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जुलाई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

LDH ,LACTATE DEHYDROGENASE

#1.What is LDH.     (source health screen), LDH, IS A MEMBRANE BOUND RESPIRATORY ENZYME THAT'S PLAY AN IMPORTANT ROLE IN CELLULAR RESPIRATION. It exists in five isoenzyme forms viz.LDH1 to LDH5 distributed in different body tissues. Though, these isoenzyme differ in their amino acid sequences,and found extensively in all body tissues, they catalyze the same chemical reaction.LDH levels are usually very low in the blood stream and shows a sharp increase only when an episode of tissue damage occurs. Hence, it is used extensively as a marker to determine tissue damage and in some infections such as meningitis and cancer . #2.ROLE OF LDH  LDH; play an important role in glycolysis.During glycolysis there is conversion of glucose to pyruvate which further gets oxidized in citric acid cycle and electron transport cycle, to release large amount of ATP.which is utilized by the cell as a source of energy.if the cell lacks the ability to oxidize pyruvate due to insufficient ox

वृद्धावस्था और आयुर्वेद के अनुसार जीवन

वृद्धावस्था और आयुर्वेद भारतीय शास्त्रों और ग्रन्थों में मनुष्य की औसत आयु की कामना 100 वर्ष की गई.इन सौ वर्षों को विभिन्न भागों में बाँटा गया हैं.जिन्हें जीवनयापन के चार आश्रम कहा गया हैं.ये चार आश्रम मुख्य रूप से इस प्रकार हैं --- 1.ब्रम्हचर्य आश्रम.2.ग्रहस्थ आश्रम 3. सन्यास आश्रम 4. वानप्रस्थ आश्रम. इन आश्रमों में अन्तिम दो आश्रम सन्यास और वानप्रस्थ मूल रूप से वृद्धावस्था से सम्बंधित हैं.जिनमें मनुष्य शारीरिक रूप थक जाता हैं,और समाज की उत्पादकता में अपना योगदान सीमित कर लेता हैं. कोई कहे कि वृद्धावस्था क्या हैं तो इसका जवाब यह हैं,कि शरीर पर, इन्द्रियों पर,त्वचा आदि पर लगातार कार्यरत रहनें के कारण शरीर की कोशिकाओं, उत्तकों पर,समय के साथ और दबाव से जो क्षय होता हैं.इसके अलावा जो मानसिक परिवर्तन होता हैं,वह वृद्धावस्था कहलाता हैं. वृद्धावस्था से संबधित समस्याएँ  1. ह्रदय की कार्यपृणाली कमज़ोर हो जाती हैं,जिससे उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप जैसी बीमारींयाँ पैदा हो जाती हैं. 2. फेफडों से श्वसन गहरा नहीं हो पाता. 3. दांत कमज़ोर होकर गिरनें लगतें हैं.जिससे कठोर ची

आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित दही के औषधीय गुण

आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित दही के औषधीय गुण भारतीय संस्कृति में दूध और दूध से बनें पदार्थों का स्थान ईश्वर के समतुल्य हैं,यही कारण हैं कि हमारी पूजा पाठ दूध (curd)दही बिना अधूरी मानी जाती हैं। चरणामृत,प्रसाद अभिषेक आदि अनन्त कार्यों में दही का प्रयोग सदियों से होता आ रहा हैं.भगवान श्री कृष्ण का तो सम्पूर्ण जीवन गौ माता की सेवा और दूध दही के इर्द गिर्द घूमता हैं. दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन B 12,   फोलिक एसिड़, कैल्सियम,फास्फोरस,नियासिन और लेक्टिक एसिड़ और मानव हितेषी जीवाणु मोजूद होतें हैं. दही में पाए जाने वाले पौषक तत्व 1.एनर्जी ---- 350 kcal 2.कार्बोहाइड्रेट --- 70 ग्राम 3.लिपीड फेट --- 5 ग्राम 4.शक्कर --- 70 ग्राम 5.प्रोटीन --- 11 ग्राम 6.फैटी एसिड ---5 ग्राम 7.सोडियम--- 50 ग्राम [प्रति 100 ग्राम] इसके अतिरिक्त दही में कैल्शियम, फास्फोरस, और विटामिन प्रचुरता से मिलते हैं। दही के औषधीय गुण  दही आयुर्वेद ग्रंथों में दही के निम्न गुण बताए गए हैं रोचनंदीपनंवृष्यंस्नेहनंबलवर्द्धनम् । पाकेअम्लमुष्णंवातध्नंमग्लंबृंहणंदधि।।पीनसेचातिसारेचशीतकेविषमज्वरे।अरुचौमूत्रकृच्

अलसी में हैं गुणों की भरमार (Miracle health benefits of linseed)

अलसी में  हैं गुणों की भरमार (Miracle health benefits of linseed) अलसी परिचय :::  अलसी एक महत्वपूर्ण खाद्य तिलहन हैं.जो रबी के मौसम में बोई जाती हैं. यह सर्वगुण सम्पन्न होने के कारण आधुनिक जानकार इसे  संतुलित आहार  का     दर्जा देंतें हैं. अलसी के बीज अंडाकार, चमकीले भूरे,लाल या सफेद होते हैं। अलसी अलसी में पाए जाने वाले पोषक तत्व 1.  कार्बोहाइड्रेट  ----------   28.9 mg 2.   प्रोटीन        ----------  18.3  3 .    वसा         ----------  42.3 mg  ओमेगा -- 3 अल्फा लेनोलेनिक एसिड़                           -----------  18.1  ओमेगा -- 6 अल्फा लेनोलेनिक एसिड़                         ------------   7.7 4.रेशा (fibre) -----------  27.3 5.थायमिन.       ------------  1.64 mg 6.राइबोफ्लेविन -------------  0.161 mg 7.नायसिन.      -------------  3.08 mg 8.  विटामिन B- 5  -----------  0.985 mg 9.विटामिन. C.  ------------  0.6 mg 10.कैल्सियम.   -------------  255 mg 11. लोहा          -------------  5.73 mg 12. मैग्निशियम -----

स्वास्थ और पर्यावरण

स्वास्थ और पर्यावरण ::: बिना पर्यावरण के मानवीय जीवन असंभव हैं.हमारें आसपास मोजूद पेड़ - पौधें न केवल हमें प्राणवायु आक्सीजन देतें हैं,बल्कि भोजन से लेकर वस्त्र और अन्य मानवीय ज़रूरत जंगल ही प्रदान करतें हैं,कुल मिलाकर कहनें का यहीं तात्पर्य हैं,कि पैड़-पौधों के बिना मानवीय अस्तित्व संभव नहीं हैं. मनुष्यों की प्रकृति के प्रति बढ़ती हुई लालची प्रवृत्ति ने पर्यावरण का क्षरण तो किया ही हैं,उससे कहीं अधिक मानव नें अपना स्वंय का नुकसान कर लिया हैं,जो स्वस्थ जीवनशैली  healthy lifestyle  के सिद्धान्तों के पूर्णत: विपरीत हैं,आईयें जानतें हैं,मनुष्यों के स्वास्थ पर पर्यावरणीय क्षरण का क्या नुकसान होता हैं. पर्यावरण क्षरण के नुकसान ::: वैश्यावृत्ति के बारें में जानियें 1. विश्व में ब्राजील अपनें घनें जंगलों, विविधतापूर्ण वनस्पतियों और सदा नीरा रहनें वाली नदियों ( river)  के कारण विश्व पर्यावरण ( world   environment)  का फेफड़ा कहलाता हैं,लेकिन जबसे इन जंगलों,नदियों और वनस्पतियों पर मनुष्य की लालची निगाह पड़ी हैं,तभी से ये लगभग लुप्त होनें की कगार पर खड़ें हैं.सदा आक्सीजन (oxyg

बाजरा खाने के फायदे [Benifit of bajra in hindi ]

बाजरा खाने के फायदे बाजरे का परिचय ::: बाजरा मोटे अनाज के अन्तर्गत आता हैं.यह दिखनें में गोल रंग में हल्का सफेद होता हैं.भारत और दुनिया के अनेक देशों की यह प्रमुख खाद्य फसल हैं.जिसे मनुष्य और जानवर बड़े चाव से खातें हैं.बाजरा एक संतुलित आहार  हैं. बाजरा की पोषणीय महत्ता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा ने सन् 2023 को "अन्तरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष"घोषित किया है । अन्तरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने का मुख्य उद्देश्य यही हैं कि आमजन बाजरा को अपने खाद्य सुरक्षा में शामिल करें ताकि बाजरे की खेती को प्रोत्साहन मिल सकें ।  बाजरा बाजरे की प्रकृति :::  बाजरा गर्म, स्वादिष्ट, नमकीन और पचनें में आसान होता हैं बाजरे में पाए जाने वाले पौषक तत्व प्रोटीन .   वसा      रेशा     फास्फोरस   11.6gm.   5gm.     1.2gm.            296mg पोटेशियम.       कैल्सियम.    मैग्निशियम    307mg.                45 mg.                          137 mg  सल्फर.            लोहा.             सोड़ियम.   147mg           8.0mg.          10.9 mg  कापर.   

बढ़ती जनसँख्या बढ़ती चुनौतियाँ

दुनिया 11 जुलाई को प्रतिवर्ष " विश्व जनसँख्या दिवस " world population day  मनाती हैं.वास्तव में यह तारीख विश्व के नागरिकों को मात्र यह याद दिलानें के लिये ही हैं,कि पिछले वर्ष के मुकाबलें इस वर्ष विश्व की जनसँख्या में कितना परिवर्तन हुआ.पिछले दो दशकों के दोरान विश्व की जनसँख्या में अत्यधिक तेजी परिलक्षित हुई, सन् 2000 में जहाँ हम 5 अरब थे. वही 2016 तक विश्व जनसँख्या 7.45 करोड़ हो गई.यही हाल भारत और दक्षिण एशिया के दूसरे विकासशील राष्ट्रों का हैं.आजादी के वक्त भारत ,बांग्लादेश,पाकिस्तान की सम्मिलित आबादी 33 करोड़ थी.आज अकेला भारत 1 अरब 30 करोड़ आबादी के साथ  चीन के बाद दूसरा बड़ी आबादी वाला राष्ट्र हैं.जो विश्व के मात्र 2.4 भोगोलिक क्षेत्रफल में विश्व की 17.5 आबादी का निवास स्थल बना हुआ हैं.  भीड़ भाड़ वाला रेलवे स्टेशन बढ़ती आबादी से बढ़ती चुनौतियाँ  कृषि क्षेत्र में----   यदि वैश्विक खाद्य परिस्थितियों पर नज़र ड़ालें तो  बढ़ती आबादी ने खाद्य सुरक्षा को गंभीर चुनोंती प्रस्तुत की हैं.जिस तरह से खेतों की ज़मीन पर कांक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं,उससे विश्व

HAPPY HORMONES kaise badhaye

HAPPY HORMONES kaise badhaye दुनिया में हँसना और हँसाना सिर्फ मनुष्यों की किस्मत में नसीब हैं.लेकिन आज की तनाव भरी जिन्दगी में कई लोगों के चेहरें से हँसी खुशी गायब सी हो गई हैं.लेकिन क्या आप जानतें हैं आपके खुश रहनें के पिछे कुछ विशेष हार्मोंन उत्तरदायी होतें हैं ,यदि आप खुश रहना चाहतें हो तो आसानी से इन हार्मोंन को शरीर में बढ़ाकर तनावमुक्त जीवन का आनंद ले सकते हैं,आईयें जानते हैं ऐसें हार्मोंन और उनकों बढ़ानें के प्राचीन तरीकों के बारें में डोपामाईन  :: यह सामाजिक, पारिवारिक जीवन में व्यक्ति को शांत,संयमित और अच्छा महसूस करवानें वाला न्यूरोट्रांसमीट़र हैं.यदि आप अपनें लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पा रहें हैं या आपनें ऐसें बड़े लक्ष्य निर्धारित कर लियें हैं जो आपकी कार्यक्षमता से अधिक हैं तो डोपामाईन का स्तर शरीर में घट़नें लगता हैं. और मनुष्य चिड़चिड़ा ,गुस्सेल और हिंसक हो जाता हैं.लेकिन कुछ यौगिक क्रियाओं को करनें से शरीर में इसका स्तर पर्याप्त बना रहता हैं.जैसें भ्रामरी प्राणायाम HAPPY HORMONES kaise badhaye इस प्राणायाम को करनें से डोपामाईन का स्तर पूर्णत:संतुलित हो जाता