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इंग्लैंड की क्रांति |
# इंग्लैंड़ की क्रांति #🚩
सन् 1685 ई.में इंग्लैंड़ के राजा जेम्स चार्ल्स द्धितीय (James Charles Second) की निरकुंशता एँव अत्याचार से त्रस्त होकर इंग्लैंड़ की आमजनता और संसद ने जैम्स द्धितीय को पदच्युत कर संसद की प्रभुसत्ता को स्थापित किया.तथा इसके लिये जो प्रयास किये गये उन्हें इंग्लैंड़ की क्रांति, गौरवपूर्ण क्रांति या वैभवपूर्ण क्रांति कहा जाता हैं.
#क्रांति के कारण #
# जैम्स द्धितीय द्धारा केथोलिक धर्म का प्रचार और बहुसँख्यकों की उपेक्षा #
इंग्लैंड़ में एलफिंस्ट़न (Elfisten) धर्मावलम्बीयों बहुसंख्यक थे.जबकि जैम्स द्धितीय केथोलिक था.उसनें केथोलिक धर्मावलम्बीयों के लियें चर्च (Church) बनवाया और पोप (Pop)को इंग्लैंड़ बुलाकर उनका सम्मान कर बहुसंख्यकों को केथोलिक धर्म के नियम माननें के लिये मज़बूर किया.
फलस्वरूप बहुसंख्यकों के मन में जैम्स द्धितीय के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई और उसका विरोध कर पदच्युत करनें का सफल प्रयास किया.
#टेस्ट अधिनियम की समाप्ति #
टेस्ट अधिनियम के अनुसार ,उच्च राजकीय पदों पर एलफिंस्टन ही नियुक्त कियें जातें थे.जैम्स द्धितीय ने इस नियम को समाप्त कर उच्च पदों,निगमों,सेना,विश्वविधालयों में केथोलिक धर्मावलम्बीयों को नियुक्त किया फलस्वरूप संसद और एलंफिस्ट़नों ने जैम्स द्धितीय का विरोध किया.
# अनुग्रहों की घोषणा #
जैम्स द्धितीय द्धारा सन् 1686 ई.और सन् 1687 ई.में दो अनुग्रहों की घोषणा की गई
प्रथम अनुग्रह के अनुसार केथोलिक धर्म से विभिन्न नियत्रंण और प्रतिबंधों को हटा लिया गया,और केथोलिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई.
सन् 1687 ई.के अनुग्रह द्धारा समस्त राजकीय पदों पर वर्ग और समुदाय का बंधन शिथिल कर इन पदों को सभी के लिये खोल दिया गया.
इन अनुग्रहों से बहुसंख्यकों और प्रोट़ेस्टों में भय व्याप्त हो गया और उन्होंने जैम्स द्धितीय की निंदा की.
#विश्वविधालयों में हस्तक्षेप #
विश्वविधालयों के उच्च पदों पर सिर्फ प्रोस्टेट (Prostate) का वर्चस्व था.किंतु जैम्स द्धितीय ने क्राइस्ट चर्च (cristchurch) विश्वविधालय के अधिष्ठाता (Dean) और क्रेम्बिज (Cambridge) विश्वविधालय के कुलपति पद पर केथोलिक को नियुक्त कर दिया.
इसी प्रकार मेक्डाँनाल्ड़ (MacDonald) विश्वविधालय के सभापति पद पर जब केथोलिक की नियुक्ति का वहाँ के कर्मचारीयों ने विरोध किया तो उन्हें बाहर कर दिया गया.
इन घट़नाओं ने बुद्धिजीवीयों का जैम्स द्धितीय के प्रति मोहभंग कर दिया था.
# #7 पादरियों को जेल #
प्रति रविवार जैम्स द्धितीय की द्धितीय अनुग्रह घोषणा का पादरियों द्धारा चर्च में सुनाना अनिवार्य कर दिया गया.
यह नियम चर्च के प्रतिकूल था,फलस्वरूप आर्क बिशप केंट़बरी सेनक्राफ्ट ने अपनें 6 साथियों के साथ मिलकर जैम्स को पत्र लिखा और अनुग्रह की घोषणा वापस लेनें का अनुरोध किया.
इस पर जैम्स द्धितीय ने 7 पादरियों को जेल में डाल दिया परंतु न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया.
इस घट़ना से जैम्स को पादरियों ने सम्राट़ पद से हटानें का निर्णय लिया.
#कोर्ट आँफ हाईकमीशन #
जैम्स द्धितीय ने Court of high commission द्धारा केथोलिक नियमों को नहीं माननें वालें लोंगों पर मुकदमा चलानें का नियम बनाया ,
यह नियम लोगों को अपनी धार्मिक भावना के प्रतिकूल लगा फलस्वरूप लोगों ने जैम्स से विद्रोह कर दिया.
# केथोलिक चर्च की स्थापना #
जैम्स द्धितीय द्धारा इंग्लैंड़ में विशाल केथोलिक चर्च जनता द्धारा विशेषकर बहुसँख्यक एलफिंस्ट़नों द्धारा दिये गये पैसों से बनाया .
इस कदम से एलफिंस्ट़न और प्रोटेस्ट अपनें को उपेक्षित महसूस कर रहे थे और उन्हें उपयुक्त अवसर की प्रतिक्षा थी,जिससे जैम्स को हटाकर संसद का शासन स्थापित किया जा सकें.
#जैम्स की निरकुंशता #
जैम्स द्धितीय फ्रांस के चार्ल्स द्धितीय की भाँति जनता में शक्ति के बल पर अपनी धाक कायम करना चाह रहा था,इस हेतू उसनें विशाल सेना संगठित कर निरकुंश राजा की तरह व्यहवार करना शुरू कर दिया,फलस्वरूप जनता और संसद उससे नाराज हो गई.
# संसद की संप्रभुता के लिये संघर्ष #
जैम्स द्धितीय को गद्दी से हटाकर संसद अपनी प्रभुता स्थापित करना चाह रही थी,फलस्वरूप दोंनों में टकराव पैदा हुआ और अंत में संसद संप्रभु हो गई.
#खूनी न्यायालय #
चार्ल्स द्धितीय के अवैध पुत्र ' मन्मथ ' ने स्वंय को इंग्लैंड़ का सम्राट़ घोषित कर लिया इस पर जैम्स ने उससे युद्ध कर बंदी बना लिया और साथियों सहित मृत्युदंड़ दे दिया.
स्काट़लैंड़ के "अर्ल आफ अरगिल"ने भी जैम्स से सम्राट़ के लिये संघर्ष किया उसे भी 300 साथियों के साथ बंदी बना लिया और हत्या कर दी.
बंदी साथियों को दास बनाकर वैस्ट़इंड़िज में दास बनाकर बेच दिया,इस घट़ना से लोग संशकित हो गये और उन्होंनें जैम्स से शत्रुता रखना शुरू कर दिया.
# जैम्स द्धितीय की निष्फल विदेश निति #
जैम्स द्धितीय फ्रांस के लुई 14 वें से सैनिक और आर्थिक सहायता प्राप्त कर अपनें आप को प्रतिष्ठित किये हुये था.
लुई ने फ्रांस में प्रोस्टेंटो पर अत्याचार कर रखा था,फलस्वरूप प्रोस्टेंट शरणार्थी बनकर इग्लैंड़ में आ गये थे, यहाँ उन्होंनें बहुसंख्यकों के साथ मिलकर जैम्स के विरूद्ध विद्रोह कर दिया
# क्रांति के परिणाम #
इंग्लैंड़ के टोरी ,हेग और पादरियों नें जैम्स द्धितीय की पुत्री जो हालैंड़ ब्याही गई थी और जो प्रोस्टेंट धर्मावलम्बीयों थी को पति विलियम सहित इंग्लैंड़ के सम्राट़ पद पर बैठनें हेतू आमंत्रित किया फलस्वरूप 5 नवम्बर 1688 को विलियम 15 हजार सैनिकों के साथ इंग्लैंड़ पहुँचा.
परंतु जैम्स द्धितीय का सैनापति चर्चिल और उसकी पुत्री एनी विलियम से जा मिलें इस पर जैम्स द्धितीय बिना युद्ध किये अपनी मुद्रा टेम्स नदी में फेंककर भाग गया.
इस प्रकार संघर्ष का अंत हो गया और संसद सर्वोपरी हो गई.
#बिल आँफ राइट्स की स्थापना #
22 जनवरी 1689 को "मेरी और विलियम" ने बिल आँफ राइट्स पर अपनी सहमति प्रदान कर दी,इस प्रकार ब्रिट़ेन नागरिक अधिकारों और जनता की संप्रभुता स्वीकार करनें वाला राष्ट्र बन गया.
# राजा के देवी अधिकारों का अंत #
ब्रिट़ेन में राजा को विशेषाधिकार प्राप्त थें.जैसें कर लगाना,कानून बनानाआदि इस क्रांति के पश्चात यह अधिकार संसद में निहित हो गये .
अब सम्राट़ किसी कानून को अवैध घोषित नही कर सकता था.
# केथोलिक से एलफिंस्ट़न ब्रिटेन का धर्म
क्रांति के पश्चात बिल आँफ राइट्स में ब्रिट़ेन का धर्म एलफिंस्ट़न घोषित किया गया.
कोई भी केथोलिक या केथोलिक से विवाहित ब्रिट़ेन का सम्राट़ नहीं बन सकता था.
# विदेश और ग्रह निति का निर्धारण ससंद द्धारा #
ब्रिट़ेन के सम्राट़ को मात्र सिद्धांत में सम्राट़ माना गया,व्याहवारिक समस्त शक्तियाँ संसद में निहित हो गई.
इस प्रकार अपनी विदेश और ग्रह नितियों के द्धारा इंग्लैंड़ सम्पूर्ण विश्व में अजेय राष्ट्र बनकर उभरा जिसके उपनिवेश देशों की संख्या 70 के पार पहुँच गई.
# यूरोप पर प्रभाव #
क्रांति से प्रेरणा लेकर यूरोप के उन राष्ट्रों जहाँ निरकुंश शासन व्यवस्था थी,में लोकतंत्र एँव सांवैधानिक राजतंत्र के लिये आंदोलन चलाये गये.उदाहरण के लिये फ्रांस की क्रांति को प्रेरणा इसी से मिली.
# सेना (Army)पर संसद का अधिकार #
क्रांति के पश्चात समस्त सेना राजाज्ञा से संचालित होनें के बजाय संसद के कानून से संचालित होनें लगी,सेना में व्याप्त अव्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया.
क्रांति के पश्चात संगठित ब्रिटिश सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेना के रूप में उभरी और अपनी सैनिक शक्ति के बल पर ब्रिटेन विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बन गया.
# क्रांति के आयाम#
वास्तविकता में इंग्लैंड़ की क्रांति सिर्फ इंग्लैंड़ वासियों के लिये ही लोकतंत्र और सांवैधानिक व्यवस्था लेकर आई.
संसद के नियत्रंण में सेना के आ जानें से संसद ने अलोकतांत्रिक ,असांवैधानिक तरीके से सेना का दुरूपयोग अपनें उपनिवेश राष्ट्रों की संख्या बढ़ानें में ही किया.
अत: कहा जा सकता हैं,कि क्रांति का महत्व इंग्लैंड़ वासियों के लिये जो निश्चित किया गया था वैसा इंग्लैंड़ के उपनिवेशवासियों के लिये नही था.
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