सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पंचक्रोसी यात्रा उज्जैन (PANCHKROSHI YATRA UJJAIN) = एक वृहद विश्लेषण

 पंचकोसी यात्रा #पंचक्रोसी या पंचकोसी यात्रा क्या हैं  उज्जैन की पंचकोसी यात्रा की बात करने से पहले हम उज्जैन की बात कर लेते हैं, उज्जैन धार्मिक और पोराणिक नगरी हैं.जहाँ द्धादश ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा महाकाल विराजित हैं.बाबा महाकाल महाकाल वन के मध्य में विराजित हैं,जिनके चारों और चारों दिशाओं में चार द्धारपाल भी शिवलिंग रूप में विराजित हैं.        पंचकोसी यात्रा मार्ग व्यक्ति महाकाल की भक्ति इन चारों द्धारपालों जो कि शिवलिंग के रूप में विराजित हैं,महाकाल वन में भ्रमण के साथ करें,तो उसे न केवल महाकाल की कृपा प्राप्त होती हैं. वरन व्यक्ति स्वास्थ्य ,योवन,धन,ऐश्वर्य और चिरकालिक परमानंद को भी प्राप्त करता हैं. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर उज्जैन में अनादिकाल से पंचक्रोसी या पंचकोसी यात्रा चल रही हैं. जिसे उज्जैन की पंचकोसी कहते हैं।  उज्जैन की पंचकोसी यात्रा का वर्णन स्कंदपुराण में भी हैं.जिसमें कहा गया हैं,कि काशी में जीवनभर रहनें से जितना पुण्य अर्जित होता हैं,उतना पुण्य बैशाख मास में मात्र पाँच दिन महाकाल वन में प्रवास करनें पर ही मिल जाता हैं. इस यात्

सामान्य अध्ययन 7 (General knowledge 7)

#1.सिन्धु सभ्यता के स्थल,खोजकर्ता, वर्ष एँव नदी तट़ ::: #(अ) हड़प्पा (Haddapa) ::: हड़प्पा नामक स्थल पर खोजकार्य सन् 1921 में   दयाराम साहनी ने किया था. यह स्थल रावी नदी के तट़ पर अवस्थित हैं.यूनानी लोग हड़प्पा में कपास पैदा होनें के कारण इसे   सिण्ड़न कहतें थें. # (आ) मोहनजोदड़ों (Mohanjodado) ::: मोहनजोंदड़ों सिन्धु नदी के तट पर अवस्थित हैं.इस स्थल के खोजकर्ता राखलदास बनर्जी हैं.जिन्होंनें सन् 1922 में इस स्थल को खोजा था. इस स्थल पर बड़े - बड़े स्नानागार मिलें हैं. # (इ) कालीबंगा (Kalibanga) ::: यह स्थल सन् 1953 में उत्खनित हुआ. इसके उत्खननकर्ता बी.बी.लाल और अमलानंद घोष थे.यह स्थल घग्घर नदी के तट़ पर अवस्थित हैं. कालीबंगा की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह हैं,कि यहाँ यग्यीय वेदी और चूड़िया प्राप्त हुई हैं. ● यह भी पढ़े 👇👇👇 ● म.प्र.की नदी ग्रीन हाऊस प्रभाव के बारें में जानें # (ई) चन्हुदड़ों (chanhudado) ::: यह स्थल सिन्धु नदी के तट़ पर अवस्थित हैं.जहाँ उत्खनन कार्य एन.सी.मजूमदार द्धारा सन् 1931 में किया गया. # (उ) रोपड़ (Ropad) ::: यह

चुम्बक का इतिहास चुम्बक के गुण और चुम्बक चिकित्सा (Magnet Therpy)

# 1. चुम्बक का इतिहास  लगभग 600 ईसा पूर्व एशिया माइनर की " मैग्नेशिया " नामक जगह कुछ ऐसे पत्थर पाये गयें जिनमें लोहे को अपनी ओर आकर्षित करनें की अद्भभूत क्षमता थी.मैग्नेशिया नामक जगह पर पायें जानें की वज़ह से ही इनका नाम मैग्नेट़ रखा गया. भारतवर्ष में चुम्बक के ग्यान का इतिहास इससे भी पुराना हैं. रामायण में कई जगहों पर चुम्बक के कार्यों का उल्लेख लोहे  को आकर्षित करनें वाली वस्तु के रूप में हुआ हैं.  Magnet therpy # 2.चुम्बक के गुण :: चुम्बक में लोहें की वस्तुओं को आकर्षित करनें,एक चुम्बक द्धारा दूसरें चुम्बक के विपरीत सिरे आकर्षित करनें,समान सिरे प्रतिकर्षित करनें तथा चुम्बक को स्वतंत्रता पूर्वक लटकानें पर उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरनें का गुण पाया जाता हैं. चुम्बक का जो सिरा उत्तर दिशा में ठहरता हैं,उसे उत्तरी सिरा और जो सिरा दक्षिण दिशा में ठहरता हैं. उसे दक्षिणी सिरा कहतें हैं.                              ● ट्यूबरक्लोसिस के बारें में जानकारी इस लिंक पर जाकर देखें • भारत में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति कब शुरू हुई थी #3.चुम्बक चिकित्सा ::

ग्रीन हाऊस प्रभाव[Green house Effect]और उसका जीव जंतुओं पर प्रभाव

#Green house effect सूर्य से निकलनें वाली सौर विकिरण जब प्रथ्वी पर गिरती हैं,तो उसकी कुछ मात्रा प्रथ्वी के वायुमंड़ल द्धारा रोक ली जाती हैं.जिससे वायुमंड़ल गर्म होकर प्रथ्वी पर स्थित जीवधारियों के अनूकूल बना रहता हैं.यह स्थिति ग्रीन हाऊस प्रभाव कहलाती हैं. आदर्श ग्रीन हाऊस प्रभाव में विकिरण के 100% भाग में से 35% भाग बाहरी वातावरण द्धारा परावर्तित होकर अंतरिक्ष में विलीन हो जाता हैं.17% भाग प्रथ्वी की सतह से परावर्तित हो जाता हैं.तथा 48% भाग वायुमंड़ल में विकरित हो जाता हैं.यह विकरित विकिरण प्रथ्वी की सतह और गैसों द्धारा अवशोषित होकर प्रथ्वी के वातावरण को गर्म रखती हैं.  green house effect # ग्रीन हाऊस प्रभाव इतना चर्चा में क्यों हैं?  ::: प्रथ्वी पर ग्रीन हाऊस प्रभाव के लियें अनेक गैसें जिम्मेदार हैं,जैसें कार्बन डाइ आँक्साइड़ (Co2),मीथेन,नाइट्रस आँक्साइड़ और क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs). ये गैसें ऊष्मा को रोककर प्रथ्वी के वातावरण को गर्म बनाती हैं.कुल ऊष्मा को रोकनें में कार्बन ड़ाइ आँक्साइड़ का योगदान 50% ,मिथेन का 18%,क्लोरोफ्लोरों कार्बन का 14%,तथा नाइट्रस

New Year 2023 Resolutions :नए साल 2022 में सेहत की A B C D

 New Year 2023 Resolutions सेहत को लेकर जिस तरह से जागरूकता बढ़ रही हैं,ऐसे में कुछ सही जानकारी लोगों को हमेशा अपनी सेहत के प्रति रखनी चाहियें. आईयें जानतें हैं,अल्फाबेटस के माध्यम से नये साल 2023 में सेहत की A B C D  #1. A for Alert ::: अपनी सेहत एँव घर के बच्चों और बुजुर्गों की सेहत के प्रति हमेशा सचेत रहें,छोटी - छोटी समस्याओं जैसें  १.ह्रदय में दर्द २.बच्चों में पेट या दांतों का दर्द ३.आँखों से कम दिखाई देना ४.पढ़ते समय आँखों में दर्द या कम दिखाई देना ५.हड्डीयों का फ्रेक्चर होना आदि इसके अलावा भी सेहत सम्बंधी कोई भी समस्या होनें पर तुरन्त अपनें पारिवारिक चिकित्सक से परामर्श ज़रूर करें. #2. B for Breathing ::: बेहतर तन मन के लिये दिन में कुछ समय काम के दोरान विराम लेकर गहरी सांस जरूर ले,गहरी स्वच्छ वायु लेनें के लिये अपने आसपास के पर्यावरण को पेड़ पौधों की आबादी बढ़ाकर समृद्ध करतें रहें. स्वच्छ वायु फेफड़ों में गहराई से भरने पर शरीर के समस्त अंगों में खून का संचार सही तरीके से होता हैं,और तन मन तरोताजा बना रहता हैं. # विंध्य हर्बल के