Macular Degeneration :50 की उम्र के बाद रहें सावधान
हमारी आंखों के बीच के हिस्से को चिकित्सा विज्ञानी मेक्यूला कहते हैं।
मेक्यूला का काम है आंखों के सेंट्रल विजन को फोकस करना। यह हमारी देखने, ड्राइव करने, चेहरा, रंग या ऑब्जेक्ट को पहचानने की क्षमता नियंत्रित करता है। हमारे नेत्रों की आंतरिक परत इमेज रिकॉर्ड करती है।
इसके बाद ऑप्टिक नर्व यह इमेज नेत्र से ब्रेन तक पहुंचती है और हम ऑब्जेक्ट देखते और पहचानते हैं। मेक्यूला चावल के दाने की साइज यानी करीब 4 सेंटीमीटर का होता है। उम्र बढ़ने के साथ मेक्यूला क्षतिग्रस्त होता है।
इसकी क्षमता घटने या क्षतिग्रस्त होने से सबसे पहले धुंधलापन आता है। धीरे-धीरे मेक्यूला का फोटो रिसेप्टर्स मर जाता है और सेंट्रल विजन खत्म होने लगता है।
यही कारण है कि एडवांस मेक्यूलर डिजनरेशन वाले लोग ड्राइव नहीं कर पाते, पढ़ नहीं पाते, उन्हें चेहरे नहीं दिखते। उनके लिए अपने नजदीकी लोगों को भी पहचानना मुश्किल हो जाता है। यह सही है कि मेक्यूला रोगी पूरी तरह अंधे नहीं होते पर असहाय, दुर्बल व अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
मेक्यूलर डिजनरेशन कितनें प्रकार के होते हैं
ड्राय और वेट । ड्राय मेक्यूलर डिजनरेशन धीरे-धीरे बढ़ता है। इस रोग के कारण सेंट्रल विजन खोने में महीनों या साल लग जाते हैं, पर इसका कोई उपचार नहीं है। ऐसे लोगों को पहले टीवी देखने या ड्राइव करने में मुश्किल आती है, फिर चेहरा पहचानना भी बंद हो जाता है।
ड्राय के बजाए वेट मेक्यूलर डिजनरेशन ज्यादा तेज व आक्रामक है। ऐसे लोगों का उपचार ना हो तो ये दो-तीन माह में ही वे दृष्टि खो देते हैं। वेट मेक्यूलर रोग के लिए आज कई दवाइयां उपलब्ध हैं।
जीन्स के कारण भी यह रोग होता है। ऐसे 15 जीन्स चिकित्सा विज्ञान ने खोज लिए हैं, जिनके कारण इस रोग का खतरा बढ़ता है। परेशानी यह है कि ना तो हम अपनी उम्र का बढ़ना रोक सकते हैं और ना ही अपने जीन्स बदल सकते हैं। बस जीवनशैली में बदलाव लाकर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
स्मोकिंग से बढ़ता है मर्ज
स्मोकिंग मेक्यूलर डिजनरेशन का प्रमुख कारण है इसे लेकर जागरूकता अभी भी कम है। इस बाबत कई शोधों का निष्कर्ष है
कि जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनके लिए मेक्यूलर रोग का खतरा 4 गुना बढ़ जाता है।
इसके साथ जिनके शिकार हो सकते हैं।
जेनेटिक इस रोग को बढ़ाने वाले हैं, वे यदि धूम्रपान भी करें तो इस रोग का खतरा 20 गुना बढ़ जाता है। स्मोकिंग आंखों के लिए बड़ा खतरा है।
जिनकी डाइट ठीक नहीं है या कम खाते हैं, वे भी मेक्यूलर रोग का शिकार हो सकते हैं।
50 पार जांच करवाते रहें
पचास साल की उम्र के बाद हर एक-दो साल में आंखों की जांच करवाएं और नेत्र चिकित्सक से पूछें कि मेक्यूला तो क्षतिग्रस्त नहीं हो रहा है। अपने खानपान को संतुलित रखें।
धूम्रपान पर लगाएं लगाम
उम्र बढ़ने के साथ जैसे शरीर के अन्य अंग कमजोर होते हैं, वैसे ही मेक्यूला की क्षमता घटती है। इसका कोई पेथालॉजिकल कारण ना होने से पैथोलॉजी जांच पड़ताल से इस रोग का पता नहीं चलता है।
इसका खतरा घटाना है तो ज्यादा स्मोकिंग ना करें, ज्यादा शराब
का सेवन ना करें। एंटी ऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करें और आंखों की एक्सरसाइज करें।
यह भी पढ़ें 👇
टिप्पणियाँ