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एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन क्या हैं

#1.एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन क्या हैं ?

पोषक तत्व
 एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन

एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन प्रणाली से अभिप्राय यह हैं,कि मृदा उर्वरता को बढ़ानें अथवा बनाए रखनें के लिये पोषक तत्वों के सभी उपलब्ध स्त्रोंतों से मृदा में पोषक तत्वों का इस प्रकार सामंजस्य रखा जाता हैं,जिससे मृदा की भौतिक,रासायनिक और जैविक गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव डाले बगैर लगातार उच्च आर्थिक उत्पादन लिया जा सकता हैं.
 
विभिन्न कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों में किसी भी फसल या फसल प्रणाली से अनूकूलतम उपज और गुणवत्ता तभी हासिल की जा सकती हैं जब समस्त उपलब्ध साधनों से पौध पौषक तत्वों को प्रदान कर उनका वैग्यानिक प्रबंध किया जाए.एकीकृत पौध पोषक तत्व प्रणाली एक परंपरागत पद्धति हैं.

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#2.एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन का महत्व ::

अब एकीकृत पौध पोषक तत्व प्रणाली का महत्व इसलिये हैं,कि बढ़ती हुई जनसंख्या की उदरपूर्ति केवल लगातार खाघान्न की बढ़ोतरी से ही संभव हैं.इसलिये प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि करनी होगी.जिसके लिये प्रति हेक्टेयर अधिक पौषक तत्वों की आवश्यकता हैं.

अब यह बात समझ में आ गई हैं,कि देश में उर्वरक उत्पादन का स्तर पर्याप्त नहीं हैं.जिससे कि वर्तमान में पौधों की कुल पौषक तत्वों की आवश्यकता की पूर्ति हो सकें.

खाद और उर्वरक पर किये गये परीक्षणों से यह बात स्पष्ट हो गई कि केवल रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से किसी भी फसल या फसल प्रणाली से अधिक उपज प्राप्त नहीं की जा सकती हैं.अत: यह निर्विवाद सत्य हो गया हैं,कि कार्बनिक खादों के साथ - साथ रासायनिक खादों से न केवल अधिक उपज ली जा सकती हैं,बल्कि लम्बें समय तक इनके इस्तेमाल से भूमि की उर्वरता स्तर में भी सुधार होता हैं.

सघन खेती में उर्वरक समन्वित पौध पोषण आपूर्ति प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घट़क हैं.भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व में कृषि उत्पादन में 50% वृद्धि केवल रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से हुई हैं,लेकिन फसलों द्वारा उर्वरकों की उपयोग क्षमता लगभग 50% या इससे भी कम हैं.तथा शेष मात्रा विभिन्न प्रकार की हानि प्रक्रियाओं द्धारा नष्ट हो जाती हैं.

आजकल युरिया,डाई - अमोनियन फाँस्फेट (D.A.P.) और म्यूरेट़ आँफ पोटाश (M.O.P) का प्रचलन अधिक बढ़ गया हैं,जो केवल नाइट्रोजन,फाँस्फोरस और पोटाश के अलावा अन्य पोषक तत्वों को प्रदान नहीं करतें हैं,इनके लगातार प्रयोग से मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आ गई हैं,जबकि जैविक उर्वरकों के प्रयोग से फसलों को सूक्ष्म पोषक तत्व प्राप्त होतें रहतें हैं.

भारत में 47% मृदाओं में जस्ता (zink),11.5% में लोहा (Iron),4.8% में तांबा (copper),तथा 4% मृदाओं में मैंगनीज की कमी हैं.जिसका प्रभाव फसलों की उपज व गुणवत्ता पर पढ़ रहा हैं.

भारतीय मृदाओं में जैविक कार्बन की सर्वत्र कमी हैं,कार्बनिक खाद जैसें गोबर की खाद, हरी खाद, जैव उर्वरक तथा कम्पोस्ट मृदा उर्वरता बनाये रखनें,उत्पादन को स्थिर रखनें एंव पोषक तत्वों का सही परिणाम प्राप्त करनें के लिये आवश्यक हैं.

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कार्बनिक खादें वर्तमान फसल को तो लाभ पहुँचाती ही हैं साथ ही आगामी फसल को भी अवशोषित प्रभाव द्धारा लाभ पहुँचाती हैं.एक टन सड़ी हुई गोबर खाद से लगभग 12 kg पोषक तत्व (नाइट्रोजन,फास्फोरस, तथा पोटाश) प्राप्त होतें हैं,तथा 3.6 kg उर्वरक तत्वों के बराबर अनाज पैदा करती हैं.

खरीफ की फसलों में गोबर की खाद के प्रयोग से उत्पादकता में बगैर हानि पहुँचायें ,उर्वरक प्रयोग में कटोती की जा सकती हैं.रासायनिक उर्वरकों की मांग को कम करनें के लिये उपलब्ध अवशिष्ट पदार्थों को कार्बनिक स्त्रोंतों के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता हैं.

दीर्घकालीन उर्वरक परीक्षण के परिणामों से पता हैं,कि लगातार धान ,गेंहूँ,फसल चक्र अपनानें से मृदा से जैविक कार्बन स्तर में कमी आई हैं.लगातार रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य में कमी और फसल उत्पादकता स्थिर या कम हो गई थी.जबकि रासायनिक उर्वरकों के साथ जैविक खाद के प्रयोग के परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि परिलक्षित हुई हैं.
अत: समन्वित पौध पोषण में केवल रासायनिक उर्वरकों के लगातार प्रयोग की अपेक्षा कार्बनिक खादों के साथ रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बहुत ही लाभकारी हैं.

#3. पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व और उनकी कमी होनें पर समस्या :::

खेती के लिये उपयोगी पोषक तत्व
 एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन

#1. Boron (बोरोन) :::


बोरान पौधे की पत्तियाँ के लियें आवश्यक पोषक तत्व हैं,इसकी कमी होनें पर पोधे पत्तियों का रंग काला पढ़ जाता हैं.कलियाँ टूट कर गिर जाती हैं.जिससे पौधे की वृद्धि रूक जाती हैं.

#2. Sulphur (सल्फर) :::


सल्फर की कमी होनें पर पत्तियाँ गहरी हरी होनें के बजाय हल्की हरी होनें लगती हैं.और पत्तियों की शिरायें पीली पढ़ जाती हैं.

#3.Manganese (मेंगनीज) :::


मेंगनीज की कमी से पत्तियाँ पीली पढ़कर ,शिरायें गहरी हरी हो जाती हैं,और पत्तियाँ गिर जाती हैं.

#4.Zinc (जिंक) :::


पत्तियाँ छोटी रह जाती हैं,और उसके सिरें नुकीले हो जातें हैं,

#5.Magnesium (मेग्नेशियम) :::


पत्तियों के किनारें नुकीलें होकर पत्तियाँ झढ़ जाती हैं.


#6.Phosphorus (फास्फोरस) :::


पौधा छोटा रह जाता हैं,पत्तियों के निचें तामिया कलर होकर पत्तियाँ गिर जाती हैं.तना कमज़ोर हो जाता हैं.

#7.Calcium (केल्सियम) :::


कैल्सियम की कमी होनें पर पौधा ऊपरी सिरें से सुखना शुरू करता हैं.और फूल की कलियाँ गिर जाती हैं.

#8.Iron (आयरन) :::


पत्तियों की शिरायें एकदम हरी होकर पत्तियाँ पीली हो जाती हैं,तथा उस पर कोई धब्बा नहीं दिखाई देती .

#9.Copper (कापर):::

गिरी हुई पत्तियाँ और झुकी हुई 

#10.Molybdenum (मालिब्डेनम) :::


पत्तियों पर लाल धब्बे बन जातें हैं.और इनकें निचें से चिपचिपा स्त्राव होता रहता हैं.

#11.Potassium (पोटेशियम) :::

पत्तियाँ सिरों से सुखकर मुड़ जाती हैं,और सिरों पर छोटें - छोंटे धब्बे बन जातें हैं.

#12. Nitrogen (नाइट्रोजन) :::


अत्यधिक पीला रंग होकर पत्तियाँ नुकीली हो जाती हैं.पौधा बोना रह जाता हैं.

#4.एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के उद्देश्य ::


• उर्वरकों की उपयोग क्षमता में वृद्धि करना.

• फसलों की उत्पादकता बढ़ाना.

• मृदा उर्वरता को बढ़ाना और उसे स्थिर रखना.

• पर्यावरण को प्रदूषित होनें से बचाना.

#5.एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के प्रमुख घट़क :::

• गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद,केंचुआ खाद, गोबर गैस की खाद,खली की खाद, तालाब की मिट्टी, मुर्गी की खाद,पशु जनित खाद.

• फसल अवशेष

• जीवाणु उर्वरकों से पोषक तत्व प्रबंधन राइजोबियम,एजेटोबेक्टर एजोस्पाइरीलम,नील हरित शैवाल,एजोला,स्फुरघोलक,सूक्ष्म जीवाणु माइक्रोराइजा

• फसल चक्रों और अन्तर्वरती खेती के द्धारा पोषक तत्व प्रबंधन



टिप्पणियाँ

Payal ने कहा…
Ekikrit poshak tatv prabndhan par bhut hi satik jankari hai
Unknown ने कहा…
Micronutrients fasl mei dalne se sbhi प्रकार के पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।

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