सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कोरोना वायरस का आयुर्वेदिक इलाज

कोरोना वायरस का  आयुर्वेदिक इलाज

*कोरोना वायरस से घबराये नहीं इस की दवा भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथों में वसाका नाम से वर्णित है और लक्षणों के आधार पर कोरोना वायरस काआयुर्वेदिक इलाज निम्न हैं 


कोरोना वायरस का आयुर्वेदिक इलाज
 कोरोना वायरस



*कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण


० वायरस क्या होता हैं



1. तेज बुखार

2. बुखार के बाद खांसी का आना

3. बेचैनी, सिरदर्द और मुख्य रूप से श्वसन संबंधी परेशानी महसूस होना


भारतीय लोगों को कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके रोग के लक्षणों का वर्णन हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में दिया हुआ है
आयुर्वेद में दवा का नाम वसाका (अरडूसा)  नाम से उपलब्ध है।



*आयुर्वेदिक इलाज


 आयुर्वेद के सभी कफ सिरफ में वसाका का उपयोग होता है इसलिए आप किसी भी कंपनी का आयुर्वेदिक कफ सिरफ ले सकते है।


 


*आयुर्वेदिक इलाज 

(1) गोजिव्हादि क्वाथ 10 ग्राम, 

(2)महासुदर्शन चूर्ण 01 ग्राम, 

(3)गिलोय की हरी ताजा लकड़ी 12 ईंच बड़ी, 

(4)तुलसी पत्र 5 - 7, 

(5)कालीमिर्च 3 - 4,

(6) सोंठ पाऊडर 1 ग्राम, 

(7)अडुसा के ताजा पत्र 4 - 5,

(8) हल्दी पाउडर 1 से 2 ग्राम 


इन सबको मिलाकर 250 ML पानी मे मंद आंच मे धीरे धीरे ऊबाले शेष 15 -  20  ML बचने पर सूती सफेद वस्त्र से छान कर गुनगुनाना गुनगुनाना ही पीना है।


लक्षणों से पिड़ित व्यक्ति को दिन में तीन चार बार दिया जा सकता है और स्वास्थ्य व्यक्ति को बचाव की दृष्टि से दिन मे एक बार ले सकता है।


(2). नमक या सफेद फिटकरी के पानी की भाप दिन में तीन चार बार लेनी चाहिए।


(3). प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन तीन से पांच बार सरसों का तेल नांक के अंदर अंगुली से लगाते रहना चाहिए।


(4). गिलोय की हरी लकड़ी 12 ईंच, तुलसी के 8 - 10 पत्र , शुद्ध शहद एक चम्मच, एक ग्राम हल्दी पाउडर, एक ग्राम सोंठ पाउडर, 3 - 4 कालीमिर्च का पाउडर, इन सबको मिलाकर दिन में दो से तीन बार चाटना या पीना है।


(4). तालिसोमादि चूर्ण 1 ग्राम, गोदंती भस्म 250 MG, सर्वज्वरहर लौह 250 MG, शिर:शुलादि वज्र रस 250 MG, श्वासकुठार रस 250 MG, चंद्रामृत रस 250 MG, श्रृंगाराभ्र रस 250 MG, इन सबका मिश्रण शहद के साथ दिन मे तीन चार बार लेवें।


(5). संजीवनी वटी एक एक गोली दिन मे तीन से चार बार गर्म पानी से लेवे।


(6). एलादि वट्टी या मरिच्यादि वट्टी मे से कोई एक तरह की टेबलेट दिन में चार से छ बार चूसनी है।


(7).  वासकासव सिरप की तीन तीन चम्मच दवाई गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन से चार बार लेनी है।


(8). कंटकारी अवलेह या च्यवनप्राश अवलेह की एक एक चम्मच दिन मे दो बार लेनी चाहिए। 

*यह सावधानियां अप्रैल माह तक रखें और स्वस्थ रहे*

(1). आईसक्रीम, कुल्फी, सभी प्रकार की कोल्ड ड्रिंक्स, सभी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव फूड्स, डिब्बा बंद भोजन, मिल्क शेक, कच्चा बर्फ यानी गोला चुस्की, मिल्क शेक या मिल्क स्वीटनर 48 घंटे पुराने खाने से बचे क्योंकि कोरोना वायरस गर्मी से निष्क्रिय हो जाता है इस लिए तेज़ गर्मी यानी 35℃ से ज्यादा होने तक रुके।


(2).किसी से भी हाथ नहीं मिलाए, हाथ जोड़कर ही अभिवादन करे, ओर स्वीकार करें।


(3).नांक पर हर व्यक्ति मास्क लगाकर रखें।


(4).भोजन में नोनवेज (मांसाहार) से बचे।


शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही सेवन करें।


(5).भीड़ भाड़, मेले, धरने, प्रदर्शन जैसी जगहों से बचे या दूर रहें।


प्रत्येक औषधि चिकित्सक की सलाह से ही लेवे तथा औषधि की मात्रा आयु के अनुसार ही निर्धारित करे। इसमे लिखी गई मात्रा सामान्य युवा व्यक्ति के लिए लागु है।

     


राजयोग ध्यान द्धारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढा़ना 



कोरोना वायरस से बचाव के लिये जितना खानपान महत्वपूर्ण है इतना ही राजयोग ध्यान महत्वपूर्ण हैं राजयोग ध्यान के लियें प्रतिदिन सुबह उठनें के बाद एक घंटा और रात को सुबह सोनें से पहले दस मिनिट का समय निर्धारित करें । 


राजयोग ध्यान के दौरान आत्मचिंतन और परमात्मा का ध्यान करें यह संकल्प करें कि मैं एक शुद्ध ,शक्तिशाली और पवित्र आत्मा हूँ । मैं जो चाहता हूँ कर सकता हूँ ,मेरा मन मेरा हैं वह मेरा कहना मानता हैं । अपनें मन को इस तरह के सकारात्मक विचारों से भर लें ।


राजयोग ध्यान से नकारात्मक विचारों का प्रवाह बंद होकर आंतरिक बल और प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती हैं जिससे बीमारीयों से बचाव होता हैं ।














टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER

PATANJALI BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER  पतंजलि आयुर्वेद ने high blood pressure की नई गोली BPGRIT निकाली हैं। इसके पहले पतंजलि आयुर्वेद ने उच्च रक्तचाप के लिए Divya Mukta Vati निकाली थी। अब सवाल उठता हैं कि पतंजलि आयुर्वेद को मुक्ता वटी के अलावा बीपी ग्रिट निकालने की क्या आवश्यकता बढ़ी। तो आईए जानतें हैं BPGRIT VS DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER के बारें में कुछ महत्वपूर्ण बातें BPGRIT INGREDIENTS 1.अर्जुन छाल चूर्ण ( Terminalia Arjuna ) 150 मिलीग्राम 2.अनारदाना ( Punica granatum ) 100 मिलीग्राम 3.गोखरु ( Tribulus Terrestris  ) 100 मिलीग्राम 4.लहसुन ( Allium sativam ) 100  मिलीग्राम 5.दालचीनी (Cinnamon zeylanicun) 50 मिलीग्राम 6.शुद्ध  गुग्गुल ( Commiphora mukul )  7.गोंद रेजिन 10 मिलीग्राम 8.बबूल‌ गोंद 8 मिलीग्राम 9.टेल्कम (Hydrated Magnesium silicate) 8 मिलीग्राम 10. Microcrystlline cellulose 16 मिलीग्राम 11. Sodium carboxmethyle cellulose 8 मिलीग्राम DIVYA MUKTA VATI EXTRA POWER INGREDIENTS 1.गजवा  ( Onosma Bracteatum) 2.ब्राम्ही ( Bacopa monnieri) 3.शंखपुष्पी (Convolvulus pl

गेरू के औषधीय प्रयोग

गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर #1 से नम्बर #28 तक Homeopathic bio combination in hindi

  1.बायो काम्बिनेशन नम्बर 1 एनिमिया के लिये होम्योपैथिक बायोकाम्बिनेशन नम्बर 1 का उपयोग रक्ताल्पता या एनिमिया को दूर करनें के लियें किया जाता हैं । रक्ताल्पता या एनिमिया शरीर की एक ऐसी अवस्था हैं जिसमें रक्त में हिमोग्लोबिन की सघनता कम हो जाती हैं । हिमोग्लोबिन की कमी होनें से रक्त में आक्सीजन कम परिवहन हो पाता हैं ।  W.H.O.के अनुसार यदि पुरूष में 13 gm/100 ML ,और स्त्री में 12 gm/100ML से कम हिमोग्लोबिन रक्त में हैं तो इसका मतलब हैं कि व्यक्ति एनिमिक या रक्ताल्पता से ग्रसित हैं । एनिमिया के लक्षण ::: 1.शरीर में थकान 2.काम करतें समय साँस लेनें में परेशानी होना 3.चक्कर  आना  4.सिरदर्द 5. हाथों की हथेली और चेहरा पीला होना 6.ह्रदय की असामान्य धड़कन 7.ankle पर सूजन आना 8. अधिक उम्र के लोगों में ह्रदय शूल होना 9.किसी चोंट या बीमारी के कारण शरीर से अधिक रक्त निकलना बायोकाम्बिनेशन नम्बर  1 के मुख्य घटक ० केल्केरिया फास्फोरिका 3x ० फेंरम फास्फोरिकम 3x ० नेट्रम म्यूरिटिकम 6x