विगत दिनों अनेक शोधों से यह स्पष्ट़ हुआ की प्रथ्वी पर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे तेल,गैस,कोयला अत्यन्त सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं.और आनें वालें कुछ दशकों में ये समाप्त हो जायेगें.ऐसे में मनुष्य अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को कैसें बनाये रखे इस प्रश्न का उत्तर गैर - परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर आकर टीकता हैं.आईयें जानतें हैं,कि वे कौन से ऊर्जा स्रोत हैं,जो भविष्य में हमारी ताकत बन सकतें हैं.
• बायोगैस [Biogas]
बयोगैस मुख्यत: पादप कचरें,मानव मलमूत्र,जानवरों के मलमूत्र का वायुरहित अवस्थाओं में जीवाणुओं द्धारा अपघट़न होनें से निर्मित होती हैं.यह गैस ज्वलनशील होती हैं.जिसमें 65% मिथेन पाई जाती हैं.
भारत पशु और मानव जनसँख्या के मामले में विश्व का अग्रणी राष्ट्र हैं.यदि मानव,पशु मलमूत्र और पादप कचरें का समुचित प्रबंधन कर इसका उपयोग बायोगैस बनानें में किया जावें तो न केवल भारत की ऊर्जा ज़रूरतों का समुचित निदान होगा बल्कि अरबों रूपयें की मुद्रा की भी बचत होगी,जो भारत तेल गैस आयात पर खर्च करता हैं.एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 13000 टन गोबर प्रतिवर्ष होता हैं.जिससे 1 अरब 43 करोड़ किलो केलोरी ऊर्जा आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं.
इसके अलावा बायोगैस से महत्वपूर्ण अपशिष्ट भी बनता हैं,जो खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता हैं,इस आर्गनिक खाद में यूरिया,पोटाश,फास्फोरस और जिंक जैसे महत्वपूर्ण तत्व विघमान होतें हैं,जो रासायनिक खादों से बंजर होती धरती को पुन: हरा - भरा करनें की क्षमता रखतें हैं.
बायोगैस बनानें के अन्य स्रोत पेड़ों के पत्तियाँ, पुआल,जलकुम्भी ,कुड़ा करकट आदि हैं.
इस प्रकार स्पष्ट हैं,कि बायोगैस स्वच्छ ऊर्जा का ऐसा स्रोत हैं,जो धुंआ रहित हैं.तथा इसके अपघट़न में आक्सीजन का उपयोग भी नही होता अत: इसके बनने पर वातावरण में आक्सीजन की कमी भी नही होती.
०भगवान श्री राम
० क्रिकेट अतीत से वर्तमान
• पवन ऊर्जा [Wind energy]
पवन ऊर्जा |
भारत में विश्व की सबसे बड़ी पर्वत श्रंखला हिमालय मोजूद हैं,इसके अलावा सतपड़ा,विघ्यांचल,अरावली,नीलगीरी पर्वत और विशाल सागरतट़ हैं,जहाँ अबाध रूप से पवन बहती रहती हैं,यहाँ पवन की गति भी 8 मीटर प्रति सेंकंड़ हैं,जो पवन से ऊर्जा उत्पादन की आदर्श दशा हैं.
पवन से ऊर्जा प्राप्त करनें का एक महत्वपूर्ण लाभ यह हैं,कि यह सस्ती,और कम जगह घेरकर 24 घंटे उत्पादन प्रदान कर सकती हैं.
• सौर ऊर्जा [SOLAR ENERGY]
solar photovoltaic panel |
विश्व का ऐसा अनोखा राष्ट्र हैं,जहाँ सूरज साल के 300 दिन चमकता हैं,इस चमकीलें सूर्य की रोशनी की बदोलत हम न केवल हमारी बल्कि विश्व के लगभग सभी राष्ट्रों की ऊर्जा ज़रूरतों को आसानी से पूरा कर सकतें हैं.
फोट़ोवोल्टिक सेलो के माध्यम से ऊर्जा बेटरीयों में संचय कर हम ऊर्जा एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुँचा सकते हैं,सौर फोटोवोल्टिक सेलो की स्थापना के लिये भी हमारे यहाँ विशाल रेगिस्तान से सटा इलाका मोजूद हैं,जहाँ कृषि क्रियाकलाप नही होतें हैं.
• जल ऊर्जा
आपनें पतित पावन गंगा की उद्गम की कहानी अवश्य सुनी होगी जिसमें गंगा को प्रथ्वी पर लाने के लिये उसके असीम वेग को शिवजी ने अपनी जटाओं में धारण कर उसे प्रथ्वी पर बहनें लायक बनाया ताकि वह प्रथ्वीवासियों का कल्याण कर सकें.वास्तव में यह बात पूर्ण सत्य हैं,शोधकर्ताओं के मुताबिक गंगा के जल में इतनी ऊर्जा विधमान हैं,कि यह सम्पूर्ण भारत की ऊर्जा ज़रूरत को पूरा कर सकें.
इसी प्रकार नर्मदा,झेलम,ब्रम्हपुत्र जैसी विशाल बारहमासी नदियाँ हैं,जिनका जल पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यन्त तीव्र गति से बहता हैं,इस जल में अपार ऊर्जा संभावनाएँ विधमान हैं.इन वेगवती नदियों पर टरबाइन स्थापित कर ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भता हासिल कर सम्पूर्ण दक्षिण एशिया की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता हैं.
इसी प्रकार ओर भी परंपरागत ऊर्जा स्रोंत जैसें भूतापीय,समुद्रीय लहरों से आदि हैं,जो परंपरागत ऊर्जा के मुकाबले बेहतर ,स्वच्छ और पर्यावरण मित्र हैं.
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