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अटल बिहारी वाजपेयी । ATAL BIHARI VAJAPEYI राजनीति के मर्यादा पुरुषोत्तम

       ।।। अटल बिहारी वाजपेयी ।।।


अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी




स्वतंत्रता के पश्चात भारत में ऊँगली पर गिनने लायक नेता ही हुए हैं जो लोगों के दिलों में राज करतें हैं। ऐसे ही शख्स का नाम हैं, अटल बिहारी वाजपेयी । 



अटल बिहारी वाजपेयी भारत के सबसे लोकप्रिय जननायकों में अग्रणी पंक्ति के जननायक थे। जिन का कद इतना ऊँचा था कि पद, पार्टी इनसे शोभा पाते थे न कि पद से इनकी शोभा थी। यही कारण था कि राजनीति से रिटायर होने के 14 वर्षों के बाद जब इनकी अंतिम यात्रा निकली तो देश के प्रधानमंत्री 5 किमी पैदल चलकर इन्हें बिदा करने " स्मृति वन " तक गये हो।


जिनकी मृत्यु के शोक में कई देशों के राष्ट्र ध्वज झुकें हो।

मन्त्र मुग्ध कर देने वाले उनके भाषण जिन्हें सुनने के लिये लोग मिलों चलकर पहुंचते थे । गजब की तार्किकता ओर हाजिर जवाबी वे जब संसद में किसी महत्वपूर्ण मसले पर बोलने खड़े होते तो हंगामों के लिये बदनाम लोकसभा ऐसी ख़ामोश होती थी कि लोकसभा की टेबलों पर पन्ने पलटने की आवाज स्पष्ट सुनी जा सकती थीं।



● भृष्टाचार के बारें में विस्तृत जानकारी




विदेश मंत्री ओर प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भारत की विकास यात्रा को सुनहरे पंख लगाने का माद्दा यदि किसी राजनेता में था तो वो सिर्फ ओर सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी ही थे।


विपक्ष में रहते हुए भी सत्ता पक्ष के अच्छे कामों पर इंदिरा गांधी को दुर्गा का अवतार बताने वाला शख्स कोई ओर नहीं सिर्फ और सिर्फ़ अटल बिहारी वाजपेयी ही हो सकते थे।


सत्ता में रहते हुए विपक्ष को की आवाज संसद में बैठकर सुनने वाली शख्शियत कोई हो सकती थी तो वो सिर्फ़ अटल बिहारी वाजपेयी ही थे ।


सत्ता आएगी, सत्ता जायेगी लेकिन यह देश रहना चाहिए यह कहने वाले व्यक्तित्व का नाम भी अटल बिहारी वाजपेयी था। 



अटल बिहारी वाजपेयी ये मात्र नाम हैं बल्कि जीवन शैली हैं जो हर एक भारतीय के जीवन में परिलक्षित होना चाहिए।

             

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय 


अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था।इनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था जबकि माता का नाम श्री मति कृष्णा बाजपेयी था।


अटल बिहारी वाजपेयी के पिताजी मूल रूप से बटेश्वर आगरा के रहने वाले थे।इनके पिताजी ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे।



अटल बिहारी वाजपेयी की शिक्षा।।।


अटल बिहारी वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा बड़नगर जिला उज्जैन और ग्वालियर में हुई।

बड़नगर में उस समय के ऐंग्लो वर्नाकुलर स्कूल में इनके पिताजी का स्थानांतरण हो गया था जिस वज़ह से अटल बिहारी वाजपेयी भी इनके साथ बड़नगर आ गये और उन्होंने यहाँ 5 वी कक्षा में प्रवेश लिया।


अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी जिंदगी का पहला भाषण भी बड़नगर के इस स्कूल में  ब्रिटिश कालीन भारत में रेल विषय पर दिया था ।


एक साल बड़नगर में पढ़ने के बाद इनके पिताजी का स्थानांतरण पुनः ग्वालियर हो गया जहाँ इन्होंने विक्टोरिया कॉलेज  से बी ए तक की पढ़ाई की।


इन्होंने एम ए की पढ़ाई DAV कॉलेज कानपुर से पूरी की .अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पिता के साथ LLM यानि वकालात की पढ़ाई कानपुर के ही DAV कॉलेज से की थी।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने से पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी साम्यवाद विचारधारा से प्रभावित थे किन्तु बाबा साहब आप्टे के कहने पर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने लग गये ,और संघ के सक्रिय कार्यकर्ता बन गये।


Atal bihari vajpayee का राजनीतिक जीवन 


अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। वे सन 1968 से 1973 तक इसके अध्यक्ष रहें।


सन 1955 में जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा किंतु हार गये ,सन 1957 में दूसरी लोकसभा के लिये बलरामपुर से विजयी हुए थे।


इसके पश्चात अटल बिहारी वाजपेयी ने 10 बार सांसद रहने का रिकॉर्ड बनाया था।


सन 1977 में जनसंघ से जनता पार्टी बनायी जिसे आपातकाल के बाद बहुमत मिला ओर अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने।


6 अप्रैल 1980 को जनता पार्टी टूट गई ओर अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की जिसके वे प्रथम अध्यक्ष बने ।

अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्य सभा के लिये भी निर्वाचित हुए थे ।

।।। अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री काल ।।।


प्रथम बार 11 वी लोकसभा के समय वे 16 मई 1996 को देश के प्रधानमंत्री बने किन्तु बहुमत के अभाव में इन्हें 28 मई 1996 को त्यागपत्र देना पड़ा ।

दूसरी बार 19 मार्च 1998 को प्रधानमंत्री बने किंतु मात्र एक वोट से इनकी सरकार गिर गयी।

तीसरी बार 13 वी लोकसभा में 10 अक्टूबर 1999 को 23 दलों को साथ लेकर प्रधानमंत्री बने ओर कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।

इस तरह अटल बिहारी वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे ,वे भारत के 10 वे प्रधानमंत्री थे ।


।।।  अटल बिहारी वाजपेयी के महत्वपूर्ण कार्य ।।।


।।। सयुंक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी का मान बढ़ाया।।।


सन 1977 में अटल बिहारी वाजपेयी देश के विदेश मंत्री रहते हुए सयुंक्त राष्ट्र संघ को हिंदी में सम्बोधित करने वाले पहले व्यक्ति बनें ।

।।। पोखरण परमाणु परीक्षण।।।


11 और 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण कर भारत को विश्व रंगमंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका के लिये तैयार करने वाले सिर्फ़ अटल बिहारी वाजपेयी ऐसा करने वाले इंदिरा गांधी के बाद सिर्फ दूसरे शख्स थे ।


  
परमाणु परीक्षण के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने वैज्ञानिक के सम्मान में लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिये गये नारे जय जवान, जय किसान को आगे बढ़ाते हुए जय विज्ञान कहकर वैज्ञानिको के प्रति सम्मान प्रदर्शित किया म

अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किया गया परमाणु परीक्षण दुनिया के कई राष्ट्रों को नागवार गुजरा ओर अमेरिका समेत कई राष्ट्रों ने भारत पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये किन्तु अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी परवाह नहीं करते हुए विकास दर 7 प्रतिशत के स्तर पर बनाये रखी।

अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किये गये परमाणु परीक्षण का ही असर था कि बाद में दुनिया के कई ताकतवर राष्ट्र भारत को ताकतवर राष्ट्र के रूप में गम्भीरता से सुनने लगे। 

बाद के वर्षों में भारत के परमाणु अप्रसार सन्धि पर हस्ताक्षर नहीं करने के बावजूद अमेरिका जैसे राष्ट्रों ने भारत से परमाणु ऊर्जा से सम्बंधित समझौते किये ।

।।। कारगिल विजय ।।।


सन 1999 में पाकिस्तान ने भारत की महत्वपूर्ण सुरक्षा चौकियों पर कब्जा कर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन किया था । ये अटल बिहारी वाजपेयी के दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतिफल था कि भारत ने तुरन्त कार्यवाही करते हुए भारत की भूमि को छुड़ा लिया बल्कि पाकिस्तान को करारा जवाब देकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति से अलग थलग कर दिया।

इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी दोस्ती का पैगाम लेकर सदा ए सरहद से पाकिस्तान जा चुके थे किन्तु पाकिस्तान ने दोस्ती का उल्टा प्रतिफल दिया । आज पाकिस्तान के अनेक बुद्धिजीवी अटल बिहारी वाजपेयी के इस महत्वपूर्ण काम को असाधारण बताकर अटल बिहारी वाजपेयी को शान्ति दूत कहकर संबोधित कर रहे हैं।


अनेक पाकिस्तानी ओर भारतीय अर्थशास्त्रियों का मत हैं कि यदि पाकिस्तान अटल बिहारी वाजपेयी के दोस्ती के पैगाम को स्वीकार कर लेता तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विदेशी सहायता की इस हद तक गुलाम नहीं होतीं।


।।। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ।।।


अटल बिहारी वाजपेयी उन नेताओं में शुमार थे जो गांव के विकास में भारत का विकास देखते थे। उनका मानना था कि यदि भारत के गांव पक्की बारहमासी सड़को से जुड़ गये तो भारत के विकास में पंख लगते देर नहीं लगेगी।

इसी उद्देश्य से उनके द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आज भारत की सबसे महत्वपूर्ण सड़क परियोजना बन गयी हैं जिनके दुम पर भारत के गांव तरक्की में कई कदम आगे बढ़ चुके हैं ।


।।। स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना ।।।


देश के शीर्ष महानगरों को आपस में सड़क और रेल मार्ग से जोड़ने की योजना अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा ही शुरू की गई थी यदि ये योजना आगामी भविष्य में पूरी होती हैं तो भारत सड़क के मामले में विश्व के विकसित राष्ट्रों के समकक्ष हो जायेगा।

इस योजना की शुरू करने वाले प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी सदा याद किये जायेंगे ।

 अटल बिहारी वाजपेयी ने लोक लेखा समिति के अध्यक्ष, विदेश मामलों से सम्बंधित समिति के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता रहते हुए भी देश हित में महत्वपूर्ण कार्य किये जिससे देश की प्रतिष्ठा बढ़ी।


।।। सफ़ल गठबंधन सरकार ।।।


सन 1995 के बाद लोगों ने गठबंधन राजनीति का युग देखना शुरू किया किंतु कोई भी गठबंधन सरकार सन 1999 तक सही तरीके से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी । देश विषम परिस्थितियों में था क्योंकि कुछ समय पहले ही सरकार को सोना गिरवी रखकर अर्थव्यवस्था चलानी पड़ रही थीं।

इन सब के बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने 24 दलों को मिलाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नींव रखी ओर सफलतापूर्वक कार्यकाल पूरा किया। राजग सफलतापूर्वक कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैरकांग्रेसी सरकार थीं ।


अटल बिहारी वाजपेयी को मिलें सम्मान 


अटल बिहारी वाजपेयी को अपने राजनीतिक जीवन में अनेक सम्मानों से अलंकृत किया गया या  कह ले सम्मान उन्हें पाकर पाकर अलंकृत हुए इनमे कुछ महत्वपूर्ण सम्मान निम्न हैं 

सन 1992 पदम् विभूषण 

सन 1994 में गोविंद वल्लभ पन्त सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरुस्कार

सन 2014 भारत रत्न देने की घोषणा की गई और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 27 मार्च 2015 को घर जाकर उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया ।

भारत सरकार अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को "सुशासन दिवस" के रूप में मनाती हैं । ताकि लोकसेवा में सुशासन की महत्ता स्थापित की जा सकें ।


।।। सरस्वती के वरद पुत्र अटल बिहारी वाजपेयी ।।।



अटल बिहारी वाजपेयी प्रखर पत्रकार कवि और उच्च कोटि के लेखक थे ।उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म,वीर अर्जुन ,स्वदेश और पांचजन्य का सम्पादन कार्य कुशलतापूर्वक किया।

इसके अलावा अनेक रचनाओं से अपनी लेखन विधा का परिचय कराया इन रचनाओं में प्रमुख रचनाएं हैं मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, संसद में 3 दशक, सेक्युलरवाद, राजनीति की रपटीली राहें और मेरी 51 कविताएं प्रमुख हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रिय कविताओं की बानगी 


।।। मौत से ठन गयी ।।।


ठन गई ।मौत से ठन गई ।

जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोककर वह खड़ी हो गई, यूँ लगा जिन्दगी से बड़ी हो गयी।

मौत की उमर क्या है ।दो पल भी नहीं जिंदगी सिलसिला आज कल की नहीं।

में जी भर जिया,में मन से मरूँ ,लौटकर आउँगा ,कूच से क्यों डँरु ।

तू दबे पाँव चोरी छिपे से न आ, सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेख़बर जिंदगी का सफ़र, शाम हर सुरमई,रात बंशी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई गम ही नही ,दर्द अपने पराये कुछ कम भी नहीं।प्यार इतना परायो से  मुझेको मिला ,न अपनों से बाकि हैं कोई गिला ।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आंधियों में जलाएं हैं बूझते दिये।आज झकझोररता तेज तूफान हैं, नाव भँवरों की बाँहो में मेहमान हैं ।

पार पाने का मगर कायम मगर हौसला ।देख तेवर तूफाँ का तेवरी तन गयी। मौत से ठन गई।म

।।। हार नहीं मानूँगा रार नहीं ।।।



टूटे हुए तारों से फूटे बासन्ती स्वर,पत्थर की छाती में उग आये नव अंकुर ।।

झरे सब पिले पात,कोयल की कूक रात । प्राची में अरुणिमा की रेख देख में पाता हूँ । गीत नया गाता हूँ ।।

टूटे हुए सपनों की सुने कोंन सिसकी । अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठीठकी ।। हार नहीं मानूंगा रार नहीं  ठानूँगा ।।

काल के कपाल पर लिखता हूँ मिटाता हूँ । गीत नया में गाता हूँ ।।




।।। ताजमहल ।।।

यह ताजमहल यह ताजमहल । यमुना की रोती धार विकल कल ।कल चल चल।।

जब रोया हिंदुस्तान सकल तब बन पाया ताजमहल यह ताजमहल यह ताजमहल।।


।।। क़दम मिलाकर चलना होगा ।।।


बाधायें आती हैं आये घिरे प्रलय की घोर घटाये
पाँवो के निचे अंगारे ,

सिर पर यदि बरसे ज्वालायें ,

निज हाथों में हँसते हँसते,

आग लगाकर चलना होगा क़दम मिलाकर चलना होगा ।।

हास्य रुदन में तूफानों में ,

अगर असँख्यक बलिदानों में ,

उद्यानों में वीरानों में।

अपमानों में सम्मानों में ।

उन्नत मष्तक उभरा सीना। पीड़ाओं में पलना होगा ।

क़दम मिलाकर चलना होगा।।

उजियारे में अंधकार में ।

कल कहार में बीच धार में ।

घोर घृणा में  पूत प्यार में ।

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में ।

जीवन के शत शत आकर्षक ।

अरमानों को ढलना होगा।क़दम मिलाकर चलना होगा।।

सम्मुख फैला अगर धेय्य पथ ।

प्रगति चिरन्तन कैसा इति अब ।

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम शलभ ।

असफ़ल सफल समान मनोरथ।

सबकुछ देकर कुछ न माँगते पावस बनकर ढलना होगा क़दम मिलाकर चलना होगा।।

कुछ काँटो से सज्जित जीवन ।

प्रखर प्यार से वंचित यौवन।

नीरवता से मुखरित मधुबन

,परहित अर्पित अपना तन मन,

जीवन को शत शत आहुति में।जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।।

।।। निधन ।।।

दिनांक 16 अगस्त 2018 को युग पुरूष अनन्त ज्योति में विलीन हो गया ।
















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