सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

यूनानी चिकित्सा पद्धति एक परिचय [Unani ]

 यूनानी चिकित्सा पद्धति एक परिचय


यूनानी चिकित्सा पद्धति रोग निदान की एक विस्तृत और व्यवस्थित पद्धति हैं । इस पद्धति के जनक हिप्पोक्रेट्स हैं । 

हिप्पोक्रेट्स ने 460 से 377 ईसा पूर्व के बीच मिश्र,इराक तुर्की के मध्य यूनानी चिकित्सा पद्धति का आविष्कार किया।

 इसके बाद 129 से 200 ईसा पूर्व के बीच हकीम जालीनूस ने यूनानी चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाया । इसके बाद यूनानी चिकित्सा शास्त्री जाबिर- इब- हयात और हकीम - इब - सिने ने इस दिशा में महत्वपूर्ण काम किया ।

यूनानी चिकित्सा
यूनानी चिकित्सा



आधुनिक भारत में यूनानी चिकित्सा का इतिहास


भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति की शुरूआत 10 वी शताब्दी से मानी जाती हैं किंतु भारत में यूनानी चिकित्सा (Unani) पद्धति को पुनर्जीवित कर आधुनिक रूप देनें का श्रेय हकीम अजमल खान को जाता हैैं । हकीम अजमल खान के प्रयासो से ही दिल्ली में यूनानी चिकित्सा में पढा़ई हेतू "तिब्बतिया कालेज" की स्थापना हुई ।

हकीम अजमल खान के प्रयासो को मान्यता देते हुये भारत सरकार ने उनके जन्मदिवस 11 फरवरी को 'राष्ट्रीय यूनानी दिवस'के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया जिसकी शुरूआत सन् 2016 से हुई थी ।

वर्तमान में हैदराबाद में स्थित 'Central Research institute of Unani Medicine (C.R.I.U.M) जो कि भारत सरकार केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के अधीन हैं।यूनानी चिकित्सा में शोध को बढ़ावा देने वाला शीर्षस्थ संस्थान हैं ।
इसके अलावा राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान बैंगलूरू यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर का चिकित्सा संस्थान हैं।

यूनानी चिकित्सा पद्धति संसार की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति में शुमार की जाती हैं,जिसमें रोग निवारण, स्वास्थ्य प्रोत्साहन के साथ स्वास्थ्य पुनर्स्थापना को महत्व दिया जाता हैं ।

यूनानी चिकित्सा पद्धति का आधारभूत ढाँचा गहरे दार्शनिक अंतदृष्टि तथा वैज्ञानिक सिद्धांतो पर आधारित हैं ।

 यूनानी चिकित्सा पद्धति में चार तत्व ( अरकान) आग,हवा,मिट्टी तथा पानी ,इन तत्वों की कैफियत (Qualities) ,गर्म,सर्द(ठंडा),तर(गीला),तथा ख़ुश्क (सूखा) तथा अखलाक (देह द्रव),दम (रक्त),बलगम(कफ),सूरा (पीला पित्त)तथा सौदा (काला पित्त) के सिद्धांत सम्मिलित हैं ।इनके असंतुलित होनें से बीमारीयाँ पैदा होती हैं ।

जीवित तथा निर्जीव में अरकान तथा उनकी कैफियत के एक विशेष अनुपात में सम्मिलित होनें से जो कैफियत पैदा होती हैं,उसे मिजाज (Temperament) कहते हैं ।

इंसानी मिजाज को देह द्रव से सम्बद्ध किया गया हैं,जैसे कमली,सफरावी,सौदावी,तथा बलगामी जिनका सम्बंध आहार,औषधि तथा वातावरण आदि से जोड़ा जा सकता हैं ।


यूनानी चिकित्सा पद्धति की विशेषता


यूनानी चिकित्सा पद्धति की महत्वपूर्ण विशेषता हैं,इसकी समग्र दृष्टि (Holistic approach) प्रकृति या मिजाज को ध्यान में रखकर इलाज करना ।

यूनानी औषधियाँ आयुर्वेदिक औषधियों की भाँति शरीर पर बिना किसी side effects के काम करती हैं । 

पुरानी और जटिल बीमारीयों के उपचार और गुणवत्तापूर्ण जीवन [Healthylifestyle] के लक्ष्य को हासिल करनें मे यूनानी चिकित्सा पद्धति बहुत उपयोगी साबित हुई हैं । उदाहरण के लिए मानसिक विकार,पाचन संस्थान के रोग,त्वचा संबधित बीमारीयों,रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढोतरी,कैंसर,एड्स,ट्यूबरक्लोसिस आदि ।


यूनानी चिकित्सा पद्धति के सिद्धांत

(अ)उसूले इलाज (Principal of treatment)


1.इजाला - ए-सबब  - कारण को दूर करना

2.तादिले मिजाज - स्वभाव की विकृति हटाना

3.तनकिया -  विषाक्त पदार्थ शरीर से निकालना  

4.इलाज बिल ज़िद - विपरित स्वभाव से उपचार करना


5.इलाज बिल यद - शल्यक्रिया (surgery)

6.इलाज -ए-नफसानिया - मानसिक रोगों का इलाज

7.इलाज बिल दवा (Pharmcotherapay)

8.इलाज बिल गिजा (Dieatotherapay)


(ब)इलाज - बिल -तदबीर (Regimenal Therapy)


1.मालिश (message)

2.व्यायाम (Exercise)

3.हमाम (Dedicated Bath)

4.हिजामा (Cupping)

5.जोंक लगाना (Leeching)

6.फसद (Venesection)

7.इदरार -ए-बोल (Diuresis)

8.इसहाल (Purgation)

9.कै (Emesis)

10.तारीक (Diaphoresis)

11.तैय (Cauterization)

(स).रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी



(द).नाडी परीक्षण (Examination of pulse)



यूनानी मेडिसिन के प्रकार


1.हब (Tablet)


औषधीय वनस्पति, पदार्थ आदि को पीसकर उसमें शहद,गोंद और पानी मिलाकर गोली बनाई जाती हैं।चपटी गोली को कुर्स के नाम से जबकि गोल को हब कहते हैं ।


2.कुश्ता (भस्म)


धातु पदार्थों को विशेष विधि से आग में जलाकर राख बना लेते हैं इसके बाद इसमें औषधी मिलाकर रोगी को देते हैं ।

3.लऊफ (चटनी)


गीली और सूखी जड़ी बूटियों को पीसकर चटनी बनाई जाती हैं,जिसे शहद मिलाकर मीठा किया जाता हैं ।


4.सूफूफ (पावड़र)


औषधियों को पीसकर पावड़र बनाया जाता हैं ।

5.जोशांदा (काढ़ा)


औषधियों को पानी के साथ उबालकर काढ़ा बनाया जाता हैं,जिसे जोशांदा कहते हैं ।

6.रोगन (तेल)


विभिन्न प्रकार के तेलों का उपयोग बीमारीयों के उपचार में किया जाता हैं,जिसे रोगन कहते हैं ।


विभिन्न बीमारीयों के लिए यूनानी मेडिसिन लिस्ट 

1.मधुमेह (Diabetes) के लिए यूनानी मेडिसिन लिस्ट


1.कुर्ते जियाबेतिस

2.सफूफ दारचीनी

3.कुर्से तबासीर

4.अर्क चिरायता

5.इलाज - बिल - तिजा

6.रिया जक


2.उच्च रक्तचाप (High blood pressure) के लिए यूनानी मेडिसिन लिस्ट


1.कुर्स दवाउशिफा या इक्सीरे शिफा

2.तिरियाक फिशार

3.असरोफिन

4.हब्बे असरोल

5.इलाज बिल तिजा

6.शर्बते हजूरी,मोतदिल या बनादीकुल बजूर

7.इलाज -बिल-तदवीर [हिजामत,फसाद,इरसाले अलक,रिया जत]



3.जोड़ो के दर्द के लिए यूनानी मेडिसिन लिस्ट


1.हब्बा सूरंजान

2.हब्बे असगंद

3.माजून जोगराज गुग्गुल

4.माजून चोबचीनी

5.रोगन बाबूना

6.रोगन सुर्ख

7.जिमोदे मुहल्लिल

8.हब्बे चोबचीनी

9.हब्बे अजराकी

10.रोगन कुचला

11.इलाज-ए-तदबीर [जिहाद,तिला,नूतन,इंकेबाब,दलक,हिजामत]

12.जिमादे मुहल्लिल



4.अर्श रोग [Piles]


1.हब्बे बवासीर खूनी

2.हब्बे बवासीर बादी

3.इतरीफल मुकुल

4.हब्बे रसोत

5.मरहम साइदा तोब नीम वाला (बाह्य प्रयोगार्थ)

6.माजून खब्सुल हदीदी

7.हमदूराइड कैप्सूल

8.हमदूराइड मरहम (बाह्य प्रयोगार्थ)

9.इलाज बिल गिता

10.रोगन बवासीर (बाह्य प्रयोगार्थ)


5.रक्ताल्पता (Anemia)


1.कुर्स कुश्ता खबसुल हदीश

2.शर्बत फौलाद

3.कुर्ते कुश्ता फौलाद

4.इक्सीरे खास

5.जवारिश आमला सादा

6.माजून खब्सुल हदीश


6.बुखार के लिए यूनानी मेडिसिन


1.जुशांदा 

2.लऊक सपिंस्ता

3.इत्रीफल किशनीज

4.शर्बत बनफशा

5.इत्रीफल उस्तूखुद्दस

6.रोगन गुल (बाह्य प्रयोगार्थ)

7.लऊक नजीर


7.मलेरिया नियंत्रण के लिए पूर्व वितरण हेतू यूनानी मेडिसिन


1.कुर्स असफ़र

2.कुर्स अबयज

3.कुर्स काफूर

4.लरजीन

5.अर्क चिरायता

6.मलेरिया


8.डेंगू नियंत्रण के लिए पूर्व वितरण हेतू यूनानी मेडिसिन


1.कुर्स असफ़र

2.अर्क चिरायता

3.हब्बे करंजवा

4.हब्बे मुबारक

5.शर्बत उन्नाव

6.शर्बत मुरक्कब मुसफी खून

7.दवाए मुसफ्फी

प्रश्न - यूनानी चिकित्सा पद्धति में रोगों से बचने के लिए कौंन सा सिद्धांत अपनाया जाता हैं?
उत्तर - यूनानी चिकित्सा पद्धति में रोगों से बचने और रोगों की रोकथाम के लिए " असबाब -ए-सित्ता ज़रुरिया या छः जरुरी सिद्धांत प्रचलित हैं 

• हवा
•माकूलात व मशरुबात ( खान पान)
• हरकत व सूकून बदनिया ( शारीरिक सक्रियता और विश्राम)
• हरकत व सूकून नफसनिया ( मानसिक सक्रियता और विश्राम)
• नौम व यक़ज़ा ( सोना व जागना)
• एहतबास व इस्तफऱाग ( स्तंभन और विसर्जन)


[जानकारी आयुष विभाग द्धारा प्रसारित विभिन्न स्त्रोत के माध्यम से ली गई हैं]














टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट...

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri...

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से म...