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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Corona Vaccine : वो सभी जानकारी जो आपको जानना चाहिए

Corona Vaccine  कोविशील्ड़ Covishield कोविशील्ड़ ब्रिटेन की एस्ट्रोजेनेका और भारत की सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोरोना वायरस प्रतिरोधी वैक्सीन है । कोविशील्ड़ ChAdoxInCov 19 Recombinant तकनीक पर आधारित टीका हैं जिसे चिंपाजी के शरीर में पाए जाने वाले एडिनो वायरस [जो मानव शरीर में प्रतिकृति नहीं बना पाते] और SARS Cov 19 वायरस के स्पाइक प्रोटीन [जो मानव भ्रूणीय गुर्दे पर आनुवांशिक रूप से परिवर्तित कर] (Genetically modified) तैयार किया जाता है। एशिया,अफ्रीका और यूरोप में हुए परीक्षणों के आधार पर कोविशील्ड़ कोरोनावायरस के प्रति प्रभावकारी साबित हुई और इसने कोरोनावायरस की घातकता से बचाकर जीवन की रक्षा की है।  कोविशील्ड़ का प्रभाव • कोविशील्ड़ टीके के पहले डोज के बाद दूसरे डोज में 6 सप्ताह से कम समय का अंतर रखने पर टीके का प्रभाव 53.28 प्रतिशत पाया गया । • जिन लोगों को प्रथम खुराक के बाद टीके की दूसरी खुराक के बीच अंतराल 40 से 60 दिन रखा गया उनमें टीके की प्रभाविता 51.08 प्रतिशत पाई गई । • जिन लोगों को टीके की प्रथम खुराक के बाद दूसरी खुराक में 9 से 11 सप्ताह का अंतर रखा गया उन

बाकुची के फायदे। Bakuchi ke fayde

बाकुची के फायदे । Bakuchi ke fayde बाकुची के पौधे बरसात में सामान्यतः उगते हैं । Bakuchi ke podho की लम्बाई एक से लेकर चार फीट तक होती हैं । बाकुची की डाली सीधी और पत्ते ग्वार के पत्तों के सदृश्य होते हैं । बाकुची के पत्तों के कोनों में से तीन इंच लम्बे ऊंगली के समान डंठल निकलते हैं और इनके ऊपर गहरे बैंगनी रंग के फूल निकलते हैं। बाकुची bakuchi के फूलों का आकार तुलसी की मंजरी के समान होता हैं । बाकुची के पौधे का चित्र बाकुची के फूलों में से पतली तोते के समान फलियां निकलती हैं जो पकने पर काली पड़ जाती हैं । इन फलियों में बीज भी काले रंग के निकलते हैं ।  1.बाकुची के फायदे सफेद दाग में 2.गठान होनें पर बाकुची के फायदे 3.दाद खाज में बाकुची के फायदे 4.बालों के लिए बाकुची के फायदे 5.पीलिया होनें पर बाकुची के फायदे 6.दांतों की सड़न रोकनें में बाकुची के फायदे 7.दस्त रोकनें में बाकुची के फायदे 8.त्वचा के कैंसर को रोकनें में बाकुची के फायदे बाकुची का संस्कृत नाम  सोमराज,कृष्णफल,कुष्ठनाशिनी,सोमवल्ली बाकुची का हिन्दी नाम बावर्ची,बकुची बाकुची का लेटिन नाम Psoralea corylifolia सोरेलिया कोरिलीफोलिया आय

भारत में सामने आया Yellow Fungus का पहला केस

भारत में सामने आया Yellow Fungus का पहला केस     ब्‍लैक और व्‍हाइट फंगस के बाद अब देश में एक और नए फंगस ने दस्‍तक दे दी है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है.   पूरा देश पहले ही कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर और उसके बाद आए ब्‍लैक फंगस (Black Fungus) एवं व्‍हाइट फंगस (White Fungus) से त्रस्‍त है. वहीं अब देश में येलो फंगस (Yellow Fungus) ने भी दस्‍तक दे दी है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (Ghaziabad) में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. येलो फंगस का शिकार हुए इस मरीज का फिलहाल गाजियाबाद के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.  ये हैं Yellow Fungus के लक्षण   विशेषज्ञों ने इस फंगस के लक्षण भी बता दिए हैं. येलो फंगस के मरीज को सुस्ती, भूख कम होना या बिल्कुल भूख न लगने जैसे शुरुआती लक्षण आते हैं. साथ ही मरीज का वजन भी कम होने लगता है. वहीं गंभीर मामलों में मवाद आने, घावों के धीमी गति से ठीक होने, कुपोषण, अंगों का काम करना बंद करने जैसे स्थिति पैदा हो जाती है. इसके मरीज की आंखें भी अंदर धंस जाती हैं.  बाकी दोनों फंगस से है ज्‍यादा खतरनाक  कहा जा रहा है कि यह

डी डायमर टेस्ट क्या होता है। what is D-dimer test in hindi

  डी डायमर टेस्ट क्या होता है। what is D-dimer test in hindi डी डायमर टेस्ट डी डायमर टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जिसके माध्यम से रक्त नलिकाओं में मौजूद खून के थक्कों (blood clot) का पता लगाया जाता है। जब शरीर का कोई भाग नुकीली वस्तु से कट जाता है तो कुछ समय पश्चात खून निकलने के बाद खून निकलना बंद हो जाता है,ऐसा कटी हुई जगह पर रक्त का थक्का या फिब्रीन के जमा होने से होता है। जब कटी हुई जगह ठीक हो जाती है तो रक्त का थक्का या फिब्रीन भी रक्त में घुल जाता है,इसी फिब्रीन की सबसे छोटी इकाई होती हैं जिसे डी डायमर कहते हैं।  डी डायमर एक प्रोटीन होता है जो इस रक्त के थक्के में मौजूद होता है ,डी डायमर टेस्ट  के द्वारा इसी प्रोटीन की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। रक्त में अधिक डी डायमर का अर्थ होता है कि रक्त में थक्कों की मौजूदगी है।  डी डायमर टेस्ट क्या होता है इसका पता आपको लग गया होगा। डी डायमर टेस्ट की नार्मल वेल्यू क्या होती है D-dimer test करने के लिए रक्त का नमूना लेकर  टरबिडोमेट्रिक इम्यूनोऐसे विधि द्वारा जांच की जाती है । इस विधि द्वारा डी डायमर टेस्ट की नार्मल वेल्यू प्रति मिलीली

ब्लैक फंगस [Black fungus] बीमारी क्या होती है। ब्लैक फंगस के लक्षण, कारण और बचाव

 ब्लैक फंगस [Black fungus] बीमारी क्या होती है  ब्लैक फंगस बीमारी एक फफूंदजनित संक्रमण है जिसे म्यूकरमाइकोसिस या जाइगोमाइकोसिस के नाम से जाना जाता है। ब्लैक फंगस आमतौर पर बहुत कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है। ब्लैक फंगस आंख,नाक,और मस्तिष्क को अधिक प्रभावित करता है। मानव में होने वाला फंगल इंफेक्शन "राइजोपस ऐरिजुस" नामक म्यूकोरेसी परिवार के फंगस से फैलता है।  कुछ अन्य प्रकार के फंगस भी है जैसे कनिंगमेला,बर्थोलेटिया,एपोफाइसोमाइसिस एलिगेंस,एबिसिडिया स्पेशीज,सकसेनिया स्पेशीज,राइजोम्यूकार प्यूसीलस,एंटोमोपेथोरा स्पेशीज,कंडिय़बोलस स्पेशीज,बेसिडियोबोलस जो कि फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार होते है। ब्लैक फंगस ब्लैक फंगस के लक्षण ब्लैक फंगस होने पर कुछ आम प्रकार के लक्षण उभरते हैं जैसे नाक,आंख और मस्तिष्क में संक्रमण होने पर • नाक से काला तरल पदार्थ निकलता है • नाक के अन्दर और आंखों में काली पपड़ी जमना • आंखों का लाल होना,पानी आना और सूजन आना • नाक बंद होना • नाक के आसपास साइनस में सूजन और दर्द फेफड़ों में ब्लैक फंगस का संक्रमण होने पर लक्षण • फेफड़ों में दर्