भारत का राष्ट्रपति [The president of india] ये लेख नही पढा तो फिर प्रतियोगिता परीक्षा में सफ़लता नही मिलेगी
दोस्तों,आज में आपको भारत के राष्ट्रपति के बारें में विस्तारपूर्वक बताना चाहूँगा कई लोग मुझसें पूछतें हैं,health blog में सामान्य जानकारीयों का क्या काम ? मैं उनसे यही कहना चाहता हूँ, कि स्वस्थ जीवनशैली के लिये न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी ऐसा होना चाहियें जो अपने आसपास के परिवेश की समझ रखता हो,तभी एक बेहतर समाज के निर्माण की कल्पना को साकार किया जा सकता हैं.
दोस्तों आईंयें जानतें हैं,भारत के राष्ट्रपति के बारें में
दोस्तों आईंयें जानतें हैं,भारत के राष्ट्रपति के बारें में
• महाभियोग की प्रक्रिया
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रक्रिया का वर्णन करता हैं.
जब राष्ट्रपति संविधान का अतिक्रमण करता हैं,तो संसद का कोई भी सदन महाभियोग प्रक्रिया शुरू कर सकता हैं.
किसी भी सदन के कम से कम एक चौथाई सदस्य अपनें हस्ताक्षर वाला सूचना पत्र राष्ट्रपति को भेजते हैं.इस सूचना पत्र पर 14 दिनों के बाद वही सदन विचार करता हैं.
यदि विचारोपरांत वही सदन अपने दो तिहाई बहुमत से संकल्प पारित कर दे तो महाभियोग का पहला चरण पूर्ण हो जाता हैं.
इस संकल्प को दूसरें सदन मे भेजा जाता हैं,जहाँ संकल्प में लगाये आरोपों की जाँच की जाती हैं,यह जाँच उस सदन द्धारा स्वंय की जाती हैं,या किसी न्यायालय को ऐसी जाँच करने को कहा जा सकता हैं.इस प्रकार की जांच में राष्ट्रपति स्वंय या अपनें वकील के माध्यम से अपना पक्ष रख सकता हैं.
यदि जांच उपरांत दूसरा सदन अपनी सदस्य संख्या के दो तिहाई बहुमत से संकल्प पारित कर देता हैं,तो राष्ट्रपति को संकल्प पारित करनें की तिथी से पद छोड़ना पड़ता हैं.
• राष्ट्रपति के विशेषाधिकार
राष्ट्रपति को पद पर रहनें के दोरान अनेक विशेषाधिकार प्राप्त होतें हैं जैसें ::
1.अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपनें कर्तव्यों के पालन के लिये किसी न्यायालय में उत्तरदायी नही होगा.
2.राष्ट्रपति पद पर आसीन किसी व्यक्ति के खिलाफ भारत के किसी भी न्यायालय में दांड़िक कार्यवाही नही की जा सकती और ना ही चालू रखी जा सकती हैं.
• भारत के राष्ट्रपति को प्राप्त शक्तियाँ
• कार्यपालिक शक्ति •
• आम चुनाव मे बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता हैं.तथा प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रीयों की नियुक्ति करता हैं.
• उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों,राज्यों के राज्यपालों,संघ क्षेत्रों के प्रशासकों,उपराज्यपालों,महान्यायवादी ,नियत्रंक तथा महालेखा परीक्षक,संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को,विदेशों में राजदूतों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता हैं.
• अनेक आयोग जैसें पिछड़ा वर्ग आयोग,अनुसूचित जाति आयोग,जनजाति आयोग,महिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता हैं.
• 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुसार राष्ट्रपति अपनें कर्तव्यों की पालना मंत्रीपरिषद के सहयोग से ही कर सकता हैं,इस प्रकार 42 वां संविधान संशोधन अधिनियम राष्ट्रपति को इस हेतू बाध्य करता हैं.
• विधायी शक्ति •
• संसद द्धारा पारित कानून राष्ट्रपति की स्वीकृति से ही कानून बनता हैं.
• संसद के सत्रावसान की दशा में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता हैं.इस अध्यादेश की वही शक्ति और प्रभाव होता हैं,जो संसद द्धारा पारित कानूनों का होता हैं.
• प्रत्येक आम चुनाव तथा वर्ष के आरंभ में राष्ट्रपति संसद के संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण देता हैं,जिसमें सरकार की नितियों की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती हैं.
• राष्ट्रपति को यदि ये समाधान हो कि लोकसभा में आंग्ल इंड़ियन समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नही हैं,तो वह इस समुदाय के दो सदस्यों का मनोनयन कर सकता हैं.
• राज्यसभा में कला,विग्यान,संस्कृति,खेल आदि क्षेत्रों से 12 सदस्यों का मनोनयन राष्ट्रपति द्धारा किया जाता हैं.
• संसद द्धारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात ही कानून बनता हैं.
• कुछ विधेयक जैसें धन विधेयक,नये राज्यों का निर्माण,सीमाओं में परिवर्तन से संबधित विधेयक राष्ट्रपति की पूर्वानुमति के पश्चात ही संसद में प्रस्तुत कीये जा सकतें हैं.
• सैनिक शक्ति •
• भारत का राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सर्वोच्च कमांड़र होता हैं.उसे युद्ध की घोषणा और शांति स्थापित करनें का अधिकार प्राप्त होता हैं.
• राष्ट्रपति की यह शक्तियाँ मंत्रीपरिषद के अधीन हैं,जिनका प्रयोग राष्ट्रपति मंत्रीपरिषद की सलाह से ही करता हैं.
• कूटनितिक शक्ति •
राष्ट्रपति राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष होता हैं,इस रूप में समस्त संधिया तथा अंतर्राष्टरीय समझोतें राष्ट्रपति के नाम से ही सम्पन्न होतें हैं.
• न्यायिक शक्ति •
• राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 72 के अन्तर्गत भारत के सभी न्यायालयों में दोषसिद्ध ठहरायें व्यक्ति के दण्ड़ को क्षमा,लघुकरण,प्रविलम्ब,विराम या परिहार करनें की शक्ति प्राप्त हैं.
• अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह अधिकार प्रदान करता हैं,कि विधि का कोई प्रश्न खड़ा होनें पर वह उच्चतम न्यायालय की राय मांग सकता हैं.किन्तु राष्ट्रपति ऐसी किसी राय को मांगनें के लिये बाध्य नही हैं.
• आपातकालीन शक्ति •
• राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत युद्ध,बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की अवस्था में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता हैं.
• अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता में आपात स्थिति की घोषणा राष्ट्रपति करता हैं.
• राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 360 के अन्तर्गत करता हैं.
• राष्ट्रपति की बदलती भूमिका
42 वें संविधान संशोधन द्धारा राष्ट्रपति को मंत्रीपरिषद की सलाह माननें हेतू बाध्य किया गया हैं.जबकि 44 वें संविधान संशोधन द्धारा राष्ट्रपति को आपातकाल लगानें के लियें मंत्रीपरिषद की लिखित सलाह लेनें के लिये बाध्य किया गया.
इन संविधान संशोधन के अतिरिक्त कई ऐसे राष्ट्रपति हुये जिन्होंनें अपनें कार्यों से राष्ट्रपति पद की गरिमा को बढ़ाया ,ऐसे ही राष्ट्रपति हुये थे,डाँ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम जिन्हें जनता " पीपुल्स राष्ट्रपति" के रूप में याद करती हैं.इन्होंनें देश को विकसितत करनें हेतू "विजन - 2020" दिया.ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधायें उपलब्ध करवानें हेतू "प्यूरा" माडल की कल्पना की. इसके अलावा कलाम साहाब नें पंड़ित जवाहरलाल नेहरू की तरह बच्चों में भारत का भविष्य देखा और बच्चों को बड़ा सपना देखनें और उसे पूरा करनें हेतू कठिन परिश्रम करनें हेतू प्रेरित किया.
कलाम साहाब स्वंय सादगी और कठिन परिश्रम की प्रतिमूर्ति थें,जिन्होंनें राष्ट्रपति भवन में हर खा़सो - आम को प्रवेश दिया.
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