भारत में बेरोजगारी की दर पूरें विश्व में सबसे ज्यादा हैं.जहाँ एक बड़ी युवा आबादी काम करनें की उम्र की होनें के बावजूद उन्हें काम नही मिल पा रहा हैं.
बेरोजगारी की यही स्थिति भारत के प्रदेशों की हैं.म.प्र.इस मामलें में अछूता नही हैं,प्रदेश में बेरोजगारी की इस भयावहता से छूटकारा दिलानें तथा युवाओं को कौशलपूर्ण प्रशिक्षण उपलब्ध करानें के लियें म.प्र.शासन नें म.प्र.युवा स्वरोजगार योजना तथा मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना शुरू की हैं.
# म.प्र.युवा स्वरोजगार योजना
म.प्र.के युवाओं को स्वरोजगार की ओर आकर्षित करनें के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई हैं.इस योजना के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार शुरू करनें हेतू बैंकों से रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराना.
# म.प्र.युवा स्वरोजगार योजना के उद्देश्य
• म.प्र.के बेरोजगार युवाओं को अपना स्वंय का रोजगार उपलब्ध कराना.
• युवा रोजगार प्राप्त करनें की अपेक्षा रोजगार देनें वाला बन सकें.
# पात्रता
• आवेदक को म.प्र.का मूल निवासी होना अनिवार्य हैं.
• आवेदनकर्ता रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हो यानि वह बेरोजगार हो.
• आवेदनकर्ता की उम्र 18 से 39 वर्ष के बीच होना आवश्यक हैं.
• योजना का लाभ प्राप्त करनें वाला व्यक्ति किसी भी बैंक का डिफाल्टर नहीं होना चाहियें.
• योजना का लाभ प्राप्त करनें वाला व्यक्ति पहले से इस तरह की अन्य योजना का लाभार्थी नही होना चाहियें.
# आवेदन कहाँ करें
संबधित जिलें के जिला व्यापार एँव उधोग केन्द्र में आवेदन समस्त दस्तावेजों के साथ दो प्रतियों में
# योजना की विशेषता
• इस योजना में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उधोग इकाई हेतू अधिकतम 25 लाख रूपये तथा सेवा इकाई हेतू अधिकतम 10 लाख रूपये का ऋण उपलब्ध कराया जाता हैं.
• इस योजना में ऋण पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता हैं जो सामान्य वर्ग के आवेदकों को कुल लागत का 15% हैं.तथा अनूसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिये कुल लागत का 30% होता हैं.
# लाभ प्राप्त करनें हेतू आवश्यक दस्तावेज़
• जन्मतिथी का प्रमाण पत्र
• म.प्र.का मूल निवासी प्रमाण पत्र
• आधार कार्ड़
• मतदाता परिचय पत्र
• शैक्षणिक योग्यता संबधी प्रमाण पत्र
• भूमि ,भवन यदि किराये पर हो तो किरायानामा
• मशीनरी /उपकरण/साज - सज्जा हेतू वर्तमान दरों के कोटेशन ( यदि लागू हो तो )
• जाति संबधी प्रमाण- पत्र (यदि लागू हो तो )
• यदि उधमिता प्रशिक्षण प्राप्त हो तो उसका प्रमाण पत्र
• यदि गरीबी रेखा से निचें जीवन यापन करतें हैं,तो राशन कार्ड
# मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना
प्रदेश में औधोगिक ज़रूरतों के मुताबिक प्रशिक्षित कामगारों की पूर्ति प्रदेश के ही मानव संसाधन से करनें हेतू यह योजना शुरू की गई हैं.
# योजना का उद्देश्य
• परंपरागत आई.टी.आई द्धारा पूर्ति नही की जा सकनें वालें प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना.
• गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण द्धारा रोजगार के अवसर में वृद्धि लाना.
• राष्ट्रीय मानको के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करना.
# प्रशिक्षण के लिये पात्रता
• औपचारिक शिक्षा को छोड़ चुकें युवा
• ऐसे युवा जो अपने अनौपचारिक कौशल का प्रमाणीकरण चाहतें हो.
• ऐसे युवा जो अपना कौशल विकसित कर स्वरोजगार में नियोजित होना चाहतें हैं.
• महिलायें और वंचित समूह जो कौशल प्राप्त करना चाहतें हो.
• विमुक्त,घुमक्कड़ और अर्ध घुमक्कड़ वर्ग के युवा
• नक्सलवाद क्षेत्रों के युवा.
# प्रशिक्षण के क्षेत्र
• परिधान
• ग्रह सज्जा
• कृषि
• प्लम्बर
• आटोमोबाइल
• लकडी का काम
• तकनीकी क्षेत्र
• निर्माण क्षेत्र
• घरेलू काम
• बिजली से संबधित काम
• हार्डवेयर से संबधित क्षेत्र
• खाद्य प्रशिक्षण
• रिटेल
• आईटी
• सुरक्षा
• टेलीकाँम
• टूरिज्म और हास्पिटेलिटी
• वित्त
# योजना की समीक्षा
म.प्र.सरकार द्धारा शुरू दोनों योजनाएँ सैद्धांतिक रूप में ठीक हैं किंतु व्याहवारिक रूप से खामियों से भरी हुई हैं जैसें
• बैंक से कर्ज लेना युवाओं के लिये मैराथन दोड़ जैसा हैं क्योंकि बैंक आसानी से युवाओं को ऋण प्रदान नही करती .
• मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में ऋण प्राप्त करनें वालें युवाओं का प्रतिशत बेरोजगार युवाओं के मुकाबलें बहुत कम हैं.हम कह सकतें हैं कि योजना ' ऊँट के मुँह में जीरें ' के समान साबित हो रही हैं.
• मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना में प्रशिक्षण प्राप्त करनें वालें युवाओं को नियोजित करनें की समुचित व्यवस्था नही हैं.
• कौशल संवर्धन योजना में ट्रेनिंग प्रदान करनें वालें ट्रेनिंग केन्द्रों का विकेन्द्रण छोटे कस्बों तक नही हुआ हैं.
• स्वरोजगार योजना में भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या हैं प्रत्येक काम का रेट तय हैं जो ऋण प्राप्तकर्ता को देना पड़ता हैं.यहाँ तक की बैंक अधिकारीयों को रिश्वत देनें के बाद ही ऋण राशि मिलती हैं.
यदि इन दोंनों योजनाओं का महत्व प्रदेश के विकास के दृष्टिकोण से देखे तो कहा जा सकता हैं कि ये योजनाएँ युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान कर सकती हैं बशर्तें
#१. योजना का क्रियान्वयन बेहतर हो
#२.प्रशिक्षण के उपरांत नियोजन की बेहतर व्यवस्था हो.
#३.भ्रष्टाचार कम हो
#४.वास्तविक लाभार्थीयों तक योजना का लाभ पहुँचें.
#५.बैंकों से बेरोजगार युवाओं को ऋण देनें की प्रक्रिया सरलीकृत होना चाहियें.
• कौशल संवर्धन योजना में ट्रेनिंग प्रदान करनें वालें ट्रेनिंग केन्द्रों का विकेन्द्रण छोटे कस्बों तक नही हुआ हैं.
• स्वरोजगार योजना में भ्रष्टाचार बहुत बड़ी समस्या हैं प्रत्येक काम का रेट तय हैं जो ऋण प्राप्तकर्ता को देना पड़ता हैं.यहाँ तक की बैंक अधिकारीयों को रिश्वत देनें के बाद ही ऋण राशि मिलती हैं.
यदि इन दोंनों योजनाओं का महत्व प्रदेश के विकास के दृष्टिकोण से देखे तो कहा जा सकता हैं कि ये योजनाएँ युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान कर सकती हैं बशर्तें
#१. योजना का क्रियान्वयन बेहतर हो
#२.प्रशिक्षण के उपरांत नियोजन की बेहतर व्यवस्था हो.
#३.भ्रष्टाचार कम हो
#४.वास्तविक लाभार्थीयों तक योजना का लाभ पहुँचें.
#५.बैंकों से बेरोजगार युवाओं को ऋण देनें की प्रक्रिया सरलीकृत होना चाहियें.
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