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भ्रष्टाचार [Corruption]

अवैध धन
 भ्रष्टाचार

#भ्रष्टाचार की परिभाषा 


भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना हैं भ्रष्ट + आचार अर्थात भ्रष्टाचार शिष्टाचार या नैतिकता विहिन व्यवस्था का परिचायक हैं.जिसमें भ्रष्टाचारी व्यक्ति नैतिकता,नियम,कानून,व्यवस्था के विपरीत जाकर पैसों या सेंवा का लेनदेन करता हैं.

भारतीय दंड़ संहिता में भ्रष्टाचार को परिभाषित करतें हुये लिखा हैं,कि
जो कोई भी एक लोक कर्मचारी होतें हुये या होनें की प्रत्याशा रखतें हुये अपनें लिये या किसी अन्य व्यक्ति के लियें अपनें वैध पारिश्रमिक के अतिरिक्त हेतू या पारितोषिक कोई कार्यालय कार्यकलाप में किसी व्यक्ति का अनुग्रह या विग्रह प्रदर्शित करनें के लिये या केन्द्रीय या प्रांतीय सरकार या संसद या विधानमंड़ल के किसी व्यक्ति की सेवा या सेवा शून्यता प्रदान करनें या करनें हेतू प्रयत्न करनें के लिये किसी व्यक्ति से कोई परितोषण स्वीकार करता हैं या प्राप्त या स्वीकार करनें के लिये सहमत होता हैं या प्राप्त करनें का प्रयत्न करता हैं,उसे 3 वर्षों का कारावास या आर्थिक दंड़ या दोनों देय होगा.

## भ्रष्टाचार के प्रकार

भ्रष्टाचार अपनें आप में बहुत व्यापक शब्द हैं,इसके कई प्रकार हैं जैसें

#1.आर्थिक भ्रष्टाचार 


भ्रष्टाचार का यह सबसे महत्वपूर्ण और सर्वव्यापक रूप हैं जिसमें शामिल हैं

#१.नियमानुसार  नि:शुल्क होनें वालें कामों के बदलें में आमजनता से पैसा लेना या देना.

#२.जनता के लाभ के लिये बननें वालें सड़क,रेलवे लाइनों,पुलों,भवनों,और अन्य आधारभूत संरचनाओं के लियें स्वीकृत पैसों में से कमीशन लेना.

# ३.टेंड़र मंजूर करवानें के बदलें रिश्वत लेना.

# ४.पैसा लेकर  परीक्षा पास करवाना या कापी में नम्बर बढ़ाना.

#५.दुकानदार द्धारा ग्राहकों को कम माल तोलकर अधिक पैसा लेना.

# ६.पैसा लेकर या देकर स्थानांतरण,पदोन्नति,पदस्थापना आदि करना या करवाना.

# ७.किसानों की अच्छी गुणवत्ता की फसल को घट़िया बताकर उसे रिजेक्ट करना और फिर पास करनें के बदलें पैसा लेना.

# ८.अधिकारीयों द्धारा सरकारी कार्यालयों में निरीक्षण के नाम पर जानबूझकर खामिया निकालना और बाद में पैसा लेकर उसे सही करना.

#९.फर्जी तरीके से यात्रा भत्ता,आवासीय भत्ता प्राप्त करना.

#१०.सरकारी राशन को खुलें बाजारों में बेचना.

# ११.बुजुर्गों,विधवाओं,विकलांगों को मिलनें वाली पेंशन में हेरफेर कर अपने खाते में अंतरित करवा लेना.

#१२.अवैध तरीके से शराब बनाकर बेचना.

# १३.नकली पैसा बाजार में चलाना.

#१४.सरकारी आवास को किराये पर देना.

#१५.यातायात नियमों के पालन न करनें वालों को पैसा लेकर छोड़ना.

# १६.पैसा लेकर या देकर वोट खरीदना बेचना.

# १७.रेल,बस में बिना टिकिट यात्रा करना.

# १८.शासकीय जमीन,आवास और संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा करना.

#१९.पैसा लेकर समाचारों में खबरें प्रकाशित करना या करवाना.

#२०.कर चोरी करना या करवाना.

#2.सामाजिक भ्रष्टाचार


# १.जातपाँत के नाम पर भेदभाव करना.

# २.सांम्प्रदायिकता को प्रोत्साहित करना.

#३.बच्चों से भीख मंगवाना .

# ५.14 साल से कम उम्र के बच्चों से मज़दूरी करवाना.

# ६.बुजुर्ग माता पिता की सेवा नहीं करना, उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ना.

#७.पत्नि,बच्चों,बुजुर्गों से मारपीट करना.

# ८.बुराई में सलिंप्त रहना.

# ९.दूसरों के प्रति ईर्ष्या रखना.

# १०.शराब पीकर गाली गलोच करना.

#११.धोंस धमकी देना.

#१२.सामान में मिलावट करना.

#१३.झूठ बोलना.

#१४.दहेज लेना और देना.

#१५.बलात्कार,हत्या,छेड़छाड़ और परेशान करना.

#१६.झूठे आरोप लगाकर मानहानि करना.

#१७.सरकारी नियमों,कानूनों और सामाजिक मानदंड़ों का जानबूझकर उल्लघंन करना.

#१८.बढ़ा चढ़ाकर चीजों का विज्ञापन करना .

#3.धार्मिक भ्रष्टाचार


#१.धार्मिकता के नाम पर आड़म्बरपूर्ण व्यहवार करना.

#२. धर्म के नाम पर हिंसा को प्रोत्साहन देंना.

#३. दूसरें धर्मों के रिती रिवाजों धार्मिक क्रियाकलापों ,विश्वासों के प्रति घृणापूर्ण व्यहवार करना.

#४.बहुसंख्यक धार्मिक समूह द्धारा अल्पसंख्यकों को देश छोड़नें को मज़बूर करना.

#५.धर्म गुरूओं द्धारा धार्मिक पुस्तकों की गलत व्याख्या कर जनता को भ्रमित करना.

#६.धर्म का भय दिखाकर लोगों से पैसें ऐंठना.

#७.अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करना.

# 4.खेलों में भ्रष्टाचार


#१. पैसा लेकर मेंच हारना या हरवाना.

#२. खेलों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन के नाम पर प्रतिबंधित शक्तिवर्धक दवाईयों का सेवन करना.

#३.खेल निर्णायक द्धारा जानबूझकर किसी विशेष टीम का पक्ष लेना.

#४.अनैतिक तरीके अपनाकर  मैच जीतना .

# ५.टीम चयन में पक्षपात करना.

#६.खेल नियमों के विरूद्ध दूसरी टीम के खिलाड़ीयों से व्यहवार करना.


#5.राजनितिक भ्रष्टाचार


#१. विरोधी दल को पैसा देकर कम़जोर प्रत्याशी खड़ा करवाना.

#२.फर्जी वोटर से मतदान करवाना या करना

#३.पैसा लेकर संसद या विधानसभा में प्रश्न पूछना.

#४.मतदान केन्द्र में घुसकर जबरन मतदान करवाना या करना या मतदान बूथ लूटना.

#५.विरोधी दल को कम़जोर करनें के लिये अनैतिक तरीके अपनाना.



## भ्रष्टाचार के कारण


# 1.नैतिकता का हास 


भ्रष्टाचार का सबसे महत्वपूर्ण कारण नैतिकता का हास होना हैं.प्राचीन काल में हमारा देश भारतीय मूल्यों जैसें ईमानदारी, सच्चरित्रता,सत्यनिष्ठा के कारण सम्पूर्ण विश्व में अलग पहचान रखता था. ये मूल्य प्रत्येक भारतीय की विशेषता थें.

किंतु शनै:शनै: इन मूल्यों को हास शुरू होना शुरू हो गया और इनका स्थान पर बेईमानी,भ्रष्ट आचरण,झूठ,छल कपट आदि ने ले लिया.

आज ये मूल्य भारतीय समाज में इस कदर व्याप्त हो गये हैं,कि समाज में यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का आचरण करता हैं,तो समाजजनों द्धारा इसे बहुत हल्कें में लिया जाता हैं.बल्कि कहा तो यह भी जाता हैं,कि व्यक्ति को आज के समाज के हिसाब से चलना चाहियें.जिसमें "भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार हैं"


#2.भौतिकवादी सोच


आज के समय में व्यक्ति में सच्चरित्रता की अपेक्षा धन दौलत की तलाश की जाती हैं.उदाहरण के लियें यदि कोई व्यक्ति अपनी लड़की के लिये रिश्ता देखता हैं,तो बजाय गुणों के यह देखता हैं कि रिश्तेदार के पास कितनी संपत्ति हैं,फिर यह संपत्ति किस तरीके से अर्जित की गई हैं.इसका कोई महत्व नही हैं.

यही भौतिकतावादी सोच भ्रष्टाचार को जन - जन के बीच व्याप्त कर रही हैं.

भौतिकतावादी संस्कृति लोगों में इस कदर पेंठ कर गई हैं,कि यदि कोई व्यक्ति किसी जिम्मेदार पद पर हैं,और ईमानदारी पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा हैं,तो उसे मूर्ख समझा जाता हैं.उसके बारें में कहा जानें लगता हैं,कि उसनें अपनें पत्नि बच्चों की सुख सुविधा के लिये कुछ नही किया.

बड़ा मकान,गाड़ी,सुख सुविधा और तथाकथित ऐशोआराम के लिये बहुत सारा पैसा चाहियें जिसे  मध्यम आय वर्ग वाला व्यक्ति भ्रष्ट आचरण से अर्जित करना चाह रहा हैं. 


# 3.कठोर कानूनों का अभाव


भारत में भ्रष्टाचार का इतिहास देखें तो पता चलता हैं,कि लगभग 95% मामलों में न्यायालय भ्रष्टाचारी को कठोरतम सजा देनें में असफल साबित हुआ हैं.फलस्वरूप आनें वाली भ्रष्टाचारी पीढी़ में यही संदेश गया कि इतनें बड़े भ्रष्टाचार करनें के बाद यदि पकड़े गये और सजा हुई तो वह स्वीकार्य होगी.

सजा होनें के पूर्व भी भारतीय न्याय प्रणाली में इतनें छिद्र हैं,कि भ्रष्टाचारी व्यक्ति इनसें आसानी से बच निकलता हैं.और मामूली सजा के बाद मजें से भ्रष्टाचार से अर्जित पैसों से फरियादी को मुँह चिढ़ाता रहता हैं.

स्वतंत्रता के पश्चात भारत कितनें ही बड़ें घोटालों जैसें जीप कांड़,दूरसंचार घोटाला,चीनी घोटाला,बोफोर्स घोटाला ,ताबूत घोटाला,चारा घोटाला,कामनवेल्थ खेल घोटाला ,बैंकिंग धोखाधड़ी आदि का साक्षी रहा हैं,किंतु इन घोटालों से भारत की न्याय प्रणाली और विधायिका ने कोई सबक नहीं लिया इसी का परिणाम हैं,कि भारत नित नये घोटालों की बाढ़ में नहा रहा हैं.

आजकल सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार को " कम जोखिम अधिकतम फायदा" कहकर भारतीय न्याय प्रणाली का मजाक उड़ाया जाता हैं.



# 4.शासन प्रशासन में व्याप्त कमियाँ


दुनिया के वे बड़े संगठन जिनमें भ्रष्टाचार लगभग न के बराबर हैं,जैसें Google, Facebook, Microsoft, Apple,अमेरिकी प्रशासन, ब्रिटिश प्रशासन, नार्वें प्रशासन आदि का अध्ययन करतें हैं.तो पता चलता हैं,कि यदि इन संगठनों से किसी व्यक्ति को कोई काम करवाना हैं,और यदि इसके लियें कोई आनलाइन आवेदन करता हैं,तो आवेदन के साथ प्राप्ति रसीद पर कार्य होनें की समय सीमा लिख दी जाती हैं,साथ ही यह भी लिख दिया जाता हैं,कि समय सीमा में कार्य नहीं होनें पर आप कहाँ अपील कर सकतें हैं.

लेकिन यदि हम भारतीय प्रशासन का अध्ययन करतें हैं,तो पता चलता हैं,कि कई विभागों में कुछ गिनी चुनी सेंवाओं को छोड़कर किसी भी काम की समय सीमा तय नहीं हैं.

जहाँ कार्यों को करनें की समय सीमा तय हैं,वहाँ भी लालफीताशाही इतनी अधिक हैं,कि समय सीमा का पालन नहीं होता हैं.

कार्यों की समय सीमा तय नहीं होनें से अधिकारी कर्मचारी संबधित फाईलों को लम्बें समय तक अपनें पास दबाकर बैंठे रहतें हैं,फलस्वरूप व्यक्ति अपनी फाईल आगें बढ़ानें हेतू बड़ी रकम घूस के रूप में देता हैं.

# 5.वेतन विसंगति 


सम्पूर्ण भारत में चाहें वह राज्य सरकार द्धारा नियत्रिंत विभाग हो या केन्द्र सरकार द्धारा नियत्रिंत विभाग इन विभागों में कार्य करनें वालें अधिकारीयों और कर्मचारीयों में वेतन विसंगति की खाई इतनी चोड़ी हैं,कि यह छोटें कर्मचारी के मन में इतनी हीनता भर देती हैं,कि वह न चाहतें हुये भी भ्रष्टाचार से अपनें परिवार को पालनें हेतू भ्रष्ट तरीकों का सहारा लेता हैं. 

भारत में मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी का वेतन लगभग 2.50 प्रतिमाह हैं साथ ही अन्य जरूरी सुविधायें जैसें गाड़ी,बंगला,नौकर और भत्तें भी मिलतें हैं.जबकि उसी मंत्रालय में काम करनें वालें चपरासी को मात्र 18 से 30 हजार तक ही वेतन मिलता हैं,जो कि आज के महंगाई वालें जमानें में सामान्य परिवार की ज़रूरतों के लिये नाकाफी हैं.

एक अन्य बात यह हैं कि इतना कम वेतन मिलनें के बाद भी यदि कोई व्यक्ति आफिस समय के बाद नियोजित होता हैं,तो इस पर शासन का प्रतिबंध रहता हैं.फलस्वरूप व्यक्ति के पास सिर्फ भ्रष्टाचार द्धारा पैसा बनानें का ही विकल्प बचता हैं.

कई विभागों में तो कर्मचारीयों की वेतन विसंगति मात्र इसी आधार पर दूर नहीं की जाती हैं,कि वहाँ घोषित रूप से यह मान लिया गया हैं,कि यहाँ के कर्मचारी अधिकारी की "ऊपरी कमाई" वैसे भी बहुत अधिक हैं.

# 6.राजनितिक पार्टीयों का स्वार्थी गठबंधन


भारत में जबसें गठबंधन दलों की सरकार बननी शुरू हुई हैं,तब से भ्रष्टाचार दिन दुगनी रात चौगुनी तरीके से उन्नति करतें हुये नित नये रिकार्ड़ स्थापित कर रहा हैं. 

हमारें देश की प्रमुख पार्टीयों के कई शीर्ष लोगों पर भ्रष्टाचार के केस अदालतों में चल रहें हैं,परंतु सत्तारूढ़ दल जानबूझकर इन शीर्ष नेताओं के विरूद्ध कम़जोर अभियोजन प्रस्तुत करता हैं, क्योंकि उसे पता हैं न जानें कब सरकार बनानें में इस दल के सहयोग की ज़रूरत पड़ जायें.

स्वार्थी गठबंधन का एक अन्य उदाहरण राजनितिक दलों को मिलनें वालें चंदे का हैं,जब अन्य दूसरें मुद्दों पर बात करनें की बारी आती हैं,तो राजनितिक दल पानी पी पीकर एक दूसरें पर आरोप प्रत्यारोप लगातें हैं किंतु इनकों मिलनें वालें राजनितिक चंदों पर यह दल न तो एक दूसरें पर आरोप लगातें हैं और ना ही इस मुद्दें पर बात करतें हैं.फलस्वरूप राजनितिक दल अपनें अपनें तरीके से खूब पैसा एकत्रित करतें हैं.



# 7.सामाजिक कुरूतियाँ


देश को सामाजिक कुरूतियों ने इस कदर जकड़ रखा हैं,कि इन कुरूतियों ने भ्रष्टाचार को प्रश्रय ही दिया हैं,उदाहरण के लिये आज भी व्यक्ति को अपनी लड़की की शादी में इतना अधिक दहेज देना पड़ता हैं,कि एक सामान्य जीवन गुजारनें वालें व्यक्ति के लिये यह असंभव होता हैं.फलस्वरूप व्यक्ति इस दहेज रूपी धन को भ्रष्टाचार द्धारा ही एकत्रित करता हैं.

# 8.बुद्धिजीवियों का पलायन


हमारें देश का बुद्धिजीवी वर्ग स्वतंत्रता के पश्चात राजनिती,समाज आदि में भाग लेनें से अपनें आपकों धीरें - धीरें दूर करता रहा फलस्वरूप राजनिती समाज में अपराधी और भ्रष्ट प्रवृत्ति के लोग आ गये जिनका काम ही भ्रष्ट तरीके अपनाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना रह गया हैं.


# 9.भ्रष्टाचार रोधी संगठन का अभाव


भारत में भ्रष्टाचार से निपट़नें के लिये कहनें को अनेक संगठन और संस्थाएँ कार्यरत हैं,जैसें केन्द्रीय सतर्कता आयोग,सी.बी.आई.लोकपाल,लोकायुक्त आदि परंतु ये सभी संगठन " बिना दाँत के शेर" की तरह से साबित हो रहें हैं,जिस प्रकार बिना दाँत का शेर अपना शिकार करनें में अक्षम होता हैं,उसी प्रकार ये संस्थाएँ स्वंय संज्ञान लेकर भ्रष्टाचार के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करनें में अब तक असफल साबित हुई हैं.

लोकपाल संस्था की बात करें तो सन् 1968 से ही इसे केन्द्र में स्थापित करनें का बार - बार प्रयास किया गया इसे स्थापित करवानें हेतू सन् 2011 में अन्ना हजारे दिल्ली में बड़ा जनआंदोलन कर चुके हैं,परंतु अभी तक इस संस्था को स्थापित नही किया गया हैं.

राज्यों में जहाँ लोकायुक्त संस्थाएँ गठित हैं वहाँ भी यह संस्था इतनी कमज़ोर हैं कि भ्रष्टाचारी़यों पर अभियोजन की स्वीकृति के लिये राज्य सरकार पर इसे निर्भर रहना पड़ता हैं.

भ्रष्टाचार रोधी सांवैधानिक संस्था का अभाव होनें से ही भारत में यह बहुत व्यापक हो गया हैं.


# 10.अशिक्षा और गरीबी


भ्रष्टाचार और अशिक्षा में बहुत निकट संबध हैं.अशिक्षित व्यक्ति अपनें अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति उस स्तर तक जागरूक नही रहता हैं जितना एक शिक्षित व्यक्ति फलस्वरूप उसे शासन प्रशासन में चलनें वालें कार्यकलापों से कोई मतलब नही रहता.यह स्थिति शासन प्रशासन में बैठें लोगों को अपनी मनमानी करनें हेतू प्रेरित करती हैं.

इसी प्रकार गरीबी भी भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण हैं,संस्कृत में एक उक्ति हैं बुभुक्षित: किं न करोति अर्थात भूखा व्यक्ति क्या नही करता.

# 11.राष्ट्रीयता की भावना का घोर अभाव


"स्वतंत्रता के पूर्व भारत में देश सेवा की भावना एक मिशन के रूप में थी,किंतु यह आज के दोंर में कमीशन के रूप में हो गई हैं"

देश सेवा और देश प्रेम का मतलब अब बस दुश्मन राष्ट्र को भलाबुरा कहनें और खेलों में पराजित करनें पर पटाखे फोड़नें तक ही सीमित हो गया हैं.इसके अलावा न तो हम देश की सम्पत्ति को अपनी मानतें हैं और ना ही इस सम्पत्ति की रक्षा का दायित्व निभातें हैं,बल्कि लोगों की यही कोशिश रहती हैं,कि सरकारी सम्पत्ति में से कितना अपनें लिये प्राप्त कर लिया जायें.

एक उदाहरण इस संबध में देना चाहूँगा,अभी हाल ही में एक समाचार ने  आमजनता का ध्यान अपनी ओंर खींचा था ,इस समाचार के अनुसार भारत में चलनें वाली रेलगाड़ी गतिमान एक्सप्रेस के बिजनेस वर्ग के कोच से यात्री Headphone निकालकर अपनें साथ ले गये.जब देश के संपन्न वर्ग का देश की संपत्तियों के प्रति यह सोच हैं,तो दूसरें वर्गों के बारें में आसानी से अंदाजा लगा सकतें हैं.



## भ्रष्टाचार का प्रभाव


#1.व्यापक जन असंतोष का जन्म


देश में नित नये भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारीयों के खुलें आम घूमनें की वज़ह से जनता में व्यापक रूप से जन असंतोष का जन्म हो रहा हैं,और संविधान, न्यायपालिका,राष्ट्रीय आदर्शों का लोग खुलकर मजाक बनाकर सोशल मीड़िया में खूब शेयर कर रहें हैं.


युवा वर्ग में असंतोष बहुत गहरा हैं और वह जनआंदोलन के नाम पर हिंसा करनें से भी नहीं ड़र रहा हैं.इस हिंसा में देश की खरबों रूपये की संपत्ति और सामाजिक तानें बानें का बहुत नुकसान हो रहा हैं.कुछ युवाओं में इस असंतोष की परिणीति नक्सलवादी,आतंकवादी घटनाओं में शामिल होकर हो रही हैं.

# 2.समानांतर अर्थव्यवस्था का जन्म


भ्रष्टाचार की वज़ह से राजनितिज्ञों,व्यापारी,और प्रशासनिक अधिकारीयों के पास अरबों रूपयों की संपत्ति जमा हो जाती हैं,जिसे वे विदेशी बैंकों में जमाकर पुन: भारत में फर्जी कंपनियों के माध्यम से निवेश करतें हैं.इस तरह से एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हो जाती हैं जो देश का बहुत बड़ा नुकसान कर रही हैं.

सीमा पर तैनात अधिकारीयों को पैसा देकर नकली नोटों की खेप भारत लाई जाती हैं,जो हमारी अर्थव्यवस्था का गला घोंट़ रही हैं.

# 3.प्रगति में बाधा


भ्रष्टाचार देश की प्रगति को कई वर्ष पीछे ले जाता हैं,जब गुणवत्ताहीन सड़क,पुल पुलिया इमारतें बनेगी तो इनका जीवनकाल कम ही होगा फलस्वरूप शासन का ध्यान इन्हीं मुद्दों पर केन्द्रित रहेगा और विज्ञान,तकनीक,अतरिक्ष विज्ञान और शोध जैसें मुद्दे कही पीछे छूट जायेंगें.

विशेषज्ञों को भारत के विकासशील रहनें का यही कारण नज़र आ रहा हैं,जबकि भारत के साथ आजाद होनें वाला चीन भ्रष्टाचार के प्रति कठोर निति के कारण भारत से विज्ञान,शोध,और तकनीक ,खेल आदि के मामलें में कही अधिक आगें निकल चुका हैं.


# 4.प्रतिभा और योग्यता की उपेक्षा


भ्रष्टाचार की वज़ह से अयोग्य व्यक्ति शासन और प्रशासन पर काबिज हो जातें हैं फलस्वरूप योग्य व्यक्ति और प्रतिभाओं की उपेक्षा होती हैं,इस उपेक्षा की कीमत देश को चुकानी पड़ती हैं,उदाहरण के लिये यदि कोई अयोग्य व्यक्ति भ्रष्ट तरीके से शिक्षक बनता हैं,तो वह आनें वाली पीढी़ को बेहतर शिक्षा नही दे पायेगा.
इस तरह राष्ट्र की कई पीढ़ी बेहतर शिक्षा से वंचित रह जायेगी,बेहतर शिक्षा के अभाव में बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण नही हो पायेगा और बेहतर राष्ट्र निर्माण का  सपना भी अधूरा रह जायेगा.

#5.राष्ट्रीय संपत्ति का हास


भ्रष्टाचार के कारण राष्ट्रीय संपत्ति का बड़ा भाग भ्रष्टाचारीयों की तिजोरीयों में चला जाता हैं.एक अनुमान के अनुसार स्वतंत्रता के पश्चात से अब तक देश का लगभग 2.50 लाख करोड़ रूपया भ्रष्टाचार की भेंट़ चढ़ चुका हैं.

भ्रष्टाचार के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी का कथन बहुत प्रसिद्ध हैं,जिसमें उन्होंनें कहा था कि " केन्द्र से भेजा गया 1 रूपया गाँवों तक पँहुचतें - पँहुचतें मात्र 15 पैसें ही रह जाता हैं.

## भ्रष्टाचार को दूर करनें के उपाय


# 1.समाज और परिवार की भूमिका


भ्रष्टाचार को समाप्त करनें का रास्ता समाज और परिवार से ही निकलता हैं.यदि परिवार बच्चों को ईमानदारी सच्चरित्रता और राष्ट्र के प्रति भक्ति की शिक्षा देगा साथ ही स्वंय परिवार के सदस्य इन उसूलों को स्वंय पर लागू करेंगें तो दुनिया की कोंई ताकत भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित नही कर पायेगी.

भ्रष्टाचार को समाप्त करनें का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग समाज हैं,जब समाज भ्रष्टाचार से संपत्ति बनानें वालों को  अलग थलग कर उन्हें सबसे घृणित समझेगा तो भ्रष्टाचार समाप्त होनें में ज्यादा समय नहीं लगेगा.

भारत  में कानून से ज्यादा शक्तिशाली बदलाव का माध्यम  समाज और परिवार हैं.जब कोई सामाजिक बदलाव लाना हो तो  समाज और परिवार को साथ लेकर चलें बिना बदलाव नही लाया जा सकता.

भारतीय समाज के बदलाव में परिवार और समाज की भूमिका को हम  दो संदर्भों में समझ सकतें हैं.

स्वतंत्रता संग्राम के दोरान महात्मा गाँधी नें ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध अपनें आंदोंलन में समाजों और परिवारों के बीच पहुँचकर उनका खुला समर्थन प्राप्त किया और स्वतंत्रता आंदोंलन को सफल बनाया.

दूसरा उदाहरण स्वच्छता अभियान का हैं,स्वच्छता अभियान में जब खुलें में शौच जानें को परिवार की महिलाओं की इज्जत के साथ जोड़ा गया तो देश में तेजी से शोचालय क्रांति आई और कई राज्य समय से पहलें खुले में शौच मुक्त हो चुकें हैं.

अब कोई बुराई समाज की सहायता से कैंसें आगें बढ़ती रहती हैं इसका भी उदाहरण देख लेतें हैं.
दहेज लेना और देना दोंनों कानूनन जुर्म हैं किंतु यह बुराई कई वर्षों से भारतीय समाज में व्याप्त हैं,क्योंकि दहेज लेना और देना समाज द्धारा स्वीकार्य हैं और यह बेटी के नये जीवन की शुरूआत में सहयोग के रूप में माना जाता हैं.

अत: कहा जा सकता हैं कि बिना परिवार और समाज  के सहयोग से ही भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सकता हैं.

# 2.पारदर्शी व्यवस्था


शासन प्रशासन से भ्रष्टाचार को समाप्त करनें का सबसे महत्वपूर्ण साधन पारदर्शी प्रणाली हैं.

शासन के समस्त कार्यों को जब जनता की नज़रों के समक्ष पारदर्शी प्रणाली के साथ किया जायेगा तो भ्रष्टाचार होनें की संभावना को पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता हैं जैंसें

१.परीक्षा प्रणाली में छात्रों को उत्तरपुस्तिका की प्रतिलिपी उपलब्ध कराना.

२.प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित अभ्यर्थीयों के अंकों का सार्वजनिकरण करना.

३.सार्वजनिक निर्माण कार्यों के कार्यों का स्वतंत्र जाँच ऐजेन्सीयों से मूल्याकंन कराना और इन ऐजेन्सीयों पर कड़ी निगरानी व्यवस्था.

# 3.कठोर दंड़ व्यवस्था


भ्रष्टाचार को समाप्त करनें का एक महत्वपूर्ण सूत्र कठोर दंड़ प्रणाली हैं.भ्रष्टाचारीयों को ऐसा दंड़ मिलना चाहियें कि वह अन्य भ्रष्टाचारीयों के लिये नजीर बन सकें.

भ्रष्टाचार में सलिंप्त व्यक्ति की समस्त चल अचल संपत्ति जब्त कर उसका उपयोग जन हितार्थ कार्यों में किया जावें.

#4. स्वतंत्र निगरानी समितियाँ


भ्रष्टाचार से निपट़नें और इसे समाप्त करनें हेतू ऐसी निगरानी समितियाँ नियुक्त की जायें जिसके पास न केवल व्यापक अधिकार हो बल्कि इसमें समाज के प्रत्येक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व हो .

यह संस्था भ्रष्टाचार से संबधित मामलों को सरकार और समाज के समक्ष रख सकें.साथ ही भ्रष्टाचार होनें के संभावित छिद्रों की पड़ताल कर उन छिद्रों तुरंत बंद करायें.

#5. लोकपाल और लोकायुक्त


भारत में सन् 1968 से ही लोकपाल की नियुक्ति के प्रयास चल रहें हैं परंतु यह संस्था अभी तक आकार नहीं ले सकी हैं.

अत: केन्द्र में ऐसा प्रभावी लोकपाल स्थापित किया जायें जिसके दायरें में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सम्मिलित हो.

इस संस्था को शक्तिशाली उत्तरदायी बनाया जायें ताकि भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगें.

राज्यों में स्थापित लोकायुक्त को भी शक्तिशाली और जवाबदेय बनाया जायें जो फैसला लेंनें और क्रियान्वयन करवानें में सक्षम हो.तथा जिसकी नियुक्ति अराजनितिक हो.


#6. वेतन विसंगति दूर होनी चाहियें


भारत में कर्मचारीयों को दिये जानें वाले वेतन की संरचना दुनिया के दूसरें साफ सुधरें राष्ट्रों जैसें नार्वें,स्वीट्जरलैंड़ की तुलना में बहुत ही निम्न स्तर की हैं.

एक आदर्श प्रशासनिक व्यवस्था में उच्च और निम्न कर्मचारी के वेतन का अँतर 20% - 30% के बीच होना चाहियें जबकि भारत में यह अंतर 400% से 500% तक हैं.

वेतन संरचना सुधारनें से कर्मचारी भ्रष्टाचार की ओर पृवृत्त नही होगा. 

#7. आर्थिक विषमता में कमी


भ्रष्टाचार में कमी करनें के लिये देश में फैली आर्थिक विषमता में कमी लाना अत्यंत आवश्यक हैं. 

भारत में एक ओर दुनिया के सबसे अमीर 1% लोग जिनके पास देश की 60% संपत्ति हैं निवास करतें हैं वही दूसरी और दुनिया के सबसे गरीब 30% लोग भी यहीं निवास करती हैं.

जब तक इन गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर नहीं किया जाता तब तक भ्रष्टाचार का खात्मा मुश्किल होगा.

#8. आदर्श निर्वाचन प्रणाली


भारत में लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन में प्रत्याशीयों द्धारा अरबों खरबों रूपया पानी की तरह बहा दिया जाता हैं,जिसे जीतनें के बाद प्रत्याशी विकास कार्यों के लिये मिले धन की बंदरबाट करके हासिल करतें हैं.

भ्रष्टाचार को अल्पतम करनें हेतू आदर्श निर्वाचन व्यवस्था की अत्यंत आवश्यकता हैं जिसमें 

• प्रत्याशी के चुनाव प्रचार की व्यवस्था निर्वाचन आयोग करें.

• चुनाव में खड़ें प्रत्याशी को प्रचार  हेतू निर्धारित मंच उपलब्ध कराया जायें.जहाँ वह अपनी बात रख सकें.

• प्रत्याशी को चाय पान जितनी ही राशि खर्च करनें की अनुमति मिलें इससे ज्यादा खर्च करनें पर निर्वाचन आयोग द्धारा कड़ा नियत्रंण हो.

#9. राष्ट्र संघ की घोषणा अनुरूप व्यवस्था


भ्रष्टाचार पर राष्ट्र संघ की घोषणानुसार देश की निति और कार्यान्वयन निर्धारित होना चाहियें.


० भगवान श्री राम का चरित्र






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  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट...

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri...

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से म...