सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वेश्यावृत्ति [Prostitution] के बारे में वो सबकुछ जो आपको जानना ही चाहियें

पैसा लेकर सेक्स
 वैश्यावृत्ति
संसार के प्रत्येक देशों में योनिक स्वच्छंदता सदियों से चली आ रही हैं,फर्क बस इतना हैं,कि पश्चिमी समाज इसे सामाजिक रूप से ठीक मानता हैं,
जबकि पूर्वी समाज ठीक इसके उलट मानता हैं,योनिक स्वच्छंदता का यही पूर्वी संस्करण वेश्यावृत्ति (prostitution) कहलाता हैं.
वेश्यावृत्ति vesyavruti का समर्थन करतें हुये यूरोप के पादरी इक्वीनास ने कहा था कि " वेश्यावृत्ति घर में स्थित गटर की नाली के समान हैं,यदि इसे बंद कर दिया तो पूरा घर गन्दगी से भर उठेगा " अर्थात समाज से व्यभिचार मिटाने के लिये वेश्यावृत्ति आवश्यक हैं.

एक अन्य व्यक्ति सेंट आगस्टाइन ने भी वेश्यावृत्ति के बारें में इसी प्रकार की राय देते हुये कहा था,कि "समाज से यदि वेश्यावृत्ति को निकाल दिया जायें तो सम्पूर्ण समाज वासना से पथभ्रष्ट बन जायेगा 
 

दूसरी और पूर्वी समाज विशेषकर भारत में देखे तो वेश्यावृत्ति को अलग - अलग नजरीये से.देखा गया हैं,धर्म की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पित करनें वाली स्त्री को कही देवदासी कहा गया,कही अप्सराएँ तो कही रूपजीवाँए .

जबकि आर्थिक आधार पर अपना शरीर बेचने वाली या वालें को विशुद्ध वेश्या का ठप्पा लगाकर समाज में सबसे घृणित बना दिया गया.और इन्हें तरह तरह से प्रतिबंधित किया गया.

महात्मा गांधी ने वेश्यावृत्ति को आर्थिक लाभ प्राप्त करनें तथा समाज में बुराई फेलानें के दृष्टिकोण से सबसे घिनोना कृत्य कहा .

उनके दृष्टिकोण को सम्मान देते हुये भारत सरकार ने इस समस्या से निपटने हेतू " स्त्रियों तथा कन्याओं का अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 " बनाया जो वेश्यावृत्ति को अनेतिक घोषित करता हैं.किन्त इन सब के बावजूद वेश्यावृत्ति लगातार बनी हुई हैं,इसके कई कारण हैं ::

 वेश्यावृत्ति के कारण 


 वैवाहिक जीवन में असफलता :::


कभी - कभी स्त्री या पुरूष का वैवाहिक जीवन इतना कष्टपूर्ण हो जाता हैं,कि दोनों मे से कोई एक प्रताड़ना से तंग आ जाता हैं,यह प्रताड़ना कई कारणों से होती हैं,जैसें शराब का सेवन ,जुए की लत,नपुसंकता, impotency मारपीट,बेमेल विवाह आदि.इनके फलस्वरूप दोनों शारीरिक सुख में चरम आनंद नही ढूंढ पाते फलस्वरूप पैसों से या बिना पैसों के अपनी हवस मिटानें हेतू अन्य लोगों से शारीरिक सम्पर्क स्थापित करतें हैं.



 भोगी जीवनशैली modern lifestyle :::



कई मध्यमवर्गीय परिवारों,गरीब परिवारों के स्त्री पुरूष  अपनी जीवनशैली को समाज के उच्च वर्गों के अनूकूल बनानें का प्रयास करतें हैं,इसी प्रयास में जब वे मेहनत से विलासिता का सामान नही जुटा पाते हैं,तो अपना शरीर बेचकर विलासिता का सामान बटोरनें का प्रयास करतें है.


# वंशानुगत इतिहास :::



कई परिवारों में वेश्यावृत्ति का वंशानुगत इतिहास पाया जाता हैं,जिसमें पारिवारिक सदस्य महिला को इस धंधें में लेकर आतें हैं,और वेश्यावृत्ति में प्रवेश करते समय उसे उत्सव के रूप में मनातें हैं.ऐसी अनेक जातियाँ मध्य,उत्तर,पश्चिमी भारत में पाई जाती हैं.

+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

● यह भी पढ़े 👇👇

● संस्कार के बारे में जाने

+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

वेश्यावृत्ति करवाने वाली परिस्थितियाँ :::



कभी कभी परिस्थितियाँ भी स्त्री पुरूष को वेश्यावृत्ति के लिये मज़बूर करती हैं.अपहरण कर बालिका को वेश्या बना दिया जाता हैं.

प्राचीन भारत में स्त्रीयों को देवदासी बनाकर मंदिरों में दान कर दिया जाता था और ऐसा करना पुण्य का काम समझा जाता था, इस धार्मिकता के पिछे स्त्री के शरीर का अत्यधिक शोषण किया जाता था.यह शोषण किसी एक व्यक्ति द्धारा न होकर सामूहिक रूप से किया जाता था.

बेरोजगारी एक अन्य परिस्थिति हैं,जो व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के लिये मज़बूर करती हैं.

# मानसिक या जैविकीय कारण :::



ऐसा माना जाता हैं,कि वेश्यावृत्ति के पेशे में समाज के निम्न या मध्यम तबके के स्त्री पुरूष होतें हैं,किन्तु पिछलें समय के तमाम अध्ययनों से यह बात स्पष्ट होती हैं,कि इस पेशे में बहुत उच्च तबके के लोग भी सम्मिलित होते हैं,इसके पिछे आर्थिक कारक के बजाय जैवकीय या मानसिक कारक जिम्मेदार होतें हैं,जैसे नये की चाहत,जैविक संरचना आदि.



# वेश्यावृत्ति का आधुनिकीकरण :::



समय के साथ वेश्यावृत्ति ने आधुनिक रूप ग्रहण कर लिया हैं,अब यह व्यापार सोशल साईटों,जैसें फेसबुक,वाट्सअप,पर संचालित होता हैं,जहाँ से ग्राहकों की मांग अनुसार लड़कें लड़कियों की सप्लाई की जाती हैं,जिन्हें कालगर्ल या कालबाय कहा जाता हैं.वेश्यावृत्ति के इस रूप में रहनें वाले स्त्री पुरूष समाज में सभ्य लोगों के बीच रहकर अपना धंधा चलातें हैं.

वेश्यावृत्ति का एक अन्य रूप मसाज पार्लर ,स्पा,ब्यूटी सेलून की आड़ में पनप रहा हैं,यह भी समाज की नज़रो से बचकर जल्दी पैसा कमानें का आधुनिक तरीका हैं.

polycystic ovarian syndrome me bare me janiye


भारत में वेश्यावृत्ति कानून और वेश्यावृत्ति समाप्ति के लिए सरकारी प्रयास :::



भारत ने वेश्यावृत्ति को एक समस्या मानकर इसका समाधान करनें का प्रयास स्वतंत्रता के पश्चात ही कर दिया था,इसी क्रम में अनेतिक व्यापार निरोधक अधिनियम 1956 पारित किया गया किन्तु उक्त अधिनियम भी वेश्यावृत्ति को रोकनें में पूर्ण सफल नही हो पाया हैं.इसके कुछ प्रावधान निम्न हैं.

1.अनेतिक व्यापार निरोधक अधिनियम अधिनियम 1956 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो वेश्यावृत्ति में संलग्न हैं,उसे 1 से 3 वर्ष की सजा और 2000 रूपये का अर्थदंड़ देकर दंड़ित किया जायेगा.

2.वेश्यावृत्ति करानें वालें व्यक्ति को भी दंड़ का भागी बनाकर उसे भी दो वर्ष का कारावास और आर्थिक दंड़ से दंड़ित करनें का प्रावधान हैं.
यदि वेश्यावृत्ति के दुष्प्रभाव से हम जनता को जागरूक करें तो समस्या को जड़ से मिट़ाया जा सकता हैं,इसके लिये यह आवश्यक हैं,कि

1.समाज में  जनजागरूकता फैलायी जायें की वेश्यावृत्ति से एड्स,सिफलिस, जैसी लाईलाज बीमारी बहुत तेजी से फैलती हैं.

2.समाज में ऐसें गुणों को हतोत्साहित किया जायें जो एक पुरूष या स्त्री को वेश्यावृत्ति करनें हेतू प्रोत्साहित करते हो.

3.वेश्यावृत्ति करनें वालों के पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था होनी चाहियें.

कोई भी बुराई बिना जनसमर्थन के ज्यादा दिनों तक नही टिक सकती वेश्यावृत्ति को समाप्त करनें के लियें भी समाज को ही आगे आकर इस बुराई को समाप्त करना होगा.जहाँ तक पुरूष वेश्यावृत्ति की बात हैं,यह भारत सहित पूर्वी देशों में कम ही हैं,किन्तु महिला वेश्यावृत्ति का घिनोना रूप दिन प्रतिदिन हमें देखनें को मिल रहा हैं,जो स्त्री के व्यक्तित्व के साथ परिवार ,समाज,और देश के व्यक्तित्व को विघटित कर रहा हैं.

• आईवीएफ ट्रीटमेंट क्या हैं


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट...

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri...

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से म...