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अनियमित धड़कन यानि अरिदमिया (Arrhythmia) को बिना चिकित्सकीय जाँच के कैसे पहचाना जा सकता हैं


अरिदमिया(Arrhythmia) ह्रदय से जुड़ी समस्या हैं. हमारा ह्रदय औसतन रूप से एक मिनिट में 50 से 85 बार धड़कता हैं।

जब ह्रदय की  धड़कन heart  ki dhadkan इस स्तर से कम या ज्यादा होती हैं,तो व्यक्ति अरिदमिया से ग्रसित हो जाता हैं.जब ह्रदय की धड़कन 50 बीट्स प्रति मिनिट से कम होती हैं,तो यह अवस्था BradyArrhythmias कहलातीहैं. इसकेविपरीत  100 बीट्स प्रति मिनिट से अधिक होनें पर यह TachyArrhythmias कहलाती हैं.
सम्पूर्ण विश्व में ह्रदय से जुड़ी यह सबसे आम समस्या हैं,जो लगातार बढ़ती जा रही हैं.

० अरिदमिया के लक्षण ::


• धड़कनों का तेज या धीमा होना.

• ह्रदय की माँसपेशियों में खिंचाव या फड़फड़ाहट

• सिर में भारी या हल्कापन

• बेहोशी

• चक्कर

० अरिदमिया के कारण ::


इस बीमारी में धड़कनों को नियमित करनें वाले विधुतीय आवेग ठीक प्रकार से अपना काम नही करते हैं,ये समस्या निम्न कारणों से हो सकती हैं

• ह्रदय की धमनियों में कोलेस्ट्राल का जमाव होना जिससे धमनिया ब्लाक हो गई हो.

• उच्च रक्तचाप की समस्या होनें पर

• पेसमेकर लगा होनें पर

• मोबाइल रेडियेशन की वजह से

• हाइपर या हाइपोथाइराइडिज्म

• तनाव होनें पर

• शराब का अत्यधिक सेवन

• तम्बाकू का धूम्रपान,गुट़खा आदि किसी भी रूप में सेवन

• कार्ड़ियोमायोपेथी की समस्या होनें पर

• ह्रदय की बनावट में बदलाव होनें पर

• पूर्व में ह्रदय संबधित कोई आपरेशन होनें पर

• कुछ विशेष प्रकार की दवाईयों जैस गर्भनिरोधक सेली या इंजेक्सन के प्रयोग से

• अत्यधिक मोटापे की वजह से

० प्रबंधन ::


अरिदमिया की समस्या को जीवनशैली को नियमित कर काबू पाया जा सकता हैं जिसमें शामिल हैं :::-

१.योगाभ्यास जिसमें साँसो को नियंत्रित किया जाता हो.

२.ह्रदय को मज़बूत करनें वाले योग जैसे अनुलोम विलोम ,कपालभाँति किये जानें चाहियें.

३.ह्रदय को पोषण प्रदान करनें वाले आहार जैसे सूखे मेवे,दही,सलाद,ग्रीन टी,केला,अनार, आदि का सेवन करना चाहियें.

४. तेरना इस रोग में बहुत फायदा पहुँचाता हैं.परन्तु इसके लिये चिकित्सक की सलाह आवश्यक हैं.

५.अंकुरित अनाज दालो का सेवन करें.

० अरिदमिया में क्या सावधानियां रखें


• आरामदायक जीवनशैली की बजाय सक्रिय जीवनशैली रखे.

• धूम्रपान,तम्बाकू का सेवन नही करे.

• वसायुक्त पदार्थों,मैदायुक्त पदार्थों एँव जंक फूड़ से बचें.
• तनाव से बचें

• चालीस वर्ष की उम्र पश्चात नियमित रूप से ह्रदय की जाँच करायें.

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० पलाश वृक्ष के औषधीय गुण


ह्रदय से संबंधित कुछ अन्य बीमारी

1.कार्डियोमायोपैथी 


कार्डियोमायोपैथी में ह्रदय की मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और इसके कारण ह्रदय कम मात्रा में खून पंप करता हैं ।इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को थोड़ी दूर चलने चलने पर थकान होती हैं और चक्कर आते हैं ।

2.वेस्कुलर डिजीज 


यह ह्रदय से संबंधित बीमारी है जो बड़ों के साथ बच्चों में भी होती हैं । इस बीमारी में ह्रदय में स्थित छोटी छोटी रक्त वाहिनियां सूज जाती हैं जिससे ये चोडी हो जाती हैं । जिससे ह्रदय की धड़कन असामान्य हों जाती हैं ।

3.एओटा डिजीज

यह ह्रदय में स्थित महाधमनी है जो सभी अंगों तक खून पंहुचाती है । इस धमनी के फैलने या फटने पर मरीज की जान जा सकती हैं ।

4.हार्ट वाल्व डिजीज

ह्रदय के वाल्व जब संक्रमण की वजह से सिकुड़ने में सक्षम नहीं होते हैं तो हार्ट फैल होने की संभावना होती हैं ।

5.कोरोनरी हार्ट डिजीज

ह्रदय की धमनियों में जब कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता हैं तो चलने में,सांस भरने लगती हैं,ज्यादा पसीना आता हैं और छाती में तेज़ दर्द होता हैं ।

6.पेरीकार्डिटीस

ह्रदय के ऊपर एक झिल्ली होती हैं जब यह कठोर हो जाती हैं तो इसमें सिकुड़न और फैलाव बंद हो जाता हैं ।और व्यक्ति की सांस बैठे बैठे फूलती है ।

7.हार्ट फैल्योर


इस बीमारी में हार्ट अचानक बंद हो जाता हैं। पैरों में सूजन,पीठ के बल सोने में और सांस लेने में दिक्कत होती हैं , ह्रदय में अचानक तेज दर्द होता हैं । 












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