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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सॉलिड बनो इंडिया 11 साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण (WIFS)कार्यक्रम11

भारत में एनीमिया एक गम्भीर समस्या के रूप में विद्यमान हैं । भारत सरकार के साथ राज्य सरकारे एनीमिया से निपटने के लिये वृहत कार्ययोजना के तहत काम कर रही हैं । एनीमिया को खत्म करने के लिये चलाये जाने वाला ऐसा ही एक कार्यक्रम हैं । सॉलिड बनो इंडिया । आइये जानते है सॉलिड बनो इंडिया कार्यक्रम के बारे मे विस्तार से की सॉलिड बनो इंडिया कार्यक्रम क्या है । एनीमिया आयरन या लौह तत्व की कमी से होने वाली गम्भीर बीमारी हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों के अनुसार देश के 50% से अधिक किशोर किशोरियों में खून की कमी पायी जाती है । किशोरियों में पर्याप्त पोषण नहीं मिलने के कारण और माहवारी शुरू होने से एनीमिया गम्भीरतम रूप में विद्यमान रहता हैं । # साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम किशोर अवस्था पर ही क्यों केंद्रित हैं ? 1.इस गम्भीरतम एनीमिया का प्रभाव किशोर अवस्था से ही आ जाने के कारण देश का बड़ा नुकसान होता हैं । क्योंकि किशोर अवस्था से ही बीमार होने का सीधा मतलब है राष्ट्र लम्बे अर्से तक बीमार व्यक्ति के साथ आगे बढ़ेगा ।  2.किशोर बालिकाओं में माहवारी के दौरान अध

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और महिला सशक्तिकरण के भारतीय मूल्य

8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और महिला सशक्तिकरण के भारतीय मूल्य दोस्तों आज मैं आपको 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और महिला सशक्तिकरण के भारतीय मूल्य से से सम्बंधित विचारों से परिचित कराना चाहता हूँ। तो आईये जानते हैं 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और महिला सशक्तिकरण के भारतीय मूल्य के बारे मे  वैदिककालीन भारतीय साहित्य गार्गी और मैत्रयी जैसी दार्शनिक महिला विद्वानों द्वारा अपने पुरुष समकक्ष विद्वानों के साथ किये जाने वाले उच्च कोटि के शास्त्रार्थ से भरा हुआ है । रानी लक्ष्मी बाई  जैसी वीरांगना ने अपनी नेतृत्व क्षमता ओर साहस से अंग्रेजों को परिचित करवाकर महिला को कमतर नहीं आंकने को विवश किया।  यह भी पढ़े ■■■ ■ वेश्यावृत्ति क्या है समाज पर इसके क्या प्रभाव होते हैं ■ भ्रष्टाचार के बारें में विस्तार पूर्वक जानकारी स्वंत्रता संग्राम में भी महात्मा गांधी के आह्वान पर महिलाएं ऐसे समय में घर से निकलकर आगे आयी जब उनकी बिरादरी मात्र 2 प्रतिशत शिक्षित थी,साथ ही महिलाओ पर पुरूष प्रधान समाज की कई वर्जनाएं कठोरतम रूप में प्रचलित थी। लेकिन महिला सशक्तिकरण की परिकल्पना आजाद