Author::Healthylifestyehome
भारत में कोरोना काल में पल्स आक्सीमीटर हर घर की जरूरत बन गया हैं। लेकिन क्या आप जानतें हैं पल्स आक्सीमीटर काले और गोरे लोगों के आक्सीजन स्तर को अलग अलग नापता हैं। जी हां सही सुना आपने
ये चोंकाने वाला खुलासा अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हुआ हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डाक्टर फिलीप बिकलर ने इस संबंध में शोध किया हैं।
डाक्टर फिलीप बिकलर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हाइपोक्सिया रिसर्च लैब के डायरेक्टर हैं इन्होंने अलग-अलग चरणों में कुल 48097 लोगों पर परीक्षण कर बताया कि काले रंग के लोगों में Pulse oximeter लगभग 12 प्रतिशत तक आक्सीजन का स्तर कम बताता हैं।
जबकि गोरे लोगों में Pulse oximeter लगभग 3.6 प्रतिशत आक्सीजन का स्तर अधिक करके बताता हैं।
इस रिसर्च रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने पल्स आक्सीमीटर की स्वतंत्र एंजेसी से जांच कराने की घोषणा कर दी वहीं अनेक देशों ने इस संबंध में विस्तृत जांच कराने का फैसला किया हैं।
पल्स आक्सीमीटर भ्रामक परिणाम दे सकता हैं इसको लेकर भारत में भी कई बार Social media पर विवाद हुआ हैं ।
सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल हुआ था जिसमें एक सेल्समेन अपनी पांचों उंगलियां में पांच पल्स आक्सीमीटर लगाता है और पांचों उंगलियो से आक्सीजन स्तर के अलग-अलग परिणाम प्राप्त होतें हैं।
पल्स आक्सीमीटर को लेकर हुए इस विवाद को लेकर अनेक विशेषज्ञों ने अपनी स्वतंत्र राय जाहिर की हैं, कुछ विशेषज्ञों का कहना हैं कि कोई भी नई टेक्नोलॉजी पूरी तरह से सटीक आंकड़े प्रदान नहीं करती और इसमें सदैव सुधार की गुंजाइश बनी रहती हैं।
यदि बात पल्स आक्सीमीटर की की जाए तो इसमें जांच के दौरान अलग-अलग परिणाम प्राप्त होने की संभावना हमेशा बनी रहती हैं क्योंकि व्यक्ति की स्थिति परिवर्तित होती रहती हैं।
मैदान में दोडनें वाले व्यक्ति से पल्स आक्सीमीटर का अलग परिणाम प्राप्त होगा तो घर में बैठकर आराम करने वाले से पल्स आक्सीमीटर का अलग परिणाम प्राप्त होगा।
यहां तक कि व्यक्ति की दोनों हाथों की उंगलियों से भी अलग-अलग परिणाम प्राप्त होंगे क्योंकि खून की नसों का फैलाव अलग-अलग उंगलियों में अलग-अलग होता हैं और यही परिणाम को प्रभावित करता हैं।
विशेषज्ञों का मानना हैं कि इतने कम दोष के आधार पर पल्स आक्सीमीटर के परिणाम को ख़ारिज करना व्यक्ति के जीवन के साथ खिलवाड़ करनें जैसा है क्योंकि पल्स आक्सीमीटर वो जरूरी आंकड़े तुरंत उपलब्ध करा देता हैं जो व्यक्ति की जान बचाने के लिए आवश्यक है अनेक विशेषज्ञ इन आंकड़ों को बहुत जरूरी मानतें हैं। और अपने चिकित्सा अनुभव के आधार पर पल्स आक्सीमीटर के दोषों को सुधार भी लेते हैं।
उदाहरण के लिए काले लोगों की जांच करते समय परिणाम में औसत लेवल को बढ़ा देते हैं जबकि गोरे लोगों में परिणाम के औसत लेवल को कम कर देते हैं।
जब पल्स आक्सीमीटर उंगली की नस पर लाल प्रकाश डालता हैं तो पल्स आक्सीमीटर में लगा प्रोसेसर उंगली में मौजूद रक्त के आधार पर उसमें हिमोग्लोबिन की मात्रा निर्धारित करता हैं।
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