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Rainy season :: ह्रदयरोगी ये सावधानियां जरुर रखें

Rainy season :: ह्रदयरोगी ये सावधानियां जरुर रखें

 Rainy season यानि बरसात का मौसम शुरू होने वाला है और इसके साथ ही वातावरण में उमस नमी और ठंडाई घुल जाती हैं। ह्रदयरोग विशेषज्ञों की मानें तो बरसात से लेकर ठंड की शुरुआत तक जाती में दर्द,एंजाइना, ह्रदयरोग के बहुत अधिक मामले प्रकाश में आते हैं। 
ह्रदयरोगी को बरसात में कौंन सी सावधानी रखना चाहिए


ऐसे निम्न कारणों से होता है ।


• बरसात में यदि कोई ह्रदयरोगी, उच्च रक्तचाप का मरीज, मधुमेह रोगी लम्बें समय तक गीला होता है तो शरीर में ठंड उतर जाती हैं।

 फलस्वरूप ह्रदय की धमनियां सिकुड़ जाती है और ह्रदय को अधिक क्षमता से कार्य करना पड़ता हैं। जब ह्रदय अधिक कार्यक्षमता से काम करता है तो रक्तचाप बढ़ जाता है और ह्रदयरोग के ओर गंभीर होने की संभावना बन जाती है । दूसरे शब्दों में कहें तो heart attack आनें की संभावना होती है।

• बरसात के मौसम में उमस अधिक होने और पसीना अधिक निकलने के कारण रक्त गाढ़ा होने और रक्त का थक्का बनने की संभावना बहुत अधिक होती हैं । 

• लम्बें समय तक बरसात होने से शारीरिक गतिविधि नहीं हो पाती ऐसा उन बुजुर्गों के साथ अधिक होता है जो सुबह शाम मार्निंग वाक के लिए पार्क में या अपने हमउम्र के साथियों के साथ घूमने जाते हैं और छत पर सीढ़ी चढ़कर घूमने में असमर्थ होते हैं।

• ह्रदयरोगी यदि बरसात में भीगकर घर आता है तो शरीर का तापमान बहुत कम हो जाता है जब शरीर तापमान बढ़ाने की कोशिश करता हैं तो ह्रदय को अधिक खून पंप करना पड़ता है जिससे कभी कभी दिल का दौरा उठ जाता है।

• बरसात के दिनों में सावन की झड़ी लगती है तब सुबह सुबह तापमान बहुत कम हो जाता है ऐसे समय में ह्रदय की धमनी कम तापमान के कारण सिकुड़ जाती है और व्यक्ति को छाती में दर्द की शिकायत होने की संभावना बढ़ जाती है। 

• बहुत से ह्रदय रोगी जिन्हें सर्जरी की जरूरत होती है और चिकित्सक ने उन्हें सर्जरी करवाने की सलाह भी दी है परन्तु बरसात का मौसम देखकर सर्जरी नहीं करवाते और फिर उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता है।

• शहरों में बरसात के मौसम में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है फलस्वरूप पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन नहीं मिल पातीं है और व्यक्ति को heart attack आ जाता हैं।

इन समस्याओं से बचने के लिए दिल के मरीज, मधुमेह रोगी,और उच्च रक्तचाप के रोगियों को निम्न सावधानी रखना चाहिए


• ह्रदयरोगी, उच्च रक्तचाप रोगी और मधुमेह के कामकाजी लोग बरसात के मौसम में घर से आफिस और आफिस से घर आते समय अच्छी क्वालिटी का रेनकोट अपने पास जरुर रखें। यदि कार से आफिस जातें हो तो ए.सी.का तापमान सामान्य रखें ।

• ह्रदयरोगी , उच्च रक्तचाप रोगी और मधुमेह रोगी बरसात शुरू होते ही और उसके बाद हर महीने अपने चिकित्सक से परामर्श कर आवश्यक जांचें अवश्य करवा लें। 

•  अगर आप बरसात के मौसम में घूमने बाहर नहीं जा पा रहें हैं तो घर पर ही योग प्राणायाम और वाकिंग करें।

• बरसात के मौसम में यदि घर से बाहर निकलते हैं तो शरीर पर काटन के मोटे कपड़े ही पहनें , जालीदार और पतले कपड़े पहनकर घर से ना निकले।

• बरसात के मौसम अधिक चाय, काफी और तला हुआ रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत तेजी से बढ़ाता है अतः इस तरह के खानपान पर नियंत्रण रखें।

• बरसात के मौसम में ह्रदयरोगी शरीर में पानी का स्तर बनाकर रखें , यदि शरीर में हाइड्रेट रहेगा तो शरीर में रक्त का थक्का नहीं बनेगा और रक्त संचार सही रहेगा।

• यदि ह्रदय की कोई सर्जरी होना है तो की लोग उसे बरसात के मौसम के बाद करवाना उचित समझते हैं ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात में सर्जरी का घाव देर से भरता है,यह एक आम समस्या है। 

ऐसा बिल्कुल भी नही करें यदि आपके सर्जन ने आपको निश्चित समय पर सर्जरी करवाने का बोला है तो तुरंत करवा लें। क्योंकि आजकल तकनीक इतनी उन्नत हो गई है कि व्यक्ति सर्जरी के बाद बहुत तेजी से ठीक होकर घर जाता हैं और वो भी बिना किसी बड़ी चीरफाड़ के।

• ह्रदयरोग विशेषज्ञों के अनुसार बरसात के मौसम में ह्रदयरोगी भोजन हल्का और सुपाच्य ही करें क्योंकि बरसात के मौसम में भोजन को पचाने वाले पाचक रसों का स्त्रावण कम हो जाता है यदि अधिक भारी भोजन करेंगें तो यह ह्रदय पर प्रेशर डालेगा और इससे ह्रदयघात हो सकता है।

• बरसात के मौसम में धूप बिल्कुल भी नही निकलती है फलस्वरूप शरीर में विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है।

 नए शोधों के अनुसार हृदयाघात heart attack से बचाने में विटामिन डी बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। अतः अपने चिकित्सक के परामर्श से विटामिन डी सप्लीमेंट अवश्य ले।

• जो लोग गांवों में या खेतों के आसपास रहते हैं और पहले से ह्रदयरोगी, उच्च रक्तचाप के रोगी और मधुमेह रोगी है उन्हें बरसात के मौसम में खेतों में छींटे जाने वाले पेस्टिसाइड से विशेष सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि ये जहरीली पेस्टिसाइड सांसों के माध्यम से रक्त में मिलकर शरीर में आक्सीजन का स्तर कम कर देते हैं जिससेे heart attack आनें की संभावना बन जाती है।

• प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर ह्रदयरोगी जहां तक संभव हो सकें यात्रा टाले या फिर उच्च क्वालिटी का मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलें।


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