भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का चरम निकल चुका है और एम्स के निदेशक डाक्टर रणदीप गुलेरिया 6 से 8 हफ्तों में कोरोना की तीसरी लहर के आनें का अंदेशा जता चुके हैं। इस बीच वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के डेल्टा वेरिएंट में म्यूटेशन कर बने ने डेल्टा प्लस वेरिएंट ने लोगों को संक्रमित करना शुरू कर दिया है और डाक्टर रणदीप गुलेरिया की बात पर मुहर भी लगना शुरू हो गई है
तो क्या भारत में तीसरी लहर के पीछे डेल्टा प्लस वेरिएंट जिम्मेदार होगा आईए जानते हैं डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारें में विस्तार से
डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है ?
विशेषज्ञों के अनुसार डेल्टा वेरिएंट जिसे बी.1.617.2 भी कहा जाता है ,इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में वायरस ने अपनी म्यूटेट होने की पद्धति से म्यूटेशन कर लिया है,जिसकी वजह से यह बहुत तेजी से संक्रमित करता है।
चिकित्सकों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट जहां फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित करने में आठ दिन लगाता है वहीं डेल्टा प्लस वेरिएंट मात्र दो दिन में ही फेफड़ों को संक्रमित कर देता है।
डाक्टर एंथोनी फाउसी जो कि अमेरिकी राष्ट्रपति के चिकित्सा सलाहकार हैं का कहना है कि
"डेल्टा प्लस वेरिएंट बहुत अधिक संक्रामक हैं। यह 15 दिनों के अंदर अपनी संक्रमण दर को दुगनी कर लेता है।"
डेल्टा प्लस वेरिएंट के संबंध भारतीय जीनोमिक्स कंसोर्टियम ( INSACOG)
भारतीय जीनोमिक्स कंसोर्टियम के अनुसार डेल्टा प्लस वेरिएंट पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का असर बहुत कम देखने को मिल रहा है।और यह फेफड़ों की कोशिकाओं के रिसेप्टर से बहुत तेजी से चिपकता हैं।
डेल्टा प्लस वेरिएंट पर वैक्सीन कितनी प्रभावशाली है
भारतीय जीनोमिक्स कंसोर्टियम के अनुसार अभी डेल्टा प्लस वेरिएंट पर वैक्सीन कितनी प्रभावशाली है इसको लेकर अध्ययन किया जाना है, किंतु यदि अब तक के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो डेल्टा प्लस वेरिएंट से उज्जैन निवासी जिस महिला की मौत हुई थी, उसने वैक्सीन नहीं लगवाया था, जबकि महिला की मौत से कुछ दिन पहले उसके पति को भी कोरोना संक्रमण हुआ था और वह संक्रमण से उबर गए उनके पति वैक्सीनेशन करवा चुके थे,इस आधार पर हम कह सकते हैं कि महिला को संक्रमण उसके पति से ही मिला होगा ।
यदि इस केस के सन्दर्भ में बात करें तो वैक्सीन लगाने के बाद पति के फेफड़ों को कोरोना इतना संक्रमित नहीं कर पाया जितना कि महिला के फेफड़ों को संक्रमित किया। जिला चिकित्सालय उज्जैन के कोरोना रोधी प्रभारी टीम के विशेषज्ञों के मुताबिक जिस महिला की कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट से मौत हुई थी उनके 95 प्रतिशत फेफड़े संक्रमित हो गए थें।
उज्जैन जिले की एक अन्य महिला जो कोरोनावायरस के ने वेरिएंट डेल्टा प्लस से संक्रमित हुई थी और अब स्वस्थ हो चुकी है उन्हें भी वैक्सीन का पहला टीका लग चुका था और वायरस उनके फेफड़ों को बहुत कम संक्रमित कर पाया।
इस आधार पर हम कह सकते हैं कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन बहुत प्रभावी हथियार साबित होंगा ।
क्या डेल्टा प्लस वेरिएंट का असर बच्चों पर भी होता है?
विशेषज्ञों के अनुसार भारत में तीसरी लहर का कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट हो सकता है लेकिन इस वेरिएंट से बच्चे बहुत गंभीर रूप से संक्रमित होंगे ऐसा कहना सही नहीं होगा क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने में पूरी तरह सक्षम है और यदि बच्चे संक्रमित भी हुए तो सामान्य सर्दी खांसी और बुखार होकर बच्चे ठीक हो जाएंगे।
बच्चों के गंभीर रूप से संक्रमित नहीं होने के पिछे एक वैज्ञानिक आधार यह भी है कि बच्चों के फेफड़ों की कोशिकाओं में मौजूद रिसेप्टर पर्याप्त विकसित नहीं हो पाता है जिससे वायरस फेफड़ों में प्रवेश नहीं कर पाता और बच्चे तेजी से बीमार होकर ठीक हो जातें हैं।
डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचने के क्या उपाय है?
वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचने का उपाय वैक्सीनेशन, पर्याप्त मात्रा में सोशल डिस्टेंसिंग,मास्क का प्रयोग और हाथों को बार बार साबुन या सेनेटाइजर से साफ करना है।
इसके अलावा संक्रमित होने पर तुरंत जांच और चिकित्सक से परामर्श अवश्य करते रहें।
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