यदि आप बाजार में हो,कहि सफ़र में हो या घर पर हो और अचानक कोई घटना घट जाए जिसमें कोई व्यक्ति अचानक गिर जाये, उसे करंट लग जाये या पानी में डूब जाये और उसकी सांस थम जाये तब आप क्या करेंगे ? यह सवाल मैंने लगभग 3000 लोगों से पूछा किंतु लगभग सभी ने कहा की हम व्यक्ति को आपातकालीन चिकित्सा के लिये एम्बुलेंस बुलाकर अस्पताल ले जाएंगे।
3.इसके पश्चात तुरंत छाती के बीचों बीच जहां हृदय स्थित होता हैं वहां दोनों हथेलियों को आपस मे बांधकर छाती को डेढ़ इंच या 5 सेंटीमीटर तक दबाते हैं।
सी.पी.आर. देते रहने से मरीज का ह्रदय मस्तिष्क को खून की आपूर्ति करता रहता हैं, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलता रहता हैं, और मस्तिष्क मृत होने से बचा रहता हैं।
याद रहे भारतीय संस्कृति में " प्राण बचाने वाला " ईश्वर तुल्य माना गया हैं। अतः जीवनदान देने में हिचकिचाहट या संकोच ना करें ।
मैंने फिर पूछा भारत जैसे देश में जहां दूर दूर तक कोई आपातकालीन चिकित्सा आसानी से उपलब्ध नहीं हैं या फिर जब तक आपातकालीन चिकित्सा उपलब्ध नहीं हो जाती आप क्या करोगे ? आप को जानकर आश्चर्य होगा कि इन 3000 लोगों में से मात्र 340 लोगों ने ही आपातकालीन चिकित्सा में CPR की बात की,परन्तु कोई भी सी,पी, आर, का सही तरीका नहीं बता पाया।
क्या आप जानते हैं आपातकालीन स्थिति में प्रथम 10 मिनिट में C.P.R.शुरू कर देने से व्यक्ति के बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती हैं।
आइये जानते हैं आपातकालीन चिकित्सा की इस "संजीवनी विद्या" को
C.P.R.या CHEST COMPRESSION PULMONARY RESUSCITATION क्या हैं ? ::::
चेस्ट कम्प्रेशन पल्मोनरी रेसेसशन एक आधुनिक तकनीक हैं, जिसके माध्यम से sudden cardiac arrest,heart attack,डूबने, या करंट लगने पर व्यक्ति की गायब हुई साँसों को पुनः स्थापित किया जाता हैं ।
सी.पी.आर. करने की विधि ::
1.सबसे पहले मरीज को सीधा पीठ के बल लिटा दे ।
2.उसके सिर को सीधा रखें ।
3.सी.पी.आर. शुरू करने से पहले छाती के बीचों बीच जहां हृदय स्थित होता हैं, वहां एक से डेढ़ फीट की दूरी से दो कसकर मुक्के मारे ,मुक्के मारने की यह विधि " मेडिकल थंब वर्शन" कही जाती हैं ।जिसके द्वारा हॄदय को सामान्य कार्य करने हेतू पुनः सक्रिय किया जाता हैं ।
CPR Technique |
4.छाती को इस तरह दबाने की क्रिया एक मिनिट में कम से कम 100 से 120 बार हो जानी चाहिए ।
5.यदि रोगी अनजान हैं,और उसे कृत्रिम सांस देने में हिचकिचाहट हैं तो बिना रुके लगातार सी.पी. आर. देते रहें।
6.यदि रोगी को कृत्रिम सांस देने में हिचकिचाहट नहीं हैं तो भी उसके मुँह पर तोलिया रख कर अपने मुंह से उसके मुंह में सांस भरे इस दौरान उसकी नाक बंद कर दे,कृत्रिम सांस प्रत्येक 30 सी.पी.आर .के बाद दे।
7.सी.पी.आर. देने के दौरान जरा भी नहीं रुके, तब तक, जब तक की मरीज़ को आपातकालीन चिकित्सा सुविधा नही मिल जाये ।
# याद रखें :::
1.सी.पी.आर.देने के बाद यदि मरीज की धड़कन और सांस लोट आती हैं, तो सी.पी.आर. बन्द कर दे।
2.सी.पी.आर. बच्चों, बुजुर्गों समेत सभी को दिया जा सकता हैं।
3.सी.पी.आर.देने के लिये किसी विशेष शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती हैं।कोई भी व्यक्ति आवश्यकता के समय तुरंत ही सी.पी.आर. दे सकता हैं।
4.सी.पी.आर. देने में हुई 1 मिनिट की देरी मरीज की जान बचाने की 10% सम्भावना कम कर देती हैं, उदाहरण के लिए यदि सांस रुकने के बाद सी.पी. आर. देने में की गई 5 मिनिट की देरी मरीज के बचने की 50% सम्भावना कम कर देती हैं ।
5.हर व्यक्ति जो सी.पी.आर. देना जनता हैं, उसे कम से कम 100 व्यक्तियो को सी.पी.आर. के बारे में जानकारी देना चाहिए ।
6.भारत जैसे देश में जहाँ उच्च स्तरीय आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की गाँवो के आसपास अत्यंत कमी है, सी.पी.आर. आपातकालीन चिकित्सा मिलने तक जान बचाने का बहुत प्रभावी और कारगर तरीका हैं ।
सी.पी.आर. देते रहने से मरीज का ह्रदय मस्तिष्क को खून की आपूर्ति करता रहता हैं, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलता रहता हैं, और मस्तिष्क मृत होने से बचा रहता हैं।
याद रहे भारतीय संस्कृति में " प्राण बचाने वाला " ईश्वर तुल्य माना गया हैं। अतः जीवनदान देने में हिचकिचाहट या संकोच ना करें ।
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