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# मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना
मध्यप्रदेश की ग्रामीण आबादी 5 करोड़ 25 लाख हैं.जो कुल जनसँख्या का लगभग 72% हैं.इस आबादी में से 37 लाख परिवारों के पास अपना स्वंय का घर नहीं हैं या वे कच्चे मकानों में रहतें हैं,जहाँ जीवन की ज़रूरी सुविधाँए उपलब्ध नहीं हैं.
आवासहीन परिवारों को आवास उपलब्ध करवानें के लिये केन्द्र सरकार द्धारा राज्य को प्रतिवर्ष 75 हजार इंदिरा आवास आवँटित किये जातें हैं,किंतु राज्य की बड़ी आवास ज़रूरत को ध्यान रखतें हुये यह आवास नाकाफी साबित होतें हैं.इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये मध्यप्रदेश सरकार नें सन् 2012 - 13 में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना प्रारंभ की गई थी.
# कार्यान्वयन विभाग
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग म.प्र.शासन
# योजना की विशेषता
मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना पूर्ण रूप से मांग आधारित स्वभागीदारी ऋण - सह - अनुदान योजना हैं.अर्थात इस योजना का लाभ उठाने वालें व्यक्ति को उसकी आय के आधार पर ॠण चुकानें की क्षमतानुसार बैंक द्धारा 10,12 और 15 वर्षीय ऋण प्रदान किया जाता हैं.
# मुख्यमंत्री आवास योजना हेतू पात्रता
• व्यक्ति को मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र का स्थायी निवासी होना अनिवार्य हैं.
• व्यक्ति के पास एक हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि नही होना चाहियें.
• परिवार की वार्षिक आय 1.25 लाख से अधिक नही होना चाहियें.
• योजना का लाभ लेनें वालें व्यक्ति के पास अपनी स्वंय की भूमि हो या वह भूमि खरीदनें की क्षमता रखता हो
# योजना का लाभ प्राप्त करनें हेतू आवश्यक दस्तावेज
• मतदाता पहचान पत्र
• गरीबी रेखा से निचें जीवन यापन संबधित राशन कार्ड़
• बैंक पासबुक
• भू - अधिकार पत्र
• मनरेगा जाब कार्ड
# मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में आवेदन प्रक्रिया
• इस योजना का लाभ प्राप्त करनें हेतू आवेदन ग्राम पंचायत में प्रस्तुत करना होगा.
• आवेदन का परीक्षण पंचायत सचिव,पटवारी और पंचायत समन्वय अधिकारी द्धारा किया जायेगा.
• परीक्षण के पश्चात आवेदन को ग्राम सभा के अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किया जावेगा.
• ग्राम सभा के अनुमोदन उपरांत बैंक में ऋण सहायता हेतू प्रस्तुत किया जायेगा.
# भूमि प्राप्त करनें के लिये आवेदन
यदि किसी व्यक्ति के पास मकान निर्माण के लिये भूमि उपलब्ध नही हैं और वह मकान बनाना चाहता हैं,तो उसे भूमि प्राप्त करनें हेतू ग्राम पंचायत में आवेदन करना होगा.
भावांतर भुगतान योजना के बारें में जानियें
# योजना की समीक्षा
कोई भी योजना पूर्णरूपेण खामी रहित नही होती हैं.यही बात मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के सन्दर्भ में लागू होती हैं इसकी कुछ खामीयाँ हैं तो कुछ अच्छाईयाँ भी विघमान हैं आईयें जानतें हैं कमियों को
#१.योजना में पैसा बैंक द्धारा दिया जाता हैं,अत:हितग्राही को ऋण देना न देना पूरी तरह से बैंक के विवेक पर निर्भर करता हैं.
#२. बैंको द्धारा अपनें इस विशेषाधिकार का उपयोग सिर्फ अपनी बैंक शाखा के पास स्थित गाँवों के हितग्राही को ऋण बाँटनें में हुआ हैं,यह सीमा बैंक शाखा से मात्र 5 से 7 किमी के गाँवों के हितग्राही तक ही सीमित हैं.
#३.ऐसे गाँव जहाँ बैंक शाखा नही हैं या जिन गाँवों के पास बैंक शाखा स्थित नही हैं ,उन गाँवों के हितग्राहीयों को ऋण प्राप्त करनें में बहुत परेशानी आती हैं या यू कहें की ऋण मिलता ही नहीं हैं.
#३.ऋण प्राप्त करनें के लिये कागजी औपचारिकता इतनी अधिक हैं,कि हितग्राही बैंकों के और सरकारी दफ़्तर के चक्कर लगातें - लगातें ऋण प्राप्त करनें का फैसला ही त्याग देता हैं.
#४.मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना में आवेदन करनें वाले और अंतिम रूप से ऋण प्राप्त कर मकान बनानें वालों का अनुपात प्रति 100 आवेदन में से मात्र 25 हैं.
#५.इन 25 ऋण प्राप्त करनें वालों में भी 5 परिवार ऐसे हैं जिनकों बैंक की लापरवाही की वज़ह से मात्र एक किश्त की राशि ही मिल पाती हैं.और वे मकान का निर्माण पूर्ण नही कर पातें फलस्वरूप बैंक को ऋण वसूलनें में काफी परेशानी आती हैं.
#६.हितग्राही चयन में भारी भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद देखनें को मिलता हैं .एक अध्ययन के अनुसार अंतिम किश्त प्राप्त करनें तक हितग्राही औसतन 30 हजार रूपये रिश्वत के बाँट देता हैं,यह पैसा हितग्राही के पास नही होनें पर किश्त प्राप्त करनें के दोंरान बैंक मे ही ले लिया जाता हैं.
#७.इस योजना को लागू करनें से पूर्व क्षेत्र आधारित आवश्यकताओं का अध्ययन नही किया गया उदाहरण के लियें जहाँ रेत,गिट्टी आदि मकान निर्माण सामग्री आसानी से उपलब्ध हैं वहाँ भी इतना ही पैसा मंजूर किया जाता हैं,जितना कि इन सामग्री के अभाव वालें क्षेत्रों में
#८.योजना की मानिटरिंग सामान्य प्रशासनिक सेंवाओं के अधिकारीयों के हाथ में हैं जबकि इस योजना को शतप्रतिशत सफल होनें के लिये विशेषज्ञ अधिकारियों के हाथ में इस योजना का होना अतिआवश्यक हैं.
#९.भारत और मध्यप्रदेश की गरीबी रेखा को ध्यान में रखतें हुये गरीबों से संबधित योजना में शून्य प्रतिशत खामी होना आवश्यक हैं तभी हम भारत और मध्यप्रदेश को तय समयावधि में गरीबी मुक्त कर सकतें हैं.
वास्तव में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना का उद्देश्य पवित्र हैं परंतु क्रियान्वयन ढ़ीला ढ़ाला हैं अत : आवश्यकता इस बात की हैं कि इस योजना के हितग्राही का चयन सिंगल विंड़ों सिस्टम की भाँति कुछ दिनों का कर दिया जावें ताकि हितग्राही लम्बें समय तक चलनें वाली झंझट से मुक्त होकर अपनें "सपनो के घर" का सपना पूरा कर सकें.
#७.इस योजना को लागू करनें से पूर्व क्षेत्र आधारित आवश्यकताओं का अध्ययन नही किया गया उदाहरण के लियें जहाँ रेत,गिट्टी आदि मकान निर्माण सामग्री आसानी से उपलब्ध हैं वहाँ भी इतना ही पैसा मंजूर किया जाता हैं,जितना कि इन सामग्री के अभाव वालें क्षेत्रों में
#८.योजना की मानिटरिंग सामान्य प्रशासनिक सेंवाओं के अधिकारीयों के हाथ में हैं जबकि इस योजना को शतप्रतिशत सफल होनें के लिये विशेषज्ञ अधिकारियों के हाथ में इस योजना का होना अतिआवश्यक हैं.
#९.भारत और मध्यप्रदेश की गरीबी रेखा को ध्यान में रखतें हुये गरीबों से संबधित योजना में शून्य प्रतिशत खामी होना आवश्यक हैं तभी हम भारत और मध्यप्रदेश को तय समयावधि में गरीबी मुक्त कर सकतें हैं.
वास्तव में मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना का उद्देश्य पवित्र हैं परंतु क्रियान्वयन ढ़ीला ढ़ाला हैं अत : आवश्यकता इस बात की हैं कि इस योजना के हितग्राही का चयन सिंगल विंड़ों सिस्टम की भाँति कुछ दिनों का कर दिया जावें ताकि हितग्राही लम्बें समय तक चलनें वाली झंझट से मुक्त होकर अपनें "सपनो के घर" का सपना पूरा कर सकें.
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