सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वायरस virus का काम होगा तमाम जब भोजन की थाली में आ जायें कुछ खास Antioxidant

वायरस virus का काम होगा तमाम जब भोजन की थाली में आ जायें कुछ खास Antioxidant

हमारें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमें रोगों से बचानें का काम करती हैं । लेकिन जब रोगप्रतिरोधक प्रणाली कमज़ोर हो जाती हैं तो शरीर भी रोग का घर बन जाता हैं । 

रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ानें में Antioxidant महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं । Antioxidant शरीर को रोगों से लड़नें के लिये तैयार करतें हैं । Antioxidant प्राप्त करनें के अच्छे स्त्रोंत विटामीन A, विटामीन C,और विटामीन E हैं ।


आईयें जानतें हैं इनके बारें में

विटामीन A vitaminA


विटामीन A प्राप्त करनें के दो मुख्य स्त्रोंत हैं प्रथम मांसाहारी पदार्थ और द्धितीय शाकाहारी पदार्थ । जो विटामीन A माँस,दूध से प्राप्त होता हैं वह रेटिनाल के नाम से जाना जाता हैं जबकि जो विटामीन A फल,सब्जी से प्राप्त होता हैं उसे बीटा केरोटीन कहतें हैं । यह केरोटीन एवँ रेटिनाल शरीर में जाकर विटामीन A में बदल जाता हैं । विटामीन A हमारें प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करनें वाला महत्वपूर्ण विटामीन हैं ।


इस विटामीन के सेवन से वायरस जनित रोग हमारें प्रतिरक्षा तंत्र को भेद नही पातें हैं फलस्वरूप शरीर निरोगी बना रहता हैं ।

विटामीन C

खट्टे फलों जैसें निम्बू, संतरा, आँवला, स्ट्राबेरी में पाया जाता हैं । यह विटामीन  जल में घुलनशील होता हैं । यदि हम अधिक मात्रा में  विटामीन c का सेवन कर लेतें है तो भी हमारें शरीर को कोई नुकसान नही पहुँचता हैं बल्कि अधिक मात्रा में लिया गया विटामीन मूत्र के माध्यम से शरीर के बाहर निकल जाता हैं ।

विटामीन c free redicals से होनें वाली क्षति से शरीर को बचाता हैं । इसी प्रकार विटामीन c वायरस जनित बीमारी होनें पर शरीर में वायरस के फैलाव को नियंत्रित करता हैं । 

विटामीन c के सेवन से कोशिकायें अधिक स्वस्थ्य और लम्बी उम्र वाली होती हैं ।

विटामीन E 


अंकुरित खाद्य पदार्थों से प्राप्त होनें वाला यह विटामीन E श्वेत रक्त कणिकाओं W.B.C.को मज़बूत बनानें का काम करता हैं ताकि वायरस जनित रोगों से लड़नें में श्वेत रक्त कणिकायें w.b.c. अधिक ताकतवर होकर लड़ सकें ।

उपरोक्त तीनों विटामीन Antioxidant के समृद्ध स्त्रोंत हैं जिनकों भोजन में शामिल कर हम आसानी से वायरस जनित रोगों से शरीर की रक्षा कर सकतें हैं ।

विटामिन बी 6 vitamin B 6

विटामिन बी 6 vitamin B 6 वायरस से संक्रमित कोशिकाओं virus se sankramit koshikaon की मरम्मत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । यह रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता हैं और T-cell का निर्माण करता हैं । 

विटामिन बी 6 बैचेनी, अनिद्रा, तनाव से भी मुक्ति दिलाता है क्योंकि यह तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कार्टिसोल tanav peda Karne wale harmon cartisol का स्त्राव कम करता हैं । कोरोनावायरस प्रभावित व्यक्ति और उसका परिवार सबसे ज्यादा तनाव के दौर से गुजरता है ऐसे में vitamin B6 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे केला,सेब,आलू,मटर,हरी सब्जियों का अधिक सेवन करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता हैं ।


० लहसुन के फायदे और नुकसान

० अमरूद पाये जानें वाले पौषक तत्व

० वात पित्त और कफ प्रकृति के लक्षण

 

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x