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बाघ बचाये जंगल [The tiger save forest]

Indian Tiger
 बाघ (Tiger)
एक बच्चा मुझसे प्रश्न पूछता है.सर,क्या मैं अपनें "मन की बात" पूँछू ? मैनें कहा पूछों उसनें शुरू किया दुनिया के बड़े - बड़े देश,कई अन्तर्राष्ट्रीय संगठन जैसें विश्व पर्यावरण संगठन ,पेटा आदि बाघ को क्यों बचा रहें हैं ?

 मैनें कहा क्योंकि वह विलुप्त हो रहा हैं.

उसनें फिर प्रश्न दागा तो उसको बचानें में हमारा क्या फायदा ? इतना सारा पैसा कही और लगातें तो शायद कई लोगो के लिये अच्छे घर ,भरपेट़ भोजन की व्यवस्था की जा सकती थी ? बाघ तो मजे से जंगल में रहकर शिकार करता हैं,और आराम करता हैं ?

मैनें बच्चें के बालमन को विस्तारपूर्वक उत्तर देने के लिये उसे अपनें पास बिठाया और फिर समझाना शुरू किया.

"जानतें हो जब 18 वीं शताब्दी में विश्व में लगभग 50,000 हजार बाघ थें.तब धरती के 50% भाग में घनें जंगल थें.और आज 21 वी सदी में जबकि विश्व में 3900 के करीब बाघ हैं,धरती पर मात्र 14% ही जंगल बचे हैं,जबकि पर्यावरण संतुलन के दृष्टिकोण से सम्पूर्ण धरती के 33% भाग पर जंगल होना चाहियें." 

भारत में बाघों का क्षेत्र संकुचित हो रहा है देश के दो राज्यों मध्यप्रदेश और कर्नाटक में ही देश की कुल बाघ आबादी का 35.8 प्रतिशत बाघ रहते हैं हैं बाकि के 64.2 प्रतिशत बाघ देश के बाकि के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद हैं। 

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार हर साल औसतन 56 बाघ मर जाते हैं इनमें से अधिकांश बाघों की मौत का कारण अप्राकृतिक रहता है जबकि देश में सिर्फ बाघ संरक्षण पर ही सन् 2014 से अब तक करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।



बाघ (Tiger) मांसाहारी जन्तु हैं,जो अपनें पेट़ की आग शिकार करके ही बुझाता हैं,चाहे मांस किसी प्राणी का हो या फिर जन्तु का .ऐसी अवस्था में कोई भी प्राणी बाघ के आसपास भी फटकना पसंद नही करता फलस्वरूप बाघ के रहवास स्थल मानवीय हस्तक्षेप से दूर ही रहतें हैं.

यँहा पैड़-पौधों को फलनें फूलनें का पर्याप्त अवसर मिलता हैं.ये घनें पेड़ हमें बहुत अधिक मात्रा में जीवनदायी आक्सीजन उपलब्ध कराकर प्रथ्वी पर जीवन सरल बनातें हैं.

घनें जंगल वर्षादायी बादलों को अपनी और खींचकर धरती पर बारिश करवाते हैं.जो मानव की मूलभूत आवश्यकता हैं,क्योंकि पानी बीना सब सून
यही पेड़ धरती को अपनी जड़ों से बांधकर रखते हैं,जिससे कि मिट्टी का कटाव नही होता और धरती बंजर होनें से बची रहती हैं.

बाघों की एक और विशेषता उन्हें पर्यावरण मित्र बनाती हैं और वह यह कि बाघ  झुंड़ की अपेक्षा अकेला रहना पसंद करतें हैं.ये अपना एक बड़ा क्षेत्र बनाकर उसमें घूमता रहता हैं.जिसे टाइगर टेरेटरी कहते हैं।

 किसी एक टाइगर टेरेटरी में रहने वाले बाघ को अपनी टेरेटरी में दूसरे बाघ का हस्तक्षेप स्वीकार नही होता और दूसरा बाघ ऐसा करता है तो दोनों बाघों में संघर्ष होता हैं। अतः सामान्य रूप से बाघ संघर्ष से बचने के लिए अपनी अपनी टेरेटरी में ही रहना पसंद करते हैं।

एक बड़ी टाइगर टेरेटरी  में एक बाघ,दूसरी बड़ी टाइगर टेरेटरी में दूसरा बाघ इसका मतलब एक विशाल घना जंगल जो पारिस्थिक संतुलन बनाकर प्रथ्वी को जीवन के अनूकूल बनाता हैं.

तो दोस्तों है ना बाघ (Tiger) पर्यावरण मित्र और जंगल को बचाने वाला  पशु आपके विचार ज़रूर बताइएगा.




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