सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वायरस क्या होता हैं । वायरस और बैक्टीरिया में अंतर what is virus in hindi difference between virus and bacteria


वायरस क्या होता हैं virus kya hota hai

वायरस virus अतिसूक्ष्म अकोशिकीय संरचना होती हैं ,जो नाभिकीय अम्ल Nucleus acid RNA या DNA और प्रोटीन से बना होता हैं । वायरस साधारण आंखों से नहीं दिखाई देते  हैं इन्हें देखने के लिए विशेष इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती हैं । वायरस को सफेद बारीक क्रिस्टल के रूप में संग्रहित किया जा सकता हैं ।

अब तक 6 हजार से ज्यादा विभिन्न प्रकार के वायरसों का पता वैज्ञानिकों द्वारा लगाया जा चुका है ।

वैज्ञानिकों के मुताबिक वायरस एक बीज की तरह से व्यहवार करते हैं जैसे एक बीज पानी, सूर्य प्रकाश और मिट्टी का सहयोग पाकर पौधा बनता हैं उसी प्रकार वायरस निर्जीव बनकर बहुत समय तक पड़े रहते हैं ।
वायरस जब जीवित कोशिका के संपर्क में में आते हैं तो कोशिका भेदकर उसके अंदर प्रवेश कर जाते हैं और कोशिका की RNA या DNA और जेनेटिक संरचना को परिवर्तित कर अपनी जेनेटिक संरचना उस कोशिका में प्रतिस्थापित कर देता हैं और अपने जैसी कोशिकाओं का उत्पादन शुरू कर देता हैं ।

वायरस की खोज कब हुई थी virus ki khoj kab hui thi


वायरस की  खोज virus ki khoj का श्रेय एडवर्ड जेनर को जाता हैं जिन्होंने सन 1796 में यह बताया कि चेचक रोग वायरस से होता हैं इसी क्रम में उन्होंने चेचक के टीके की खोज की ।

एडवर्ड जेनर के बाद सन 1886 में मोजेक और 1892 में रसियन जीव विज्ञानी दिमित्री इवानोवास्की ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग का कारण वायरस होता हैं । 

० पोलियो क्या होता हैं ?


इवानोवास्की के बाद भी अनेक वैज्ञानिकों ने वायरस का अध्ययन किया और अलग अलग वायरसों की खोज की ।

वायरस कितने प्रकार के होते हैं virus kitne prakar ke hote hai


1.जन्तु वायरस ANIMAL VIRUS


जो वायरस पशुओं की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं और इन पशुओं के माध्यम से उन वायरसों को जन्तु वायरस कहते हैं । जन्तु वायरस में न्यूक्लिक एसिड़ DNA और कभी कभी RNA भी पाया जाता हैं । जैसे रेबीज वायरस, पोलियो वायरस,इन्फ्लुएंजा,मम्स, कोरोनावायरस, निमोनिया,एशियन इन्फ्लुएंजा,स्वाइन फ्लू, मेनिनजाइटिस,बर्ड फ्लू,खुरपका मुंहपका आदि ।

2.पादप वायरस PLANT VIRUS

जो वायरस पौधों की कोशिका को संक्रमित करते हैं उन्हें पादप वायरस कहते हैं। जैसे तम्बाकू का मोजेक वायरस,पोटेटो वायरस, टमाटर का पीली पत्ती वायरस आदि ।

पादप वायरस में न्यूक्लिक एसिड RNA होता हैं ।


3.जीवाणुभोजी वायरस Bacteriaphage

जो वायरस बैक्टेरिया की कोशिका को नुकसान पंहुचाते हैं उन्हें जीवाणुभोजी या Bataria phage कहते हैं । इनमें न्यूक्लिक एसिड RNA पाया जाता हैं जैसे T - phage वायरस,mv-11 


4.इंसेक्ट वायरस insect virus

जो वायरस कीट पतंगों में प्रवेश कर उन्हें बीमार करके नष्ट कर देते हैं। 



इन वायरसों का खेती में प्रयोग कर बेहतरीन बायो पेस्टीसाइड बनाये जातें हैं । उदाहरण एस्कोवायरस और एंटोमोपाक्स वायरस


वायरस की संरचना Structure of virus

वायरस की संरचना
 वायरस की संरचना


वायरस के आसपास के सुरक्षात्मक आवरण को केप्सीड़ कहते हैं। यह केप्सीड़ प्रोटीन से बनी संरचना होती हैं । जो कि सरल से लेकर जटिल होते हैं । केप्सीड़ वायरस के जीनोम की बाहरी वातावरण से सुरक्षा करता है और केप्सीड़ के द्वारा ही कोशिका में आनुवांशिक पदार्थों का स्थानांतरण होता हैं । कभी कभी केप्सीड़ में फास्फोलिपिड़ के envelope भी पाये जातें हैं जो ग्रहणकर्ता कोशिका की झिल्ली को संक्रमित करते हैं ।

वायरस से संक्रमण कैसे फैलता है virus se sankraman kese felta hai

वायरस अपने स्वयं के दम पर जीवित नहीं रह सकते वह संक्रमित करने वाली कोशिका में आड़े या खड़े घुसकर अपनी प्रतिलिपि बनाते हैं । 

आईये जानतें हैं वायरस कैसे फैलता है 


सीधे भौतिक संपर्क से 

यदि वायरस संक्रमित व्यक्ति किसी साधारण व्यक्ति से यौन संसर्ग करता हैं,चूमता है,हाथ मिलाता है तो साधारण आदमी भी वायरस से संक्रमित हो जाता हैं ।

संक्रमित वस्तु के संपर्क द्वारा

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क जो वस्तु आती हैं उसे वह संक्रमित कर देता हैं यदि साधारण व्यक्ति इन संक्रमित वस्तु के संपर्क में आएगा तो वह भी संक्रमित हो जायेगा इस तरह के संक्रमण को अप्रत्यक्ष संक्रमण कहते हैं।

हवा द्वारा संक्रमण airborne spreading


यदि वायरस संक्रमित व्यक्ति छिंकता, खांसता या सांस लेता है तो वायरस के सूक्ष्म कण Droplets हवा के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं और इस तरह स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो जाता हैं ।

वायरस का आकार कितना होता हैं 


वायरस अतिसूक्ष्म आकार का परजैविक होता हैं जिसका आकार 0.02 lu m से 0.3 lu m तक होता हैं । कुछ वायरस 1lu m आकार के भी होते हैं ।


वायरस के सिंगल या डबल स्ट्रैंड से क्या तात्पर्य है

वायरस को उसकी बीमार करने की क्षमता के आधार पर नहीं इस आधार पर पहचाना जाता हैं कि वायरस में मौजूद न्यूक्लिक एसिड सिंगल स्ट्रैंड है या डबल स्ट्रैंड है । 


वायरस से होने वाले रोग


खसरा रोग 

खसरा पैरा मिक्सो वायरस के कारण होता हैं । जिससे खुजली चलती है ।


येलो फीवर

येलो फीवर yellow fever का कारक आरबो वायरस arbo virus हैं जो मच्छरों के काटने से फैलता है । 

इंन्फुलुएंजा 

इंन्फुलुएंजा Influenza आर्थोमेक्स वायरस के द्वारा फैलता है । इससे श्वसन तंत्र में संक्रमण हो जाता हैं और सर्दी, खांसी और श्वास लेने में परेशानी हो जाती हैं ।

कोविड़ 19

कोविड़ 19 नोवल कोरोनावायरस से फैलता हैं । इस बीमारी में भी सर्दी खांसी , बुखार और श्वास लेने में परेशानी होती हैं ।


एड्स 

एड्स का कारक वायरस HIV human immunodeficiencie virus होता हैं ।

इसके अलावा हर्पीज,सार्स,एशियन इन्फ्लुएंजा,रैबीज, पोलियो, निमोनिया,स्वाइन फ्लू मेनिनजाइटिस आदि का कारण वायरस ही है ।


वायरस से पौधों में होने वाले नुकसान 

विषाणु से फसल बहुत बुरी तरह प्रभावित होकर नष्ट हो जाती हैं और किसानों को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता हैं । वायरस से पौधों में होने वाले रोग है । तम्बाकू का मोजेक वायरस रोग,केले का बंटी टाप आफ बनाना,पोटेटो मोजेक वायरस आदि ।

वायरस का वर्गीकरण

वायरस को उसकी जेनेटिक संरचना और उसमें मोजूद जेनेटिकल पदार्थों के आधार पर अनेक भागों में बांटा गया है जैसे DNA वायरस 

सिंगल स्ट्रैंड वायरस जैसे पिकोर्नवायरस,पैरा वायरस

डबल स्ट्रैंड वायरस एडिनो वायरस,हर्पीज वायरस


RNA वायरस

सिंगल स्ट्रैंड वायरस - जिस वायरस की जेनेटिक संरचना में RNA पाज़ीटिव और नेगेटिव होता हैं उदाहरण पोलियो वायरस, हेपिटाइटिस- A,रैबीज वायरस, इन्फ्लुएंजा वायरस 


डबल स्ट्रैंड वायरस - रिओ वायरस


बैक्टीरिया क्या हैं Bacteria kya hai

बैक्टीरिया एक कोशिकीय, अत्यंत सूक्ष्म,अकेन्द्रकीय, कोशिका भित्ति जीव होतें हैं । बैक्टीरिया को प्रोकेरियोट्स में वर्गीकृत किया गया है ।

बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर बाहर ,जल, जमीन प्रत्येक जगह विधमान रहते हैं । लगभग 40 करोड़ वर्ष पूर्व मनुष्य के पूर्वज एक कोशिकीय बैक्टेरिया थे जो बाद में में विकसित होकर जटिल मानव,जंतु और पादप में परिवर्तित हो गये ।

बैक्टीरिया सर्पिलाकार (स्पिरीला),गोल (कोकस) चपटे (बेसिस),जड़ के आकार के होते हैं ।


बैक्टीरिया की खोज किसने की थी ?

बैक्टीरिया की खोज का श्रेय डच वैज्ञानिक एंटनी वान ल्यूवोनहाक को जाता हैं जिन्होंने सन 1676 ई.में सूक्ष्मदर्शी से इन बैक्टैरिया को देखा ।

बैक्टीरिया की संरचना 



जीवाणु
 बैक्टीरिया


कोशिका भित्ति cellwall - जीवाणु कोशिका के चारों ओर कोशिका भित्ति पाई जाती हैं । जिसमें कोशिका का जीवद्रव्य, संचित भोजन और आनुवांशिक पदार्थ उपस्थित होते हैं ।

कोशिका भित्ति बैक्टीरिया के लिए सुरक्षा दीवार की तरह होती हैं जो जीवाणु को फटने से बचाती हैं ।

प्लाज्मा झिल्ली - प्लाज्मा झिल्ली अर्द्ध पारगम्य झिल्ली होती हैं।यह कोशिका के जीव द्रव्य को बाह्य वातावरण में प्रवेश कराती हैं और बाह्य वातावरण से द्रव्य अंदर कराती हैं ।

मीजोसोम - मीजोसोम माइट्रोकान्ड्रिया के समान होती हैं जिसका मुख्य कार्य कोशिका भित्ति का निर्माण करना, डीएनए की प्रतिकृति बनाना,श्वसन में सहायता प्रदान करना,स्त्रावी प्रक्रिया में सहायता प्रदान करना, एंजाइम की मात्रा बढ़ाना ।

राइबोसोम - राइबोसोम संदेश वाहक RNA से मिलकर प्रोटीन निमार्ण में भाग लेते हैं ।


बैक्टीरिया से होने वाले फायदे 

बैक्टीरिया हमेशा नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि कुछ बैक्टीरिया मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं जैसे आंतों में उपस्थित कुछ बैक्टीरिया भोजन पचाने में मदद करते हैं । इसी प्रकार राइजोबियम नामक बैक्टीरिया फसलों में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर फसल को बढ़ाने में मदद करता है ।

बैक्टीरिया से होने वाले रोग 

मेनिनजाइटिस - 

1.स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी

2.नेसेरिया मेनिनजाइटिस

3.हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा

4.स्ट्रेप्टोकोकस अगलाम्टी

5.लिस्टिरिया सोनोसाइटोजीन 


ओटाइटिस मिडिया -


1.स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी

न्यूमोनिया -


1.स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी

2.हिमोफिलस इंन्फुलुएंजा

3.माइकोप्लाज्मा न्यूमोनी

4.चलमायिडियन न्यूमोनिया

5.लेजियोनिला न्यूमोफिला


ट्यूबरक्लोसिस - 

1.माइकोबैक्टेरियम  ट्यूबरक्लोसिस 

त्वचा का संक्रमण -

1.स्टेफिलोकोकस एलियंस

2.स्ट्रेप्टोकोकस पायोजिनस

3.स्यूडोमोनास एरूजिनोसा


आंखों का संक्रमण - 

1.स्ट्रेफिलोकोकस एरूएस 

2.नेसेरिया गोनोरिया

3.चलमाइडिया ट्रेकोमटिस


साइनाइटिस -

1.स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी

2.हिमोफिलस इंन्फुलुएंजा


Upper respiratory tract infection


1.स्ट्रेप्टोकोकस पायोजिनस

2.हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा

गैस्ट्रोटाइटिस 

1.हेलोबेक्टर पायलोरी

फूड़ पायजनिंग -

1.केम्फलोबैक्टर जेजूनी

2.सालमोनेला

3.सिगेला
4.क्लोस्ट्रोडिम 

5.स्टेफाइलोकोकस एरेस

6.इस्चिरिया कोलाई

7.स्ट्रेप्टोकोकस सेपरोफाइटिकस

8.स्यूडोमोनास एरूजिनोसा


Urinary tract infection-


1.इस्चिरिया कोलाई 

2.स्ट्रेप्टोकोकस सेपरोफाइटिकस

3.स्यूडोमोनास एरूजिनोसा

Sexual transmited disease

1.चेलेमाइडिया ट्रैकोमेटिस

2.नेसेरिया गोनोरिया

3.ट्रेपोनिया पेलिडम 

4.यूरेप्लाजा यूरेलेक्टिकम

5.हैमोफिलस ड्यूकरेई

वायरस और बैक्टीरिया में अंतर -

1.वायरस अकोशिकीय होते हैं जबकि बैक्टीरिया एक कोशिकीय होते हैं ।

2.वायरस वर्षों तक सुषुप्तावस्था में पढ़ें रहते हैं जबकि बैक्टीरिया मे यह प्रकृति नहीं पाई जाती हैं ।

3.बैक्टैरिया वायरस के मुकाबले आकार में बढ़े होते हैं ।

ग्राम पाज़िटिव और ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया -

ग्राम पाज़िटिव बैक्टीरिया में एक प्रकार के पालीमर  पेप्टिडोग्लाइकन की मोटी परत पाई जाती हैं जबकि ग्राम नेगेटिव प्रकार के बैक्टीरिया में पेप्टिडोग्लाइकन की पतली परत पाई जाती हैं ।


कान्वलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी




• कोरोना वैक्सीन वे सभी जानकारी जो आपको जानना चाहिए




• हेपेटाइटिस सी

• कोरोनावायरस टीकाकरण लेटेस्ट न्यूज

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x