Corona fourth wave :: उत्तानपादासन से श्वसन तंत्र बनता है बेहतर
कोरोना संक्रमण की वजह से श्वसन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ हो जाने के बाद भी कई लोगों में लंबे समय तक श्वास संबंधित परेशानी रहती है।
कई बार लोगों में सांस फूलने, श्वास लेने में परेशानी होने आदि की समस्या हो जाती है। दमा होने पर यह समस्या और भी बढ़ जाती है। योग विशेषज्ञों ने योग व दमा विषय पर जानकारियां दी। जीवन को बेहतर ढंग से जीना है तो शरीर और मस्तिष्क का स्वस्थ रहना जरूरी है। स्वस्थ रहने के लिए मस्तिष्क का अनुशासित रहना जरूरी है और इसके लिए अष्टांग योग का बड़ा महत्व है। इससे शरीर और मन के बीच संतुलन भी आता है।
• गौमुखासन के फायदे
कोरोना संक्रमण के बाद श्वसन तंत्र की देखभाल करना जरूरी
उत्तानपादासन से श्वसन तंत्र बनता है बेहतर
स्वस्थ शरीर और अनुशासित मस्तिष्क के लिए शुद्ध व सही ढंग से ली गई श्वास आवश्यक है।
सर्दी-जुकाम, कफ, अस्थमा आदि के रोगियों को सर्वांगीण योगाभ्यास करना चाहिए। उत्तानपादासन कर श्वसन तंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है।
इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को जमीन से अधिकतम एक हाथ की दूरी तक उठाएं।
इसी स्थिति में 10 श्वास तक ठहरें और पुनः यथास्थिति में आ जाएं। इसी क्रिया को दो से तीन बार दोहराएं। यह पेट, फेफड़े के निचले हिस्से की मांसपेशियों के लिए बेहतर है।
उत्तानपादासन पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करने व फेफड़ों को मजबूत बनाने में उपयोगी है। इससे श्वास रोग नियंत्रण में रहते हैं। जिन्हें अल्सर हर्निया या उदर संबंधित समस्या है वे चिकित्सकीय परामर्श से करें।
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