भारत में एनीमिया एक गम्भीर समस्या के रूप में विद्यमान हैं । भारत सरकार के साथ राज्य सरकारे एनीमिया से निपटने के लिये वृहत कार्ययोजना के तहत काम कर रही हैं । एनीमिया को खत्म करने के लिये चलाये जाने वाला ऐसा ही एक कार्यक्रम हैं । सॉलिड बनो इंडिया ।
आइये जानते है सॉलिड बनो इंडिया कार्यक्रम के बारे मे विस्तार से की सॉलिड बनो इंडिया कार्यक्रम क्या है ।
एनीमिया आयरन या लौह तत्व की कमी से होने वाली गम्भीर बीमारी हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों के अनुसार देश के 50% से अधिक किशोर किशोरियों में खून की कमी पायी जाती है । किशोरियों में पर्याप्त पोषण नहीं मिलने के कारण और माहवारी शुरू होने से एनीमिया गम्भीरतम रूप में विद्यमान रहता हैं ।
# साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम किशोर अवस्था पर ही क्यों केंद्रित हैं ?
1.इस गम्भीरतम एनीमिया का प्रभाव किशोर अवस्था से ही आ जाने के कारण देश का बड़ा नुकसान होता हैं । क्योंकि किशोर अवस्था से ही बीमार होने का सीधा मतलब है राष्ट्र लम्बे अर्से तक बीमार व्यक्ति के साथ आगे बढ़ेगा ।
2.किशोर बालिकाओं में माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव।
3.किशोर अवस्था मे एनीमिया से बचाव एवं उपचार अधिक आसान होता हैं ।
2.किशोर बालिकाओं में माहवारी के दौरान अधिक रक्तस्राव।
3.किशोर अवस्था मे एनीमिया से बचाव एवं उपचार अधिक आसान होता हैं ।
# किशोरों में एनीमिया एवँ पोषण में कमी के परिणाम
1.जल्दी थकावट
2.सांस फूलना
3.घबराहट होना
4.चक्कर आना
5.एकाग्र नही हो पाना
6.कार्यक्षमता प्रभावित होना
7.आयु अनुसार वृद्धि नहीं होना
8.यौन परिपक्वता में देरी
9.गर्भपात होना
10.रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
11.बार - बार बीमार होना
12.असुरक्षित मातृत्व
13.पढ़ाई में कमज़ोर
14.हाथो की हथेलियों में, नीचे की पलकों में अंदर की ओर, जीभ, त्वचा, नाखून में सफेदी या पीलापन
15.मुँह के कोने फटे होना
16.मुँह में घाव होना
17.परिश्रम करने पर हृदय की गति तीव्र होना
18.पैरों में ऐंठन होना
19.पैरों में सूजन आना
14.हाथो की हथेलियों में, नीचे की पलकों में अंदर की ओर, जीभ, त्वचा, नाखून में सफेदी या पीलापन
15.मुँह के कोने फटे होना
16.मुँह में घाव होना
17.परिश्रम करने पर हृदय की गति तीव्र होना
18.पैरों में ऐंठन होना
19.पैरों में सूजन आना
आयरन क्या है ?
आयरन हमारे शरीर के लिये आवश्यक खनिज पदार्थ हैं।आयरन मानव शरीर की कोशिकाओं का ही भाग हैं । आयरन प्रोटीन हीमोग्लोबिन का ही भाग हैं जो फेफड़ों से हमारे शरीर से विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता हैं ।
एनीमिया क्या हैं ?
मानव रक्त में हीमोग्लोबिन नामक एक लाल रंगदृव्य होता हैं ,जो लौह तत्वों से परिपूर्ण होता हैं ।इसका कार्य शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाना होता हैं ।
आहार में आयरन की कमी के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती हैं।जिससे रक्त पतला एवँ कम लाल रंग का हो जाता हैं इस कारण शरीर के विभिन्न अँगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती हैं। यह स्थिति रक्ताल्पता अथवा एनीमिया कहलाती हैं ।
आहार में आयरन की कमी के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती हैं।जिससे रक्त पतला एवँ कम लाल रंग का हो जाता हैं इस कारण शरीर के विभिन्न अँगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती हैं। यह स्थिति रक्ताल्पता अथवा एनीमिया कहलाती हैं ।
# एनिमिया की पहचान हेतू हीमोग्लोबिन का न्यूनतम स्तर
आयु / लिंग हीमोग्लोबिन ग्राम / 100
बच्चे 6 माह से 6 वर्ष 11
शिशु 6 से 14 वर्ष 12
किशोर 15 से 19 वर्ष 12
वयस्क पुरूष 13
वयस्क गर्भवती 11
एनिमिया के सामान्य कारण
1.पोषण से सम्बंधित
आहार के माध्यम से कम लौह तत्व लेने से शरीर में आयरन की कमी,
आयरन की निम्न जैव उपलब्धता आदतन उच्च फेट वाला अन्न आधारित आहार लेना तथा लौह तत्वों को अवशोषित करने वाले तत्वों जैसे की विटामिन C का कम लेना ।
अपोषणीक एनीमिया
किशोर अवस्था में शरीर में लौह तत्व की आवश्यकता एकाएक बढ़ जाना ।
पेट में कृमि होना।
शरीर में संक्रमण होना।
माहवारी के दोरान अत्यधिक रक्तस्त्राव ।
कम उम्र में विवाह के बाद जल्दी जल्दी गर्भधारण ।
किशोरावस्था में एनिमिया की रोकथाम एवँ नियंत्रण
आयरन युक्त सन्तुलित आहार जैसे अरहर दाल,रोटी, चावल, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल जैसे अनार तथा दूध आदि का सेवन दैनिक उपभोग में करना ।
विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ लौह तत्वों को शरीर मे अवशोषित करने में सहायक होते हैं । अतः भोजन में इनको शामिल करना ।
चाय में उपस्थित टैनिन लौह तत्वों का शरीर में अवशोषण कम करता हैं । अतः भोजन के तुरंत बाद चाय नही पीना चाहिए ।
साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम (wifs )
Wifs कार्यक्रम द्वारा किशोरावस्था में होने वाली रक्ताल्पता को नियमित साप्ताहिक आयरन तथा फॉलिक एसिड की गोलियों से रोका जाता हैं । आदर्श रूप में 1 वर्ष में 52 गोलियां रक्ताल्पता निरोध के लिये पर्याप्त मानी जाती हैं ।
1.किशोर एवँ किशोरियों को साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड की बड़ी नीली गोली खिलाना (आयरन 100 मि.ग्रा. व फॉलिक एसिड 500 माइक्रो ग्राम )
2.वर्ष में दो बार पेट के कीड़ों का संक्रमण रोकने हेतू एल्बेंडाजोल 400 मि. ग्रा. वर्ष में दो बार देना ।
आयरन फॉलिक एसिड गोली लेने की कुछ सावधानियां
खाली पेट गोली नही लेना चाहिये ।
गोली खाने के बाद कुछ मामलों में चक्कर आना,जी मचलाना जेसे दुष्प्रभाव देखे जाते हैं ,इसके लिये गोली का सेवन भोजन के पश्चात करना चाहिये ।
गोली सेवन के 1 घण्टे पश्चात तक चाय / कॉफी का सेवन न करें ।
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
1.यदि कोई बालक बालिका गोली का सेवन किसी वज़ह से नियत दिन नहीं कर पाते तो क्या करेंगे ?
उत्तर : यदि किसी कारण गोली का सेवन नियत समय पर नहीं हो पाता हैं ,तो अगले दिन गोली का सेवन किया जा सकता हैं।इसके पश्चात गोली नियमित समय से फिर शुरू की जा सकती हैं ।
2.क्या थैलीसीमिया या सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को आयरन फॉलिक एसिड गोली दी जा सकती हैं ?
उत्तर :: यदि बच्चा थैलीसीमिया या सिकल सेल एनिमिया से पीड़ित हैं तो अच्छा होगा गोली नहीं दी जाये क्योंकि इस केस में आयरन की कमी से एनीमिया नहीं हुआ है ।
3.यदि कोई गम्भीर बीमारी हैं तो क्या गोली देनी चाहिये ?
उत्तर :: यदि कोई गम्भीर बीमारी का पता चलता हैं तो गोली तुरन्त रोक देनी चाहिये और इस बारे में विशेषज्ञ द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करना चाहिये ।
4.क्या आई. एफ.ए. की गोली खाने से कोई एलर्जी या रिएक्शन होता हैं ?
उत्तर :: जी नहीं आई. एफ.ए. की गोली से किसी भी प्रकार का कोई रिएक्शन नहीं होता हैं ।
5.क्या आई. एफ.ए. गोली को टीबी उपचार के साथ दिया जा सकता हैं ?
उत्तर:: जी आई. एफ.ए. गोली को टी. बी. उपचार के साथ दिया जा सकता हैं ।
6.गोली खाने के बाद उल्टी जी मचलाना चक्कर आने पर क्या करना चाहिये ?
उत्तर :: गोली खाने के बाद यदि उल्टी ,जी मचलाना, या चक्कर आ रहे हो तो निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार ले ।
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