सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

5 easy Baby massage steps : शिशुओं की मालिश के 5 आसान स्टेप्स

 शिशुओं की मालिश, आपके और आपके शिशु के बीच सकारात्मक स्पर्श के माध्यम से संवाद का एक जादूई, घनिष्ठ, और प्यार भरा तरीका है। स्पर्श ही वह पहली भाषा है, जिसे शिशु समझते हैं। और प्रतिक्रिया करते हैं। अपने शिशु को पोषण देने और देखभाल करने का यह सबसे सरल और सबसे असरदार तरीका है। इसके अलावा, यह आपके शिशु को आपके स्नेह के बंधन में भी बांधता है। बेबी मालिश, हमेशा ही हमारी परम्परागत संस्कृति का हिस्सा रहा है और इसमें आपके शिशु तथा आपके लिए भी ढेरों लाभ छिपे हुए हैं।


शोध अध्ययनों से पता चला है कि शिशु की मालिश करने से चमत्कार हो सकता है यह चिल्लाना, चिडचिड़ापन कम कर सकते हैं, तथा रात में अच्छी नींद देता है। यह आपके शिशु की भावनात्मक स्वस्थता और हड्डियों को मजबूत करने के लिए भी अच्छा है।



शिशुओं की मालिश कब करना चाहिए 

ऐसा वक्त चुनें जब आप और आपका शिशु सहज और शांत हों। शिशु को आहार देने के बाद मालिश करने की सलाह दी जाती है।

 दोपहर के शुरुआती समय को ठीक माना जाता है, क्योंकि इस वक्त मौसम में गर्माहट रहती है, शिशु जागृत, आपके स्पर्श के लिए तैयार होता है और भूखा या चिड़चिड़ा नहीं होता, इसलिए अधिक सक्रिय व रूचिकर तरीके से शिशु इसे स्वीकार करता है। सभी जरूरी चीजें अपनी आसान पहुंच में रखें: मालिश के लिए तेल, तौलिया, साफ डायपर्स, और कपड़े ।


5 easy Baby massage steps। शिशुओं की मालिश के 5 आसान स्टेप्स 


अधिक जटिल मालिश जरूरी नहीं है। यह सरल तकनीक आप व आपके शिशु दोनों के लिए फायदेमंद रहेगी।


स्टेप 1

शिशुओं की मालिश कैसे करें


शिशु के पांवों से शुरू करें। शिशु की जांघों, टांगों और टखनों पर बेबी मालिश ऑयल लगाएं। एक बार में एक पैर उठाएं और हल्के दबाव के साथ हाथ फिराएं। जांघ से टखने की ओर कोमलता से मालिश करें। अब, पैर को कई बार सीधी ओर तथा विपरीत ओर घुमाएं, और अंत में पांवों की प्रत्येक अंगुली को धीरे से खींचें ।


स्टेप 2

Baby massage steps


बांहों पर भी इसी तरह नीचे की ओर हाथ ले जाते हुए मालिश करें, कंधों से शुरू करें और अंगुलियों तक जाएं। मालिश के लिए अपने अंगूठे व हाथों की दो अंगुलियों का इस्तेमाल करें और शिशु की प्रत्येक अंगुली को आहिस्ता से खींचें।


स्टेप 3


अपने शिशु के शरीर के ऊपरी भाग की मालिश करने के लिए, सीने से बाहर की ओर अपने दोनों हाथों से घेरा बनाते हुए हाथ ले जाएं। अब, हल्का दबाव डालें और बारी-बारी से अपने हाथ शिशु के सीने से नीचे जांघों तक फिराएं।


स्टेप 4

शिशुओं की मालिश के तरीके


पीठ की ओर मालिश करने के लिए, शिशु के सिर और गर्दन को सहारा देते हुए उसकी कांख के नीचे एक ओर पकड़ते हुए उसे घुमाएं। खाली हाथ की हथेली से पीठ पर मालिश करें। जब बच्चा अपना सिर ऊपर रोक सके, तो उसे पेट के बल लिटाएं और रीढ़ के दोनों ओर दोनों हाथों से गोल-गोल धेरा बनाते हुए गर्दन से नीचे कूल्हों तक फैलाते हुए, मालिश करें।


स्टेप 5


अगर आपके शिशु को यह अच्छा लगे, तो चेहरे की मालिश करने के लिए हल्के हाथों से गोल-गोल अंगुलि को घुमाएं, माथे से शुरू करें और गालों तथा पीछे तक हाथ ले जाएं।


शिशुओं की मालिश करतें समय ऐसा जरूर करें 



✓  सुनिश्चित करें कि कमरे में हल्की गर्माहट और हल्का आरामदेय प्रकाश हो ।

✓ सुनिश्चित करें कि आपका शिशु जागा हुआ तैयार, और खेलने के मूड में हो । आपके शिशु के अमौखिक संकेतों को पहचानना सीखें।

✓ मालिश को अपने शिशु की दिनचर्या का नियमित हिस्सा बनाएं। रोजना लगभग एक ही समय पर योजना बना कर मालिश करें।

✓ शिशु को पीठ के बल ठोस सतह पर सुविधाजनक ऊंचाई पर लिटाएं, जो आप दोनों के लिए सुविधाजनक हो ।

✓ अपने नाखून तराश लें, जिससे शिशु को नुकसान न पहुंचे। शिशु को मालिश या स्नान कराने से पहले, अपने हाथ धोएं, अपनी घड़ी तथा दूसरे आभूषण जैसे कि अंगूठियां और चूड़ियां आदि निकाल दें।


शिशुओं की मालिश करतें समय ऐसा कभी नहीं करें 


•एक क्षण के भी अपने शिशु को बिना निगरानी के मत छोड़ें।

• अगर आपके शिशु की त्वचा पर खंरोच, कोई चोट हो या वह बीमार हो, तो मालिश मत करें।

• अपने शिशु की इच्छा के विरूद्ध मालिश मत करें, या मालिश करने के लिए उसे नींद से मत जगाएं। कई बार आपका शिशु मालिश कराने के मूड में नहीं हो सकता है, जैसे कि जब वह भूखा हो, थका हो या अस्वस्थ महसूस कर रहा हो।

• बेड या काउच जैसी नर्म सतह पर लिटाकर मालिश मत करें। दृढ़ सतह पर लिटाएं।

• किसी वयस्क पर इस्तेमाल की जाने वाली डीप मसल ( मास-पेशियों पर गहराई तक ) मालिश तकनीक इस्तेमाल मत करें। बेबी मालिश त्वचा पर बहुत हल्का दबाव लगाते हुए, हल्के और सौम्य स्ट्रोक इस्तेमाल करते हुए की जाती है।

आपके शिशु की आंखों, नाक या कान में तेल न जाने दें। ध्यान रखें कि शिशु का तेल गुनगुना हो, गर्म नहीं हो।

शिशुओं की मालिश के लिए कोन सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए 


शिशुओं की त्वचा, बड़ों की त्वचा कि तुलना में बहुत नाजुक होती और तेजी से अपनी नमी खोती है। जिससे त्वचा के रूखे हो जाने का खतरा बन जाता है। इसलिए, शिशुओं की त्वचा को विशेष सावधानी और देखभाल चाहिए ।

शिशुओं की कोमल त्वचा को सुरक्षित रखने और आराम पहुंचाने के लिए हर्बल ऑयल, पुराने जमाने से ही सभी माताओं और दादीमाँ लोगों का पसंदीदा रहा है।

हर्बल, रसायन रहित, और हाइपोएलर्जेनिक बेबी मालिश ऑयल चुनें, क्योंकि कठोर रसायन, आपके शिशु की त्वचा पर एलर्जी और रैशेस् उत्पन्न कर सकते हैं!

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार शिशुओं की मालिश के लिए जो हर्बल आयल सबसे अच्छे माने जाते हैं वो हैं

• नारियल तेल

• सरसो का तेल

• जेतून का तेल

• तिल का तेल 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x