Liv 52 vs Livamrit Patanjali
Liv 52 लिवर से संबंधित बीमारीयों के लिए सन् 1955 से एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा पद्धति के डाक्टरों में समान रूप से लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधि हैं. Liv 52 हिमालय कंपनी द्वारा बनाई जाती हैं.
Livamrit Patanjali आयुर्वेद के एक और विश्वसनीय ब्रांड पतंजलि आयुर्वेद का उत्पाद हैं. आइये जानतें हैं Liv 52 vs Livamrit की शोध आधारित तुलना के बारें में
Liv 52 Ingredients
1.Kasani Cichorium intybus
•Liv 52 में कासनी के बीज होते हैं कासनी लीवर सिरोसिस के रोगी में लीवर को नुकसान पंहुचाने वाले एंजाइम alanine aminotransferase और aspartate aminotransferase का उत्सर्जन कम करता हैं.
• शोध नतीजों के अनुसार कासनी बीज ऐलोपैथिक दवा acetaminophen, Paracetamolऔर Carbon Tetrachloride के कारण होने वाले लीवर के नुकसान को रोकता हैं.
• चूहों पर किए गए अध्ययन के अनुसार कासनी लीवर को सुरक्षित रखने वाली (heptoprotective) बहुत ही प्रभावी औषधि हैं.
• कासनी के बीज फैटी लीवर के लिए उत्तम औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते हैं कासनी बीज लीवर की कोशिकाओं में फैट जमा होने से रोकते हैं.
2.Himsra Capparis Spinosa
Liv 52 में हिमसरा की जड़ होती हैं, हिमसरा भी प्राचीन काल से आयुर्वेद चिकित्सा में लीवर की बीमारी के इलाज हेतू प्रयोग किया जा रहा है और आधुनिक विज्ञान ने इसके गुणों को प्रमाणित किया हैं.
• हिमसरा में मौजूद Quercetin नामक फ्लैवनाइड एंटी आक्सीडेंट होता हैं जो लीवर को नुकसान पंहुचाने वाले फ्री रेडिकल्स को कम करता हैं और लीवर को सुरक्षित रखता है.
• हिमसरा शराब के कारण लीवर कोशिकाओं को हुई क्षति को कम करता हैं और लीवर कोशिकाओं के पुनर्निर्माण को प्रोत्साहित करता हैं.
• हिमसरा Non Alcoholic fatty liver disease के कारण लीवर में बढ़े सीरम ALT, LDH और AST को कम करता हैं.[√]
3. मंडूर भस्म
आयुर्वेद चिकित्सा में मंडूर भस्म का प्रयोग एनिमिया, पीलिया के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है, जब रेड आयरन आक्साइड को उच्च तापमान पर शोधित किया जाता है तो मंडूर भस्म बनती हैं.
• Liv 52 में मौजूद मंडूर भस्म पीलिया होने पर खून में बढ़े हुए बिलुरुबिन के स्तर को कम करती हैं.
• मंडूर भस्म लीवर को डिटाक्स करके लीवर के सामान्य कामकाज के लिए तैयार करती हैं.
• मंडूर भस्म शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाती हैं.
• मंडूर भस्म लीवर कोशिकाओं में आक्सीजन का स्तर तेजी से बढ़ाती हैं जिससे लीवर क्षतिग्रस्त होने से बचा रहता है.
4. कालीमिर्च Solanum nigrum
• कालीमिर्च सदियों से भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा हैं इसमें मौजूद औषधीय गुण भी बहुत विस्तृत हैं.
• कालीमिर्च एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणधर्म दर्शाती हैं, शोधकर्ताओं के अनुसार कालीमिर्च फैटी लीवर के कारण लीवर में आई सूजन को कम करती हैं.
• कालीमिर्च hyperglycemia और hyperlipidemia के कारण होने वाली Chronic liver disease को रोकने में कारगर हैं.[√]
5. अर्जुन छाल Terminalia arjuna
अर्जुन छाल ह्रदय की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करती हैं लेकिन शोध रिपोर्ट के अनुसार अर्जुन छाल में मौजूद बायो एक्टिव तत्व लीवर को सुरक्षित रखते हैं और लीवर से हानिकारक तत्व को बाहर निकालते हैं.
• अर्जुन छाल चूर्ण में मौजूद Arjunolic acid और oleanane triterpenoid नान एल्कोहालिक फैटी लीवर से लीवर को सुरक्षित रखता हैं.
6. कासामर्द cassia occidentalis
कासामर्द या कासंदी यूनानी चिकित्सा में सदियों से क्षतिग्रस्त लीवर के उपचार हेतु प्रयोग किया जा रहा हैं.
• शोधकर्ताओं के अनुसार Liv 52 में मौजूद कासामर्द पेरासिटामोल और अल्कोहल के कारण क्षतिग्रस्त हुए लीवर को ठीक करता हैं.
7. Biranjasipha Achillia millefolium
• Liv 52 में मौजूद बिरांजासिफा लीवर की मांसपेशियों को नर्म मुलायम बनाकर लीवर में फाइब्रोसिस बनने से रोकता हैं.
• बिरांजासिफा लीवर में आने वाले संभावित सूजन को रोकता हैं जिससे भविष्य में लीवर सिरोसिस नहीं बन पाता हैं.
8. जावुका Tamarix gallica
•Liv 52 में मौजूद जावुका में फाइटोकेमिकल्स tamarixin, troupin मौजूद होते हैं यह यौगिक लीवर में कैंसरजन्य वृद्धि को रोकते हैं.[√]
• जावुका लीवर टानिक की तरह काम करता हैं और लीवर को ताकत प्रदान करता हैं.
• जानीमानें health portal Pubmd के अनुसार जावुका ट्यूबरकुलोसिस के उपचार में प्रयोग की जाने वाली एंटी बायोटिक से क्षतिग्रस्त हुए लीवर को पुनः सुधारती हैं.
Liv 52 Tablet में उपरोक्त तत्व मौजूद होते हैं जबकि Liv 52 syrup कुछ अतिरिक्त औषधियों के साथ प्रोसेस की जाती हैं जो निम्नलिखित हैं.
1. भृंगराज Eclipta alba
• Liv 52 में मौजूद भृंगराज में एंटी आक्सीडेंट तत्व होते हैं जो लीवर पर मौजूद विषैले तत्वों को कम करता हैं .
• भृंगराज हाई फेट डाइट से पैदा हुई नान एल्कोहालिक फैटी लीवर डिजीज से लीवर की सुरक्षा करता हैं.
2. भुईआंवला phyllanthus amarus
• Liv 52 में मौजूद भुईआंवला में phyllanthin नामक एंटी आक्सीडेंट तत्व होता हैं जो रक्त में बिलुरुबिन का स्तर कम करता हैं.
• भुईआंवला अल्कोहल के कारण लीवर के क्षतिग्रस्त ऊतकों की फिर से मरम्मत करता हैं।
• एक प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार भुईआंवला हेपेटाइटिस बी पैदा करने वाले वायरस को रोकता हैं इस अध्ययन के अनुसार लगातार 20 दिनों तक भुईआंवला देने से हेपेटाइटिस बी वायरस की सतह पर मौजूद एंटीजन खत्म हो गया। √
3. पुनर्नवा Boerhaavia diffusa
• Liv 52 में मौजूद पुनर्नवा एसीटामिनोफेन से क्षतिग्रस्त हुए लीवर की कोशिकाओं का पुन:निर्माण करता हैं।
• शोधकर्ताओं के अनुसार पुनर्नवा रेडिएशन के कारण लीवर में बढ़े lipid peroxidation level को कम करता हैं। √
• पुनर्नवा लीवर को डिटाक्स कर उसे स्वस्थ्य रखती हैं।
4. गिलोय Tinosspora Cardifolia
Liv 52 में गिलोय जड़ का सत मौजूद होता हैं ।
• गिलोय लीवर में मौजूद कुफ्फर कोशिकाओं की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार लाती हैं। [√]
• गिलोय पीलिया के उपचार में बहुत उपयोग की जाती हैं यह पीलिया के कारण हुई लीवर की क्षति को ठीक करती हैं।
5. दारुहरिद्रा berberis aristata
• शोधकर्ताओं के अनुसार दारुहरिद्रा लीवर के कैंसर की संभावना कम करती हैं।
• दारुहरिद्रा लीवर में मौजूद इन्फेक्शन और सूजन को कम करती हैं।
Patanjali Livamrit
पतंजलि लिवामृत टैबलेट फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, भूख न लगना, एनीमिया में उपयोगी है। लीवर के स्वास्थ्य के लिए एक आयुर्वेदिक उपाय, जिसे पतंजलि कंपनी द्वारा पेटेंट कराया गया है। यह एक अद्वितीय हर्बल फार्मूला है, जिसके घटकों की क्रिया यकृत कोशिकाओं के प्रभावी विषहरण में योगदान करती है।
उपचार के हेपाटो सुरक्षात्मक और इम्यूनो मॉड्यूलेटरी प्रभावों का उद्देश्य हेपेटाइटिस, पीलिया, एनीमिया और भूख विकार जैसी बीमारियों का इलाज करना है। इसके उपयोग से सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा अवरोध बढ़ता है, जो लीवर कोशिकाओं को और अधिक नुकसान होने के जोखिम को रोकता है।
अगर स्वस्थ जीवन जीना है तो लीवर का रखो ख्याल
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लीवर आपके शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों का आवश्यक हिस्सा होता है। यह पाचन, विषक्रिया, खून के निर्माण, रसायनिक ऊर्जा का नियंत्रण, विटामिन और खनिजों का संचयन, और शरीर की संतुलितता बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, लीवर विषाणुओं और जीवाणुओं से शरीर की सुरक्षा करने का काम भी करता है।
लीवर आपके शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों का आवश्यक हिस्सा होता है:
**पाचन प्रक्रिया में मदद:** लीवर पाचन प्रक्रिया में मदद करके खाद्य सामग्री को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और विटामिन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों में बदलता है।
*खून की शुद्धि:** लीवर विषैले पदार्थों को खून से निकालने और शरीर से बाहर करने के लिए मदद करता है।
*ग्लूकोज का संचयन और निर्माण:** लीवर ग्लूकोज को संचित करके जरूरत के हिसाब से उसे निर्मित करता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
**विटामिन और खनिजों का संचयन:** यह विटामिन और खनिजों को संचित करता है जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
**विषाणुओं और जीवाणुओं का प्रबंधन:** लीवर शरीर में मौजूद विषाणुओं और जीवाणुओं को नियंत्रित करने में मदद करता है और संरक्षण प्रदान करता है।
**खून के रक्ततंत्र का संरक्षण:** लीवर रक्त को सही मात्रा में रखकर शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचाने में मदद करता है।
**शरीर की संतुलितता बनाए रखना:** लीवर शरीर की अंतरिक और बाह्य संतुलितता को बनाए रखने में मदद करता है, जैसे कि ब्लड प्रेशर और विषाणु संतुलन।
लीवर के ये कार्य आपके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए आपको अपने लीवर की देखभाल करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
लीवर की खराबी से कई बीमारियाँ हो सकती हैं, जिनमें से कुछ आम बीमारियाँ निम्नलिखित हैं:
1. फैटी लीवर: यह स्थिति जब होती है जब शरीर में अतिरिक्त वसा लीवर में जमा हो जाता है, जिससे लीवर की कार्यशीलता प्रभावित हो सकती है।
2. हेपेटाइटिस: यह वायरल संक्रमण लीवर की सूजन और क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिससे त्वचा और आँखों का पीलापन, थकान, उल्टी, और पेट में दर्द हो सकता है।
3. सिरोसिस: यह एक प्रगतिशील लीवर बीमारी है जिसमें लीवर के कोशिकाएँ अवरोधित हो जाती हैं, जिससे लीवर कार्यशीलता कम हो सकती है।
4. किरोसिस: यह एक गंभीर बीमारी होती है जिसमें शराब की अधिक सेवन के कारण लीवर में अवसाद होता है।
5. लीवर कैंसर: लीवर के कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास लीवर कैंसर का कारण बन सकता है।
6. गालब्लेडर स्टोन: यह कब्ज़ और पाचन सिस्टम में समस्याओं के कारण बन सकते हैं, जिनसे लीवर को भी प्रभावित किया जा सकता है।
लीवर को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:
सही आहार: पोषण से भरपूर आहार खाएं, जो हरी सब्जियों, फलों, पूरे अनाज, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स से भरपूर हो। तला हुआ और जंक फूड कम खाएं।
. सही वजन पर नियंत्रण रखें: आपका वजन नियंत्रित रहना भी लीवर के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अतिरिक्त वजन लीवर को थकान और तनाव में डाल सकता है।
पर्याप्त पानी पीना: पर्याप्त पानी पीना लीवर के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि यह तात्कालिक विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
सीमित अल्कोहल सेवन: अधिक अल्कोहल सेवन से बचें, क्योंकि यह लीवर को क्षति पहुंचा सकता है
स्वास्थ्यपूर्ण जीवनशैली: योग और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, क्योंकि यह आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
यदि आपको लगता है कि आपके लीवर में किसी प्रकार की समस्या हो सकती है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण है।
Benifit of Livamrit
1. सूजन रोधी: शरीर के तंत्र पर कार्य करके सूजन को कम करना।
2. लीवर को होने वाले नुकसान से बचाएं।
3. रेचक: आंतों की निकासी को उत्तेजित करने या सुविधाजनक बनाने की प्रवृत्ति।
4. पेट संबंधी: गैस्ट्रिक गतिविधि को उत्तेजित करता है
5. यह अपने स्वेदजनक, मूत्रवर्धक और रेचक प्रभाव के कारण विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को शुद्ध करता है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
6. यह लीवर विकार के कारण शरीर में जल प्रतिधारण में मदद करता है।
7. यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
8. यह मूत्रवर्धक है और पेशाब को बढ़ावा देता है।
9. यह लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में उपयोगी है।
10. यह लीवर की बेहतर कार्यप्रणाली में सहायता करता है।
PATANJALI LIVAMRIT TABLET 33 G
By: PATANJALIPatanjali livamrit tablet is useful in fatty liver, hepatitis, loss of appetite, anemia. An ayurvedic remedy for liver health, patented by the firm of patanjali. It is a unique herbal formula, the action of which components contributes to the effective detoxification of liver cells. Hepato protective and immuno modulatory effects of the remedy are aimed at treating diseases such as hepatitis, jaundice, anemia, and appetite disorders. Its use increases the protective immune barrier, which prevents the risk of further damage to liver cells.
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