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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Homeopathy medicine for emergency uses in hindi

  Homeopathy medicine for emergency uses in hindi मित्रों हमारा उद्देश्य आपकों निरोगी healthy रखना हैं। इसी तारतम्य में हम आपकों हर वो जानकारी उपलब्ध कराते हैं जो आपके स्वास्थ के लिए जरूरी हैं ।  तो आईए जानतें हैं आज कुछ महत्वपूर्ण Homeopathy medicine for  emergency uses in hindi के बारें में ।जो आप अपने घर में रखकर emergency में प्रयोग कर सकतें हैं, लेकिन यह जाननें से पहले हम होम्योपैथी चिकित्सा का थोड़ा सा परिचय प्राप्त कर लेतें हैं । Homeopathy होम्योपैथी चिकित्सा के जनक जर्मनी के डाँ.सैम्युअल हैनीमन हैं। ये एक एलोपैथिक चिकित्सक थे किंतु मानव समाज को निरापद चिकित्सा उपलब्ध करानें की लालसा ने इन्हें होम्योपैथी जैसी निरापद चिकित्सा की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया ।और सन् 1796 में डाँ.सैम्युअल हैनीमन ने होम्योपैथी चिकित्सा का प्रादुर्भाव किया । डाँ.सैम्युअल हैनीमन का जन्म सन् 1755 ईस्वी में जर्मनी के मीसेन शहर में हुआ था । इन्होनें  होम्योपैथी चिकित्सा का सिद्धांत प्रतिपादित किया जो कि सम:सम्म शमयति  के नाम से विश्व विख्यात हुआ ।  इस सिद्धांत के अनुसार एक स्वस्थ शरीर में जो पदार्थ

द्राक्षारिष्ट के फायदे [DRAKSHARISHTA KE FAYDE]

 द्राक्षारिष्ट के फायदे [DRAKSHARISHTA KE FAYDE]   आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथों में द्राक्ष यानि किशमिश का चिकित्सकीय उपयोग विस्तारपूर्वक बताया गया हैं । द्राक्ष से बनने वाली औषधि "द्राक्षारिष्ट" एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि हैं आईये जानतें हैं  द्राक्षारिष्ट के फायदे के  बारें में द्राक्षारिष्ट के घटक Draksharishta content : द्राक्षारिष्ट                                1.द्राक्षा (मुनुक्का).-  ( Vitis vinifera) 2.परियांगु - (callicarpa macrophylla) 3.लोंग (piper longum) 4.सौंठ (Zingiber officinale) 5.पीपली () 6.वायविडंग (Embelia ribes) 7.धायफूल (Woodfordia fruticosa) 8.इलायची 9.नागकेशर 10.गुड़  ० द्राक्षारिष्ट के फायदे द्राक्षारिष्ट के फायदे बताते हुए आयुर्वेद ग्रंथों में लिखा हैं  तृष्णादाहज्वर श्वासरक्तपित्तक्षतक्षयान।वात्तपित्तमुदावर्तस्वरभेदंमदात्यम्।।तिक्तास्यतामास्यशोषंकाशच्चाशुव्यपोहति।मृद्धीकाबृंहणीवृष्यामधुरस्निग्धशीतला।।   द्राक्ष या मुनुक्का प्यास,जलन,बुखार,श्वास,दूषित रक्त,चोंट,वातपित्त,स्वरभेद,खाँसी,क्षय को नष्ट करता हैं । यह शरीर के लिए पुष्टिकारक वीर्य की वृद्ध

औषधीय गुणों का खजाना हैं गेंहू के जवारें का जूस [ Javare ke juice ke fayde]

औषधीय गुणों का खजाना हैं गेंहू के जवारें का जूस  [ Javare ke juice ke fayde] गेंहू से बनी रोटी,गेंहू से बनी ब्रेड और गेंहू से निर्मित नूडल्स लोगों की भूख मिटाती हैं । किंतु बहुत कम लोग जानतें हैं कि गेंहू के जवारे रोगों को मिटाते हैं तो आईयें जानतें हैं गेंहू के जवारे के औषधीय गुणों के बारें में javare ke juice ke fayde        गेंहू के जवारे गेंहू के जवारे में पाए जानें वाले पौषक तत्व गेंहू के घास कुल का पौधा हैं जिसका वानस्पतिक नाम "ट्रिटिकम वेस्टिकम" हैं । गेंहू के जवारें में विटामीन ए, बी,विटामीन बी 17(लेट्रियल),विटामीन सी,विटामीन ई,विटामीन के,अमीनो एसिड़, आयोडिन,सेलेनियम, लौह तत्व, जिंक आदि महत्वपूर्ण तत्व पर्याप्त मात्रा में पाये जातें हैं । प्रति 100 मिली ग्राम जवारें में पाए जानें वाले पौषक तत्व 1.विटामीन ई ---------------- 24948 mcg 2.विटामीन बी 12 ------------- 8.5 mg 3.विटामीन सी -------------------- 28.3 mg 4.प्रोटीन -----------------------24381 mg 5.पोटेशियम -------------------1190 mg 6.आयरन ----------------------- 18.7 mg 7.मैग्निशियम-------------------226.8 mg 8

सर्जरी [SURGERY] और ऐनेस्थिसिया के जनक :आचार्य सुश्रुत

 सर्जरी [SURGERY] और ऐनेस्थिसिया के जनक :आचार्य सुश्रुत भारत सरकार ने अभी हाल ही में आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी [SURGERY] का अधिकार देकर आयुर्वेद चिकित्सा विधा सर्जरी को अपनी मूल जड़ों की ओर लोटाने का काम किया हैं ।  जबकि आमजनों में यही धारणा विधमान हैं कि सर्जरी ऐलोपैथिक विधा हैं । विश्व में सबसे पहले सर्जरी का आविष्कार लगभग 2500 वर्ष पूर्व [प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा]  आयुर्वेद के महान चिकित्सक आचार्य सुश्रुत द्धारा किया गया था ।  आचार्य सुश्रुत नें अपने लिखित चिकित्सा ग्रंथ "सुश्रुत संहिता" Shushrut Sanhita में सर्जरी के कई प्रकार और इन सर्जरी के लिए उपयोग होने वाले कई उपकरणों का वर्णन किया हैं । इसी प्रकार आचार्य सुश्रुत ने अपनी सर्जरी के लिए रोगी को सर्वप्रथम संज्ञाहारक [ऐनेस्थिसिया] दिया था ।  तात्कालिन समय में आचार्य सुश्रुत शल्यक्रिया [SURGERY] से पूर्व रोगी को अल्कोहल युक्त विभिन्न पेय पदार्थ पीलाकर सर्जरी के दौरान होनें वाले दर्द से मुक्ति दिलानें के लिए बेहोश करते थे ।  इस प्रकार आचार्य सुश्रुत विश्व के प्रथम ऐनेस्थेसिओलोजिस्ट थे।  आचार्य सुश्रुत का जीवन परि

दूध पीने के फायदे और नुकसान। Benefit of milk in hindi

 दूध पीनें के फायदें और नुकसान  भारतीय संस्कृति और समाज में दूध इस तरह से रचा बसा हैं कि बिना दूध के किसी सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजन की कल्पना करना भी असंभव हो जाता हैं । यहाँ तक की भारतीयों ने अंग्रेजों से विरासत में मिली चाय को भी दूधमय कर दिया हैं आज के सन्दर्भ में बिना दूध के चाय की  कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं । दूध का नाम लिया और गोपाल कृष्ण कन्हैया के नाम  का जिक्र न हो तो लेख अधूरा सा लगता हैं कृष्ण भगवान जिनका बचपन ही गाय ,दूध और माखन के इर्दगिर्द घूमता हैं । दूध को सम्पूर्ण आहार माना गया हैं ।और भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राष्ट्र हैं । तो दूध पीनें के फायदे और नुकसान के बारें जाननें से पहले दूध के बारें में आवश्यक जानकारी के बारें में गाय के दूध में पाए जानें वाले पौषक तत्व Nutritional value of cows milk कार्बोहाइड्रेट ---------- 5.26 ग्राम वसा         -------------- 3.25 ग्राम प्रोटीन      ---------------- 3.22 ग्राम विटामीन ए --------------- 28 iu विटामीन B1---------------- 0.44 मिलीग्राम विटामीन B2 ----------------- 0.183 मिलीग्राम विटामीन D -------–----------