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सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) क्या हैं

सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI)

* सूचना का अधिकार यानी राइट टू इंफॉर्मेशन (RTI) भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक कानून है.

* इस कानून के तहत देश के हर नागरिक को सरकार की पॉलिसी और अन्य गतिविधियों व सूचना की जानकारी मांगने का हक दिया जाता है.

* RTI भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ.

* RTI हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह
> सरकार से कोई भी सवाल पूछ सके या कोई भी सूचना ले सके.

> किसी भी सरकारी दस्तावेज की प्रमाणित प्रति ले सके.

> किसी भी सरकारी दस्तावेज की जांच कर सके.

> किसी भी सरकारी काम में इस्तेमाल सामग्री का प्रमाणित नमूना ले सके.

* इस कानून का मकसद सरकारी महकमों की जवाबदेही तय करना होता है और ट्रांसपेरेंसी लाना होता है ताकि करप्शन पर अंकुश लग सके.

* इस कानून का उपयोग सिर्फ भारतीय नागरिक ही कर सकते हैं.

* इस कानून में निगम यूनियन कंपनी वगैरह को सूचना देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि यह नागरिक की परिभाषा में नहीं आते.

* अगर आपके बच्चों के स्कूल के टीचर अक्सर गैरहाजिरी रहते हो, आपके आसपास की सड़के खराब हालात में हो, सरकारी अस्पतालों या हेल्थ सेंटर में डॉक्टर या दवाइयां ना हो, अफसर काम के नाम पर रिश्वत मांगे या फिर राशन की दुकान पर राशन ना मिले तो आप RTI के तहत ऐसी सूचना पा सकते हैं.

* नागरिक डिस्क, टेप, वीडियो कैसेट या किसी और इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट आउट के रूप में भी सूचना मांग सकते हैं बशर्ते यह सूचना पहले से ही इस रूप में मौजूद हो.

* RTI के तहत आने वाले विभाग


> राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल और मुख्यमंत्री का दफ्तर

> संसद और विधानमंडल

> चुनाव आयोग

> सभी अदालतें

> तमाम सरकारी दफ्तर

> सभी सरकारी बैंक और अस्पताल

> पुलिस महकमा और सेना के तीनों अंग

> पीएसयू

> सरकारी फोन कंपनियां

> सरकारी बीमा कंपनियां

> सरकार से फंडिंग पाने वाले NGO

* खुफिया एजेंसी या ऐसी जानकारियां जिसके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो साथ ही दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले RTI के तहत नहीं आते हैं.

* सूचना का अधिकार प्राप्त करने के लिए कुछ शुल्क भी देनी होती है जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग निर्धारित है.

* आवेदक को सूचना मांगने के लिए कोई वजह या पर्सनल ब्यौरा देने की जरूरत नहीं होती है.

* एप्लीकेशन में फोन या मोबाइल नंबर देना जरूरी नहीं होता.
* एप्लीकेशन आप किसी भी सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप करा कर अधिकारी के पास जमा करा सकते हैं.

* एप्लीकेशन हिंदी अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में लिखा जा सकता है.


* एप्लीकेशन में लिखना होता है कि क्या सूचना चाहिए और कितनी अवधि की सूचना चाहिए.

* गरीबी रेखा के नीचे की कैटेगरी में आने वाले आवेदक को किसी भी तरह का फीस नहीं देना होता.

* अगर सूचना ना मिले या प्राप्त सूचना से आप संतुष्ट ना हो तो अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19 (1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है.

० अटल बिहारी वाजपेयी

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