सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

13 अचूक गुण अरहर के [ 13 Great Benefit of pigeon pea ]

13 अचूक गुण अरहर के [ 13 Great Benefit of pigeon pea ]

#1.परिचय :::

अरहर या तुवर (Tuvar) विश्वभर में खाई जानें वाली दलहन हैं,यह शाकाहारी लोगों के लियें प्रोटीन प्राप्ति का उत्तम स्रोंत हैं.

अरहर या तुवर शुष्क क्षेत्रों में बहुतायत में बोई जाती हैं,इसका पौधा भूमि के लिये नाइट्रोजन स्थिरीकारक हैं.अरहर की दाल से अनेक व्यंजन बनायें जातें हैं.

भारतीय अरहर के औषधिय गुणों को वर्षों से पहचानतें हैं,यही कारण हैं,कि भारतीय भोजन अरहर की दाल के बिना अधूरा हैं.


#2.पोषणीय संगठन :::

कार्बोहाइड्रेट.     कैल्सियम.       फाँस्फोरस

  57.3%.             178mg.       376mg.  

 प्रोटीन.             खनिज लवण.      फायबर 

20.2%.               3.8%.                8.1%

  वसा              पानी                  आयरन

1.5%.            10.2%.               16.6%

 एनर्जी

383 mg.                               [प्रति १०० ग्राम]

अरहर के गुण
अरहर पर लदी फलियाँ

चने की खेती और उपयोग के बारें में जानें


#3.अरहर के गुण :::

१.कब्ज होनें पर छिलकेयुक्त अरहर को  उबालकर  रात के समय सेवन करते रहना चाहियें. इसमें उपस्थित फायबर आंतों की गहरी सफाई कर दूषित मल को बाहर निकाल देता हैं.

२.अर्श रोग में साबुत अरहर को उबालकर छाछ या दही के साथ कद्दूकस कर खानें से अर्श खत्म हो जाता हैं.

३. जब अरहर पौधे पर हरी अवस्था में होती हैं,उस समय इसे खानें से कुपोषण समाप्त होता हैं.

४.अरहर की दाल बनातें वक्त निकला छिलका उबालकर प्रसूता को खिलानें से दूध पर्याप्त मात्रा में आता है.

५.इसकी फलियों के छिलके में आयोडीन उपस्थित रहता हैं,अत :हायपोथाइराड़िज्म (hypothyroidism) से पीड़ित व्यक्ति को इसकी फली को चूसना चाहियें.

६.इसमें उपस्थित पानी डायरिया रोग की उत्तम रोकथाम करता है,साथ ही शरीर को  ऊर्जा प्रदान करता हैं.तुवर की दाल में घी मिलाकर सूप की तरह पीनें से रोगी जल्दी ठीक होता हैं.

७.हड्डीयों से संबधित समस्या जैसे हड्डी कमज़ोर होना,अस्थिभग्न होना आदि में तुवर दाल का सेवन फायदेमंद होता हैं.

८.अरहर की पत्तियों का पेस्ट बनाकर रोज मुहँ पर लगाते रहनें से रूखी त्वचा पर नमी आ जाती हैं.गोरी सुन्दर त्वचा हो जाती हैं.

९.गठिया रोग में अरहर खानें से हड्डीयों का दर्द कम हो जाता हैं.

१०.त्वचा रोगों में अरहर के पोधें को पीसकर उसमें नीम तेल मिलाकर लगानें से आराम मिलता हैं.

११.इसमें उपस्थित लोहा गर्भवती स्त्रीयों तथा एनिमिया ग्रसित व्यक्तियों के लियें बहुत फायदेमंद होता हैं,अत: तुवर दाल का सेवन इन लोगों को अवश्य करना चाहियें.

१२.मेनोपाँज की अवस्था में साबुत अरहर का सेवन शरीर में कैल्सियम का स्तर बनायें रखता हैं.

१३.अरहर रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं,अरहर में मौजूद जिंक मानव शरीर के लिए बहुत उत्तम रोग-प्रतिरोधक पदार्थ है, इसके लिये अरहर की दाल में अश्वगंधा पावड़र मिलाकर प्रतिदिन पीना चाहियें।


#4.आयुर्वेद ग्रंथों में अरहर के गुणों का वर्णन 


आयुर्वेद ग्रंथों में अरहर के गुणों के बारें में बहुत विस्तार से वर्णन हैं एक जगह लिखा हैं

आढकीकफपित्तन्घीवातलाकफवातनुत्।अवलगुज:सैडगजोनिष्पावावातपित्तला:।।काकाण्डोलात्मगुप्तानांमाषवत्फलमादिशेत्।द्धितीयोअयंशमीधान्यवर्ग:प्रोक्तोमहर्षिणा ।।

उपरोक्त श्लोक के अनुसार अरहर कफ और पित्त को नष्ट करनें वाली होती हैं,अरहर शरीर में वायु या गैस का प्रभाव बढा देती हैं, यह शरीर को पुष्ट करने वाली और पेट के लिए हितकारक मानी गई हैं । 

यह भी पढ़ें 👇









टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x