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आयुर्वैदिक तेल और उनके फायदे

1 महाभृंगराज तेल : सिर पर इसकी धीरे-धीरे मालिश करने पर यह बालों का गिरना बंद करता है और गंजापन समाप्त कर बालों को बढ़ाने में मदद करता है।  असमय सफेद हुए बालों को काला करने के साथ ही यह सिर की गर्मी को शांत कर माथे को ठंडा करता है। 2  नारायण तेल : सब प्रकार के वात रोग, पक्षघात (लकवा), हनुस्म्भ, कब्ज, बहरापन, गतिभंग, कमर का दर्द, अंत्रवृद्धि, पार्श्व शूल, रीढ़ की हड्डी का दर्द, गात्र शोथ, इन्द्रिय ध्वंस, वीर्य क्षय, ज्वर क्षय, दांतों के रोग, पंगुता आदि के लिए यह एक प्रसिद्ध औषधि है।  दो-तीन बार पूरे शरीर में मालिश करना एवं 1 से 3 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ पीना फायदेमंद है। 3 चंदनबला लाशादि तेल : इसके प्रयोग से शरीर की सातों धातुओं में वृद्धि होती है एवं वात विकार नष्ट होते हैं।  कास, श्वास, क्षय, शारीरिक क्षीणता, दाह, रक्तपित्त, खुजली, शिररोग, नेत्रदाह, सूजन, पांडू व पुराने ज्वर में यह बेहद उपयोगी है।  दुबले-पतले शरीर को पुष्ट करता है एवं बच्चों के लिए सूखा रोग में लाभकारी है। सुबह व रात्रि को इसकी मालिश करना लाभकारी है।                         4 इरमेदादि तेल : यह तेल

१०० swasthprad jankariya

*आयुर्वेद से कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए* 1योगभोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है। 2 *लकवा*  सोडियम की कमी के कारण होता है । 3 *हाई वी पी में*   स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे । 4 *लो बी पी*  सेंधा नमक डालकर पानी पीयें । 5 *कूबड़ निकलना* फास्फोरस की कमी । 6 *कफ*  फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है   फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं  7 *दमा अस्थमा*  सल्फर की कमी । 8 *सिजेरियन आपरेशन*  आयरन  कैल्शियम की कमी । 9 *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* । 10 *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* । 11 *जम्भाई* शरीर में आक्सीजन की कमी । 12 *जुकाम*  जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें । 13 *ताम्बे का पानी*  प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें । 14  *किडनी*  भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये । 15 *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो  पुर्तगाल की सभ्यता से आयी है

ॐ उच्चारण करने के 11 शारीरीक लाभ

*"ॐ" के उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ:*  Om *ॐ* ओउम् तीन अक्षरों से बना है। जिनमें है क्रमशः अ उ म्। *"अ"* का अर्थ है उत्पन्न होना, *"उ"* का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास, *"म"* का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना। *ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।* *ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।* ॐ का उच्चारण कैसे स्वास्थ्यवर्द्धक और आरोग्य के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। *उच्चारण की विधि* प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें।  ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं।  इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं। *01) ॐ और थायराॅयडः* ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। *02) ॐ और घबराहटः-* अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं। *03) ॐ और त

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस  आइये जाने आज का ज्ञान  . *पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद,पकड़ी और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है* *पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %* *अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है* *आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है* *अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही* *हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्तान होगा* *वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए* पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। पीपल को वृक्षों का राजा कहते है।  *अब करने योग्य कार्य *इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस पर बैन लगाया जाय* *आइये हम सब मिलकर अपने "हिंदुस्तान" को प्राकृतिक आपदा