता हैं.


प्रश्न ८. D.P.T और हेपेटाइटिस बी जाँघ के बाहरी भाग पर ही क्यों दिया जाता हैं ?

उत्तर= कूल्हे पर टीका लगानें से सियाटीका नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.इसके अलावा वेक्सीन कूल्हे की वसा में एकत्रित हो जाती हैं,फलस्वरूप प्रतिरोधक क्षमता विकसित नही हो पाती.



प्रश्न ९. टीकाकरण पोलियो की खुराक की तरह घर--घर जाकर क्यों नही किया जा सकता ?

उत्तर=चूंकि टीके इंजेक्सन द्धारा दिये जातें हैं,अत: एक निश्चित, सुरक्षित,और स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता होती हैं,जहाँ टीके से सम्बंधित जोखिम को कम किया जा सके.



प्रश्न १०.क्या बड़े व्यक्तियों जिनका टीकाकरण छूट गया था,उनमें टीकाकरण किया जा सकता हैं?

उत्तर= यह परिस्थितियों पर निर्भर करता हैं,जिसके अन्तर्गत चिकित्सतक टीका लगानें वालें व्यक्ति की स्वास्थ परिस्थितियों का विश्लेषण कर टीकाकरण की सलाह दे सकता हैं,कभी - कभी ऐसा भी होता हैं, कि बचपन में लगनें वाले टीके बडे़ होनें तक अप्रभावी हो जातें हैं,ऐसे में बूस्टर की ज़रूरत होती हैं.टिटनस और पर्टुसिस के टीके इसी श्रेणी में आतें हैं.

कई देशों द्धारा अपनें यहाँ आनें वालें लोगों के लिये टीकाकरण अनिवार्य किया जाता हैं,ऐसे में समुचित टीकाकरण करवानें पर ही उस देश की यात्रा करनें दी जाती हैं.



प्रश्न ११. क्या स्वास्थ क्षेत्र में कार्य करनें वाले तथा जोखिम वालें क्षेत्रों में कार्य करनें वालों को टीकाकरण करवाना चाहियें ?

उत्तर= जी,हाँ हेल्थ प्रोफेशन [health profession] से जुड़े व्यक्तियों तथा स्वास्थ जोखिम वालें क्षेत्रों में काम करनें वाले व्यक्तियों को टीकाकरण करवाना अनिवार्य होता हैं,क्योंकि इससे वे गंभीर बीमारीयों की सम्भावना से बच जातें है.
यदि कोई health professional अस्थमा, ह्रदय रोग,ड़ायबीटीज जैसी बीमारीयों से पीड़ित हैं, तथा जिसकी प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हैं,उसे डाँक्टर[Doctor]की सलाह से तुरन्त ही vaccination करवा लेना चाहियें.



# टीकाकरण अभियान के याद रखनें योग्य बिंदु :::

१.B.C.G.एक वर्ष की आयु तक लगाया जा सकता हैं,यदि टीकाकरण के बाद निशान न पड़े तो दुबारा टीका लगवानें की आवश्यकता नही होती हैं.


# टीकाकरण के बाद होनें वाली प्रतिकूल घट़नाए

गंभीर ऐंठन या ऐनाफिलैक्सिस की घट़नाएँ होनें पर तुरंत बच्चें को सीधा सुनिश्चित करें बच्चें को पर्याप्त आक्सीजन मिलती रहे.स्थति की गंभीरता के आधार पर ज़रूरी चिकित्सा विशेषग्यों की देखरेख में तुरन्त शुरू करें.

# रोटावायरस टीकाकरण [Rota virus]



प्रश्न १. रोटावायरस (Rota virus) क्या हैं ?


उत्तर = रोटावायरस अत्यधिक संक्रामक प्रकार का विषाणु होता हैं.यह बच्चों को प्रभावित कर उनकों अपनी चपेट में ले लेता हैं,फलस्वरूप बच्चों में दस्त शुरू हो जातें हैं.
रोटावायरस
                        रोटावायरस (Rota virus)

प्रश्न २.रोटावायरस प्रभावित बच्चें में दस्त के क्या लक्षण होतें हैं ?

उत्तर = शुरूआत में हल्के दस्त होतें  हैं,जो धिरें - धिरें गंभीर रूप धारण कर लेते हैं.फलस्वरूप बच्चें के शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती हैं.उचित इलाज नहीं मिलनें पर बच्चें की मृत्यु हो सकती हैं.

प्रश्न ३. क्या रोटावायरस दस्त गंभीर रूप धारण कर सकता हैं ?

उत्तर = भारत में दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती होनें वालें 40% बच्चें रोटावायरस से संक्रमित होतें हैं.यही कारण हैं,कि 8,72000 बच्चें जो कि अस्पताल में भर्ती होतें हैं उनमें से प्रतिवर्ष लगभग 78000 बच्चों की मृत्यु हो जाती हैं.

प्रश्न ४. रोटावायरस दस्त होनें का खतरा किन बच्चों को रहता हैं ?

उत्तर = रोटावायरस दस्त से संक्रमित होनें का खतरा 0 से 1 वर्ष के बच्चों को अधिक होता हैं.यदि बच्चा कुपोषित हैं,और रोटावायरस से संक्रमित हैं,तो मृत्यु की संभावना बढ़ जाती हैं.

प्रश्न ५.रोटावायरस कैसे फेलता हैं ?

उत्तर = रोटावायरस प्रभावित बच्चें के स्वस्थ बच्चें के सम्पर्क में आनें से.
दूषित पानी,दूषित खानें एंव गन्दे हाथों के सम्पर्क में आनें से.
यह वायरस कई घंटो तक हाथों और खुली जगहों पर जीवित रह सकता हैं.

प्रश्न ६.रोटावायरस दस्त किस मोंसम में अधिक होता हैं ?

उत्तर = रोटावायरस संक्रमण और दस्त पूरें साल में कभी भी हो सकता हैं,किन्तु सदियों में इसका खतरा अधिक होता हैं.



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प्रश्न ७. रोटावायरस दस्त की पहचान कैसे होती हैं ?

उत्तर = लक्षणों द्धारा रोटावायरस दस्त की पहचान संभव नही हैं,केवल मल का लेबोरेटरी परीक्षण ही बीमारी का पता लगा सकता हैं.


प्रश्न ८. रोटावायरस दस्त का उपचार क्या हैं ?

उत्तर = रोटावायरस दस्त की अन्य दस्तों की भांति लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती हैं.जैसे जिंक की गोली 14 दिनों तक खिलाना,ओ.आर.एस का सेवन करवाना आदि.
दस्त की गंभीरता को देखते हुये बच्चें को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ सकता हैं.


प्रश्न ९.एक बार रोटावायरस दस्त होनें के बाद क्या ये बच्चें को दूसरी बार भी हो सकता हैं ?

उत्तर = हाँ,रोटावायरस बच्चें को बार - बार हानि पहुँचा सकता हैं.हालांकि दुबारा होनें वालें दस्त ज्यादा खतरनाक नही होतें हैं.


प्रश्न १०.रोटावायरस दस्त होनें से केंसें बचें ?

उत्तर = रोटावायरस टीकाकरण रोटावायरस दस्त के विरूद्ध एकमात्र सटीक विकल्प हैं.
अन्य कारणों से होनें वालें दस्त की रोकथाम स्वच्छता रखने से,बार - बार हाथ धोनें से ,साफ पानी पीनें से,साफ और ताजा खानें से,बच्चों को भरपूर स्तनपान करवानें से,तथा विटामिन ए युक्त पूरक आहार देने से की जा सकती हैं.


प्रश्न ११.क्या रोटावायरस वैक्सीन सभी तरह के दस्त की रोकथाम करता हैं ?

उत्तर = नहीं, रोटावायरस वैक्सीन सिर्फ उस दस्त की रोकथाम करनें में सक्षम जो रोटावायरस से हुआ हैं.जो कि बच्चों में दस्त का बड़ा कारण हैं.रोटावायरस वैक्सीन लगने के बाद भी बच्चों को अन्य कारणों से दस्त हो सकते हैं,जिनमें जीवाणुजनित कारण प्रमुख हैं.


प्रश्न १२.रोटावायरस वैक्सीन किस प्रकार दी जाती हैं ?

उत्तर = रोटावायरस वैक्सीन की खुराक पाँच बूँद मुँह द्धारा बच्चों को पीलाई जाती हैं.यह वैक्सीन छह,दस,और चौदह सप्ताह के अंतराल से बच्चों को दी जाती हैं.
 

प्रश्न १३. क्या रोटावायरस की बूस्टर खुराक की ज़रूरत बच्चों को होती हैं ?

उत्तर = बूस्टर खुराक की ज़रूरत नहीं होती हैं,केवल 6,10,14 सप्ताह की खुराक ही पर्याप्त हैं.


प्रश्न १४.रोटावायरस और पोलियों वैक्सीन में क्या अंतर हैं ?

उत्तर = १.दोंनों ही वैक्सीन का रंग गुलाबी से लगाकर हल्का पीला या नारंगी हो सकता हैं.
२.रोटावायरस की पाँच बूँदें बच्चों को पीलायी जाती हैं,जबकि पोलियो की दो बूँदें पीलाई जाती हैं.
३.रोटावायरस की तीन खुराक 6,10,14 सप्ताह में बच्चों को पीलायी जाती हैं,जबकि पोलियो की खराक खुराक जन्म से लेकर पाँच वर्ष के बच्चों को बार - बार पीलायी जा सकती हैं.


प्रश्न १५.रोटावायरस वैक्सीन पीलानें के बाद क्या स्तनपान कराया जा सकता हैं ?

उत्तर = जी हाँ,न केवल बाद में बल्कि पीलानें के पहले भी स्तनपान कराया जा सकता हैं.


प्रश्न १६.रोटावायरस वैक्सीन किन्हें नहीं दी जाना चाहियें ?

उत्तर = 1.यदि बच्चें की उम्र 6 सप्ताह से कम हो.
           2.गंभीर रूप से किसी बीमारी से पीड़ित हो.
           3.यदि बच्चें को रोटावायरस से एलर्जी हो
           4.यदि पहले से रोटावायरस पीलाया जा चुका हो.


प्रश्न १७.पहली रोटावायरस वैक्सीन की खुराक देनें की अधिकतम उम्र क्या हैं ?

उत्तर = पहली रोटावायरस वैक्सीन देनें की अधिकतम उम्र एक वर्ष हैं.यदि एक वर्ष तक के बच्चें को रोटावायरस टीके की पहली खुराक मिल गई हो तो बाकि दो खुराक दी जा सकती हैं.दो खुराक के बीच चार सप्ताह का अंतराल रखना आवश्यक हैं.


प्रश्न १८.जिन बच्चों को पेंटावेलेट और ओरल पोलियो वैक्सीन की दूसरी खुराक दी जा चुकी हो क्या उन्हें रोटावायरस की पहली खुराक दी जा सकती हैं ?

उत्तर = नही, रोटावायरस की खुराक उन बच्चों को नही दी जाना चाहियें जिनकों पहलें पेंटावेलेट और ओरल पोलियो वैक्सीन दो बार दी जा चुकी हैं.

स्तनपान के बारें में रोचक जानकारी


० पशुओं तथा कुक्कुटों हेतू टीकाकरण




रोटावायरस की पहली खुराक सिर्फ पहली बार  पेंटावेलेट और  opv के साथ दी जाना चाहियें.

प्रश्न १९.क्या रोटावायरस टीकाकरण समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों को दिया जा सकता हैं ?

उत्तर = रोटावायरस टीकाकरण बच्चों की उम्र के अनुसार किया जाना चाहियें जिसका हिसाब उसके जन्म समयानुसार होना चाहियें,न कि उसकी गर्भ की उम्रानुसार.

प्रश्न २०.क्या रोटावायरस वैक्सीन के कोई दुष्प्रभाव हैं ?

उत्तर = रोटावायरस वैक्सीन एक सुरक्षित वैक्सीन हैं.इसके कुछ सामान्य लक्षण उभर सकतें हैं,जैसें उल्टी,दस्त,खाँसी,नाक बहना,बुखार,चिड़चिड़ापन और शरीर पर दानें निकलना.
रोटावायरस वैक्सीन देनें के बाद एक दुर्लभ शिकायत जिसे इंटससेप्सन (आंत का मुढ़ जाना) के नाम से जाना जाता हैं,के बारें में बताया गया हैं.इससे ग्रसित बच्चों में अत्यधिक पेट दर्द और बार - बार उल्टी के साथ मल में खून की शिकायत हो सकती हैं.इन लक्षणों के दिखते ही तुरन्त बच्चें को अस्पताल में भर्ती करवा देना चाहियें.

प्रश्न २१.क्या होगा यदि बच्चा रोटावायरस की खुराक मुँह से बाहर निकाल दे या फिर उल्टी कर दें ?

उत्तर = यदि बच्चा खुराक निकाल दें तो बच्चें को नई खुराक तुरंत उसी वक्त दें.

प्रश्न २२.रोटावायरस वैक्सीन का भंड़ारण कैसें करें ?

उत्तर = रोटावायरस वैक्सीन को - 20 डिग्री से + 8 डिग्री तापमान तक संग्रहित कर रखा जा सकता हैं.वैक्सीन का इस्तेमाल करनें से पूर्व इसे पिघला लेना चाहियें.
="color: rgba(0, 0, 0, 0.87); font-size: 13px; text-align: left;">बच्चों की परवरिश कैंसे करें ? Parenting tips



मिशन इन्द्रधनुष क्या है


भारत में टीकाकरण कार्यक्रम में प्रतिभागियों की गिरती हुई संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने टीकाकरण को नये सिरे से पुनर्जीवित करने का फैसला किया और इसी लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य से सन 2014 में मिशन इन्द्रधनुष का शुभारंभ किया गया। मिशन इन्द्रधनुष के माध्यम से विशेष अभियान चलाकर निर्धारित किए गए टीके गर्भवती महिलाओं और दो साल तक के बच्चों को लगाते जातें हैं
(यह जानकारी भारत सरकार द्धारा टीकाकरण अभियान के लिए समय - समय पर स्वास्थ कार्यकताओं के लिये जारी निर्देशों के अनुसार हैं.विस्तारपूर्वक जानकारी के लिये नजदीकी स्वास्थ केन्द्र पर सम्पर्क करे.)


• Omicron virus के लक्षण

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
very nice information
Unknown ने कहा…
Nice information
Unknown ने कहा…
Nice information
Unknown ने कहा…
सही जानकारी है

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