## बिटकाँइन (Bitcoin) क्या हैं :::
वेदिक काल से लगाकर आज तक मनुष्य अपनी ज़रूरतों की वस्तु या पदार्थ क्रय करनें हेतू मुद्रा प्रणाली का उपयोग करता आया हैं.
इसी मुद्रा प्रणाली से अर्थव्यवसथा का संचालन होता हैं.विभिन्न राष्ट्रों की अपनी - अपनी मुद्रा हैं,जैसें अमेरिका का ड़ालर $ ( Doller) ,जापान (Japan) का येन ¥ (yen) भारत का ₹ रूपया आदि.
इसी प्रकार से जापान के एक छद्म नाम के व्यक्ति सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) ने इंटरनेट़ (Internet) पर एक आभासी Digital मुद्रा का निर्माण किया इसी छद्म या आभासी मुद्रा को बिट़काइन कहतें हैं.
इसे क्रिप्ट़ोंकरेंसी (Cryptocurrince) भी कहतें हैं.
## आभासी (virtual) से क्या आशय हैं ?
आभासी (virtual) मुद्रा से तात्पर्य हैं,कि इस मुद्रा का कोई भौतिक (Physical) आकार नहीं हैं, अन्य मुद्राओं की तरह इसे छुआ नहीं जा सकता ,पर्स में नहीं रखा जा सकता बल्कि Digital vollet में खरीदकर रखा जाता हैं.
## इसका निर्माण कैसें होता हैं ?
बिट़काइन ( Bitcoin) निर्माण करनें की प्रक्रिया को बिट़काइन माइनिंग ( Bitcoin mining) कहा जाता हैं.
इस कार्य के लिये इंट़रनेट के साथ शक्तिशाली कम्प्यूट़र (Computer) और special Software की आवश्यकता होती हैं. इस software के माध्यम से जट़िल गणितीय प्रक्रिया को हल करना पड़ता हैं फलस्वरूप व्यक्ति को कुछ Points मिलतें हैं.
यही points बिट़काइन कहे जातें हैं जिनसे वस्तु खरीदी,होट़ल बुक ,ट़िकिट बुक आदि काम किये जा सकतें हैं,या इसे बिट़काइन Exchange के माध्यम से बेचा जा सकता हैं.
## बिट़काइन (Bitcoin) इतनी लोकप्रिय क्यों हो रही हैं ?
बिट़काइन की लोकप्रियता की मुख्य वज़ह इसमें किये जा रहें निवेश से हैं,इस मुद्रा को खरीदनें वाले व्यक्तियों को इसनें कुछ माह में ही 500% से 600% तक रिटर्न दिया जिससे दुनियाभर के निवेशकों का ध्यान इस मुद्रा की ओर गया .
## बिट़काइन ( Bitcoin) का क्या भविष्य हैं ?
भारत सहित दुनिया के कई देशों ने इस मुद्रा को अवैध (Invalid) घोषित कर रखा हैं वही दुसरी और जापान समेत कुछ अन्य देशों नें इस मुद्रा को वैध ( valid) घोषित कर इससे लेन देन को भी वैध कर दिया हैं.
यही स्थिति इस मुद्रा के भविष्य को लेकर निवेशकों सलाह देंनें वाले अर्थशास्त्रीयों की हैं ,ये लोग भी दो भागों में बट़े हैं आइयें जानतें हैं इनके बारें में
## बिट़काइन (Bitcoin) के पक्ष में :::
अनेक अर्थशास्त्री इस मुद्रा को भविष्य की मुद्रा बताते हुये इसमें निवेश करनें वालों को भविष्य में इसकी किमत बढ़नें को लेकर आश्वस्त करते हुये देखे जा सकतें हैं.इसके पिछे उनका तर्क हैं,कि Digital currency के भविष्य को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता .
विश्व के अनेक राष्ट्रों ने इस मुद्रा में लेन देन को वैधानिक मान्यता प्रदान कर रखी हैं और भविष्य में जो राष्ट्र जितनी अधिक देर इस मुद्रा के वैधानिकिकरण में करेगा वह उतना ही पिछडा हुआ माना जावेगा.
एक अन्य तर्क इसके निर्माण को लेकर दिया जाता हैं,कि इस मुद्रा का निर्माण अत्यंत सीमित हैं,और भविष्य में भी इसके सीमित रहनें की सम्भावना हैं फलस्वरूप अन्य मुद्राओं के समक्ष इसके मूल्य में गिरावट़ नही आयेगी.
## बिट़काइन के विपक्ष में तर्क :::
जिस तरह से भौतिक मुद्राओं की विनियामक संस्थाँए पूरी दुनिया में मोजूद है ऐसा बिट़काइन के साथ बिल्कुल भी नहीं हैं.
इसकी कीमत में बहुत तेजी से उतार चढ़ाव होता हैं,जो एक व्यवस्थित मुद्रा के मान्य सिद्धांत के पूर्णत: विपरीत हैं.और इसमें निवेश पोंजी (pongy) स्कीम की तरह हैं जिसमें निवेश के फायदों के बड़े - बड़े सपनें दिखाई जातें हैं.
बिट़काइन ( Bitcoin) investor ऐसे Account में पैसा Transfer करतें हैं,जिसके बारें में कोई पता नहीं होता और जिसके बदले में उन्हें अपनें computer पर कुछ अंक मिलते हैं.
इन अंकों की भौतिक मुद्रा के समान कोई guarantee देनें वाला केन्द्रीय बैंक भी नही होता.
वास्तविकता में यदि Bitcoin का मूल्याकंन किया जाये तो अर्थशास्त्रीयों के समान दुनिया के देश भी इसी प्रकार से Bitcoin के पक्ष और विपक्ष में बंट़ चुके हैं.
जिन राष्ट्रों में इसे मान्यता प्राप्त है वहाँ इसका निर्बाध रूप से लेनदेन प्रचलन में हैं और वहाँ के केन्द्रीय बैंक इस मुद्रा में अपना भविष्य देख रहें हैं.
दूसरी ओर जो राष्ट्र इसे अपनी मुद्रा और केन्द्रीय बैंक के लिये ख़तरा मान रहे हैं वो इस मुद्रा को लेकर काफी सतर्क और संशकित हैं.और इसे पोंजी स्कीम बताकर नागरिकों को इसमें निवेश को लेकर सचेत कर रहें हैं.
यह सही हैं कि बिट़काइन का कोई नियामक तंत्र नहीं हैं और इसमें पैसा Invest करनें वाला इसके भुगतान को लेकर आशंकित रहता हैं,किंतु यह भी सही हैं कि जो देश जितनी जल्दी इस मुद्रा को अपना रहा हैं वह इसके नियामक तंत्र को लेकर भी सक्रिय हैं.
हो सकता है देर सबेरे बिट़काइन (Bitcoin) में वैश्विक मुद्रा के रूप में स्थापित होनें की क्षमता हो क्योंकि इसका तेजी से विस्तार तो यही परीलक्षित कर रहा हैं.
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