आँखो का सुखापन होनें पर ये उपाय करेंगे तो बहुत जल्दी आराम मिलेगा Dryness of Eye
#1. आँखों का सुखापन क्या हैं
आंख
जब हम पलक झपकातें हैं,तो हमें आँखों में उपस्थित पानी या आँसू की उपस्थिति के कारण पलकों में रगड़ महसूस नहीं होती किंतु जब किन्हीं कारणों से यही आँसू आँखों से सूख जातें हैं,तो हमें पलक झपकानें पर आँखों में रगड़ महसूस होती हैं.
यही स्थिति आँखों के सुखापन के लियें जिम्मेदार होती हैं.और इसे ही आँखों का सुखना कहतें हैं.
#2.लक्षण #
१.बार - बार आँखें झपकाना.
२.आँखों में सूखापन का अहसास होना.
३.आँखों में जलन होना.
४.आँखें लाल होना.
५.आँखें मलनें की बार - बार इच्छा होना.
६.आँखें बार - बार मलते रहना.
७.आँखों में सूजन.
८.कंकड़ या कचरा गिरनें का अहसास होना.
९.आँखों में लालिमा
१०.तेज दर्द होना.
११.आँखों का छोटा होना.
१२.धूप में निकलनें पर आँखें चौंधियाना.
उपरोक्त स्थिति गंभीर होनें पर अंधेपन (Blindness) का खतरा भी पैदा हो सकता हैं.
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#3.आँख सूखी रहने के कारण
#(१).लगातार कम्प्यूटर या मोबाइल पर काम करना.
लगातार कई घंट़ों तक कम्प्यूटर या मोबाइल पर काम करतें रहनें से कम्प्यूटर या मोबाइल से निकलनें वाली नीली रोशनी आँखों की अश्रु ग्रंथी पर अत्यधिक दुष्प्रभाव ड़ालती हैं.फलस्वरूप अश्रु ग्रंथी अश्रु बनाना बंद कर देती हैं.
इस अवस्था में आँखों में अत्यधिक तनाव महसूस होता हैं और आँखें अश्रु के अभाव में सुख जाती हैं.
#(२).प्रदूषण #
महानगरों में कल कारखानों और वाहनों से निकलनें वाली जहरीली गैसें जैसें सल्फर ड़ाइ आँक्साइड़ (SO2),कार्बन मोनो आँक्साइड़ (CO),तथा अन्य ठोस कण जैसें धूल,इनके आँखों में प्रवेश कर जानें से आँखें बार - बार झपकाना पड़ती हैं,इससे पलकों को अतिरिक्त श्रम करना पड़ता हैं यह अतिरिक्त श्रम अश्रु ग्रंथी के कार्य को प्रभावित करता हैं.और अश्रु ग्रंथी अपना स्वाभाविक कार्य बंद कर देती हैं
#(३).दवाईयों का दुष्प्रभाव #
कभी - कभी सल्फा समूह की दवाईयों के दुष्प्रभावों की वज़ह से भी आँखों की सामान्य कार्यप्रणाली पर अत्यधिक दुष्प्रभाव परिलक्षित होता हैं और आँखों में सुखापन ( Dryness) बढ़ जाता हैं.
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कुछ विशेष आई ड्राप (Eye Drop) के लगातार इस्तेमाल या एक्सपाइरी डेट़ (Expiry Date) के आई ड्राप के आँखों में डालनें से भी आँख का पानी सूख जाता हैं.
#(४).विटामिन C की कमी से #
विटामिन c का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करनें से भी आँखों की अश्रु ग्रंथी अपना स्वाभाविक कार्य नही कर पाती हैं.
#(५).रजनोवृति (Menopause) #
55 वर्ष के पश्चात जब महिलाएँ रजनोनिवृत्त होती हैं,तो यह रजनोनिवृत्ति महिलाओं में कई हार्मोंनल (Harmonal) बदलाव लाती हैं,हार्मोंन के बदलाव से कभी - कभी अश्रु ग्रंथी भी प्रभावित होती हैं.फलस्वरूप आंसू उत्पादन बंद हो जाता हैं.
#(६).आँखों का संक्रमण #
आँखों के संक्रमित होनें की वज़ह से भी अश्रु ग्रंथी की कार्यपृणाली प्रभावित होती हैं.
#(७).अत्यधिक रोनें पर #
यदि किसी के जीवन में कोई असामान्य घट़ना घटित होती हैं,जैसे अचानक किसी प्रियजन की मृत्यु,परीक्षा में फैल हो जाना या ऐसे ही कई अन्य कारण जिससे लगातार रोना आता हो तो यह लगातार रोतें रहने की अवस्था आंसू उत्पादन को प्रभावित करती हैं.जिससे आँखों में सुखापन और लालपन आ जाता हैं.
#(८).आँखों में गंभीर चोट लगना #
आँखों में गंभीर चोट लगनें से भी ऐसी अवस्था पैदा हो जाती हैं,जब आंसू उत्पादन प्रभावित होता हैं.
#(९).आँखों के आपरेशन होनें के बाद #
कभी - कभी आँखों के आपरेशन जैसें मोतियाबिंद का आपरेशन, लेंस के आपरेशन आदि के बाद भी आंखों के सुखेपन की समस्या पैदा हो जाती हैं.
१०.थाइराइड़ होने पर
जिन लोगों को हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथाइराइडिज्म की बीमारी होती है। उन्हें कुछ समय पश्चात आंख सुखने की समस्या पैदा हो जाती हैं।
११.कांटेक्ट लेंस के कारण
कभी कभी कुछ लोगों में कांटेक्ट लेंस का प्रयोग भी आंखों के सुखेपन का कारण बन जाता है। ऐसा कांटेक्ट लेंस के निर्माण में उपयोग होने वाले तत्वों के कारण हो सकता है या फिर लम्बें समय तक कांटेक्ट लेंस के प्रयोग के कारण भी हो सकता है ।
# सावधानियाँ #
जब कभी भी उपरोक्त कारणों से आँखों में आंसू उत्पादन प्रभावित होता हैं तो तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहियें.इस बीच निम्न सावधानियाँ बरतनी चाहियें.
#१.आँखों को स्वच्छ जल से धोना चाहियें जिससे प्रदूषित कण आँखों से बाहर निकल जावें
#२.कम्प्यूटर या मोबाइल पर काम करतें समय एक निश्चित दूरी रखनी चाहियें, इसके अलावा कुछ कुछ अंतराल पर कम्प्यूटर या मोबाइल से आँखों को हटाकर आँखों को आराम देना चाहियें.
आँखों को आराम देनें के लियें 20-20-20 विधि का प्रयोग करें ,इसके अनुसार प्रत्येक 20 मिनिट़ पर कम्प्यूटर या मोबाइल के काम से ब्रेक लेकर 20 बार 20 फीट़ तक नजर ले जायें और पास लायें.
#३.इस प्रकार की समस्या होनें पर चश्मे का इस्तेमाल चाहे वह नंबर वाला हो या धूप का विशेषज्ञो से परामर्श उपरांत ही करना चाहियें.
#४.गौघृत से आँखों का अंजन इस समस्या में बहुत प्रभावी होता हैं परंतु इसके पूर्व भी विशेषज्ञों से परामर्श करना उचित रहता हैं.
#५.धूप में निकलतें समय उपयुक्त चश्में का प्रयोग करना चाहियें.
#६.कांटेक्ट लेंस (contect lens) का प्रयोग करतें समय इनकी साफ - सफाई और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहियें.
#७.आंखों में खुजली होनें पर जोर जोर से खुजलानें की बजाय हल्के हाथों से आँख पर पानी के छींटे डालें.
#८.यदि आँखों पर काजल अंजन करतें हो तो काजल की गुणवत्ता जरूर परख लें और लगानें से पूर्व हाथों को भी विसंक्रमित (Disinfected) कर लें.
#९.रोज़ रात को सोनें से पूर्व और सुबह उठनें के बाद हथेली को आपस में रगड़कर आँखों पर लगाये हथेली की गर्माहट से आँखें तरोताजा रहती हैं.
#१०.नीम की पत्तियों को पानी में डालकर उस पानी से आँखों को धोना चाहियें.
#११.त्रिफला चूर्ण को पानी में रातभर भीगो दे,सुबह इस पानी के छींटें आँखों पर डालें.परंतु ध्यान रहें पानी ऊपर - ऊपर का ही इस्तेमाल करें.
#१२.आँखों को सभी प्रकार की बीमारीयों से बचाने के लिए कच्ची हल्दी से बना अचार नियमित रूप से सेवन करें,कच्ची हल्दी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण आँख़ों को बीमारियों से बचातें हैं ।
#१३.पालक में मौजूद जेक्थेंसिन ,और विटामीन ए आँख़ों की मांशपेशियों को निरोगी बनाकर रखता हैं । अत:पालक का सेवन नियमित रूप से करतें रहें ।
#१४.आयुर्वेद ग्रंथों में आँख़ों को रोगमुक्त रखनें और सूखेपन से बचानें के लिए "खडाऊ" के प्रयोग की सलाह दी गई हैं । अत:आँखों को रोगमुक्त रखनें के लिए कम से कम रात के भोजन के बाद खडाऊ पहनकर थोड़ी देर घूमना चाहिए ।
#१५.नहानें से एक घंटें पहले दोनों पैरों के अंगूठे पर सरसो तेल की मालिश करनें से आँखों का स्वास्थ उत्तम बना रहता हैं ।
#१६.आँखों के स्वास्थ के लिए गाजर बहुत उत्तम खाद्य पदार्थ हैं,यदि गाजर का जूस नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आँखों को पर्याप्त मात्रा में पोषण मिलता हैं।
#१७.सौंफ और शक्कर मिलाकर प्रतिदिन भोजन करना चाहिए इस नुस्ख़े से आँखों का सुखापन समाप्त होकर ,आँख शीतल बनी रहती हैं ।
#१८.भूने चने 50 ग्राम,बादाम 5 से 6 नग,काजू 5 से 6 नग,छोटी इलाइची 2 से 3 नग,मिश्री 50 ग्राम,सौंफ 10 ग्राम इस मिश्रण को पीसकर सुबह शाम गाय के दूध के साथ एक चम्मच लेनें से आँंखो की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
#१९.नेत्रों के स्वास्थ के लिए कपालभाँति, मंडूकासन,अनुलोम विलोम और अर्धमत्स्येन्द्रासन बहुत लाभकारी मानें जातें हैं,इन योगिक क्रियाओं को योगाचार्य के माध्यम से करें ।
#२०.आंखों को सुखेपन से बचाने के लिए आंखों के पास हेयर ड्रायर न लें जाएं ।
अंत में यही की आंखे प्रकृति द्धारा मनुष्य को दी गई अमूल्य धरोहर हैं उसके मरनें के बाद भी यह दूसरों को नजर दे सकती हैं इसलिये मरनें से पूर्व इसको दान देनें का " संकल्प" अवश्य लें.ताकि आपके मरनें के बाद कोई सूरदास आपकी नज़रों से दुनिया देख सकें.
आंखों के लिए आयुर्वेदिक टिप्स
वर्तमान समय मे नेत्र विकार आधुनिक पीढी़ को बहुत तेज गति से अपनी गिरफ्त मे लेता जा रहा हैं, विश्व का हर युवा आँखों से सम्बंधित समस्या लेकर बहुत छोटी उमृ मे नेत्र रोग चिकित्सक के पास जानें लगा हैं, कम उमृ मे नेत्र रोग होनें का जो पृमुख कारण हैं, उनमें स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, टी.वी. का घंटों तक लगातार इस्तेमाल पृमुख हैं.
लोग घंटों तक बेड़रूम की रोशनी बुझाकर लेटे-लेटे मोबाइल पर चेट करते रहते हैं, जिससे आँखों से सम्बंधित कई खतरनाक बीमारींयाँ होने लगी हैं, इनमें पृमुख रूप से शामिल हैं, आँखों का पानी सुखना,कम दिखाई देना, रेटिना मे तेज दर्द, ड्रायविंग करते वक्त सामनें से आने वाली दूसरे वाहन की रोशनी में आंखे चोंधिया जाना, और कभी-कभी तो आदमी अन्धा तक हो जाता हैं. आयुर्वैद में इस पृकार की परिस्थितियों में जो बातें बतायी गयी हैं उनमें:-
१.त्रिफला चूर्ण चार चम्मच लेकर उसे 200ml पानी में रात भर भीगों दें, सुबह छानकर इस पानी से आँखों में छींटें डालें.
२. त्रिफला चूर्ण वयस्क दो चम्मच बच्चें एक चम्मच को रात को सोते समय गर्म जल से सेवन करवायें.
३.शहद को तिल तेल मे समानुपात मे मिलाकर आँखों में अंजन करें.
४.आंवला और गाजर का रस सेवन करें
५.घृतकुमारी(alo vera ) का गुदा निकालकर उसमें मुलतानी मिट्टी मिला ले इस पेस्ट को आँखों पर बांधें.
६.पके हुए पीले फलों जैसे आम, पपीता आदि में विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं अतः आंखों से संबंधित बीमारियों में पीले फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
Svyas845@gmail.com
लोग घंटों तक बेड़रूम की रोशनी बुझाकर लेटे-लेटे मोबाइल पर चेट करते रहते हैं, जिससे आँखों से सम्बंधित कई खतरनाक बीमारींयाँ होने लगी हैं, इनमें पृमुख रूप से शामिल हैं, आँखों का पानी सुखना,कम दिखाई देना, रेटिना मे तेज दर्द, ड्रायविंग करते वक्त सामनें से आने वाली दूसरे वाहन की रोशनी में आंखे चोंधिया जाना, और कभी-कभी तो आदमी अन्धा तक हो जाता हैं. आयुर्वैद में इस पृकार की परिस्थितियों में जो बातें बतायी गयी हैं उनमें:-
१.त्रिफला चूर्ण चार चम्मच लेकर उसे 200ml पानी में रात भर भीगों दें, सुबह छानकर इस पानी से आँखों में छींटें डालें.
२. त्रिफला चूर्ण वयस्क दो चम्मच बच्चें एक चम्मच को रात को सोते समय गर्म जल से सेवन करवायें.
३.शहद को तिल तेल मे समानुपात मे मिलाकर आँखों में अंजन करें.
४.आंवला और गाजर का रस सेवन करें
५.घृतकुमारी(alo vera ) का गुदा निकालकर उसमें मुलतानी मिट्टी मिला ले इस पेस्ट को आँखों पर बांधें.
६.पके हुए पीले फलों जैसे आम, पपीता आदि में विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं अतः आंखों से संबंधित बीमारियों में पीले फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
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आंखों की पलकें फड़कने का कार
आयुर्वेद चिकित्सा में 21 वर्षों का अनुभव
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बहुत बहुत धन्यवाद ����