What is Diastolic dysfunction in hindi
"Diastolic dysfunction in hindi" को समझने से पहले हमें हमारे ह्रदय की कार्यप्रणाली को समझना होगा.
जब हमारा ह्रदय धडकता हैं तो ह्रदय के दो ऊपरी कक्ष जिन्हें आट्रिया कहते हैं वह सिकुडते है और खून को धक्का देकर ह्रदय के निचले कक्षों या [Left ventricle] तक पंहुचाते हैं.
Left ventricle में खून भरने की इस प्रक्रिया को Diastolic कहते हैं.[1]
इसके बाद Left ventricle या ह्रदय के दो निचले कक्ष सिकुडते है और खून को धक्का देकर फेफड़ों में और सबसे बड़ी धमनी में भेजते हैं इस संकुचन को Systole कहते हैं.
Diastolic dysfunction एक ह्रदय से संबंधित बीमारी हैं जिसमें left ventricle की मांसपेशियां कड़क हो जाती हैं और सही तरीके से संकुचित नहीं हो पाती जिसके कारण खून सही तरीके से left ventricle में नहीं भर पाता है और इस कारण ह्रदय पर अधिक दबाव पड़ता हैं.
Diastolic dysfunction grade
Diastolic dysfunction grade 1
Diastolic dysfunction grade 1 रोग की गंभीरता के आधार पर बात की जाए तो diastolic dysfunction grade 1 साधारण प्रकार का diastolic dysfunction हैं. जो आमतौर पर 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में आमतौर पर पाया जाता हैं.
Diastolic dysfunction grade 1 तब गंभीर नहीं माना जाता हैं जब तक कि यह विकसित होकर diastolic dysfunction grade 2 तक नहीं पंहुच जाता हैं.
Diastolic dysfunction grade 2
Diastolic dysfunction grade 2 मध्यम स्तर का dysfunction होता हैं.जब left Atrium में खून पर दबाव diastolic dysfunction grade 1 के मुकाबले अधिक होता हैं.
Diastolic dysfunction grade 2 में ह्रदय का आकार बदलने लगता हैं. Atria बढ़ी और सख्त होने लगती हैं और left ventricle की कार्यप्रणाली कमजोर होने लगती हैं.
Diastolic dysfunction grade 3
Diastolic dysfunction grade 3 में ह्रदय पर अधिक दबाव पड़ता हैं और धीरे धीरे left atrium पर दबाव बढने से ह्रदय का आकार भी बदलते लगता हैं और आखिर में heart failure की वजह बन जाता हैं.
Diastolic dysfunction grade 4
Diastolic dysfunction grade 4 बहुत ही उग्र प्रकार का होता हैं जिसमें तीनों ग्रेड के लक्षण मौजूद होते हैं.Diastolic dysfunction grade 4 में medicine उतनी कारगर नहीं होती हैं. इस अवस्था में ह्रदय पृत्यारोपण या ventricle device ही विकल्प बचता है.
Diastolic dysfunction symptoms in hindi
आमतौर पर diastolic dysfunction grade 1 में कोई लक्षण प्रकट नहीं होते हैं लेकिन जैसे जैसे ग्रेड 2,3,4 की और जाता हैं निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं.
• चक्कर आना
• कमजोरी
• बांहों और पंजो पर सूजन आना
• ह्रदय का जोरो से धडकना
• भूख कम लगना
• खांसी होना
• अस्थमा
• गले की रक्त शिराओं का फूलना
• सीधे लेटने पर सांस लेने में तकलीफ
• रात नींद से जाग जाना और सांस लेने में परेशानी होना
Diastolic dysfunction का पता लगाने वाली जांच
• Echocardiography : ultrasound के माध्यम से ह्रदय के आकार का पता लगाया जाता हैं.echocardiography diastolic dysfunction का पता लगाने वाली सबसे प्रभावी और आम जांच तकनीक है.
• cardiac magnetic resonance imaging CMRI: जब diastolic dysfunction grade 1 से ऊपर का हो तो विशेषज्ञ इस जांच को करवाते हैं.CMRI में मेग्नेटिक तरंगों और आवाज तरंगों के माध्यम से ह्रदय के मुलायम उतकों तक की सरंचना, ह्रदय का आकर और ह्रदय की दीवारों की कठोरता का पता लगाया जाता हैं.CMRI CT-SCAN के मुकाबले बेहतर नतीजे प्रदान करती हैं.
• NT-Pro-BNP Blood testing : इसके माध्यम से उन हार्मोन का पता लगाया जाता हैं जो ह्रदय की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं.
• Cardio Pulmonary exercise testing: इस टेस्ट के माध्यम से ह्रदय और फेफड़ों में आक्सीजन का प्रवाह और खून के प्रवाह की जांच की जाती हैं.
• Nuclear testing : Nuclear test के द्वारा ह्रदय में खून के प्रवाह की जांच की जाती हैं कि खून ह्रदय में सही तरीके से और सही मात्रा में पंहुच रहा है या नहीं.
Diastolic dysfunction के कारण
1.आयु
वृद्धावस्था Diastolic dysfunction का सबसे प्रमुख कारण है. 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में diastolic dysfunction धीरे धीरे विकसित होने लगता है और यदि इसके साथ निम्नलिखित शारीरिक समस्या हो तो diastolic dysfunction गंभीर रूप ले लेता है.
2.उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप यदि लम्बें समय तक बना रहे और इसे नियंत्रित नहीं किया जाए तो diastolic dysfunction हो जाता हैं.
3. Coronary artery disease
जब ह्रदय वाल्व और artery में वसा और केल्सियम जमा हो जाता हैं तो ह्रदय पर दबाव पड़ता है फलस्वरूप diastolic dysfunction develop हो जाता हैं.
4. उच्च कोलेस्ट्रॉल
जब खून में LDL कोलेस्ट्रॉल अधिक हो जाता हैं तो यह ह्रदय की धमनियों को अवरुद्ध कर देता है फलस्वरूप ह्रदय पर अधिक दबाव पड़ता हैं और diastolic dysfunction विकसित हो जाता हैं.
5. मधुमेह
मधुमेह विशेषकर Type 2 diabetes के कारण ह्रदय के ऊतक क्षतिग्रस्त होने लगते हैं और diastolic dysfunction का कारण बनते हैं.
6. किडनी संबंधित बीमारी
यदि क्रिएटिनीन का लेवल खून में अधिक होता हैं तो खून में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बिगड़ जाता हैं और ह्रदय के विधुत संकेत गड़बडा जाते हैं और ह्रदय की मांसपेशियां कठोर होकर diastolic dysfunction विकसित होने लगता है.
7. मोटापा
जिन लोगों का बाडी मास इंडेक्स 30 से अधिक होता हैं उन्हें diastolic dysfunction का जोखिम अधिक होता हैं.
8. स्लीप एप्निया
जो लोग सोते समय अचानक सांस रुक जाने की वजह से उठ जाते हैं ऐसे लोगों में भी बीमारी का जोखिम अधिक होता हैं.
9. धूम्रपान और तम्बाकू सेवन
जो लोग धूम्रपान करते हैं उन लोगो के ह्रदय की मांसपेशियां कडक और ह्रदय की धमनियों में वसा जमा हो जाता हैं. इसी प्रकार निकोटीन से खून की नलियाँ क्षतिग्रस्त होने लगती हैं और ह्रदय में आक्सीजन का स्तर कम हो जाता हैं . ह्रदय में आक्सीजन का स्तर कम होने से ह्रदय को अधिक काम करना पड़ता हैं जिससे धीरे धीरे ह्रदय diastolic dysfunction की ओर बड़ जाता हैं.
10. आरामदायक जीवन शैली
आरामदायक जीवन शैली से ह्रदय की मांसपेशियां कठोर होने लगती हैं और diastolic dysfunction विकसित होने लगता है.
How to prevent Diastolic dysfunction in hindi
जो लोग diastolic dysfunction grade 1 से पीड़ित है और जो diastolic dysfunction के उपरोक्त कारणों में से कोई एक से ग्रसित है वह अपनी दिनचर्या में बदलाव कर और निम्नलिखित सावधानी रखकर diastolic dysfunction को विकसित होने से रोक सकते हैं.
• धूम्रपान और तम्बाकू छोड़ दें
• उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखें
• तनाव नहीं पाले
• पर्याप्त नींद लें
• वजन नियंत्रण में रखे शरीर का बाडी मास इंडेक्स 25 से कम होना चाहिए
• रोज एक घंटा व्यायाम और योग करें
• मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जी खाएं
• पानी पर्याप्त मात्रा में पीएं
• नमक की मात्रा कम करें
Diastolic dysfunction treatment
Diastolic dysfunction के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्धति में निम्नलिखित दवाएं दी जाती हैं.
• Beta - blocker जो कि ह्रदय की धड़कन को नियमित करती हैं और रक्तचाप को सामान्य बनाती हैं.National Center for Biotechnology के अनुसार उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने से Diastolic heart failure का खतरा 50% तक कम किया जा सकता हैं.
• Diuretic ये दवाएं मूत्र के माध्यम से अतिरिक्त पानी बाहर निकाल देती है और शरीर से सूजन कम करती हैं.
• Angiotenism receptor blocker ये दवाएं ह्रदय की शिराओं और धमनियों पर से दबाव कम करती हैं जिससे ह्रदय आसानी से बिना दबाव के काम कर सकें. और रक्तचाप नियंत्रित रहे.
Diastolic dysfunction का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में diastolic dysfunction के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता हैं.
• अर्जुन छाल चूर्ण - अर्जुन छाल चूर्ण ह्रदय के ऊतकों को और ह्रदय की रक्त शिराओं को कठोर होने से रोकता है और उच्च रक्तचाप कम करता हैं.
• प्रभाकर वटी - प्रभाकर वटी ह्रदय को बल प्रदान करती हैं और diastolic dysfunction के कारण पैदा होने वाली कमजोरी को दूर करती हैं.
• गोखरू चूर्ण - गोखरू चूर्ण मूत्रल होता है और diastolic dysfunction के कारण ह्रदय और शरीर की सूजन को कम करता हैं.
• सर्पगंधा- सर्पगंधा मस्तिष्क को शांत रखती है, तनाव कम करती हैं और रक्तचाप नियंत्रित रखती हैं.
Diastolic dysfunction treatment in homeopathy
Diastolic dysfunction के लिए निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाएं उपयोग की जाती हैं.
• Crataegus
• Lachesis
• Mattum muriaticum
• Veratrum album
• Aurum metallicum
• Glonoine
• Phosphorus
• Digitalis purpura
Yoga for Diastolic dysfunction
• अनुलोम विलोम
• भ्रामरी
• Meditation
• Yoga Nidra
Reference
1.https://www-news--medical-net.cdn.ampproject.org/v/s/www.news-medical.net/amp/health/What-is-Diastolic-Dysfunction.aspx?amp_gsa=1&_js_v=a9&usqp=mq331AQKKAFQArABIIACAw%3D%3D#amp_tf=From%20%251%24s&aoh=16774724678481&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&share=https%3A%2F%2Fwww.news-medical.net%2Fhealth%2FWhat-is-Diastolic-Dysfunction.aspx
2.https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/23434-diastolic-dysfunction
Medically reviewed by::
√.Dr. Niraj Nagar
M. B. B. S. M. D.
√.Dr. P. K. Vyas
Ayurvedachary
√.Smt. R. Malviya
M. A. [Yoga]
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