Crying is also beneficial for good health। अच्छी सेहत के लिए रोना भी है फायदेमंद होता हैं
जिस प्रकार हंसना सेहत के लिए फायदेमंद है उसी तरह रोना भी कम फायदेमंद नहीं। हाल ही येल • यूनिवर्सिटी द्वारा किए एक शोध में पाया गया कि रोना सेहत के लिए लाभदायक होता है।
शोध के अनुसार अगर कष्टप्रद स्थिति में भी आंख से आंसू नहीं आते हैं तो तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए क्योंकि यह एक असामान्य स्थिति है।
यह भी ध्यान रखें कि रोना कमजोरी की निशानी नहीं है बल्कि स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों से बचने का उपाय है। अध्ययन में पाया गया है कि रोने के बाद त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ जाती है और रोने वाले की सांसें गुहरी चलने लगती है। यह दोनों बातें सेहत की दृष्टि से अच्छी मानी जाती है।
क्यों आते हैं आंसू
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार हमारी आईबाल (नेत्र गोलक) और पलकों के बीच लेक्रिमल ग्लेंड (अश्रु ग्रन्थि) हैं, जहां से आंसू निकलते हैं।
जब हम पलकें झपकाते हैं तो फ्ल्यूड हमारी आंखों पर फैल जाता है और फिर अश्रु ग्रंथि से निकलने लगता है। जब आंसू ओवरफ्लो होते हैं तो गालों से लुढ़कने लगते हैं और नाक भी बहने लगती है।
आंखों के लुब्रिकेंट
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार आंसू तीन तरह के होते हैं। एक बहुत कम मात्रा (24 घंटे में लगभग एक ग्राम) में निकलते हैं और हमें पता भी नहीं चलता, ये हिडन आंसू हमारी आंखों के लिए लुब्रिकेशन और संरक्षण का काम करते हैं।
आंसूओं की दूसरी किस्म है आंखों में धूल या धुआं लगने या प्याज काटने पर निकलने वाले आंसू।
ये जलन के विरुद्ध आंखों की सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है, जिसका भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं होता। चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि हम असल में तब रोते हैं, जब सुखी या दुखी होते हैं या तनाव में होते हैं।
तनाव करते हैं हल्का
हमारे ब्रेन में भावनाओं को नियंत्रित करने वाले सिस्टम को लिम्बिक कहते हैं। यह वायर के मजबूत नेटवर्क से ऑटोनोमिक नर्स प्रणाली से जुड़ा हुआ है। भावनाओं की तरह इस पर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं है।
भावनाएं हमारे टोनोमिक नर्स सिस्टम को और यह सिस्टम हमारी अश्रु ग्रंथि को संदेश भेजता है और आंसू निकलने लगते हैं। कभी-कभार रोने से शरीर में लिसोजाइम लिक्विड स्त्रावित होता है जो शरीर से बैक्टीरिया दूर करता है। रोने को कुछ कमजोरी बताते हैं पर सही मायनों में यह तनाव घटाता है, दिल हल्का करता है।
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