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मार्च, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

DISASTER MANAGEMENT AND HEALTHY LIFESTYLE आपदा प्रबंधन और स्वस्थ जीवनशैली

  आपदा प्रबंधन और स्वस्थ जीवनशैलीDISASTER MANAGEMENT AND HEALTHY LIFESTYLE:: आजकल आपदा जिस गति से मानवीय स्वास्थ और जीवनशैली को प्रभावित कर रही हैं,ऐसा पिछली शताब्दी में पहलें कभी नहीं हुआ . इन सबके पीछें अनेक मानवीय और पर्यावरणीय कारक जैसे जलवायु परिवर्तन ,नाभिकीय कारक,युद्ध आतंकवादी घट़नायें,आदि तत्व प्रमुख रूप से जिम्मेंदार हैं. लेकिन आपदा से निपट़ने और उसके प्रबंधन में सरकारों की भूमिका को ज्यादा महत्व न देते हुए हमें स्वंय अपनें स्तर पर  सजग रहकर इन चुनौतियों से निपट़ना चाहिये क्योंकि जीवन आपका अपना हैं,तो जिम्मेंदारी भी आपकी अपनी हैं. आईयें जानतें हैं आपदा के दोरान स्वस्थ जीवनशैली को कैसें बनायें रखें. प्रबंधन::- १. भूकम्प आनें के दोरान ज्यादा चीख पुकार करनें की बजाय तुरन्त सुरक्षित जगह पर पहुँच जावें,इन सुरक्षित  जगहों में शामिल हैं,खुली जगह,यदि मकान कच्चा हो तो पलंग,सोफा,टेबल ,मेंज सुरक्षित जगह मानी जावेंगी. २. बुजुर्गों को आपदा के दोरान शांतचित्त रखनें का प्रयास करें. ३. कुछ चीजें जो हमेशा अपनें पास रखना चाहियें और ऐसी जगह रखी हो जँहा से आसानी से मि

TURMERIC, हल्दी के ऐसे फायदे जिन्हें आपनें पहले कभी नही पढ़ा होगा और हल्दी से बनने वाली औषधी हरिद्राखण्ड़ का परिचय

Turmeric हल्दी   हल्दी का परिचय ::: हल्दी कंद रूप में पायी जानें वाली विशिष्ट औषधि हैं,जो भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा हैं.इसका स्वाद कड़वा और कसेला होता हैं.इसकी प्रकृति उष्ण होती हैं.इसमें करक्यूमिन  नामक विशिष्ट रसायन पाया जाता है. उपयोग::- १.  हल्दी में कैंसर  नाशक गुण होतें हैं,इसमें उपस्थित रसायन करक्यूमिन कैंसर से नष्ट होनें वाली कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता हैं. २.  रक्त कैंसर में हल्दी और लहसुन पेस्ट मिलाकर दूध के साथ सेवन करनें से कैंसर की तीव्रता काफी हद तक कम हो जाती हैं. ३.  हल्दी सौन्दर्य को बढ़ानें वाली होती हैं, शहद के साथ या तेल के साथ इसका उबट़न लगानें सें न केवल गोरापन बढ़ता हैं,वरन त्वचा संबधित बीमारीयाँ भी समाप्त हो जाती हैं. ४. शहद  के साथ हल्दी को समान मात्रा में मिलाकर सेवन करनें से खून की कमी दूर हो जाती हैं. ५.  टाइफाइड़ होनें पर रोज़ सुबह खाली पेट़ हल्दी लेनें से टाइफाइड़ समाप्त हो जाता हैं. ६.  पीलिया (jaundice) रोग में छाछ के साथ हल्दी चूर्ण मिलाकर पीनें से पीलिया कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाता हैं.

MIGRAINE HEADACHE AND AYURVEDA,माइग्रेन

MIGRAINE HEADACHE AND AYURVEDA,माइग्रेन  परिचय ::-  माइग्रेन माइग्रेन सिर में,आँखों के निचें बार -बार होनें वाला गंभीरतम दर्द होता हैं.ये दर्द सामान्य सिरदर्द से दर्द की तीव्रता और बारम्बारता की वज़ह से अलग होता हैं.इसे   माइग्रेन के लक्षण::- १.अचानक तेज सिरदर्द होना जो कि जो कि सिर के एक भाग या दोनों भागों में एक साथ हो सकता हैं. २.सिरदर्द के साथ उल्टी ,जी  मचलाना,चक्कर,बेहोशी होना. ३. तेज आवाज़,रोशनी के कारण तेज सिरदर्द. ४.सुनने,बोलनें में परेशानी. ५. हाथ,पैरों में कंपकंपी या सुन्नपन. ६.कई रोगीयों में आँखों के सामनें चमकनें जैसा अहसास होता हैं,ऐसा इसलिये होता हैं,कि माइग्रेन के कारण पैदा होनें वाली इलेक्ट्रिक और केमिकल तरंगे पूरें मस्तिष्क में फेल जाती हैं, और उस हिस्सों को घेर लेती हैं,जिससे चीजों को देखतें हैं. ७.दर्द के दोरान कानों से कम सुनाई देता हैं.  माइग्रेन का कारण::- १. माइग्रेन का पारिवारिक इतिहास होनें पर. २.अनियमित दिनचर्या. ३.औषधियों के साईड़ इफेक्ट से. ४. हार्मोंन के असंतुलित होनें से. ४. सायनस या ना

CLIMATE CHANGE AND HEALTH ,जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ

क्या हैं जलवायु परिवर्तन ::- पिछलें तीन चार दशकों से पृथ्वी के वातावरण में मानवीय क्रियाकलापों के कारण कार्बन डाई आँक्साइड़,मिथेन,नाइट्रस आँक्साइड़,क्लोरो फ्लोंरों कार्बन आदि गैसों की वज़ह से पृथ्वी के तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो गई है फलस्वरूप मौ सम चक्र में भारी परिवर्तन हुआ हैं और असमय बाढ़,हिमपात,चक्रवात आनें लगे हैं,यह स्थिती जलवायु परिवर्तन से निर्मित हुई हैं.  जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ   स्वास्थ पर प्रभाव::- १.ध्रुवों की बर्फ पिघलनें की दर अत्यधिक बढ़ जानें से मिठे पानी के स्त्रोंत सिमटते जा रहें हैं,फलस्वरूप आने वालें दशकों में बढ़ती हुई आबादी को पीनें का पानी उपलब्ध नहीं होगा.एशिया ,अफ्रीका,लेटिन अमेरिकी देशों में तो पानी के लियें युद्ध तक हो सकता हैं. २. बढ़तें तापमान का असर पेड़ पौधों पर पर भी हो रहा हैं,फलस्वरूप फलदार वृक्ष अपना पेटर्न बदल रहें हैं,भारतीय देशी  आम इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं,जो एक साल छोड़कर फल देनें लगा हैं,इसकी वज़ह से कुपोषण बढ़ेगा. ३. फसलों की पैदावार कम होगी क्योंकि दुनिया की महत्वपूर्ण खाद्य फसल चावल और गे

निम्बू एक फायदे अनेक

निम्बू                           # परिचय::- निम्बू विश्व के हरेक राष्ट्र में उगाया और उपयोग किया जानें वाला फल हैं. आयुर्वैद में इसको रहस्यमय औषधि के रूप में माना जाता हैं.इसके रस में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं,इसके अलावा इसके छिलकों में उड़नशील तेल होता हैं.निम्बू अकेला न लेकर किसी पदार्थ जैसे पानी, खाद्य पदार्थ आदि में मिलाकर लिया जाता हैं. निम्बू में प्रोटीन १ प्रतिशत ,वसा ०.९ प्रतिशत ,कार्बोहाइड्रेट ११.१ प्रतिशत, लोह तत्व ०.२६ प्रतिशत, कैल्सियम ७० मि.ग्राम,नियासिन ०.१ मि.ग्राम ,जल ८५ प्रतिशत तथा ऊर्जा लगभग ५७ कैलोरी होती हैं. # निम्बू के फायदे::- १. कब्ज  होनें पर दो चम्मच निम्बू रस तथा दो चम्मच शक्कर एक कप पानी में घोलकर रात को सोतें समय लेंनें से आराम मिलता हैं. २.हिचकी होनें पर निम्बू के रस में काला नमक मिलाकर सेवन करें. ३. निम्बू के छिलकों को सुखाकर उसमें काला नमक और सरसों का तेल मिलाकर मसूड़ों पर  लगानें से पायरिया में आराम मिलता हैं. ४. सिर में फुंसिया होनें पर निम्बू रस में बराबर मात्रा में सरसों तेल मिलाकर बालों की जड़ों में

आंवला औषधीय गुणो का खज़ाना

 आंवला    आंवला  स्कंद पुराण ,गरूड़ पुराण में आंवले की महिमा का विशद वर्णन मिलता हैं. महर्षि च्यवन ने पुन: युवा होनें के लिये आंवलें से बनायें गये च्यवनप्राश का प्रयोग किया था. आंवला यूकोरबियेसी कुल का सदस्य हैं जिसे वनस्पति जगत में एमाब्लिका आफिलिनेलिस    के नाम से जाना जाता हैं. अंग्रेजी में इसे इंडियन गुजबेरी और संस्कृत में आमलकी के नाम से जाना जाता हैं । आंवला में पाए जाने वाले पौषक तत्व 1.पानी :: 8.12% 2.कार्बोहाइड्रेट :: 14.1% 3.फायबर :: 3.4% 4.प्रोटीन ::0.5% 5.फैट ::0.1% 6.खनिज लवण :: 0.7% 7.विटामीन सी :: 121 मिली ग्राम 8.आयरन:: 12 मिली ग्राम 9.फास्फोरस ::20 मिली ग्राम                                                     [प्रति 100 ग्राम ] आंवले में सबसे अधिक मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हैं,जो अन्य फलों जैसे नांरगी, निम्बू से  बीस गुना अधिक होता हैं. इसके अलावा इसमें गैलिक एसिड़, ग्लूकोज,टैनिक एसिड़ एल्बयूमिन आदि तत्व भी पायें जाते हैं. आंवला के फायदे  आंवला  त्रिदोषहर यानि वात, पित्त, कफ का शमन करनें वाला एक उत्तम फल हैं, आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार

EXAMFOBHIA AND AYURVEDA

क्या है EXAMFOBHIA दोंस्तों परीक्षा एक ऐसा शब्द हैं जिसका सामना प्रत्येक वर्ष हर विधा र्थी  को करना ही पड़ता हैं परन्तु कुछ विधार्थी  पूरे पाठ्यक्रम को पूर्ण  करनें के बाद भी परीक्षा के समय इतनें तनावग्रस्त हो जातें है कि परीक्षा हाल में सब भूल जातें हैं .़ यही स्थिति EXAMFOBIA हैं. लक्षण::- १. नींद नहीं आना. २. पेट़ में मरोड़ ,पेट़ फूलना. ३.उल्टी दस्त. ४.पढ़ाई में मन न लगना. ५.पढ़ा हुआ भूलना. ६.बैचेनी. ७. चिड़चिड़ापन,गुस्सा,हड़बड़ी. ८. हार्मोंन  का असंतुलित होना. ९. ब्लड में शुगर लेवल कम होना आदि समस्या उपस्थित हो जाती हैं. EXAMFOBHIA का सामना ऐसे करें::- १.परीक्षा के दोरान ध्यान योगिक क्रियाएँ  जैसें ग्यान मुद्रा अवश्य करें. २. लम्बी गहरी सांस लेकर परीक्षा हाल में पूर्ण एकाग्रता से चार - पाँच बार ऊँ का उच्चारण करें. ३. पानी पर्याप्त मात्रा में पीयें. ४. भोजन कम कैलोरी युक्त हो जिसमें हरी सब्जी सलाद और फलों का समावेश हो. ५.पढ़नें के दोरान बीच - बीच में ब्रेक अवश्य लें. ६. पढ़नें के बाद पढ़ा हुआ मन ही मन दोह