H3N2 वायरस क्या हैं
H3N2 वायरस एक गैर- मानव या कहें कि जिसकी उत्पत्ति मानव से नहीं हुई है, एक प्रकार के एक इन्फ्लूएंजा ए वायरस का उप प्रकार हैं.H3N2 वायरस सुंअरो में पाया जाता हैं और सुंअरो से मनुष्य में फैलता है.
H3N2 जब सुंअरो में पाया जाता हैं तो इसे स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस कहते हैं और जब यह मनुष्य में पाया जाता हैं तो इसे वेरिएंट वायरस कहते हैं.
H3N2 का नाम इस वायरस की कोट पर पाए जाने वाले दो प्रोटीन Hemagglutinin [H] और Neuraminidase [N] से लिया गया है.H के 18 प्रकार के विभिन्न सब टाइप हैं जिन्हें H1 से लगाकर H18 तक गिना जाता हैं.
इसी प्रकार N के 11 उप-प्रकार हैं जिनकी गिनती N1 से N 11 तक की जाती हैं.
H3N2 वायरस का मनुष्यों में कब पता चला
सन् 1968 में पहली बार हांगकांग में इस वायरस का पता मनुष्यों में लगा था.इसी कारण इसे हांगकांग फ्लू के नाम से भी जाना जाता हैं.
अमेरिका में सन् 2009 में यह वायरस सुंअरो में फैला था और इसके बाद यह 2011 में मनुष्यों में इस वायरस का पता स्वाइन, एवियन और मानव वायरस से पता चला था.
हाल ही में भारत में इस वायरस से लाखों लोग संक्रमित हो रहें हैं.
H3N2 वायरस के लक्षण क्या हैं
• बुखार
• गले में खराश
• सर्दी
• खांसी के लम्बें दौरे
• चक्कर आना
• उल्टी
• दस्त
• बदन दर्द
• सीने में दर्द
• अस्थमा
H3N2 वायरस से भारत में इतने लोग बीमार क्यों हो रहें हैं?
• Indian Council Of Medical Research के अनुसार इस समय भारत में मौसमी फ्लू से ग्रसित हर दूसरा व्यक्ति H3N2 वायरस की चपेट में हैं.
• ICMR के अनुसार H3N2 वायरस से ग्रसित 10 प्रतिशत व्यक्तियों को आक्सीजन की जरूरत पड़ रही हैं और लगभग 7 प्रतिशत व्यक्तियों को ICU में भर्ती होना पड़ रहा हैं.
• ICMR के अनुसार H3N2 वायरस इतना घातक साबित नहीं हो रहा हैं बल्कि कोरोना वायरस के चपेट में आने और दूसरी अन्य बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की इम्यूनिटी इतनी कमज़ोर हो गई हैं कि H3N2 वायरस जानलेवा साबित हो रहा हैं. उदाहरण के लिए यदि कोई मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी संबंधित बीमारी से ग्रसित है तो उसे और अधिक समस्या हो रही हैं.
• कोरोना में जहाँ बच्चे बहुत कम प्रभावित हुए थे वही H3N2 वायरस ने बच्चों को बहुत अधिक प्रभावित किया हैं, बच्चों में तेज बुखार और खाँसी के साथ अस्थमा हो रहा हैं.
• Central for Disease Control USA के अनुसार H1N1 और H3N2 में बड़ा अंतर यह हैं कि H3N2 viruse, H1N1 virus के मुकाबले सुंअरो से बहुत तेजी से मनुष्यों में फैलता हैं.
• इन्फ्लूएंजा वायरस लगातार म्यूटेंट करते रहते हैं यह संभव है कि यह वायरस भी तेजी से अपना रुप बदलकर मनुष्य की इम्यूनिटी को चकमा दे दें.
• Central For Disease Control And Prevention [1]√ के अनुसार जिन बच्चों का जन्म सन् 2001 के बाद हुआ हैं उनमें H3N2 Virus के प्रति कोई इम्यूनिटी नहीं पाई गई हैं जबकि वयस्कों में भी जो पूर्व में इस वायरस से ग्रसित हो चुकें हैं में थोड़ी बहुत इम्यूनिटी मौजूद रहती हैं.
• क्या H3N2 वायरस से मौत हो सकती हैं?
• Indian Council Of Medical Research, All INDIA Institute Of Medical Science के अनुसार H3N2 वायरस एक आम इंन्फ्लूएंजा वायरस की तरह सात से आठ दिन में ठीक हो जाता हैं और इससे मौत नहीं होती हैं. लेकिन यदि व्यक्ति अन्य बीमारी जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप किडनी संबंधित बीमारी आदि से ग्रसित हैं और इम्यूनिटी कमज़ोर हैं तो अस्पताल में आक्सीजन और आईसीयू की जरूरत पड़ सकती हैं और लापरवाही मौंत का कारण भी बना सकती हैं.
• क्या H3N2 वायरस से बचाव के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध हैं?
H3n2 वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने के प्रयास जारी हैं और इसके लिए एक वैक्सीन का परीक्षण चल रहा हैं.जिसके प्रारम्भिक नतीजे उत्साहजनक हैं.
बहुत से लोग फ्लू वैक्सीन को h3n2 वायरस से बचाव का तरीका बताते हैं किंतु फ्लू वैक्सीन h3n2 virus से सुरक्षा प्रदान नहीं करती हैं.
• h3n2 वायरस का इलाज क्या हैं?
H3n2 virus का इलाज एंटी वायरल ड्रग से किया जा रहा हैं. लेकिन चिकित्सक प्रारंभिक मरीजों में एंटी वायरल औषधि का प्रयोग करने से बच रहें हैं .
• h3n2 वायरस से बचाव के तरीके क्या हैं?
• भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जानें से बचें
• मास्क का प्रयोग करें
• हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करें
• संक्रमित व्यक्ति से मिलते समय आवश्यक सावधानी रखें
• h3n2 वायरस और कोविड़ -19 वायरस में क्या अंतर हैं?
H3n2 वायरस, इंन्फ्लूएंजा सब टाइप ए प्रकार का वायरस हैं जबकि कोविड़-19 सार्स कोव-2 वायरस हैं.और दोनों वायरस अलग अलग वायरस फैमिली से संबंध रखते हैं.
यह दोनों वायरस बहुत तेजी से संक्रमित करने वाले वायरस हैं और श्वसन तंत्र पर आक्रमण करते हैं. कोविड़-19 जहाँ निचले श्वसन तंत्र पर आक्रमण करता हैं जबकि h3n2 वायरस ऊपरी श्वसन तंत्र पर आक्रमण करता हैं.
• मनुष्य जाति लगातार वायरस के हमलों से ग्रसित हो रही हैं इसके लिए वायरस से बचाव की क्या रणनीति हो सकती हैं?
• वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कोविड़ समान वायरस मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही चल रहे हैं मनुष्यों ने अपनी जीवनशैली से इन वायरसों को अपने ऊपर हावी होने दिया हैं.
यदि मनुष्य अपनी जीवनशैली पूर्व की भांति व्यवस्थित कर ले तो इस प्रकार के वायरस मनुष्य का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे.
• h3n2 वायरस और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति
कोविड़- 19 के समय जब पूरी दुनिया हताश और निराश थी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और योग ने दुनिया को महामारी से बाहर आने में हर संभव मदद की थी.
वर्तमान h3n2 वायरस के फैलाव वाले दौर में भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति बीमारी का बेहतर प्रबंधन करती हैं.
• तुलसी,अदरक और कालीमिर्च से बना काढ़ा सुबह शाम वैधकीय परामर्श से लेते रहें.
• गर्म पानी के गरारे खांसी होने पर करना चाहिए.
• गिलोय का रस या गिलोय टेबलेट इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए वैधकीय परामर्श से लेते रहें.
• सुबह शाम एक एक चम्मच चवनप्राश लेते रहें.
• हल्दी वाला दूध रात को सोते समय पीना चाहिए.
• पर्याप्त मात्रा पानी पीना चाहिए.
• यौगिक क्रियाएँ और सूक्ष्म व्यायाम जरूर करें.
• सही समय पर सोएं और सही समय पर जागें.
• एच3एन2 वायरस की पहचान के लिए कौंन सी जांच की जाती हैं?
एच3एन2 वायरस की जांच के लिए Real time reverse transcriptase polymerase chain reaction (RT-PCR) और जिनोम सिक्वेंसिंग यह दो जांच विधि अपनाई जाती हैं.
Reference :
https://www.cdc.gov/flu/swineflu/variant/h3n2v-cases.htm
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