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फ़रवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सिंधु घाट़ी सभ्यता (Indus velly civilisation) के पतन का कारण

सिंधु घाट़ी सभ्यता के पतन के कारण ::: विश्व की सबसे प्राचीन नदी घाट़ी सभ्यताओं में शामिल सिंधु घाट़ी सभ्यता लगभग 600 वर्षों तक फलीभूत होनें के पश्चात ईसा के लगभग 1700 वर्षों पूर्व नष्ट़ हो गई इसके नष्ट़ होनें के कई कारण रहें हैं जैसें भारतीय संविधान #1. प्राकृतिक कारण =: अनेक विद्धानों का मानना हैं कि यह सभ्यता प्राकृतिक आपदाओं जैसें महामारी,भयंकर आग,भूगर्भीय हलचल,नदियों का मार्ग परिवर्तन होनें,बाढ़ आदि की वज़ह से अपना मूल स्वरूप और आर्थिक आधार खो बैठी. #2. विदेशी आक्रमण =: अनेक विदेशी विद्धानों जैसें मार्शल,पिग्गट़ और व्हीलर का मानना हैं,कि आर्यों के आक्रमण ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ों को नष्ट़ कर दिया. #3.आर्थिक कारण =: सिंधु घाट़ी सभ्यता (Indus velly civilisation) व्यापार केन्द्रित  सभ्यता थी जिसके साक्ष्य हमें अनेक सैंधव स्थलों से प्राप्त हुये हैं. व्यापार का शनै : शनै: पतन होनें से यह सभ्यता भी धिरे - धिरे नष्ट हो गई. इसी प्रकार कृषि उत्पादन में कमी से भी इसका पतन सुनिश्चित हो गया. # मानवीय कारण =: स

बिटकाँइन (Bitcoin) क्या हैं भविष्य की मुद्रा या फिर बुलबुला :: एक विश्लेषण

## बिटकाँइन (Bitcoin) क्या हैं ::: वेदिक काल से लगाकर आज तक मनुष्य अपनी ज़रूरतों की वस्तु या पदार्थ क्रय करनें हेतू मुद्रा प्रणाली का उपयोग करता आया हैं.  बिटकाइन इसी मुद्रा प्रणाली से अर्थव्यवसथा का संचालन होता हैं.विभिन्न राष्ट्रों की अपनी - अपनी मुद्रा हैं,जैसें अमेरिका का ड़ालर $ ( Doller) ,जापान (Japan) का येन ¥ (yen) भारत का  ₹ रूपया आदि. इसी प्रकार से जापान के एक छद्म नाम के व्यक्ति सतोशी नाकामोतो  (Satoshi Nakamoto) ने इंटरनेट़ (Internet) पर एक आभासी Digital मुद्रा का निर्माण किया इसी छद्म या आभासी मुद्रा को बिट़काइन कहतें हैं. इसे क्रिप्ट़ोंकरेंसी (Cryptocurrince) भी कहतें हैं. ##  आभासी (virtual) से क्या आशय हैं ? आभासी (virtual) मुद्रा से तात्पर्य हैं,कि इस मुद्रा का कोई भौतिक (Physical) आकार नहीं हैं, अन्य मुद्राओं की तरह इसे छुआ नहीं जा सकता ,पर्स में नहीं रखा जा सकता बल्कि Digital vollet में खरीदकर रखा जाता हैं. ## इसका निर्माण कैसें होता हैं ? बिट़काइन ( Bitcoin)  निर्माण करनें की प्रक्रिया को बिट़काइन माइनिंग ( Bitcoin mining) कहा जाता हैं.

पुनर्जागरण या रेंनसा क्या हैं,इसका क्या महत्व और कारण था ?

  पुनर्जागरण क्या हैं  पुनर्जागरण 14 वीं से 16 वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में मध्यकालीन अंधकार को समाप्त करतें हुये एक नवीन चेतना का उदय हुआ जिसे पुनर्जागरण या रेंनसा के नाम से जाना जाता हैं. # महत्व ::: १.पुनर्जागरण ने ज्ञान और सत्ता की प्रतिष्ठा को कायम किया. २.पुनर्जागरण काल में धार्मिक एँव परंपरागत विचारों को झकझोरकर उन पर कुठाराघात किया गया. ३.इस काल में स्वतंत्र विचारों को महत्व दिया गया इन विचारों को बनाये रखनें के लिये विचारक मर मिट़नें को तैयार रहतें थे. # पुनर्जागरण का कारण :::                        १.धर्मयुद्ध ११ वीं से १३ वीं शताब्दी के मध्य ईसाई धर्मस्थल यरूशलम को लेकर ईसाई और मुसलमानों के मध्य युद्ध हुआ जिसे क्रूसेड़ या धर्मयुद्ध कहा गया. धर्मयुद्ध के पश्चात सामंतवादी व्यवस्था का विरोध शुरू हो गया और आधुनिक तर्कपूर्ण विचारों को प्रश्रय दिया जानें लगा.             २.व्यापार वाणिज्य का विकास व्यापार वाणिज्य के विकास न से एक नवीन  पूंजीपति वर्ग का उदय संभव हुआ, यह नवीन पूँजीपति वर्ग सामंतों के समक्ष ही था किंतु अधिकारों में उनसे कमज़ोर

11 शत्रु संपत्ति संशोंधन कानून क्या हैं [enemies empathy]

# शत्रु संपत्ति  क्या हैं ? पाकिस्तान और चीन की नागरिकता लेनें वाले व्यक्तियों द्धारा भारत में छोड़ी गई संपत्ति को शत्रु संपत्ति की परिभाषा में रखा गया हैं. ## शत्रु संपत्ति से संबधित नया कानूून क्या हैं ? भारत सरकार ने लगभग 49 साल पुरानें कानून को संशोंधित किया हैं. नये कानून के अनुसार चीन और पाकिस्तान की नागरिकता लेनें वाले नागरिको द्धारा भारत में छोड़ी गई संपत्ति पर अब उनके वारिसों का अधिकार नही होगा . ऐसी संपत्ति जब्त कर ली जायेगी और सरकार द्धारा इसके लिये नियुक्त शत्रु संपत्ति संरक्षक को सोंप दी जायेगी जो इन संपत्तियों को नीलाम कर देगा. ## ऐसी कितनी संपत्तियों का अब तक पता लगाया जा चुका हैं ? लगभग 9280 शत्रु संपत्तियों का अब तक पता लग चुका है,और इनका अभिभावक " शत्रु संपत्ति संरक्षक " को बनाया जा चुका हैं.

भावांतर भुगतान योजना क्या हैं ? [What is 'BHAVANTER' Bhugtan yojna

# भावांतर भुगतान योजना  भावांतर भुगतान योजना कृषि से संबधित योजना हैं,जो म.प्र.शासन द्धारा संचालित हैं. # उद्देश्य  इस योजना का महत्वपूर्ण उद्देश्य किसानों को उनकी फ़सल का उचित  मूल्य दिलाना हैं ताकि किसानों की फसल उत्पादन लागत से कम दामों पर नहीं बिके और इस तरह किसान घाट़े में रहकर आत्महत्या को मज़बुूर ना हो. # आधार  १#.इस योजना में शामिल फसलों का मूल्य मंड़ी का माँड़ल भाव और निर्धारित दो राज्यों की मंड़ियों के माँड़ल रेट़ के आधार पर तय होता हैं. २#.यदि फसलों का मूल्य निर्धारित माँडल रेट़ से कम होता हैं,तो अंतर की राशि का भुगतान किसानों को किया जाता हैं. ३#.इस योजना में यह भी प्रावधान जोड़ा गया हैं,कि यदि किसान फ़सल को तुरंत नहीं बेचना चाहे और फसल का भंड़ारण भंडारग्रह में करता हैं,तो चार माह तक भंडारग्रह का किराया सरकार वहन करेगी. ४#.फसल भंडारण की अवधि में यदि किसान को पैसो की आवश्यकता हुई तो भंड़ारित फसल के 25% के बराबर राशि ॠण के रूप में सहकारी संस्था से ले सकता हैं. ५#.इस राशि पर ब्याज की अदायगी सरकार करेगी जबकि जबकि मूल राशि फ़सल बिकनें पर किसान क