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*मौत के मुख से बाहर लाने वाली आैषधी बन सकती है यह औषधी- दिव्य चमत्कारी औषधी कलौंजी* ⏺

⏺ *मौत के मुख से बाहर लाने वाली  औषधी बन सकती है यह औषधी- दिव्य चमत्कारी औषधी कलौंजी* ⏺

   
कलोंजी बीज
 कलोंजी

कलौंजी काले रंग के छोटे दाने होते है जिसको आेनियन के बीज यानी कांदे के बीज कहा जाता है इसकी तासीर गरम होती है लेकीन यह आयुर्वेद मे गुणो का भंडार कहां गया है आैर मौत को छोडकर लगभग हर रोग का इलाज मानां गयां है आैर वह असाध्य रोगो को भी ठीक  करने की क्षमता रखती है | 

० अरहर के औषधीय प्रयोग


० प्याज के औषधीय उपयोग


० नीम के औषधीय उपयोग


० कद्दू के औषधीय उपयोग


० तेल के फायदे


० गौमुखासन

*आइये जानते है कैसे बनता है कलौंजी का काढ़ा -*

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२ चम्मच कलौंजी और २ ग्लास पानी मिलाकर धीमी आंच पर पकाये जब आधा ग्लास पानी बचे तब ठंडा होने पर छानकर पीनां है  जानते है किस  रोग मे है उपयोगी जानने के लिये पूराल अवश्य पढे़ - 

⏺ घाव भरती है*⏺

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अगर आपको कोइ चोट लगी है आैर काफी लम्बे समय से घाव नही भर रहा तो कलौंजी को पीसकर लैप करिये थोडे दिनमे धांव भर जायेगा |

⏺ *शुगर मे उपयोगी*⏺

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डायाबिटीस वाले लोग अगर २ चम्मच कलौंजी +२ ग्लास पानी मे उबालकर जब आधा ग्लास पानी बचे छानकर पीते है सुबह तो शुगर बिल्कुल कन्ट्रोल रहेगी |

⏺ *थाइराइड मे उपयोगी*⏺

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कलौंजी का काढ़ा सुबह शाम खालीपेट पीने से थाइराइड कन्ट्रोल रहेगी |

⏺ *मुंह के रोग* ⏺

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मुंह मे अगर पायोरीया हुवा है तो कलौंजी के काढ़े से कुल्ले करें | आैर कलौंजी के काढे़ का सेवन नियमित २ महिने करीयें |

⏺ *केन्सरकी गांठ मे* ⏺

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अगर कीसीको केन्सर की गांठ है तो वहां पर कलौंजी को पीसकर लैप करीये | आैर सुबह शाम कलौंजी का काढ़ा पीये - लाभ अवश्य होगा | 

⏺ *धुंटनो का दर्द*⏺

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धुंटनो के दर्द के लिये कलोंजी का तैल बनाकर मालीश करे वं सुबह शाम खालीपेट काढ़े का सेवन करे

⏺ *साइटीका दर्द*⏺

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साइटीक पेइन वं मसक्युलर पेइन मे इसका काढ़ा का सेवन सुबह शाम वह इसके तैल की मालीश सुबह शाम करीये | 

⏺ *श्वास - दमां* ⏺

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अगर आप श्वास दमां से पिडीत है तो सुबह शाम इनके काढे़ का सेवन करीये - लाभ अवश्य होगां |

⏺ *नंपुसक्ता* ⏺

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इसके काढे़ का सेवन सुबह शाम करे वं कसौंजी तैल की मालीश करे जिनसे नंपुसक्ता दूर होती है लिंग की लंबाइ बढती है | टाइमिंग मे वृद्धी होती है | नसो की कमजोरी दूर होती है | 

⏺ *स्तनो की वृद्धी* ⏺

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कलौंजी तैल की नियमित मालीश से स्तनो का विकास होता है |

⏺ *पेरालीसीस* ⏺

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पेरालीसीस मे कलौंजी तेल की मालीश करें वह इनके काढे़ का सेवन सुबह शाम करीये |

⏺ *पागलपन* ⏺

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सुबह शाम कलौंजी के काढ़े का सेवन करैं | लाभ अवश्य होगा |

 *मौत के मुख से बाहर लाने वाली  आैषधी बन सकती है यह आैषधी- दिव्य चमत्कारी आैषधी कलौंजी* ⏺

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० सिंघाड़े के फायदे

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गेरू के औषधीय प्रयोग गेरू के औषधीय प्रयोग   आयुर्वेद चिकित्सा में कुछ औषधीयाँ सामान्य जन के मन में  इतना आश्चर्य पैदा करती हैं कि कई लोग इन्हें तब तक औषधी नही मानतें जब तक की इनके विशिष्ट प्रभाव को महसूस नही कर लें । गेरु भी उसी श्रेणी की   आयुर्वेदिक औषधी   हैं। जो सामान्य मिट्टी   से   कहीं अधिक   इसके   विशिष्ट गुणों के लिए जानी जाती हैं। गेरु लाल रंग की मिट्टी होती हैं। जो सम्पूर्ण भारत में बहुतायत मात्रा में मिलती हैं। इसे गेरु या सेनागेरु कहते हैं। गेरू  आयुर्वेद की विशिष्ट औषधि हैं जिसका प्रयोग रोग निदान में बहुतायत किया जाता हैं । गेरू का संस्कृत नाम  गेरू को संस्कृत में गेरिक ,स्वर्णगेरिक तथा पाषाण गेरिक के नाम से जाना जाता हैं । गेरू का लेटिन नाम  गेरू   silicate of aluminia  के नाम से जानी जाती हैं । गेरू की आयुर्वेद मतानुसार प्रकृति गेरू स्निग्ध ,मधुर कसैला ,और शीतल होता हैं । गेरू के औषधीय प्रयोग 1. आंतरिक रक्तस्त्राव रोकनें में गेरू शरीर के किसी भी हिस्से में होनें वाले रक्तस्त्राव को कम करने वाली सर्वमान्य औषधी हैं । इसके ल

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